Deaddiction

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!

यहाँ पर आज हम चर्चा करेंगे उन दवाईयों के बारे में जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। खासकर हमारे देश में क्या बड़ा क्या छोटा सभी इसके मूरीद नजर आते हैं। सामान्य तौर पर आम लोग इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते पर पिछले कुछ सालों से इस प्रकार के नशे का चलन काफी बढ़ गया है।

तो यहाँ हम देखेंगे कि किस तरह की दवाईयाँ ओवर द कांउटर उप्लब्ध हैं जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है।

सबसे पहला टाइप – सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेन्ट (central nervous system depressant) 

ये वो ड्रग्स होता हैं जो ब्रेन में मौजूद न्युरोट्रांसमिटर (neurotransmitter)  के लेवल को कम कर देता है। इन दवाओं को डाउनरस् भी कहते हैं। इन दवाओं को नींद न आने पर (insomnia), एन्कजाइटी आदी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। बाजार में ये अल्प्राजोलम (Alprazolam), ऐटिवेन (Ativan), लिब्रियम (Librium), वैलियम (Valium) ब्रांड नेम से फेमस हैं। इस दवा के निरंतर इस्तेमाल से सिरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे 

खतरनाक तरीके से ब्लड प्रेशर लो हो जाना।

सांसो की गति का कम हो जाना।

शरीर का मुवमेंट कंट्रोल में न रहना।

 

दुसरा टाइप – डेक्सट्रोमेथोरफेन (dextromethorphan) 

 ये दवा मोरफ्नेन क्लास (morphinan class ) ड्रग है। इस दवा में अफीम का कोई अंश नहीं होता और ये मोरफीन से synthesize  की जाती है। यो दवा आमतौर पर ठंड और खांसी के लिये प्रिसक्राइब की जाती है और ये एडिक्टिव नेचर की ड्रग नहीं है पर इसका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके पॉपुलर ब्रांड नेम एक्टिकोफ (acticof), एकोरिल (Acorill-DX) आदी हैं। लेकिन इसके इसके सिरियस साइड इफेक्ट्स जैसे

मतिभ्रम (Hallucinations) 

अनियंत्रित उल्टीयां होना (Uncontrolled vomiting)

सांसो की गति का कम हो जाना।

तीसरा टाइप – ओपियेट्स (Opiates)

ये वो दवायें हैं जो अफीम से बनाई जाती हैं या जिनमे अफीम का अंश होता है। ये दवाये मुख्य रुप से पेन किलर होती हैं। इस के पॉपुलर ब्रांड नेमस् हैं मोरफीन (Morphine), ट्रामाडोल (Tramadol), एलप्रेक्स (Alprax) आदी  ये दवायें बहुत ही एडिक्टिव नेचर की होती हैं और इसके बहुत सारे साइड इफेक्टस् होते हैं पर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है इसका ओवरडोज होना। इसके साथ ओपियेट्स के और सिरियस साइड इफेक्टस हैं जैसे 

मतिभ्रम (Hallucinations) 

इंसान का कोमा में चले जाना

इम्युन सिस्टम (Immune system) कमजोर हो जाना

चौथा टाइप – कोडीन बेस्ड कफ सिरप

ये नशे के लिये सबसे ज्यादा पॉपुलर मेडिसिन है, ये ड्रग पेन रिलिफ और खाँसी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। कोरेक्स ब्रांड नेम से ये ड्रग नशा करने वालो के बीच फेमस है। इसके और ब्रांड हैं जैसे टोसेक्स (Tossex), कोडिस्टार (Codistar) etc. इस ड्रग का ओवरडोज होना बेहद खतरनाक होता है इसके साथ

धीमा रक्तचाप (Low B.P) और सांस लेने में तकलीफ होना भी शामिल है।

इसके अलावा लंबे समय से इसकी लत का शिकार आदमी दिमागी रुप से अस्थिर भी हो जाता है।

हमारी सोसायटी में इस टॉपिक को लेकर ज्यादा अवेयरनेस नहीं है कि इन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके बावजूद प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  लगातार बढ़ रहा है।

आइये यहां हम इसके कारण जानेगे की क्यों इसका चलन बढ़ रहा है।

  • इन दवाओं को एक ऑल्टरनेट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार एडिक्ट हेरोइन या ब्राउन शुगर जैसे ड्रग हासिल नहीं कर पाता चाहे ऐसा पैसों की कमी के कारण हो या फिर पुलिस के डर से। ऐसी कंडिशन में ये ड्रग ऑल्टरनेटिव का काम करती है।
  • आसान पहुँच या ease of availability,  ये सारे ड्रग जिनकी हमने बात करी फारमेसी/मेडिकल में आसानी से मिल जाते हैं। ये सारे ड्रग “to be sold by prescription only” हैं पर कुछ पैसे देकर ये आसानी से खरीदे जा सकते हैं।
  • इनमें से कुछ ड्रग्स जब शराब के साथ या दुसरे ड्रग्स के साथ कॉम्बिनेशन के साथ लेते हैं तो नशे की तीव्रता (intensity) बढ़ जाती है। ये प्रेक्टिस बहुत खतरनाक  होती है क्योंकि ठीक अनुपात न होने से डोज से मौत भी हो सकती है।
  • कई बार लोग अपना इलाज खुद ही करने लग जाते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं को खाने लग जाते हैं और धीरे-धीरे उनका शरीर इन दवाओं पर डिपेनडेंट हो जाता है। 
  • दुसरे नशे के सामान के तपलना में ये नशा बहुत सस्ता होता है। इसके साथ इसको बेरोक-टोक कहीं भी ले जाया जा सकता है।

नशे के लिये इन ड्रग्स का युज युवाओं   के बीच काफी कूल माना जाता है। और उनको लगता है कि ये शौक उनके कंट्रोल में है तो वो बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं। एक दिन में कुतुबमिनार नहीं खड़ा होता ठीक उसी तरह से धीरे-धीरे ये दवाई आपकी सेहत के लिये समस्याओं का कुतुबमिनार बना देंगी।

हमारे सिस्टम में प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  के लिये कड़े कानुन हैं पर लागू करने प्रक्रिया बड़ी ही कॉम्पलेक्स है। इस तरह की बुराई से बचने के लिये जागरुता ही सबसे हथियार है।

हमारा आपसे अनुरोध है कि कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें और यदि कभी ऐसी स्तिथी  आती है तो प्रिसक्रिपशन  के अनुसार तय मात्रा में लें।  

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!2021-02-27T22:20:44+00:00

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!

