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Procedure of Rehabilitation Centre in India

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Procedure of Rehabilitation Centre in India

We all agree that addiction is sin to our society but we all should know well enough that addiction is deeply rooted in our today’s society. Whether you live in small village, town or in metro city, you can easily notice severe effects due to addiction in peoples life around you. School, colleges, offices, marketplace, etc. you can find addiction’s influence everywhere. It can be easily said that there is no single place in our surroundings left. Addiction is very unique kind of disease in which not only the person with addiction suffers but his or her whole family suffers. First things first, addiction is injurious to our health including that this becomes primary reason for family disputes and wastage of money.

We try millions of ways to get rid of the addiction for ourselves or for our loved ones. One of good options is to choose “Rehab Centre” or “Nasha Mukti Kendra” for treatment of addiction. Let us see through there procedure.

India is a vast country, with people from different sections of society and different environment living in it. Consequently there are different types of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are available throughout the country. The fees of treatment can vary from lakhs of rupees to several thousands. The basic procedures of any genuine Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are following.

  • Withdrawal Period – we have to understand that starting days of any addict are toughest because addict’s body is used to the substance. In withdrawal period the patient might find it very difficult to follow normal routine. The main withdrawal symptoms are loss of appetite, shivering, insomnia etc. in this period the staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra has to take more care of the patient. If needed, medicines are given to relax the patient in this period. Withdrawal period can be of ten days to a month depending upon type of addiction and consumption of addictive substance.
  • Following Routine – the next step after removal of all withdrawal symptoms is get patient into daily routine of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra. This routine includes yoga, workout, therapies, entertainment, indoor games, timely meals, sharing and meeting sessions. In sharing sessions patients share their addiction related stories with each other and staff. This helps them in getting out of self-guilt while yoga and therapy works on wellness of patient’s mind and body.
  • Psychiatrist Consultation and Counseling – after getting patient into daily routine they go centre’s psychiatrist for consultation. After analysis they are prescribed with medicines only if needed. On the other hand, counselor of the centre takes general and personal sessions with the patients in order to determine the root of the addiction and treat disease of addiction. The counselor also gets in touch with family of the patient for seeking better results. Both of the professional contribute in the treatment and also motivate patients for living sober life.
  • Atmosphere of Rehabilitation Centre – it is one of the prime factors in successful or she might mentally be still in the grasp of addiction. The behavior of the staff and other patients effects on the recovering patient. It becomes essentially important to maintain positivity in each individual being treated at the centre.
  • Responsibility of Patient – this is the last step before discharge. The staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra keeps a sharp eye on the improvement of the patient physically as well as mentally. In this last phase the patient is given small responsibilities of the centre like taking heading sharing sessions, dealing with other patients general problems, heading group meetings etc. this gives patient extra confidence to stay sober and also motivates other patients as well.

It has been mentioned earlier, that there are many types of Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra available across the country. It is not necessary that all centre follow same procedure. There are many centre in which they do not treat patient in correct way, to add here some of them use heavy sedatives to keep patient numb over a long period of time in centre. So, while opting for Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra for your loved ones or for you always keep in mind to check the reputation and procedure of the institution.

 

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Procedure of Rehabilitation Centre in India2021-02-27T22:24:46+00:00

nasha mukti kendra mai kya hota hai

नशा मुक्ति केंद्रों में क्या होता है?

nasha mukti kendra mai kya hota hai, नशा समाज की बुराई है लेकिन ये सच्चाई भी है कि यह हमारे समाज में बहुत अच्छी तरह से जड़ें जमा चुका है। आप छोटे गाँव, कस्बे या किसी महानगर, कहीं भी रहते हों आप को नशे से होने वाले दुष्परिणामों की झलक अपने आस-पास ही देखने को मिल जायेगी। स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, बाजार कोई भी जगह इससे बची नहीं है। ये एक ऐसी बिमारी है जिसमे न केवल एक व्यक्ति बल्की पूरा घर-परिवार तबाह हो जाता है। सर्वप्रथम नशा सेहत के लिये खराब तो होता ही है साथ ही यह पारिवारिक कलह और पैसों की बर्बादी के लिये जिम्मेदार होता है।  

हम अपने लिये, अपने परिवार के सदस्य या जिसको भी हम चाहते हैं उसकी नशे की लत छुड़ाने के लिये लाख जतन करते हैं। उसी में से एक अच्छा विकल्प है “नशा मुक्ति केंद्र” या “रीहैब सेंटर” का चुनाव करना। आइये जानते हैं इनके काम करने का तरीका।

हमारे देश में  कई तरह के नशा मुक्ति केंद्र मौजूद हैं, इनकी महीने की फीस लाखों से लेकर कुछ हजार तक है। सबसे पहले हमे ये समझना होगा की नशा अलग-अलग प्रकार का होता है और समूचे देश में एक तरह की जलवायू नहीं है। आइये जानते हैं उन प्रक्रियाओं को जो सामान्य रूप से सारे प्रमाणित नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर अपनाते हैं।

