दोस्तों आज मैं जिस विषय पर मैं लिखने जा रहा हुँ वो एक नशा मुक्ति केंद्र के संचालक के और नशा मुक्ति के अभियान से जुड़े होने की वजह से बेहद जरुरी हो जाता है। मेरे प्रोफेशन में मुझे कभी-कभार ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है जो कि तर्क विहीन और हंसाने वाले होते हैं। मुझे अक्सर ऐसे फोन कॉलस् आते हैं जिसमें नशा पीड़ित व्यक्ति के परिजन नशा छूटने की गारंटी की मांग रखते हैं, यहाँ तक की कभी-कभी नशा करने वाला व्यक्ति खुद नशा करके  फोन करता है और गिड़गिड़ाता कर कहता है की मेरा नशा गारंटी के साथ छुड़ा दो, मेरे से जायदाद लिखवा लो पर नशा छुड़ा दो, और भी भांती-भांती प्रकार के फोन आते हैं और कुछ लोग साक्षात् दर्शन देकर भी इस प्रकार के सवाल पूछते हैं और गोली-दवाई के बारे में भी पूछते हैं की कोई ऐसी दवा दे दो जिसको ले कर नशा ही न करुँ या बिलकुल जादू की तरह सब बदल जाए। आज के समय में ये चलन कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है, पहले भी ऐसा होता था पर कम होता था इसलिये मुझे लगा की मैं कलम के माध्यम से विषय पर कुछ प्रकाश डालूँ।

दोस्तों अक्सर ऐसा अक्सर दो प्रकार की परिस्थियों में होता है: 

  • पहली है desperation की स्टेज, ऐसा अक्सर देखा गया है कि नशा करने वाले बंदे का परिवार या खुद नशे करने वाला अपनी आदत से इस कदर परेशान हो चुका होता है कि वो ऐसे चमत्कार की कामना करने लगता है या ऐसी चीजें fantasize करता है जो reasonable (तार्किक) दुनिया में संभव नहीं है
  • दुसरा शिकार fraud marketing scheme के होते हैं.. आपने ऐसे बहुत सारे विज्ञापन देखे होंगे जिसमें कई ऐसी रामबाण दवाओं के बारे में बताया जाता है कि इन दवाओं को लेने से हर तरह का नशा मीलों दूर भाग जाता है… और गौर करने वाली बात य़हाँ पर ये भी है कि ऐसी दवा बेचने वालों के एड भी बहुत कनविंसिंग होते है…. शानदार तरीके से फिल्माए गय और मंझे हुऐ स्थापित कलाकारों की एक्टिंग के साथ.. ये फिल्मी सितारे एक और शराब का प्रचार करते हैं और दुसरी तरफ कुछ ऐसे गोरखधेधे को बढ़ावा भी देते हैं। पर आप खुद अपने दिमाग से सोचो कि अगर ऐसी कोई दवा बनी होती ना, तो दुनिया कुछ और ही होती… नशे की वजह से दुनिया में इतना त्राहिमाम न मचा होता, मतलब सतयुग ही आ गया होता.. और ऐसी दवा के अविष्कारक को अब तक 3 बार नोबेल पुरुस्कार मिल चूका होता क्योंकि सिर्फ उसकी बदौलत हर साल न जाने कितने ही लोगों का जान बचती, कितने ही परिवार बर्बाद होने से बच जाते, अपराध कम हो जाते और भी कई सारी समस्याओं का समाधान बस एक दवाई से हो जाता। हाँ ये जरूर है कि ऐसे कई प्रकार के केमिकल होते हैं जो अल्कोहल के साथ रियेक्ट करते हैं और उसको लेने के बाद शराब पीने पर शरीर रियेक्ट करता है और इंसान को उल्टि, सरदर्द, घबराहट, बैचेनी जैसी तकलीफें होती हैं… इससे इंसान शराब पीने से घबराने लगता है… ये तरीका कई बार काम तो कर जाता है पर ज्यादा दिन तक नहीं चल पाता…. क्योंकि कुछ टाइम बाद बंदे को शक हो जाता है कि दया कुछ तो गड़बड़ है …. उसको समझ में आ जाता है कि खाने में कुछ मिलाया जा रहा है और फिर वो घर का खाना ही छोड़ देता है या घर में लड़ता-झगड़ता है। इन कैमिकल्स का एक भारी downside ये भी है कि ये केमिकल कितना रियेक्ट करेंगे और कितनी शराब की मात्रा पर करेंगे …ये कोई फिक्स नहीं है …. ये बात हर एक individual की शारिरिक संरचना पर डिपेंड करती है… और कभी-कभी रियेक्शन एक्सट्रिम भी साबित हो सकते हैं और शरीर के लिये रियेक्शनस तो हानिकारक ही होते हैं।

