शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत

अल्कोहल या शराब की लत(एडिक्शन) को एक मानसिक बीमारी कहना ज्यादा सही होगा.अल्कोहल लेने वालो को इस बात का पता ही नहीं चल पता की वह एक शौक या शुरुवात  से इसके आदी हो गए है शुरुवात की बात करे तो अल्कोहल लेने वाला ज्यादातर इंसान अपनी इस आदत को कभी मानेगा नहीं वह यह कहकर टाल देगा की मैं सिर्फ थोड़ी सी लेता हु , या मुझे इसे लेने की बाद अच्छी नींद जाती है या फिर कुछ और मगर हमें यह सोचना होगा की यह शुरुवात बड़ी लत की और लेके जा रही है .

हम अगर अल्कोहल लेने वालो को केटेगरी मैं डिवाइड करे तो यह कई केटेगरी मैं डिवाइड हो सकते है जिनमे से कुछ यह है

 )सोशल ड्रिंकर और शौकिया हुमने अक्सर देखा है की कुछ लोग पार्टी शादी या कभी कभार अपने दोस्तों के साथ अल्कोहल लेने लगते है यह लोग शराब के आदि नहीं होते बस कभी कभी अल्कोहल को लेते है .

)रेगुलर ड्रिंकर :-कुछ लोग शराब को अपनी डेली लाइफ का पार्ट बना लेते है जैसे की अपने सारे कामो को पूरा करके यह लोग शराब लेते है .

) अडिक्टिव या एडिक्ट(शराबी)  कहना गलत नहीं होगा यह लोग अपना सारा काम छोड़ कर बस शराब के बारे मैं सोचते है इनकी दिन की शुरुवात शराब से होती है और अंत भी शराब पर ख़तम होता हैं

 हम लोग अक्सर यह सोचते है की यह अल्कोहल की आदत कैसे लग जाती है और हम इससे कैसे पीछा छूटा सकते है क्योकि शराब की वजह से हम समाज मैं अपना स्थान खो देते है  और घरवालो को परेशांन करना और खुद भी कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करते है | कुछ लोग शराब को एक शौक की तरह शुरू करते है और कुछ किसी बड़ी प्रॉब्लम मैं या किसी मानसिक या भावनात्मक (इमोशनल) प्रॉब्लम मैं शराब को शुरू कर देते है … शराब छोड़ने के तरीके

शराब एक लत कैसे बन जाती है अक्सर हम बिना सोचे समजे शराब को पीना शुरू कर देते है अगर हम इस बात को समझने की कोशिश करे की अगर हम किसी भी चीज़ को एक पैटर्न  मैं या लगातार लेते है तो वह चीज़ हमारी ज़िंदगी मैं एक स्थान बना लेती है और इसी को हम आदत कह सकते है जैसे की हम अगर शराब को रोज अपने सारे काम ख़तम करने के बाद लेते है तो यह एक रेगुलर पैटर्न बना लेती है जिस दिन आप इसे नहीं लेते तो आप उस दिन खाली खाली महसूस करेंगे अगर अभी तक आप इसकी लत मैं नहीं है और अगर आपको इसकी लत पड़ चुकी है तो आप कई मानसिक परेशानियों जैसे की भूख लगना , चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का सामना करने लगते है|

एजुकेशन भी एडिक्शन का एक फैक्टर(कारक) है.उन लोगो का शराब छोड़ना काफीज्यादा मुश्किल होता है जो पड़े लिखे नहीं है और उन्होंने इसको एक शौक की तरह शुरू किया .वह लोग जो पड़े लिखे होते है और किसी इमोशनल मानसिक परेशानी की वजह से शराब शुरू करते है उनका इस आदत को छोड़ना काफी हद तक संभव हो सकता है .हम कुछ और तरीको से अपने आप को इस लत से दूर रख सकते है..शराब छोड़ने के तरीके

शराब छोड़ने के तरीके

वैसे देखा जाये तो यह कहना मुश्किल है की शराब छोड़ने का कोई एक तरीका या इलाज़ संभव है क्योंकि हर इंसान दूसरे इंसान से अलग होता है इसलिए रेगुलर मॉनिटरिंग और बदलावों के बेस पर एडिक्शन का इलाज़ हो सकता है|

