नशा मुक्ति केंद्र में इलाज
नशे की लत एक बमारी है, यह बात डब्लु.एच.ओ द्वारा प्रमाणित है और इससे उबरने के लिये इसका सही ढ़ंग से इलाज जरुरी है। नशे की लत को सामन्यतः हर व्यक्ति हल्के में लेता है यही दृष्टिकोण बाद में परेशानी का कारण बनता है। नशा चाहे वह किसी भी पदार्थ का क्यों न हो, पदार्थ के सेवन की मात्रा हमेशा बढ़ती है। नशे की लत के इलाज के लिये पीड़ित या पीड़ित का परिवार तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं जैसे कि डॉक्टरों से सलाह, नीम-हकीमो के पास जाना, टोने-टोंटके करना, टी.वी.-रेडीयो के विज्ञापन में दिखाई गई दवाओं का इस्तेमाल करना आदि। इनमें से एक सबसे बेहतर उपाय है कि पीड़ित का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाया जाये।
सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्र इलाज का मकसद न केवल मरीज को कुछ समय के लिये नशा मुक्त करना होता है बल्की इलाज नशे से हमेशा के लिये दूरी बनाये रखने के लिये होता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चरणबद्ध तरीके से होता है।
- पहला चरण – मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले मरीज का डी-टॉक्स किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज के शरीर मौजूद सारे हानिकारक तत्व को निकाला जाता है। ये चरण सबसे अहम है क्योंकि शरीर से सारे हानिकारक रसायन निकलने के बाद ही शारीरिक तलब (क्रेविंग) खत्म होती है। इसी चरण में विथड्रॉवल आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिये इस दौरान मरीज का केंद्र के स्टाफ द्वारा विषेश ख्याल रखा जाता है।
- दूसरा चरण – इस चरण में मरीज को केंद्र की दैनिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इसमें योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मीटिंग सेशन इत्यादी गतिविधियां होती हैं। इस चरण से मरीज की शारिरिक ऊर्जा बनी रहती है और इससे मरीज की सोच सकारत्मक बनी रहती है। सकारात्मक सोच का होना इलाज के लिये बहुत जरुरी होता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अपने नशे के साथ बिताये गये समय के कारण नकारात्मक हो जाते हैं। यहां स्टाफ की और अन्य मरीजों के साथ की सहायता से मरीज की जीवन के प्रति उमंग और सकारात्मकता बनी रहती है।
- तीसरा चरण – इस चरण मनोचिकित्सक और काउन्सलर मरीज का आकलन करते हैं। बहुत से नशे के आदि व्यक्ति अवसाद में और भ्रमित रहते हैं, जिनकी जाँच केंद्र द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक करते है और जरुरत पड़ने पर दवाई देते हैं। वहीं काउन्सलर मरीज को नशा छोड़ने के प्रेरित करते हैं अथवा उनकी समस्याऐं सुलझाते हैं।
- चौथा चरण – ये चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मरीज की नशा मुक्ति केंद्र से छुट्टी होने से पहले उसे केंद्र के कुछ कार्यों की जम्मेदारीयां दी जाती हैं। इससे मरीज का नशा छोड़ने का हौसला बुलंद होता है और अन्य मरीज उसे देखकर प्रभावित होते हैं।
नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों करवाया जाये? यह सबसे बेहतर उपाय इसलिये है क्योंकि यह ज्यादा कारगर साबित होता है। ये केवल शरीर पर काम नहीं करता बल्की ये मानसिक रुप मरीज को नशे से दूर रहने में मदद करता है। इसके अलावा नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सर्मपित सारे प्रोफेशनल एक ही छत के नीचे मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त माहौल का बड़ा अंतर पड़ता है। नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को दूसरे मरीजों को देखकर नशा छोड़ने के लिये प्रेरणा मिलती है इसके विपरीत अस्पताल में केवल डी-टॉक्स की सुविधा होती है वह भी अपेक्षाकृत बहुत मंहगी होती।