अच्छा मैं ये बिलकुल नहीं कहा रहा कि इस तरह के fraud में नशा मुक्ति केंद्र शामिल नहीं हैं। कई ऐसे नशा मुक्ति केंद्र भी हैं जो पैसे के लालच में झूठे प्रचार और वादे भी करते हैं और परेशानी का फायदा उठाते हुऐ पैसा बनाते हैं। पैसे लेना कोई गलत बात नहीं है आप काम कर रहे हो और हर कम को चलने के लिए अर्थव्यवस्था की जरुरत होती ही है, पर गलत प्रचार और वादे करना ठीक नहीं है केवल अपने कम को चलने के लिए 100 % नशे से मुक्ति दिलाने वाले लोग 100 % झूठे होते हैं, क्योंकि मेडिकल साइंस में कुछ भी चीज 100 परसेंट नहीं होती… आप किसी बड़े डॉक्टर से पूछ लें.. या हिन्दी अंग्रजी फिल्मों का वो सीन याद करें जिसमें डॉक्टर कहता है कि अब सब उपरवाले के हाथ में है। एक छोटे से घाव के इलाज से लेकर कैंसर तक का इलाज…. सब ek best attempt होता है और यो एक फेक्ट है।
चलिए अब जरा ये भी समझ लेते हैं कि नशे किस तरह कि बीमारी है और इसका इलाज क्या है। दोस्तों यहाँ सबसे जरुरी बात जो समझने वाली है वो ये कि नशा करना कोई choice या नैतिक बुराई नहीं है बल्कि diabetes, hypertension, और asthma की तरह chronic disease हैं पिछले कई सालों की रिसर्च से ये साबित हुआ है की नशा एक मानसिक और शारीरिक बीमारी है। कई सालों तक लगातार नशा करने की वजह से एडिक्ट के mind में ऐसे बदलाव हो जाते हैं जो कि हमेशा रहते हैं कई बार तो नशा छोड़ने के महीनों-सालों बाद भी।

शराब या नशे के इस्तेमाल से व्यक्ति के दिमाग कि कार्यप्रणाली और संरचना में बदलाव आ जाता है उदाहरण के तौर पे हमारे दिमाग का communication system नशे कि वजह से disturb हो जाता है और हमें information collect करने में और उनके इम्प्लीमेंटेशन में परेशानी होने लगती है। दिमाग के कई और भी हिस्से भी हैं जो नशे कि वजह से प्रभावित होते हैं उनमें से कुछ के बारे में आपको बताता हूँ

  • Cortex – ये दिमाग का बाहरी हिस्सा होता है जिसमें सबसे अधिक विकसित कोशिकाएं होतीं हैं इस हिस्से का काम होता है सोचना , सीखना और समझना। जो कि नशे के कारन बहोत प्रभावित होता है।
  • Limbic part – ये दिमाग का रिवार्ड सर्किट होता है जो कि हमारे दिमाग कि सभी कोशिकाओं को जोड़े रखता है और यही हिस्सा…. हमारी ख़ुशी के अहसास और भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। limbic system तब activate होता है जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिससे हमें ख़ुशी का एहसास हो और दुर्भाग्य की बात ये है कि नशा करने से भी ये activate होता है और लगातार नशा करने कि वजह से ये पूरी तरह से नशे पर ही निर्भर हो जाता है। …. मतलब ये कि हमें जो भी काम करने में मजा आता था अब वो मजा बिना नशे के मिल पाना पॉसिबल ही नहीं रह जाता।
  • Hippocampus – ये भी limbic part से जुड़ा हुआ एक हिस्सा होता है जो कि हमारी long term memories को store करता है नशे के कारण हमारे इस हिस्से पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। मैं ज्यादा deep नहीं जाऊंगा इन सब में वरना ये टॉपिक बहोत लम्बा हो जाएगा so कुल मिला कर बात ये है कि ये जो दिमाग में बदलाव होते हैं वो आसानी से आने जाने वाली चीज नहीं हैं।