काउन्सलिंग हमने सुना है किसी भी समस्या को बातचीत करके सुलझाया जा सकता है और यह काफी हद तक इस समस्या से छूटने का एक कारगर रास्ता हो सकता है .काउन्सलिंग मैं हमें इस बात का ख्याल रखना होगा की अल्कोहल एक कैटेलिस्ट की तरह होता है जो आपके बेसिक नेचर (मूल स्वाभाव) को सामने लाता है जैसे की अगर आप का बेसिक नेचर(मूल स्वाभाव) गुस्से वाला या फिर चुप रहने का है तो आप अपने आपको इस स्वाभाव को ज्यादा समय तक छुपा के नहीं रख सकते ज्यादातर लोग इससे बचने के लिए एक नए बदलाव के साथ ज़िंदगी सुरु कर देते है जो बाद मैं अक्सर उनकी आदत बन जाती है 

हमें यह समझना होगा की कि कौन कौन सी वह वजह है या फिर वह परिस्थिति है जहाँ पर एडिक्ट(शराबी)  नशे कि तलब को ज्यादा महसूस करता है

  1. अकेलापन: हमने अक्सर देखा शुरू एक शारबी समाज के लिए गलत मानसिकता बना लेता है  जिसके लिए समाज, लोगो की इग्नोरेंस या कोई भी और कारण हो सकता शुरू जिसकी वजह से वह समाज से एक दुरी बना लेता शुरू यह अक्सर उन लोगो की लिए सही कहा जा सकता  जो अल्कोहल को किसी मानसिक स्थिति को बिगड़ने की वजह से शुरू कर देते शुरू इसके विपरीत वो लोग जो अल्कोहल को शुक्रिया तौर पे लेते है वह लोग अक्सर शराब पीने के लिए अकेलापन की तरफ भागते है प्रॉब्लम दोनों ही केस मैं अकेलापन है|
  2. शादी या पार्टी मे जाने से उसको कही न कही नशे की तालाब शुरू हो सकती है इसलिए कुछ समय के लिए इन जगहों पे जाने से बचना चहिये |
  3. पुराने एडिक्ट(शराबी)  दोस्तों से मुलाकात भी नशे कि इस लत को बढ़ा देती है!
  4. कोई भी ऐसी बात जो एडिक्ट(शराबी)  को मानसिक रूप से परेशान करती हो!

 

एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास कॉन्फिडेंस और इक्छा शक्ति विल पावर खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए | एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास (confidence) और इक्छा शक्ति (will power) खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए और नीचे दिए गए पॉइंट्स पे स्टेप बाई स्टेप काम करना चाइये इससे एक एडिक्ट(शराबी)  को एक नयी इक्छाशक्ति , आत्म विश्बास और एक सकारात्मक सोच देकर नशे से दूर रख सकते है

१) शेयरिंग परिवार या दोस्तों मैं जो भी लोग एडिक्ट(शराबी) के करीब होते है ज्यादा से ज्यादा टाइम एडिक्ट(शराबी) को देना चाइये शुरुवात मैं ऐसा होना आम है कि वह परिवार या दोस्तों के साथ अच्छा महसूस न करे या फिर उनके साथ झगड़ा करे पर परिवार को इस बात का ख्याल रखते हुए कि एडिक्ट(शराबी) अभी यह सब एडिक्शन कि वजह से या अभी वह आपके साथ उतना घुला मिला नहीं है इसलिए ऐसा कर रहा होता है क्योकि कोई भी एडिक्ट(शराबी) एक या दो दिन मैं एडिक्ट(शराबी) नहीं बनता इसलिए परिवार को थोड़ा सा टाइम लग सकता है उसके साथ ताल मेल बनाने मैं इसलिए लगातार कोशिशों के बाद परिवार या दोस्तों एडिक्ट(शराबी) के साथ गुल मिल सकते है.परिवार को इस बात का ख्याल रखना चाइये कि उन्हें हमेशा एडिक्ट(शराबी) के साथ पॉजिटिव रहना होगा परिवार को अपने प्रेरणा या अपने बुरे वक़्त कि बाते भी शेयर करते रहना चाइये और एडिक्ट(शराबी) के साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाना चाइये इसका फायदा यह होगा कि एडिक्ट(शराबी) भी अपने आपको आपके साथ शेयर करना शुरू कर देगा|