आज हम बात करेंगे उन 5 गलतीयों के बारे में जो शराब छोड़ते समय लगभग हर आदमी करता है। अगर पूरी 5 नहीं करता तो 2-3 तो जरुर करता है यहाँ हम ये इसलिये डिसकस कर रहें है क्योंकि इनमें से ही एक रिलेप्स का कारण बनती हैं। तो ये जरुरी हो जाता है की जब हम ऐफर्ट लगा रहे हैं वो सही डॉयरेक्शन में जाये।

  • जब आप शराब छोड़ते हैं तब आपको एहसास होता है की दिन कितना बड़ा है। क्योंकि जब आप रेग्युलरली पी रहे होते हैं तो आपके पूरे दिन की सायकल सिर्फ और सिर्फ शराब के इर्द-गिर्द घूम रही होती है। इसलिये शराब छोड़ने के बाद जो आपके पास खाली समय बचेगा उसे किसी भी कंसट्रक्टीव काम से भरने की तैयारी कर लें।
  • जब आप पीते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि आपके बहुत सारे दोस्त हैं। पर हकीकत में सिर्फ ड्रिंकिग बडीस होते हैं इसलिये उसी ग्रुप में लौट कर बैठना भले ही आप के हाथ में कोक हो एक बेवकुफी है क्योंकि शराब आपको अट्रेक्ट करेगी और आप मिजरेबल फील करेंगे। इसलिये ये बहुत जरुरी है कि जब आप ऐसी जगहों और दोस्तों को अवोइड करें।
  • एक और गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं कि शराब छोड़ने को बहुत इम्पारटेन्स देना। वे लोग अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि 24 घंटे उनके दिमाग में शराब घूमती रहती है। खासकर उन लोगों को इसको इतना बड़ा ईशु नहीं बनाना चाहिये जो फिजिकली अल्कोहोल पर डिपेंडेंट नहीं है।(एक दो उदाहरण और जोड़ दें)
  • आपके साथ एक बात और होगी की जैसे आप शराब छोड़ देंगे आप इरिटेट फील करेंगे आप को बहुत सारी बातों में प्रॉबलम नजर आने लगेगी। हो सकता है कि आप अपने आस पास के लोगों के साथ ज्यादा बहस करें। इन बातों से बिलकुल परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि सारी चीजें वैसी की वैसी है दरअसल हुआ ये है कि आप शराब छोड़ने के बाद ज्यादा सजग हो गये हैं आप ये सारी बातें नोटिस करने लगते हैं जो पहले शराब के पीछे छुप जाती थी।
  • सबसे इम्पॉरटेंट बात ये की ये उम्मीद बिलकुल न रखें की सारी चीजें जो शराब की वजह से खराब हो गई थी वो ओवरनाईट ठीक हो जायेंगी। हर इंडिविजुवल अलग होता है और सबकी अलग कहानी होती है इसलिये चीजें बेहतर तो होंगी ये बात तो श्योर है पर इसकी कोई फिक्स टाईम लिमिट नहीं लगा सकते। आप इसको इस तरह से भी सोच सकते हैं की शराब पीने सेल्फ अब्युज आपने सालों तक किया और छोड़ने पर पॉजिटिव रिजल्ट आने में कुछ तो टाईम लगेगा। इसलिये पेशंस बहुत इम्पॉरटेंट एसपेक्ट है। 

 

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!2021-02-27T22:20:51+00:00

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां

   

 

ऐसा कई बार देखा गया है की बंदे को मालूम है कि उसे ड्रग/अल्कोहोल का एडिक्शन हो चुका और वो इस प्रॉब्लम से निकलना भी चाहता है पर कुछ गलतफहमीयों या कहें कनफ्युजन की वजह से एक प्रॉपर ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट लेने से घबराता है। इन गलतफहमीयों की मुख्य वजह ये भी है कि हमारे समाज में इस टॉपिक को लेकर जानकारी बहुत कम है या गलत जानकारी है। एक एडिक्ट के लिये अपनी प्रॉब्लम रियालाइज करना और उसके बारे में कुछ करना एक बहुत जरुरी और बड़ा कदम होता है, तो आज हम यहाँ बात करेंगे उन कुछ गलत धारणाओं के बारे में जो ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर अक्सर इंसान के मन में होते हैं…

