नज़रीया: समाज का नशा मुक्ति केंद्र के प्रति
नज़रीया: समाज का नशा मुक्ति केंद्र के प्रति
समय के साथ सब कुछ बदलता है, कुछ धीमी गति से कुछ तेज़। परिवर्तन हमेशा से शाश्वत् है। नशे की प्रवृति का हमारे समाज में, ख़ासकर युवा वर्ग में पिछले दो दशकों काफी हद तक इज़ाफा हुआ है। इसको लेकर हम केवल किसी एक वर्ग को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, इसके लिये समाज के हर तबके को साथ आना होगा। मादक पदार्थों और नशे की बिमारी के रोकथाम की जानकारी का हमारे समाज में विषेश रुप से आभाव है। जब तक कोई हमारा अपना नशे के इस मायाजाल प्रभावित न हो रहा हो तब तक हम इसके बारे में ज्ञान अर्जित करने ज़हमत नहीं उठाते।
Nasha Mukti kendra Bhopal
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हमारे समाज की इस विषय के प्रति उदासीनता बहुत निराश करती है क्यों कि नशा की आदत की बुराई और बिमारी खतरा वास्तविक है और हमारे घर की चौखट पर है। नशे का ऱाक्षस बहुत ही निरपेक्ष भाव से हमला करता है, यह किसी जाती, धर्म और अमिरी-ग़रीबी में फर्क नहीं करता यह सबको समान रुप से चोट पहुंचाता है। हमारे समाज के बहुत सारे व्यसकों के मन में यह धारणा होती है कि पढ़े लिखे लोग और उच्च वर्ग के लोग ये व्यसन नियंत्रित तरीके से करते हैं और इस से कोई ख़ास फर्क नहीं पढ़ता। यह धारणा पूरी तरह से गलत है और तो और ऐसे लोग नशे के प्रति लापरवाही बरत कर भयानक परिणामो को निमंत्रण देते हैं।
नशे की बुराई के विरुध्द और रोकथाम के लिये हमारे समाज में अनेक संस्थाऐं काम कर रही हैं, जिनका उद्देश्य व्यक्ति को नशे की गिरफ्त़ से बाहर निकालना और पूरी तरह से मादक पदार्थों पर निर्भता को समाप्त करना होता है। इन संस्थाओं को “नशा मुक्ति केंद्र या नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र” के नाम से जाना जाता है।
हमारे समाज में इन संस्थाओं को लेकर एक रुढ़ीवादी सोच बनी हुई है कि इन केंद्रों की सेवा लेने में बेइज्ज़ती होती है जो कि बिलकुल गलत है। हम में से बहुत लोग इन केंद्रों को कैद़ के रुप में देखते हैं और सोचते हैं कि यह जगह केवल अपराधिक प्रवृत्ती और गैर-सामाजिक लोगो के लिये है जो कि वास्तविकता से परे है। दरअसल नशे की आदत को रोकने के लिये दवा का ईजाद आजतक नहीं हुआ है पर एक विषेश कार्यपद्दति और थैरिपी द्वारा नशे का इलाज संभव है। इस कार्यप्रणाली के तहत नशा करने वाले व्यक्ति को कुछ समय के लिये सिमित दायरे में रखना पढ़ता है ताकी इलाज प्रभावशाली ढ़ग से हो सके और परीणाम बेहतर हो।
हमारे समाज की आम धारणा यह है कि लोग नशा मुक्ति केंद्र को आखिरी विकल्प के रुप में लेते हैं जब कि होना इसके विपरीत चाहिये नशा मुक्ति केंद्र पहला विकल्प होना चाहिये क्यों कि नशे की लत का आरंभ में इलाज ज्यादा सुलभ और कम अवधि का होता है। अक्सर यह देखा गया है कि जिस किसी ने भी अपने प्रति या किसी अपने के लिये “थोड़ा बहुत तो चलता है” वाला रवैया अपनाया है वह आगे चलकर बहुत पछताया है क्यों कि नशे की लत से होने वाले परीणाम बहुत ही घातक सिध्द होते हैं।
इसलिये हमारे समाज को नशे के बढ़ते कदम से सतर्क और सावधान रहना चाहिये। मन में कोई भी शंका या सवाल होने पर तुरंत इन संस्थाओं की हेल्प-लाइन नम्बर पर संपर्क करना चाहिये।