शराब का पारिवारिक जीवन पर असर
हमने अक्सर ये देखा है कि समाज में कई ऐसे परिवार होते हैं जहां कम से कम किसी एक सदस्य को शराब पीने की आदत होती है। देखा जाए तो आज के इस मॉडर्न समय में ये बात बहुत आम सी लगती है। शराब पीना जैसे एक सोशल स्टैण्डर्ड माना जाता है, अगर आप शराब नहीं पीते तो आप शायद एक समूह का हिस्सा ना बन पाएं। और ऐसे लोग जिनके परिवार में शायद अब तक किसी ने शराब ना पी हो, वो अपनी कमजोर मानसिकता के चलते इस लालच में फंसकर शराब पीना शुरू कर देते हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन का एक मशहूर कथन है कि “समझदार व्यक्ति वही है जो ये बात जानता हो कि किसी अनजान रास्ते पर चलते हुए कहां से वापस लौट आना चाहिए”आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि, कोई भी काम शुरू करने से पहले हमें उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को समझ लेना चाहिए कि कहीं उसमें हमारा नुकसान तो नहीं हो रहा। मगर हम अपनी मानसिक स्थितियों से जुड़ी दिक्कतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते, क्योंकि वो हमें दिखाई नहीं देती। अगर आज आपके बाल झड़ने लग जाएं या दांतो में जोर का दर्द हो तो आप डॉक्टर के पास जरूर जाएंगे क्योंकि ये वो परेशानियाँ हैं जो आपको साफ़ साफ़ समझ आ रही हैं।
ऐसे ही कुछ परेशानियाँ हैं जो एक शराबी इंसान को दिखाई नहीं देती के कब उसके व्यवहार का असर उसके पारिवारिक जीवन पर पड़ने लगा । शराब का दुरुपयोग करने वाले इंसान को अपनी इस आदत से होने वाले नुकसान का कोई एहसास नहीं होता।
कई शराबी अपनी समस्याओं के लिए झूठ बोलते हैं या दूसरों को दोष देते हैं। भरोसे का बिगड़ना रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है और परिवार के सदस्यों को एक–दूसरे से दूर कर देता है।
शराब से हमारी ज़िन्दगी के किसी एक नहीं बल्कि हर हिस्से पर बुरा असर पड़ता है, जैसे वैवाहिक जीवन में तनाव का होना , माँ बाप से जुड़ी समस्याएँ, बच्चों का विकास और आर्थिक परेशानियाँ।
1.वैवाहिक तनाव: शराबी इंसान के जीवन में अगर कोई परेशानी आती है या वो किसी दुःख का अनुभव करता है तो बजाय अपने जीवनसाथी से सलाह करने के वो शराब के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करता है ताकि वो अपने दुख और परेशानियों को भूल सके। मगर वो ये नहीं समझ पाता की ये नशा उसके दुःख का इलाज़ नहीं है। और यहीं से उसके वैवाहिक जीवन में तनाव और दूरियां बढ़ती चली जाती हैं।
2.माँ बाप से जुड़ी समस्याएँ एवं बच्चों का विकास: एक बच्चे का दिमाग 7-8 साल की उम्र तक विकसित हो चूका होता है। उस समय के दौरान बच्चा जो सीखता है वो घटनाएं और उनसे जुड़े भावनात्मक अनुभव उसके अवचेतन मन की हार्ड ड्राइव में हमेशा के लिए स्टोर हो जाते हैं। ये कंप्यूटर की उस मैमोरी जैसा होता है जिसे आप कभी डिलीट नहीं कर सकते।
उन 7-8 सालो में बच्चा अगर अपने घर अपने माँ और पिता को मार –पिटाई या झगड़ते हुए देखता है तो उसके कोमल मन पर ऐसी घटनाओं का बेहद नकारत्मक असर होता है। उदाहरण के तौर पर अगर पिता हफ्ते में कुछ दिन या रोज शराब पीकर घर आता है और गाली गलौच या घर में अपमानजनक भाषा का प्रयोग करता है तो ये बहुत हद तक संभव है कि उस बालक को सामाजिक माहौल में अपनी भावनाओं को काबू करने में काफी परेशानियाँ हो सकती है, जिसे घर के किसी सदस्य के लिए समझ पाना काफी मुश्किल काम है । काउंसलिंग के जरिये ऐसे व्यक्ति को मदद मिलती है जो शराब के नशे में अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर काबू नहीं रख पाते।
3. आर्थिक समस्याएँ : नशे की लत आपकी मानसिक स्थिति के साथ साथ आपको आर्थिक रूप से भी खोखला कर देती है। जब तक असर गंभीर नहीं हो जाते, तब तक आपको इस बात का अहसास नहीं होगा कि शराब पीने की समस्या से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। यदि आप बार–बार शराब पीने वाले हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी कमाई से शराब पर होने वाले खर्च पर ध्यान दें। अगर आप एक क्लब या बार में जाते हैं और बीयर के सिक्स–पैक लेते हैं तो उसकी कीमत ब्रांड के आधार पर लगभग 1200 से 5000 तक हो सकती हैं, और हार्ड शराब, वाइन और अन्य पेय पदार्थों की कीमत अधिक हो सकती है। अगर आप हफ्ते में 2-3 दिन यही रूटीन अपनाते हैं तो आप जल्द ही आपका जीवन उधारी पर चलने लगता है।
जरुरत से ज्यादा कोई भी चीज़ ज़हर का काम करती है, और शराब की बोतल पर साफ़ अक्षरों में लिखा होता है, “शराब का सेवन स्वास्थय के लिए हानिकारक हो सकता है” ये केवल आपके निजी स्वास्थय के लिए ही नहीं बल्कि आपकी ज़िन्दगी से जुड़े दूसरे पहलुओं पर भी बुरा असर डालता है। और जैसा ऊपर लिखा है कि “समझदार व्यक्ति वही है जो ये बात जानता हो कि किसी अनजान रास्ते पर चलते हुए कहां से लौट आना चाहिए”