  1. सबसे पहला सवाल जो एक इंसान के मन में आता है वो ये होता है कि क्या  मैं एडिक्शन ट्रीटमेंट एफोर्ड कर सकता हुँ… तो इसका सीधा-सीधा जवाब है की हाँ। अगर आप सही तरीके से तलाशेंगे तो आपको ऐसे कई केंद्र और संस्थाऐं मिल जायेंगी जो किफायती दरों में ड्रग/अल्कोहोल एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम चलाती हैं। और इस बात को अगर आप इस नजरीये से देखेंगे की जितना खर्चा आप अपने एडिक्शन पर करते हैं उसकी तुलना में एडिक्शन ट्रीटमेंट का खर्चा कम ही होगा। इसके साथ ही आपको ये बात ध्यान में रखनी होगी की जितना ज्यादा आप एडिक्शन के इंफ्लुऐंस में रहते हैं उतना ही ज्यादा खतरा आपके बिमार होने का और किसी दुर्घटना के शिकार होने का बना रहता जो की कभी-कभार बेहद खर्चीला साबित हो सकता है।
  2. दुसरा डर आपको ये रहता है कि आपकी नौकरी या बिजनस का कहीं नुक्सान तो नहीं हो जायेगा… देखिये इस विषय में तो आपको सही तालमेल बिठाकर प्राथमिकतायें तय करनी होगी। आप अगर सही प्लानिंग कर के अपनी नौकरी या बिजनस से समय निकाल कर अपने आप नशे के जाल से निकालने के लिये देते हैं तो ये आने वाले कल के लिये बेहतर फैसला साबित होगा क्योंकि न केवल आप एडिक्शन की परेशानी से मुक्त होंगे बल्कि साथ ही अपने प्रॉफेशन में और अच्छा परफार्म कर पायेंगे।
  3. इसके आगे एक गलतफहमी ये भी है की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम जेल जैसा होता है। ये बात सही है कि एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम में रिसट्रिक्शनस् होते हैं और वो इसलिये होते हैं क्योंकि ड्रग्स और शराब की तलब बहुत खराब होती है और उनसे पार पाने में समय लगता है इसलिये सही ट्रीटमेंट के लिये आपको एक जगह सीमित रखना पड़ता है और इसी ट्रीटमेंट प्रोसेस को कारगर बनाने के लिये आपको एक हैल्दी डेली रुटीन फॉलो करना रहता है।
  4. चौथी बात हम ये करेंगे की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोसेस के बोरिंग होने का क्योंकि बहुत से लोगों को ये लगता है कि वो एक जगह बंद हो जायेंगे और उनके पास करने को कुछ नहीं होगा या वो और मायूस परेशान लोगों से घिरे होंगे तो यहाँ मैं बता दुँ की ट्रीटमेंट के दौरान आपका रुटीन बिलकुल भी बोरींग नहीं रखा जाता, इस प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाती है कि पेशंट को किसी एक्टिविटी में ऑक्युपाइड रखने की ताकी उसका मन इधर-उधर न भटके। इसके साथ डेली रुटीन में कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होती हैं। 
  5. और लास्ट में सबसे बड़ी गलतफहमी कुछ लोगो को ये हो जाती है कि वो अपने परिवार से दूर हो जायेंगे जबकी होता इसके बिलकुल उलट है। ये कुछ दिन जो आप अपनी बेहतरी के लिये अपने परिवार से दूर बितायेंगे उसमें आप रियलाइज करेंगे की नशे की वजह से आप अपने परिवार से कितने दूर हो गये थे। भले ही आप जब उनके साथ में एक ही छत के नीचे थे तब भी आपके जीवन का केँद्र नशा ही बन चुका था। यहाँ ट्रीटमेंट के दौरान जब आप नशे से दूर रहेंगे तो अपने आप को परिवार के और करीब महसुस करेंगे और उनकी ज्यादा वैल्यु करने लगेंगे। 

तो अगर आपको ये एहसास हो गया है कि आपको ड्रग या अल्कोहोल के एडिक्शन की प्रॉब्लम है तो कोशिश करें की जितना जल्दी हो सके आप इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवायें क्योंकि ये प्रॉब्लम समय के साथ और भयानक होती जाती है। इसके साथ आपके मन में यदि एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर कोई और शंका या सवाल हैं तो हमसे जरुर संपर्क करें…..  

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां2021-02-27T22:22:21+00:00

डेटिंग और रिकवरी

जब हम एडिक्शन रिकवरी में होते हैं तो कई बार डेटिंग या रिलेशनशिप में होना रिलेप्स का कारण बन जाता है क्योंकि हम इमोशनली तैयार नहीं होते रिलेशनशिप से जुड़े स्ट्रेस और उतार-चढ़ाव झेलने के लिये। कभी-कभार हम डेटिंग के साथ जुड़े इशुस् पर इतना ध्यान देते हैं कि हम अपनी रिकवरी को पीछे धकेल देते हैं और जब हम डेट करना शुरु करते हैं तो उसके साथ हमेशा ब्रेक-अप का चांस रहता है जो हमेशा जरुरी नहीं है कि म्युचुवल हो या फिर अच्छे टर्मस् पर हो। इन सिचुऐशनस् में हमारी रिकवरी जो की प्रोसेस में है, वो कहीं दब जाती है और हमें पता ही नहीं चलता की हम कब रिलेप्स हो गये। 

इसलिये ये आमतौर पर रिकमेंड किया जाता है कि आप कम से कम एक साल वेट करें डेटिंग करने से पहले।

तो हम बात करेंगे की एक साल का टाइम पिरियड क्यों…

वो इसलिये क्येंकि एडिक्शन ट्रीटमेंट एक्सपर्टस् का मानना है कि रिकवरी के पहले साल में हमारा पूरा फोकस और एनर्जी हमारी सोबरायटी पर होना चाहिये। इस पिरियड में हमारी सोबरायटी हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। इस रिकवरी के पहले साल में दरअसल खुद को जान पाते हैं कि हम आखिर हैं कौन बिना ड्रग्स या शराब के। हम इसी के साथ अपनी सेल्फ-एस्टीम री-बिल्ड करते हैं और रोजमर्रा की परेशानीयों से बिना नशा करे निपटना सीखते हैं।

अगर आप इस बीच किसी स्पेशल से मिलते भी हैं तो अच्छा होगा की आप बात धीरे-धीरे आगे बढ़ायें और अपने आप से ईमानदार रहें की रिकवरी ही आपकी फर्स्ट प्रिफरेंस है।