  • विथड्रॉवल पीरियड – सबसे पहले हें ये समझना होगा कि कोई भी व्यक्ति जो नशे का आदि हो चुका है उसके लिये शुरुआत के दिन कठिन होते हैं। इसकी वजह ये है कि नशा करने वाले व्यक्ति का शरीर नशे के पर्दाथ का अभ्यस्त हो चुका होता है। इसके कारण मरीज को भूख न लगना, शरीर में कंपन, नींद न आना आदि समस्या का सामना करना पड़ता है। विथड्रॉवलपीरियड के दौरान नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर के स्टाफ द्वारा मरीज का पूरा ख्याल रखा जाता है और मरीज को तकलीफ से उबारने के लिये जरुरत के हिसाब से दवाईयां भी दी जाती हैं। यह पिरीयड 1 सप्ताह से लेकर 20-25 दिन तक का हो सकता है, इसकी अवधि नशे के प्रकार और सेवन की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • रुटीन में लाना – जब मरीज के अंदर से विथड्रावल के लक्षण खत्म हो जाते हैं उसके बाद धीरे-धीरे स्टाफ की मदद से मरीज को केंद्र के सामान्य रुटीन में लाया जाता है। इस रुटीन में योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मनोरंजक गतिविधियां, शेयरिंग मीटिंग आदि शामिल होती हैं। शेयरिंग मीटिंग में मरीज अपने नशे से जुड़े अनुभवों को दूसरे साथियों के साथ बांटता है जिससे मरीज का मन हल्का होता है और इस रुटीन की मदद से मरीज के स्वास्थ में सुधार होता है।   
  • मनोचिकित्सक से परामर्श और काउन्सलिंग – मरीज जब पूरी तरह रुटीन में आ जाता है तब केंद्र के मनोचिकित्सक मरीज का आकलन करते हैं। कुछ मरीजों की समस्या के लिये दवाईयां लिखी जाती हैं जो समय अनुसार स्टाफ द्वारा मरीज को दी जाती हैं। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्र के काउन्सलर सामुहिक और व्यक्तिगत क्लाँसेज लेते हैं और मरीज का आकलन करते हैं। काउन्सलर और मनोचिकित्सक समस्याओं को सुलझाने के लिये जरुरत पड़ने पर मरीज के परिवार के भी संपर्क में रहते हैं। साथ ही प्रत्येक मरीज का मनोबल बढ़ाते हैं।
  • केंद्र का वातावरण – नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर में सभी वर्ग के मरीज भर्ती होते हैं इसलिये केंद्र के स्टाफ को इस बात का विषेश ध्यान रखना पड़ता है कि पूरे केंद्र का माहौल और अच्छा बना रहे तथा किसी के व्यवहार से तकलीफ न हो। स्टाफ को इस बात का भी गौर करना होता है कि कोई मरीज दूसरे मरीज पर नकारात्मक प्रभाव तो नहीं डाल रहा है।   
  • मरीज की जिम्मेदारीयां – पूरा स्टाफ हर मरीज की प्रगति पर ध्यान रखता है। जो भी मरीज बेहतर प्रोगरेस दिखाता है उसके हाथ में थोड़ी बहुत केंद्र की जिम्मेदारीयां दी जाती हैं जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और अन्य मरीजों का भी आत्मविश्वास बढ़ता है।

पूरे देश में नशा मुक्ति केंद्र और रीहैब सेंटर खुले हुये हैं। ये जरुरी नहीं की हर नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर यही तरीका अपनाता हो। कई सेंटर ऐसे भी हैं जिनमे फर्जी या बेढ़ंगे तरीके से काम किया जाता है। इसलिये यह बहुत जरुरी हो जाता है कि आप अपने परिवार के सदस्य के लिये या अपने लिये किसी नशा मुक्ति केंद्र का चुनाव करें तो अच्छी तरह से केंद्र के बारे में जानकारी पता कर लें। नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है, नशा मुक्ति केंद्र में क्या होता है

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nasha mukti kendra mai kya hota hai2021-02-27T22:24:54+00:00

नशे से छुटकारा

नशे से छुटकारा2021-02-27T22:25:02+00:00

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका.