उदाहरण के तौर पे आपका diabetes control में रहता क्योंकि आप दवाई ले रहे होते हैं और अपनी diet पर ध्यान दे रहे होते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि diabetes ठीक हो गया वो अभी भी आपके system में है, but आपने उसे अच्छे से manage कर रखा है, और same condition नशे के साथ होती है, ये ठीक होने वाली बीमारी नहीं है पर इसे भी successfully manage किया जा सकता है पर ये आपके साथ बनी रहेगी। इतना सब कुछ जानने के बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि अगर आपसे कोई बोलता है कि उसके पास नशे का ऐसा इलाज है जिससे नशे 100 % छूट जाएगा या ऐसी कोई दवाई है जो नशे छुड़ा देगी तो समझ लेना वो 100 % झूठ बोल रहा है और आपको बाबा जी ठुल्लु पकड़ा रहा है।

पर प्रोब्लम ये है कि सच कड़वा होता है और कुछ भी हासिल करने के लिये धैर्य और परिश्रम लगता है और लोगों को आज के समय में सच सुनने कि आदत नहीं रही है या हम ये कह सकते हैं कि वो अपने परिजन की नशे कि आदत से इतने परेशान हो चुके है कि अब वो सच को स्वीकारना ही नहीं चाहते। हमें ये समझना चाहिए कि नशा करना किसी का character certificate नहीं है जो ये कहे की ये बंदा नैतिक रुप से कमजोर है और ये किसी की choice का मामला भी नहीं है … क्य़ोंकि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का ये aim नहीं बनाता की उसे आगे जा कर एक addict बनना है
पर लोग addict हो जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता और फिर वो ताउम्र addict ही रहते हैं पर वो इलाज के द्वारा अपनी इस बीमारी को manage कर सकते हैं। कई बार लोग इसमें विफल भी होते हैं, यानि दोबारा पी लेते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं है कि उनका इलाज बेकार गया, बल्कि इसका मतलब ये है की उन्हें फिर से इलाज लेने की और अपने trigger points पर काम करने की जरुरत है। अच्छा एक सीधी सी बात है क्या अगर कोई diabetic इंसान किसी कारण दवाई लेना भूल जाए या मिठाई खा ले तो क्या हम उसे कोसना शुरू कर देते हैं क्या ? या doctor को बुरा भला बोलते हैं कि इसने दवाई क्यों नहीं ली या मीठा क्यों खा लिया। अच्छा उन लोगों को पता होता है कि मीठा खाना या दवाई नहीं खाना उनके स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है, फिर भी वो अपने doctor के निर्देशों की अनदेखी कर देते है। और कई बार ऐसा ही addiction treatment के मामले में भी होता है।
तो सीधी-सधी बात ये है कि गलत अपेक्षाएं रखना छोड़ो और अपने परिजन का साथ दो जिससे वो नशे से दूर रह पाए, और आप लोग ऐसे लोगों से दूरी बना लो जो आपसे झूठे वादे कर देते हैं की 100 % नशे छुड़ा देंगे। हालाँकि झूठ बोलने वालों का भी क्या ही है, उनकी भी क्या गलती है जब तक आप लोग सच्चाई को नहीं अपनाओगे लोग झूठ बोलते रहेंगे।
कई लोग तो हमें भी बोलते हैं कि इंसान को आप ठीक नहीं कर सकते तो दुकान क्यों खोल कर बैठे हो। तो इसका सीधा सा जवाब है, लोग नशे छोड़ नहीं सकते पर manage तो कर सकते हैं बशर्ते वो अपनी परेशानी को समझें और उस सकारात्मक दिशा मैं कम करें। मैं खुद 12 साल से manage किया हुआ हूँ, आज तक नहीं पी इतने साल में, और ऐसे सैंकड़ों लोग हैं जो यहाँ रहे और अपने नशे कि बीमारी को successfully manage करके अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।