अब हम बात करेंगे की डेटिंग करना रिकवरी के दौरान चैलेंजिंग क्यों होता है…

  • सोशल एन्गजायटी, जब आप ड्रग्स या शराब के इनफ्लुऐंस में होते है तो नये लोगो से मिलना ज्यादा आसान होता है। हो सकता है जब आप सोबर हों तो आपको नये लोगों से मिलने में झिझक और घबराहट महसुस हो, ये सिचुयेशन क्रेविंगस् पैदा कर सकती हैं।
  • जनरल ट्रेंडस्, डेटिंग के दौरान ये बहुत कॉमन है कि आप क्लबस् या पब में जायें और अपने आप को शराब नजदीक ले जायें। ये क्रेविंगस् भले ही पैदा न करे पर फिर भी ये रिकवरी के दौरान अपने आप को डेंजरस स्पॉट में रखने जैसा होगा।
  • आपकी फिलींगस् और रुटीन में आने वाला बदलाव, ये तो ओबवियस है कि जब आप किसी को डेट कर रहे होते हैं तो आपकी फिलींगस् में चेंजेस आते हैं या नई फिलींगस् डेवलप होती हैं जो आपका फोकस रिकवरी से हटा सकती हैं। इसके साथ ही आपका रुटीन जो की रिकवरी को डेडिकेटेड था वो भी डिस्टर्ब होगा।

आप क्या-क्या कर सकते हैं रिकवरी में डेटिंग ईजी करने के लिये…

  • आप किसी अच्छे थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं ये पता करने के लिये की आप वाकई में रैडी हैं किसी रिलेशनशिप के लिये या नहीं।
  • आप रिकवरी के लिये ग्रुप मिटींग्स अटेंड करते रहे, यहाँ दो फायदे होंगे पहला ये कि आप अपने नये रिलेशनशिप की फिलींगस् शेयर कर पायेंगे और दुसरा की वहाँ आपकी फैलोशिप आपको रिकवरी के लिये फोकस्ड रखेगी।
  • ये याद रखें कि आप जिसे भी डेट कर रहें हैं उसके साथ ईमानदार रहें, ये फिक्र बिलकुल न करें वो एडिक्शन हिस्ट्री के बारे में जानकर क्या सोचेगा। क्योंकि रिकवरी आपके जीवन का हिस्सा है, और इस पर आप प्राउड फील कर सकते हैं। अगर वो आपकी रिकवरी को सपोर्ट करेगा तभी डेटिंग किसी जेनुइन रिलेशनशिप में बदलेगी। 
  • अपनी रोज की जाने वाली जगहों जैसे ऑफिस, ग्रुप मीटिंग, कॉलेज वगैरह से बाहर पार्टनर तलाशें, क्योंकि ब्रेकअपस् एक बहुत बड़ा कारण है रिलेप्स होने का और अगर ऐसा हो जाता है तो आपको बार-बार इन जगह जाना ऑकवर्ड लग सकता है।

अब एक सवाल है कि क्या आपको दुसरे रिकवरींग एडिक्ट को डेट करना चाहिये कि नहीं, ये सिचुयेशन बहुत ही कॉम्पलीकेटेड होती है। यदि मान लीजीये की आपका पार्टनर रिलेप्स हो जाता है तो बहुत सारे सवाल उठेंगे आपके मन में जैसे क्या डेटिंग कन्टिन्यु करनी चाहिये, क्या ब्रेक अप करना चाहिये, क्या मैं तो रिलेप्स का जिम्मेदार नहीं हुं और यदि आप रिलेप्स हो गये तो आपके पार्टनर की कंडिशन भी सेम होगी इसलिये जब तक दोनो पार्टनर अपनी रिकवरी को लेकर 100 परसेंट कनविंस्ड नहीं हो ऐसे रिलेशनशिप में न जाना ही बेहतर होगा।

कुछ डिफरेंट फर्स्ट डेट ऑयडियाज…..

  1. अपने ही शहर में टुरिस्ट बन जायें, ये एक्सपेरिमेंट बहुत एक्साइटिंग हो सकता है और आपके पास याँदे होंगी शेयर करने के लिये।
  2. साथ में कोई नई क्लॉस जॉइन करें, ऐसा कुछ ढ़ुढ़े जिस में आप दोनो का इन्ट्रेस्ट हो जैसे योगा क्लास, रॉक क्लाइंबिग.. 
  3. कुछ स्पोर्टस खेलें साथ में जो आप के बचपन की यादें ताजा करे ये बहुत मजेदार हो सकता है आप विडियो गेम्स भी खेल सकते हैं…
  4. आप दोनो साथ में कम्युनिटी के लिये वॉलंटीयर वर्क कर सकते हैं ये बहुत अच्छा तरीका है किसी के साथ बॉन्डिंग का।  

सोबर डेटिंग हमेशा मीनिंगफुल होती है, रिकवरी डेटिंग में आपकी बातें ज्यादा मीनिंगफुल और जेनुइन होती हैं। जब आप ड्रग या अल्कोहोल अब्युज कर रहे होते हैं तब आपकी किसी हैल्थी रिलेशनशिप में रहने की एबिलिटी कम हो जाती है।

आप जब भी रिकवरी में डेट करने का डिसाइड करें तो याद रखें की आपकी एडिक्शन रिकवरी ही न. 1 प्रॉयोरिटी हो।

डेटिंग और रिकवरी2021-02-27T22:22:27+00:00

withdrawal management

यहाँ हम बात करेंगे उस शारिरिक अवस्था की जो होना लगभग तय है जब आप शराब या कोई दुसरा सुखा नशा जैसे स्मैक, हेरोइन आदि एकदम से छोड़ते हैं तो आपकी तबियत बिगड़ने लगती है, आपको बैचेनी, घबराहट, नींद न आना, भूख न लगना जैसी प्रॉबलम का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि आपका शरीर शराब या जो भी नशा आप करते हैं उसका अभ्यस्त/habitual हो चुका होता है इसलिये जब वो ड्रग बॉडी के सिस्टम में नहीं पहुँचता तो हमारा शरीर इस प्रकार से रियेक्ट करता है।