२) शारबी कि दिनचर्या को एक नयी दिनचर्या से बदलना आपको यकीन नहीं होगा कि एक एडिक्ट(शराबी) भी एक दिनचर्या का पालन करता है जैसे कि एक निश्चित समय पे शराब पीना खाने के पहले सुबह उठने के साथ या फिर सोने के लिए. जब फॅमिली उन लोगो के साथ रहने लगेगी तो उन्हें समझ आने लगेगा कि उनके पीने का पैटर्न क्या है एडिक्ट(शराबी) को बिना बताये उसके इस पैटर्न को समझना होगा फिर फॅमिली को धीरे धीरे इस  दिनचर्या तोडना होगा जैसे कि अगर एडिक्ट(शराबी) खाने के पहले शराब लेता है तो तो उसे इस टाइम पर कही घूमने लेकर चले जाये या कोई और ज़रूरी काम दे सकते है .अगर हो सके तो किसी हॉबी , या रुकी हुई शिक्षा या किसी और काम जिसमे एडिक्ट(शराबी) का मन लगे शुरू कर सकते है

३)सकारत्मक सोच और इक्छाशक्ति को बढ़ाना एडिक्ट लोगो मैं यह सामान्य  है कि वह एक नेगेटिव सोच के साथ आगे बढ़ रहे होते है अगर हम गौर करे तो हम देखंगे कि एडिक्ट अपनी इस हालत के पीछे किसी न किसी हालात या किसी बड़ी परेशानी को दोषी मानते है|

 

 जब हम एडिक्ट को जानने लगते है तब हमें उनके साथ उन समस्याओ को समझ के उनसे बाहर आने के रास्ते को खोजना  शुरू कर देते है जिससे उनकी इछाशक्ति बढ़ने लगती है और एक सकारत्मक सोच के साथ वह आगे बढ़ने लगते है

४) नए दोस्त बनाना और सोबर सोसाइटी मैं रहना ज्यादातर लोग उन लोगो के साथ रहना पसंद करते है जो उनकी तारीफ करे या उनसे वैसी बाते करे जिनको वह सुनना पसंद करते है एडिक्ट कि सोसाइटी भी कुछ ऐसे ही लोगो से मिलकर बनी होती है जो अक्सर नशा या उससे सम्भन्दित बाते ही करते है फॅमिली को इस बात का ख्याल रखना होगा कि एडिक्ट को यह समझना होगा कि नए दोस्तों और पॉजिटिव लोगो के साथ रहने से वह अपनी इस प्रॉब्लम से छूट सकता है शुरुवाती ३ पॉइंट को फॅमिली को लगातार रिपीट करना चाइये फिर जैसे ही एडिक्ट एक पॉजिटिव दिशा मैं आगे बढ़ने लगे तो उसे हमेशा इस बात के लिए समझाते रहना चाइये कि अब टाइम आ गया है नए और सही दोस्तों को चुनने का….शराब छोड़ने के तरीके

) नयी प्रेरणाओं और नए लक्ष्य कि शुरुवात एडिक्ट को शुरुवात हमेशा छोटे लक्ष्य से करनी चाहिए.इससे उसके असफल होने की दर भी उसे इतना ज्यादा परेशान नहीं करेगी और वह फिर से कोई नया काम करने से पहले सोचेगा नहीं

 ६) समाज और परिवार के लिए उसकी ज़िम्मेदारी यहाँ से शुरुवात एडिक्ट कि खुद की ज़िम्मेदारी को संभालना है जब तक वह इस बात को नहीं समझेगा कि समाज और परिवार के लिए उसकी क्या ज़िम्मेदारी है नशे मै वापिस जाने का डर हमेशा बना रहेगा

) दुसरो कि मदद करना  अगर एडिक्ट को लम्बे समय तक नशे से दूर रहना है तो उसको दूसरे एडिक्ट जो कि नशे कि आदत से गुजर रहे है उनके साथ लगातार अपने आप को शेयर करना होगा इससे वह कही नहीं अपने पिछली गलतियों को याद करेगा और दुसरो को स्कारात्मक सोच देकर अपने आप को भी स्कारात्मक माहोल मैं रख पायेगा

अंत मैं इन सारी बातो को अगर एडिक्ट और उसकी फॅमिली समझ के इस पर काम करती है तो एडिक्ट का कॉन्फिडेंस और विल पावर जो कही कही वह खो चुका है उसको वापिस पाने मैं सहायता मिल जाएगी और हम सब जानते है कि स्कारात्मक सोच और एक द्रढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी इंसान कुछ भी पा सकता है.