हमारा शरीर एक जटिल मशीन की तरह है, जिसे संचालित करता है केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानी CNS (Central Nervous System)। यह हमारे दिमाग और रीढ़ की हड्डी से मिलकर बना होता है, और हमारे सोचने, समझने, महसूस करने, हिलने-डुलने और प्रतिक्रिया देने जैसी तमाम क्रियाओं को नियंत्रित करता है। मान लीजिए हमारा शरीर एक कंप्यूटर है। इसमें दिमाग प्रोसेसर की तरह है जो आदेश देता है और रीढ़ की हड्डी उन आदेशों को पूरे शरीर तक पहुँचाती है। उदाहरण के लिए, अगर आप गर्म चाय का कप छू लें तो उंगलियाँ गर्मी को महसूस करती हैं, संदेश दिमाग तक जाता है और दिमाग आदेश देता है कि हाथ हटा लो — ये सब कुछ पलक झपकते होता है।
अब बात करते हैं शराब के असर की। शराब एक अवसादक (depressant) है, यानी यह CNS की गति को धीमा कर देती है। जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से शराब पीता है, तो उसका CNS लगातार संतुलन बनाए रखने के लिए सामान्य से ज़्यादा मेहनत करता है। लेकिन जब शराब को अचानक बंद कर दिया जाता है, तो CNS की यही ओवरएक्टिविटी खतरनाक रूप ले लेती है — यही होती है विथड्रावल। शुरुआती विथड्रावल लक्षणों में घबराहट, बेचैनी, उल्टी, बुखार शामिल हो सकते हैं। कुछ ही घंटों में यह कंपन्न, पसीना, हाई बीपी, तेज़ धड़कन और दौरे जैसी गंभीर समस्याओं में बदल सकते हैं। और फिर आता है सबसे खतरनाक चरण — Delirium Tremens (DTs)। यह शराब बंद करने के 48 से 96 घंटे के भीतर हो सकता है। इसमें व्यक्ति भ्रम की स्थिति में चला जाता है, उसे ऐसी चीज़ें दिखती और सुनाई देती हैं जो असल में होती ही नहीं। अनजाना डर, नींद न आना और मानसिक असंतुलन जैसे लक्षण दिखते हैं। यदि इसका समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।