जब आप शराब या कोई भी नशा छोड़ते हैं तो विथड्रॉवल आना स्वाभाविक होता है। खासकर शुरुआत के 7 से 10 दिन तकलीफ देने वाले हो सकते हैं लेकिन इसके बाद शरीर नॉर्मल होने लगता है।

तो चलिये यहां हम कुछ तरीके जानेगें जो आपको विथड्रॉवलस् को हैंडल करने में मददगार रहेंगे।

  • पहले तो आप कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की और सुबह उठकर हल्के गर्म पानी में नींबु डालकर पीना भी फायदेमंद रहेगा। इस पिरियड में तरल पदार्थ/liquid intake ज्यादा से ज्यादा लें जैसे फ्रुट जुस, मिल्कशेक पर सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन बिलकुल न करें।
  • जितना हो सके हल्का खाना खायें कम तेल मिर्च का। विटामिन, आयरन, पोटेशियम युक्त फलों का सेवन करें।
  • क्रेविंग कम करने के लिये दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से नहायें। ऐसा करने से आपका शरीर से शराब की फिजिकल क्रेविंग कम होगी।
  • विथड्रॉवल के दौरान अपने डेली रुटीन में हल्की एक्सरसाइज और योगा को शामिल करना बहुत जरुरी होता है। इससे आपको नींद आने में मदद मिलेगी। योगा के साथ प्राणायाम भी करना क्रेविंगस् को कम करता है।
  • कोशिश करें धूप मे बैठने की क्योंकि विटामिन डी का इससे अच्छा कोई सोर्स नहीं होता साथ ही धूप लेने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।
  • अगर इस दौरान आपकी नींद नहीं आती और शरीर में दर्द होता है तो आप डॉक्टर से कन्सल्ट कर सेडेटिव और पेन किलर ले सकते हैं।

अल्कोहोल, स्मैक, अफीम आदि के विथड्रावल कई बार बहुत ही ज्यादा सिवीयर भी हो जाते हैं। जैसे हैलुसिनेशन में चले जाना या अपना आपा खो देना, ब्राउन शुगर/स्मैक के विथड्रॉवलस् में सीज़रस् भी आ सकते हैं इसलिये ऐसी कंडिशन में डीटॉक्स के लिये रीहैब या हास्पिटल का तुरंत मदद लें क्योंकि इस तरह की कंडिशन घातक हो सकती है। इसके साथ ही कई केसेस में आई.वी का भी इस्तेमाल करना पड़ सकता है जो की घर पर पॉसिबल नहीं हो पाता।

यहां पर मैं आपको कहना चाहता हुँ की आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें और किसी भी सिवीयर कंडिशन का इलाज खुद से करने की जरा भी कोशिश न करें।

लंबे समय से चले आ रहे एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिये हमे थोड़ी तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी, इसका कोई शार्टकट नहीं है पर यहां मैं एक बात तो गारंटी के साथ आपसे कह सकता हुँ की अगर इस लॉकडाउन में आप थोडी तकलीफ उठा कर नशे के भंवर से निकल गये तो पूरी लाइफ आजादी से रहेंगे।

withdrawal management2021-02-27T22:22:35+00:00

DRY DRUNK SYNDROME

आज हम बात करेंगे एक ऐसी कंडिशन के बारे में जिस को हमेशा overlook कर दिया जाता है। हम बात करेंगे Dry Drunk Syndrome की, तो चलिये समझते हैं कि ये होता क्या है। सबसे पहले सोबर होने में और dry होने में बहुत फर्क होता है। आप के सिस्टम में अल्कहोल का ना होना आपको सोबर नहीं बना देता। हर problem drinker किसी न किसी वजह से शराब पीता है चाहे अपने करियर को लेकर, बिजनस को लेकर या कोई भी वजह से क्योंकि शराब में वो सुकून ढुंढता है। इसलिये शराब से दूर होने के बावजूद अगर आपके मन के किसी कोने थोड़ी सी भी इच्छा शराब के लिये दबी हुई है तो आपको सोबर नहीं कहा जा सकता। सोबर होने का मतलब ये नहीं है कि शराब आपके सिस्टम में नहीं है बल्की इस बात से है कि आप खुश हैं कि शराब की presence आपके जीवन में नहीं है।

अधिकतर approach जो की अपनाई जाती हैं problem drinking के लिये जैसे ए.ए या ग्रुप इन्टरवेंशनस् इस प्रॉबलम को एड्रेस नहीं करते। अगर आप इस प्रॉबलम को डील नहीं करेंगे तो आपके रिलेप्स होने के चांस हमेशा बने रहेंगे चाहे आपको शराब पिये महीनों हो गये हो। अगर आप अपने पीने के main reason को पहचान कर उससे डील नहीं करेंगे तो आप कभी भी पूरी तरह से satisfy नहीं हो पायेंगे और हो सकता है कि आप शराब का कोई आल्टरनेट ढुंढ़ने लग जाये।

यहाँ हम बात करेंगे कि कैसे इस syndrome को हरायेंगे। हर आदमी अलग होता है और हर एक की प्रॉबलम और ड्रिंक करने की वजह अलग होती है तो इस syndrome से पार पाने का कोई किताबी तरीका नहीं है। सबसे पहले जरुरत है उस खाली जगह को भरने की जो शराब ने हमारी लाइफ की ले रखी थी क्योंकि जब आप पी रहे होते हैं तो आपके समय का एक बड़ा हिस्सा शराब ने घेर रखा होता है। इसमें थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है पर आप जरुर कुछ ऐसी हॉबी या नया कुछ ढुंढे जो productive भी हो।

