नशे के आदी किसी व्यक्ति के पीने की आदत को बदलना आसान काम नहीं होता। मगर, महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित एक स्कूल के छत्रों ने पूरे गाँव को नाशमुक्त कर दिखाया। इस स्कूल ने तंबाकू और शराब का सेवन कर नशा करने वाले लोगों को नशे से मुक्ति दिलाई। यहां के छोटे बच्चों ने सिर्फ दो साल में हजारों लोगों की सोच बदल दी। वहाँ के शिक्षकों ने बताया कि यह मुलवर्धन का परिणाम है, जो एक स्कूल-आधारित मूल्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे शांतिलाल मुत्था फाउंडेशन (एक गैर-लाभकारी संस्था) द्वारा जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिकों का पोषण करने के लिए शुरू किया गया है।

नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।

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