शराब  से  चिंता  दूर  होना  एक  भ्रम  है।

शराब  से  चिंता  दूर  होना  एक  भ्रम  है।

“चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर, पाप से लक्ष्मी घटे, कह गए दास कबीर”। कबीर दास के इस दोहे से और अब तक हुए शोधो से सब जानते है कि चिंता इंसान के लिए घातक है। आज की इस दौड़ती भागती दुनिया में हर इंसान आराम की ज़िन्दगी चाहता है और इस ज़िन्दगी को पाने के लिए वो दिन रात काम करता है।

एक शाम  ऑफिस  से  निकलने  का  वक़्त  होने ही वाला   था  कि  बॉस  का  बुलावा    जाता  है। महीने  की  आखिरी  तारिख  है  और  आज  बॉस  पूरे  महीने  की  पिक्चर  का  ट्रेलर  मांगेगा। सरल  शब्दों  में  कहें  तो  आप  कहीं  ना  कहीं  इस  बात  को  समझ चुके  होते हैं कि आज  की  शाम  खराब  होने  वाली  है, आपके  केबिन  में   घुसते  ही   बॉस  सवालों  की  बौछार  शुरू  कर  देता  हैं  और  अपने  बचाव  में   आप  जो  कहना चाहते हैं उसे वो अनसुना करता रहता है।

इस  भीषण  बात – चीत  के बाद  आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और गुस्से का एक ज्वालामुखी आपके अंदर धधकने लगता है। अब  ऐसे  में  एक  साधारण  इंसान  क्या  करेगा? या  तो  वो  उस  घटना  को  ऑफिस  की  चौखट  पर  ही  छोड़  सकता  है  या  फिर  वो  उसे  घर  तक  शराब की बोतल के साथ ले आता है या फिर अपने अंदर का ज्वालामुखी शांत करने के लिए वह  किसी बार या क्लब में चला जाता है। 

शराब  पीने के बाद वह व्यक्ति घर जाने की सोचता है और घर पहुंचकर अपने परिवार से अपमान जनक बातें करता है क्यूँकि ऑफिस में हुए उस अपमान  से होने  वाले दुःख को वह  सह नहीं पता। ऐसे  में  वो  व्यक्ति शराब  के  नशे  में अपनी  भावनाओं  पर  काबू  खो देता है और  ऑफिस  का  गुस्सा  घर  में   आकर  अपनी   बीवी  और  बच्चों  पर  निकलता  है  जिसका  परिवार की सुख शान्ति पर गलत प्रभाव पड़ता  है। उसका  परिवार  नहीं  जनता कि उसका पति या उसके पिता  क्यों इस तरह व्यवहार कर रहा हैं। वो  बच्चे  डर  से  दरवाजे  के  पीछे  खड़े  होकर  अपने  पिता के शराब के नशे में डूबे इस रूप को  देखते  हैं और उनका मन अवसाद से भर जाता है। 

आज  ये  कहानी  हर 10  में  से  4   घरों  की  होती है  जहां  पिता  अपने  परिवार  की  जरूरतों  को  पूरा  करने  के  लिए  ऑफिस  में  मेहनत  करता  है  और  अगर वहां उससे  कुछ  गलतियाँ  हो  जाती  है  तो  उसका  ज़िम्मेदार  वो  अपने  परिवार  को  मानने लगता है,  क्यूंकि वह अपने परिवार के भरण और पोषण के  लिए इतने कष्ट उठा  रहा  है। अपनी  गलतियों  का  दोष  किसी  और  पर  डालना  और  शराब  के  नशे  में  अपने  परिवार में कलह करना व्यक्ति  की  अयोग्यता  को  दर्शाता  है। वो  अपनी  इस  कमजोर  मानसिकता  से  कभी  उबर  नहीं  पाता  और  उसका  परिवार  उदासीनता  के  अँधेरे  में   डूब  जाता  है।

जो  इंसान  अपनी  काम -काजी  परेशानियों  का  हल  शराब  के  नशे  में   ढूँढ़ते  हैं वो  कुँए  के  उस  मेढंक  की  तरह  होते  हैं  जिन्होंने  बाहर  की  दुनिया  कभी  देखी  ही  नहीं। वो  नहीं  जानते  कि  शराब  की  आदत  ने  उनकी  इच्छा  शक्ति  को कमजोर बना दिया है, कि वो  बिना  शराब  पिए  अपने  दुखों  और  परेशानियों  को  सहन नहीं कर सकते । 

ऐसे  कई  मशहूर  कलाकार हैं  जिन्होंने  शराब  और  नशे  की  लत  में  पड़कर  अपना  उभरता  हुआ भविष्य  खराब  कर  लिया और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इससे लड़कर अपने जीवन में नई ऊंचाइयों को छुआ है। नशे  की  आदत हमारे सोचने समझने और  तर्क  शक्ति  को खतम कर देती  है।

अगर आप किसी जंगल में भटक गए हैं और शेर के आने के डर से आप अपनी आँखे बंद कर लेते  हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि  शेर आपको नहीं खायेगा। इसे ऐसे समझिये कि अगर आप शराब पर पूरी तरह से आश्रित हैं और आपको लगता है कि आप इसके बुरे प्रभावों से बच सकते हो तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है।