जब आप अपने पास available खाली स्पेस भर देंगे तो धीरे-धीरे आप अपने drinking problem के core को ऐड्रस करने के लिये तैयार हो जायेंगे। यहाँ मैं फिर कहुँगा की हर बंदे या बंदी के पीने का कोर रिजन अलग-अलग हो सकता है पर इस दुनिया में ऐसी कोई प्रॉबलम नहीं जिसका सॉल्युशन न हो। यदि आदमी अपने दिमाग का 100 परसेंट दे तो कोई भी बात से पार पा सकता है जो आपके अंदर पीने की इच्छा पैदा करती है। आप जैसे-जैसे इस पर काम करेंगे तो आपको एहसास हो जायेगा की लाइफ बिना शराब के बहुत शानदार होती है। और अल्कहोल सिर्फ microscopic life खत्म करने के लिये ठीक है प्रॉबलम खत्म करने के लिये नहीं।

DRY DRUNK SYNDROME2021-02-27T22:23:08+00:00

स्मोकिंग कैसे छोड़ें

स्मोकिंग कैसे छोड़ें

हम सब को यह बहुत अच्छे से मालूम है कि स्मोकिंग सेहत के लिये हानिकारक है। ये जानने के लिये कोई डिग्री या क्वालिफकेशन की जरुरत नहीं पड़ती। पता नहीं क्यों, स्मोकिंग के सारे निगेटिव इफेक्टस जानने के बाद भी लोग सिगरेट/बीडी पीना शुरु कर देते हैं। स्मोकिंग शुरु करने की मुख्य वजह होती है “जिज्ञासा”। लोग जो नियमित स्मोक करते हैं उनमें से ज्यादातर लोगो ने स्मोक करना अपनी किशोरअवस्था में चालू कर दिया था। 

यहाँ एक जाहिर सवाल उठता है, “कि लोग स्मोकिंग क्यों करते हैं”? इसका जवाब बहुत सरल है, क्योंकि स्मोकिंग खतरनाक रुप से एडिक्टिव होती है। आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो अपनी इस आदत से परेशान हैं और स्मोकिंग कैसे छोड़े इस सवाल का जवाब ढुंढते हैं।

सबसे पहले हमें यह समझना होगा की कोई भी आदत पलक झपकते ही नहीं छूट जाती और स्मोकिंग की तो बिलकुल भी नहीं। हमें अपनी कोई भी बुरी आदत से छुटकारा पाने के लिये धीरज के साथ, कदम दर कदम काम करना होगा। स्मोकिंग कैसे छोड़ें के लिये यहाँ कुछ टिप्स हैं जिनपर आप काम कर सकते हैं।

  1. उन सारी जगहों पर बेमतलब जाना छोड़ दें जहाँ आप स्मोकिंग करने जाते थे।
  2. आप अपने जीवन में से उन सभी लोगों को तो निकाल नहीं सकते जो स्मोक करते हैं पर आप उनको इग्नोर जरुर कर सकते हैं, जब वो स्मोक कर रहे हों।
  3. आप स्मोकिंग कैसे छोड़ें के लिये अपने परिवार, दोस्तों और अपने दफ्तर के साथीयों से भी सलाह ले सकते हैं।
  4. आप अपने दोस्तों से और परिवार के सदस्यों से भी खुद पर नजर रखने के लिये कह सकते हैं, खासकर उन दिनो में जब आप अच्छा महसुस न कर रहें हो।
  5. उन सारी चीजों को कूडेदान में उठा कर फेंक दिजीये जो आपको स्मोकिंग की याद दिलाते हों जैसे कि सिगरेट के खाली डब्बे, लाइटर, ऐश ट्रे आदि।
  6. अपना दिन पहले से प्लान करके चलें जिससे आप सिगरेट स्मोकिंग के माहौल से अपने आप को बचा सकें।
  7. अपने आप को सदैव अपने स्मोकिंग छोड़ने के संकल्प के प्रति मोटिवेटेड रखें।

आप अपने डॉक्टर से भी सिगरेट छोड़ने के बारे में सलाह कर सकते है ताकी आपकी शारिरिक तलब दबाने के लिये डॉक्टर आपको कोई दवा या गम प्रिसक्राइब कर सके। आप दवा की दुकान से सिगरेट छोड़ने वाली गम और निकोटीन पैच भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

जो लोग बहुत ज्यादा सिगरेट पीते हैं उनका सिगरेट छोडना और भी जटिल होता है। ऐसे लोगों में सिगरेट सुलगाना जैसे शरीर की स्वावाभिक क्रिया (रीफ्लेक्स एक्शन) बन जाती है। इन लोगो में सिगरेट/स्मोकिंग छोड़ने पर निकोटीन विथड्रॉवल की संभावना ज्यादा होती है।

निकोटीन विथड्रॉवल के लक्षण हैं सरदर्द, बैचेनी, भूख न लगना, कब्ज, नींद न आना, आदि। पर ये सारे लक्षण 2-4 दिन से ज्यादा शरीर में नहीं रहते। हमारे शरीर की पाचन क्रिया से कुछ ही दिन में सारे हानिकारक तत्व शरीर से निकल जाते हैं और शरीर फिर से नार्मल हो जाता है।

हमें स्मोकिंग कैसे छोड़े के सारे तरीके आजमाने के साथ उन गतिविधियों से भी बचना चाहिये जो स्मोकिंग करने के लिये प्रेरित करती हैं या उकसाती हैं, जैसे कि

उचित दूरी बनांए रखे – आप ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें की अपने काम के दौरान उन लोगों की संगत में रहें जो स्मोकिंग नहीं करते हैं।

शराब (अल्कहोल) – लोग शराब के साथ आमतौर पर स्मोक करते हैं, इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि शराब न पी जाये फिर भी यदि आप पीते हैं तो ऐसी जगह का चयन करें जहाँ स्मोकिंग करना मना हो।