नशे से होने वाले दुष्परिणामों से शायद हर व्यक्ति वाकिफ होगा। हम सभी जानते हैं की नशे की लत चाहे वो शराब, गांजे, ड्रग्स या किसी भी मादक पदार्थ की हो, सब किसी न किसी प्रकार से स्वास्थ के लिए हानिकारक होती हैं। हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं और उतनी ही सरलता के साथ नज़रअंदाज़ भी करते हैं। औसतन हर चार में से एक परिवार इस समस्या से पीड़ित है। मादक पदार्थों की बढ़ती खपत और प्रचलन राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक समस्या है।

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इस समस्या की रोकथाम और निराकरण के लिए कभी हम सरकार के लचर रवैये पर आरोप लगते हैं। जो की पूरी तरह से ठीक नहीं है। इसके अनेक कारण हैं। कुछ लोग कानून व्यवस्था को कड़ा करने का उपदेश देते हैं ये न जानते हुए की कानून के नियम और प्रावधान पहले से ही पर्याप्त हैं मगर उनको प्रभावी बनाने के लिए जनता का सहयोग बहुत ज़रूरी होता है। यहाँ तक की मैंने खुद ये बात देखी है हमारे शहर भोपाल में की जब भी पुलिस कोई चैकिंग अभियान चलाती है तो हम पुलिस पर आम जनता को परेशान करने का आरोप लगाते हैं जबकि हमें इस विषय में प्रशासन का सहयोग करना चाहिये, क्योंकि इस से ड्रग पैडलिंग पर लगाम लगेगी और शराब पी कर वाहन चलाने वालों को उचित दंड मिलेगा।

इस समस्या के लिए हम पश्चिमी सभ्यता के असर और फिल्मो पर आरोप लगाते हैं जो की बहुत अप्रासंगिक है। हमारी देश की फिल्मे हमारे ही समाज का ही आइना है। ये आरोप सदियों से युवा वर्ग पर लगता आ रहा है और हमेशा से ही बेमतलब का रहा है। दरअसल युवाओं  में  केवल जागरूकता के स्तर को और उनके रवैये प्रति बदलाव की आव्यशकता है।

मैं खासतौर पर हिंदी बोले जाने वाले राज्यों की बात करूंगा जहाँ सबसे बड़ा कारण यहाँ के रहवासियों का नजरिया और इस विषय के प्रति गंभीरता का है। हम में से ज़्यादातर लोगों की आदत यह है की जब तक हमारा कोई करीबी या परिवार वाला इसकी चपेट में नहीं आता तब तक हम कभी इस विषय की बारे में जानकारी लेने में कोई रूचि नहीं रखते।

नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र में उपचार के लिए हर उम्र का व्यक्ति आता है। यहाँ नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र के प्रबंधन की प्राथमिकता यह होती है की मरीज़ की मादक पदार्थ पर निर्भरता ख़त्म की जाए और उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ किया जाए उसके बाद उपचार पूरी प्रक्रिया उसकी नशे के प्रति मानसिकता बदलने पर केंद्रित होती है। ये ज़रूरी नहीं की नशे से पूर्ण रूप  से  छुटकारा किसी एक उम्र के वर्ग के लोगों का संभव हो क्योंकि सारा सवाल इच्छा शक्ति का है। नशा मुक्ति केंद्र के उपचार का ज़ोर इस इच्छा शक्ति को बढाने पर होता है। किसी भी व्यक्ति स्थायी नशे से दूरी के लिए उसका नशे के प्रति मानसिक परिवर्तन ज़िम्मेदार होता है।

नशे की चपेट में ज़्यादातर व्यक्ति युवावस्था में आता है इसलिए नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र की सहायता अगर किसी भी नशे की प्रारंभिक अवस्था में ली जाए तो ये सर्वोत्तम रहता है क्योंकि सबसे पहले शरीर इस से होने वाले स्वास्थ हानि से बच जाता है और उस पर खर्च होने ववा समय और पैसे दोनों की बचत होती है। दूसरा यह की युवा उम्र में नशे के प्रति द्रष्टिकोण बदलने की सम्भावना ज़्यादा होती है।

इसके अतिरिक्त यह संस्थाएं नशे के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाती है उसके द्वारा आमजन अलग-अलग नशे के लक्षण व उससे बचने के तरीकों का ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

नशे की बुराई से लड़ने के लिए हमें सबसे पहले अपना नजरिया बदलना होगा चूँकि यह समस्या हम सभी के घरों पर दस्तक दे रही है हम इसके अनेक पहलुओं से जबतक अनजान रहेंगे यह समस्या बानी रहेगी। हम सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना की नशे से लड़ने की कुंजी इसके प्रति जागरूकता है। हमें इस के बारे में संस्थाएं निशुल्क जानकारी प्रदान करती हैं।

 
समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका2021-02-27T22:25:15+00:00

Rational Emotive Behavior Therapy tool for addiction treatment

REBT @ SHRI GKS DE-ADDICTION CENTER

Rational Emotive Behavior Therapy tool for addiction treatment, is the first form of Cognitive Behavior Therapy (CBT). This therapy addresses emotions, irrational thinking, behavior and memories responsible for cravings. An individual is taught to intervene on these levels. REBT teaches to question or challenge pattern of thinking that are responsible for urge of taking drugs/alcohol. As an addict always try to justify the use of drugs for him/her self, this therapy enables the individual to think reasonably and question or challenge their thoughts rationally.