खाने के बाद या चाय के साथ – कई स्मोकिंग करने वालों एक सिस्टम बना लिया होता है कि खाने के बाद या चाय के साथ स्मोकिंग करना ही है। अपनी इस आदत को छोड़ने की कोशिश करें या बदलने की जैसे कोई मिठाई या चॉकलेट खाऐं, खाने के बाद।

स्मोकिंग से केवल कैंसर ही नहीं होता बल्कि सेहत को और ढेर सारे नुक्सान हैं। स्मोकिंग कैसे छोड़े, ये एक चुनौति भरा काम है मगर असंभव बिलकुल नहीं। अगर हमारा स्मोकिंग छोड़ने के लिये प्रतिबध्द् हैं और हमारे पास इच्छाशक्ति है तो हम स्मोकिंग जरुर छोड़ सकते हैं। 

    

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स्मोकिंग कैसे छोड़ें2021-02-27T22:23:50+00:00

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

It is obvious that no can see their loved ones or family member into deep holes of addiction of illicit substances therefore generally the family members of the addict are more anxious and troubled than addict itself. It is very difficult task for an addict to get completely out of trap of addiction without any external help. First we all have to understand that addictions are of various illicit substances so their effect on body and mind also vary from one another. Sometimes we take addict to hospitals and clinics, in case of him/her not feeling well physically or in case of overdose. After being treated in hospital or clinic maximum addicts return to their previous routine which also includes abusing illicit substances.

We can tackle the sin of addiction for ourselves and for our family members, if we handle this disease properly. The treatment of this disease in rehabilitation centre or nasha mukti kendra can be a tough task and can also be of longer time span but this method works best out of all the available options. There are many of reasons for considering rehabilitation centre or nasha mukti Kendra as the best option. To understand the treatment undergo in rehabilitation centre or nasha mukti kendra in broader way, we have to know that addiction victim can be of any age group and can be from any section of society. The demon of addiction does not differentiate between rich and poor, it effects all in same way. For a successful treatment of this disease we have to work on both our body and our mind. An addict also has to change his lifestyle for sustaining soberness over a longer period of time. We generally seek options that work only on physical condition of an addict that is why the patient tends to relapse after a shorter period of time. We should be aware of the fact that these addictive substances have high intensity of attraction and to avoid getting into the trap of addiction it becomes significantly necessary for recovered patient to prepare mentally.

In rehabilitation centre or nasha mukti kendra the treatment of the patient done according to the factors such as age and type of addictive substance. Since different substance has different effects and to add on here, the mentality with age also changes of every individual therefore the treatment procedure and time span also changes. This is the most important thing about rehabilitation centre or nasha mukti kendra. Apart from that all the appointed personnel by the rehab centre is dedicated to the profession of de-addiction or nasha mukti.

Generally, a genuine rehab centre appoints physician, psychiatrist, counselor, and yoga and exercise instructor with other supporting staff. We get all these key facilities required for proper treatment under one roof. Most of the staff appointed by the rehabilitation centre or nasha mukti kendra are familiar with devastating effects of pro-longed addiction and they understand mental condition of the recovering patient at each step. Hence, they are able to help them recover in better way. Psychiatrist and counselor appointed here has experience in dealing with all kind of addicts, they also prescribe medicines only if needed to overcome their problems such as depression, insomnia etc. It is often seen that after becoming physically well for sometime the recovering patient might think of addictive substance or perhaps crave for it mentally. In that case counselor plays a vital role in eliminating those thoughts conclusively. All these factors combined contribute in successful recovery from addiction.

Many rehab centre also help patients if he/she willingly seek consultation of rehab centre in case of relapse. The statics in our nation of addiction victims is gradually increasing by year. In this situation the option of rehabilitation centre or nasha mukti kendra is most effective medium because it produces more successful results than any other.       

 

  

Rehabilitation Centre: A cure for addiction2021-02-27T22:24:09+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

सामान्य तौर पर नशा करने वाले व्यक्ति से ज्यादा परेशान उनके परिवार के सदस्य होते हैं क्योंकि ये स्वभाविक है कि हम किसी अपने को नशे के गर्त में जाते हुये नहीं देख सकते। एक नशे का आदि हो चुका व्यक्ति को बिना किसी की सहायता के नशा छोड़ने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही हमें ये समझना होगा की नशा कई प्रकार के पदार्थों का होता है और उनका असर भी हमारे शरीर पर अलग-अलग तरह का बोता है। हम नशे के आदि हो चुके व्यक्ति को बिमार होने पर य़ा ओवरडोज़ हो जाने पर क्लीनिक या अस्पताल में भी भर्ती करवाते हैं। वहाँ से ठीक होने पर मरीज कुछ समय बाद अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाता है जिसमें नशा करना भी शामिल होता है।

हम अपने आप को या अपने परिवार के किसी सदस्य को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। ये एक बिमारी है जिसका सही तरीके से उपचार आवश्यक है। नशे की लत की बिमारी का नशा मुक्ति केंद्र में उपचार थोड़ा मुश्किल और लंबा हो सकता है पर यह सबसे कारगर माध्यम है। इसके बहुत सारे कारण हैं। इसको विस्तार से समझने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना होगा की नशे की लत की बिमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है और इससे समाज का कोई भी वर्ग अछुता नहीं है। इस बिमारी का मरीज कोई भी हो सकता है। हमें इसके उपचार के लिये न केवल अपने शरीर पर काम करना पड़ता है बल्कि हमें अपनी मानसिकता और जीवन जीने के ढ़ंग पर भी काम करना होता है। हम और किसी माध्यम से उपचार करते हैं तो उनमें से अधिकांश सिर्फ शरीर पर काम करते हैं, इसी वजह से इनका असर केवल कुछ समय के लिये होता है। हमको ये पता होना चाहिये की नशे का प्रलोभन बहुत ही तीव्र होता है और इसके जाल से बचने के लिये हर नशे के आदि व्यक्ति को मानसिक रुप से तैयार होना होता है।

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कई कारणों से सबसे उत्तम विकल्प है। यहाँ हर मरीज का उपचार उसकी उम्र और नशे का प्रकार देखकर किया जाता है क्योंकि ये दोनो ही बातें उपचार की अवधि और कुछ तरीकों पर असर करती हैं। नशा मुक्ति केंद्र में काम करने वाले सारे लोग और केंद्र द्वारा नियुक्त डॉक्टर एंव काउन्सलर सभी लोग इस काम के प्रति सर्मपित होते हैं।

यह सारी सुविधाऐं हमें एक ही जगह मिल जाती हैं। अधिकांश लोग जो नशा मुक्ति केंद्र द्वारा रखे जाते हैं वो नशाखोरी के भयानक परिणामों से भली-भांती परिचित होते हैं और वो उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे मरीज की मानसिकता को समझते हैं तथा कदम-कदम पर उनकी सुधार में मदद करते हैं। यहाँ पर नियुक्त मनोचिकित्सकों को इस तरह के मरीजों का काफी अनुभव होता है जिससे वो मरीज की अवसाद, बैचेनी आदि मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हाते हैं। बहुत बार ये देखा गया है कि जब मरीज को नशे की शारिरिक तलब खत्म हो जाती है उसके बाद कुछ समय बाद वो फिर उसे याद करने लगता है। तब काउन्सलर उनका नशे के प्रति नजरीया बदलने में सहायक सिध्द होते हैं। यह सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ करते हैं।

इसके अतिरिक्त अगर कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आता है और अपने आप से नशा मुक्ति केंद्र आता है तो ये संस्थाऐं पीड़ित की सहायता करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नशे की लत से संबधित समस्याऐं देश में लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसी स्तिथि में नशा मुक्ति केंद्र में उपचार का विकल्प सबसे सटीक साबित होता है क्योंकि इससे और माध्यमों की अपेक्षा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।    

 

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार2021-02-27T22:24:16+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशे की लत एक बमारी है, यह बात डब्लु.एच.ओ द्वारा प्रमाणित है और इससे उबरने के लिये इसका सही ढ़ंग से इलाज जरुरी है। नशे की लत को सामन्यतः हर व्यक्ति हल्के में लेता है यही दृष्टिकोण बाद में परेशानी का कारण बनता है। नशा चाहे वह किसी भी पदार्थ का क्यों न हो, पदार्थ के सेवन की मात्रा हमेशा बढ़ती है। नशे की लत के इलाज के लिये पीड़ित या पीड़ित का परिवार तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं जैसे कि डॉक्टरों से सलाह, नीम-हकीमो के पास जाना, टोने-टोंटके करना, टी.वी.-रेडीयो के विज्ञापन में दिखाई गई दवाओं का इस्तेमाल करना आदि। इनमें से एक सबसे बेहतर उपाय है कि पीड़ित का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाया जाये।

सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्र इलाज का मकसद न केवल मरीज को कुछ समय के लिये नशा मुक्त करना होता है बल्की इलाज नशे से हमेशा के लिये दूरी बनाये रखने के लिये होता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चरणबद्ध तरीके से होता है।

  • पहला चरण – मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले मरीज का डी-टॉक्स किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज के शरीर मौजूद सारे हानिकारक तत्व को निकाला जाता है। ये चरण सबसे अहम है क्योंकि शरीर से सारे हानिकारक रसायन निकलने के बाद ही शारीरिक तलब (क्रेविंग) खत्म होती है। इसी चरण में विथड्रॉवल आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिये इस दौरान मरीज का केंद्र के स्टाफ द्वारा विषेश ख्याल रखा जाता है।
  • दूसरा चरण – इस चरण में मरीज को केंद्र की दैनिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इसमें योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मीटिंग सेशन इत्यादी गतिविधियां होती हैं। इस चरण से मरीज की शारिरिक ऊर्जा बनी रहती है और इससे मरीज की सोच सकारत्मक बनी रहती है। सकारात्मक सोच का होना इलाज के लिये बहुत जरुरी होता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अपने नशे के साथ बिताये गये समय के कारण नकारात्मक हो जाते हैं। यहां स्टाफ की और अन्य मरीजों के साथ की सहायता से मरीज की जीवन के प्रति उमंग और सकारात्मकता बनी रहती है।
  • तीसरा चरण – इस चरण मनोचिकित्सक और काउन्सलर मरीज का आकलन करते हैं। बहुत से नशे के आदि व्यक्ति अवसाद में और भ्रमित रहते हैं, जिनकी जाँच केंद्र द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक करते है और जरुरत पड़ने पर दवाई देते हैं। वहीं काउन्सलर मरीज को नशा छोड़ने के प्रेरित करते हैं अथवा उनकी समस्याऐं सुलझाते हैं।
  • चौथा चरण – ये चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मरीज की नशा मुक्ति केंद्र से छुट्टी होने से पहले उसे केंद्र के कुछ कार्यों की जम्मेदारीयां दी जाती हैं। इससे मरीज का नशा छोड़ने का हौसला बुलंद होता है और अन्य मरीज उसे देखकर प्रभावित होते हैं।

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों करवाया जाये? यह सबसे बेहतर उपाय इसलिये है क्योंकि यह ज्यादा कारगर साबित होता है। ये केवल शरीर पर काम नहीं करता बल्की ये मानसिक रुप मरीज को नशे से दूर रहने में मदद करता है। इसके अलावा नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सर्मपित सारे प्रोफेशनल एक ही छत के नीचे मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त माहौल का बड़ा अंतर पड़ता है। नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को दूसरे मरीजों को देखकर नशा छोड़ने के लिये प्रेरणा मिलती है इसके विपरीत अस्पताल में केवल डी-टॉक्स की सुविधा होती है वह भी अपेक्षाकृत बहुत मंहगी होती।   

     

 

 

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज2021-02-27T22:24:23+00:00
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