REBT works on three basic points

The extra pressure which individual put on him/her self to perform best.

When people are under influence of drugs/alcohol for prolonged time then they try to make the time wasted in those habits. As a result they in turn become more likely to relapse by not thinking rationally.

High expectation from others.

People who are in recovery process do not like to be criticized. They have high expectation from others; they tend to take other people comments or criticism in wrong way.

The irrational desire to get what they want.

In general recovering addicts or after recovery they have very strong but sometime irrational desire to achieve something. They tend to get angry or severely upset if not getting the thing that they were looking for. This situation can trigger cravings which may lead to relapse.

Rational Emotive Behavior Therapy (REBT) works towards breaking down false or irrational beliefs that become reason for using drugs/alcohol.

It is impossible to break down anyone’s all beliefs because some of them are natural and inherent but we can break down beliefs which are responsible for addiction in three steps.

  1. Detect – one need to go to the roots of certain thought or feelings. If individual can think of the source of the feeling it can be better judged.
  2. Debate – once the source is identified, the thought can be compared with rather different or opposite point of view. Now after comparing thoughts on each level unbiased, one can get clear idea of the situation.
  3. Decide – the main of breaking down the belief is to decide whether it is correct or not. The best way to decide is by thinking of the consequences of that belief.

REBT helps the patients recovering from addiction by impressing upon following points. Rational Emotive Behavior Therapy tool for addiction treatment

Acceptance of self and others

Acceptance of the world

Therapist work with the patient to evaluate feelings, thinking patterns and beliefs to determine whether those rational or not.

www.bhopalgenerals.blogspot.com

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Rational Emotive Behavior Therapy tool for addiction treatment2021-02-27T22:25:22+00:00

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)

CBT is psychological intervention in order to improve mental health of the patient. This therapy focuses on challenging and changing thought pattern, attitude and behavior. CBT is originally designed to treat depression. It is widely used to treat addiction.

The individuals struggling with substance is often diagnosed with bi-polar disorder, obsessive compulsive disorder (OCD), and psychotic order. CBT focuses on thinking patterns and emotional behavior responsible for cause of addiction. CBT is effective treatment method for substance abuse.

CBT is action-oriented and problem focused therapy program that benefits

  • CBT helps in identifying behavior patterns and beliefs which lead to self destructing actions.
  • CBT helps the patient in finding and adopting alternate thinking.
  • CBT can be provided in both, individual or group therapy.
  • CBT skills and strategies are practical and can be used in daily life.
  • CBT also helps in dealing with stress triggering situations that may lead to relapse.

CBT is different from traditional therapies. Since therapist and the patient are both actively involved in this, they work together to find solutions in order to achieve recovery of the patient. CBT may require practice or homework for patient outside therapy sessions.

CBT helps in addiction treatment by

  • There is always some presumed beliefs or false beliefs associated with individuals struggling with drugs/alcohol. CBT helps in replacing those beliefs with practical and positive approach for analyzing the cause of that belief.
  • Prolonged addict of any drug/alcohol often seems to have mood swings, some time very intense. CBT provide self-help tools to cope up with mood swings.
  • In general an addict struggles to communicate about his/her feelings with anyone. CBT teaches effective communication skills. This helps the patient in avoiding situations that may lead to consume drugs/alcohol.

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT) Techniques

These techniques or methods are designed to overcome issues responsible for situations or instances that may lead to desire of taking drugs/alcohol.

  • Thought Records

The general tendency of an addict is negative. There thinking pattern is developed in such way that they will find some excuse to support their taking drugs or drinking. This technique will help in compare those thought with reasonable and balanced thoughts and positive approach to evaluate their thinking.

  • Behavioral Experiments

In this technique the therapist finds out best type of thoughts that are effective in changing behavior patterns. For instance some people responds positively by self-criticism and change their habit or for some people it’s different they respond well by self-kindness. In order to dismiss or change habit of addiction, this experiment is a helpful tool.

  • Imagery Based Exposure

This is a distinct exercise used for the addicts who take drugs/drink because of anxiety. In this exercise the patient thinks of a negative memory that produces anxiety. Patient made to take note of every detail of that memory. By repeating this exercise over time the desire of taking drugs/drink will reduce.

  • Activity Schedule

The primary objective of this exercise is to replace the idle time available time at patients hand with some resourceful and healthy activity. The chances of taking drugs/drink are reduced as by allotting the idle time, which may had been used for something that triggers craving.

CBT is proven to be helpful all over the world in addiction treatment. In addition this not only helps in recovery but also in relapse prevention, as its different exercise can be helpful in avoiding drugs/drink in daily life routine.

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COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)2021-02-27T22:25:28+00:00
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