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शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत

शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत

अल्कोहल या शराब की लत(एडिक्शन) को एक मानसिक बीमारी कहना ज्यादा सही होगा.अल्कोहल लेने वालो को इस बात का पता ही नहीं चल पता की वह एक शौक या शुरुवात  से इसके आदी हो गए है शुरुवात की बात करे तो अल्कोहल लेने वाला ज्यादातर इंसान अपनी इस आदत को कभी मानेगा नहीं वह यह कहकर टाल देगा की मैं सिर्फ थोड़ी सी लेता हु , या मुझे इसे लेने की बाद अच्छी नींद जाती है या फिर कुछ और मगर हमें यह सोचना होगा की यह शुरुवात बड़ी लत की और लेके जा रही है .

हम अगर अल्कोहल लेने वालो को केटेगरी मैं डिवाइड करे तो यह कई केटेगरी मैं डिवाइड हो सकते है जिनमे से कुछ यह है

 )सोशल ड्रिंकर और शौकिया हुमने अक्सर देखा है की कुछ लोग पार्टी शादी या कभी कभार अपने दोस्तों के साथ अल्कोहल लेने लगते है यह लोग शराब के आदि नहीं होते बस कभी कभी अल्कोहल को लेते है .

)रेगुलर ड्रिंकर :-कुछ लोग शराब को अपनी डेली लाइफ का पार्ट बना लेते है जैसे की अपने सारे कामो को पूरा करके यह लोग शराब लेते है .

) अडिक्टिव या एडिक्ट(शराबी)  कहना गलत नहीं होगा यह लोग अपना सारा काम छोड़ कर बस शराब के बारे मैं सोचते है इनकी दिन की शुरुवात शराब से होती है और अंत भी शराब पर ख़तम होता हैं

 हम लोग अक्सर यह सोचते है की यह अल्कोहल की आदत कैसे लग जाती है और हम इससे कैसे पीछा छूटा सकते है क्योकि शराब की वजह से हम समाज मैं अपना स्थान खो देते है  और घरवालो को परेशांन करना और खुद भी कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करते है | कुछ लोग शराब को एक शौक की तरह शुरू करते है और कुछ किसी बड़ी प्रॉब्लम मैं या किसी मानसिक या भावनात्मक (इमोशनल) प्रॉब्लम मैं शराब को शुरू कर देते है … शराब छोड़ने के तरीके

शराब एक लत कैसे बन जाती है अक्सर हम बिना सोचे समजे शराब को पीना शुरू कर देते है अगर हम इस बात को समझने की कोशिश करे की अगर हम किसी भी चीज़ को एक पैटर्न  मैं या लगातार लेते है तो वह चीज़ हमारी ज़िंदगी मैं एक स्थान बना लेती है और इसी को हम आदत कह सकते है जैसे की हम अगर शराब को रोज अपने सारे काम ख़तम करने के बाद लेते है तो यह एक रेगुलर पैटर्न बना लेती है जिस दिन आप इसे नहीं लेते तो आप उस दिन खाली खाली महसूस करेंगे अगर अभी तक आप इसकी लत मैं नहीं है और अगर आपको इसकी लत पड़ चुकी है तो आप कई मानसिक परेशानियों जैसे की भूख लगना , चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का सामना करने लगते है|

एजुकेशन भी एडिक्शन का एक फैक्टर(कारक) है.उन लोगो का शराब छोड़ना काफीज्यादा मुश्किल होता है जो पड़े लिखे नहीं है और उन्होंने इसको एक शौक की तरह शुरू किया .वह लोग जो पड़े लिखे होते है और किसी इमोशनल मानसिक परेशानी की वजह से शराब शुरू करते है उनका इस आदत को छोड़ना काफी हद तक संभव हो सकता है .हम कुछ और तरीको से अपने आप को इस लत से दूर रख सकते है..शराब छोड़ने के तरीके

शराब छोड़ने के तरीके

वैसे देखा जाये तो यह कहना मुश्किल है की शराब छोड़ने का कोई एक तरीका या इलाज़ संभव है क्योंकि हर इंसान दूसरे इंसान से अलग होता है इसलिए रेगुलर मॉनिटरिंग और बदलावों के बेस पर एडिक्शन का इलाज़ हो सकता है|

काउन्सलिंग हमने सुना है किसी भी समस्या को बातचीत करके सुलझाया जा सकता है और यह काफी हद तक इस समस्या से छूटने का एक कारगर रास्ता हो सकता है .काउन्सलिंग मैं हमें इस बात का ख्याल रखना होगा की अल्कोहल एक कैटेलिस्ट की तरह होता है जो आपके बेसिक नेचर (मूल स्वाभाव) को सामने लाता है जैसे की अगर आप का बेसिक नेचर(मूल स्वाभाव) गुस्से वाला या फिर चुप रहने का है तो आप अपने आपको इस स्वाभाव को ज्यादा समय तक छुपा के नहीं रख सकते ज्यादातर लोग इससे बचने के लिए एक नए बदलाव के साथ ज़िंदगी सुरु कर देते है जो बाद मैं अक्सर उनकी आदत बन जाती है 

हमें यह समझना होगा की कि कौन कौन सी वह वजह है या फिर वह परिस्थिति है जहाँ पर एडिक्ट(शराबी)  नशे कि तलब को ज्यादा महसूस करता है

  1. अकेलापन: हमने अक्सर देखा शुरू एक शारबी समाज के लिए गलत मानसिकता बना लेता है  जिसके लिए समाज, लोगो की इग्नोरेंस या कोई भी और कारण हो सकता शुरू जिसकी वजह से वह समाज से एक दुरी बना लेता शुरू यह अक्सर उन लोगो की लिए सही कहा जा सकता  जो अल्कोहल को किसी मानसिक स्थिति को बिगड़ने की वजह से शुरू कर देते शुरू इसके विपरीत वो लोग जो अल्कोहल को शुक्रिया तौर पे लेते है वह लोग अक्सर शराब पीने के लिए अकेलापन की तरफ भागते है प्रॉब्लम दोनों ही केस मैं अकेलापन है|
  2. शादी या पार्टी मे जाने से उसको कही न कही नशे की तालाब शुरू हो सकती है इसलिए कुछ समय के लिए इन जगहों पे जाने से बचना चहिये |
  3. पुराने एडिक्ट(शराबी)  दोस्तों से मुलाकात भी नशे कि इस लत को बढ़ा देती है!
  4. कोई भी ऐसी बात जो एडिक्ट(शराबी)  को मानसिक रूप से परेशान करती हो!

 

एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास कॉन्फिडेंस और इक्छा शक्ति विल पावर खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए | एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास (confidence) और इक्छा शक्ति (will power) खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए और नीचे दिए गए पॉइंट्स पे स्टेप बाई स्टेप काम करना चाइये इससे एक एडिक्ट(शराबी)  को एक नयी इक्छाशक्ति , आत्म विश्बास और एक सकारात्मक सोच देकर नशे से दूर रख सकते है

१) शेयरिंग परिवार या दोस्तों मैं जो भी लोग एडिक्ट(शराबी) के करीब होते है ज्यादा से ज्यादा टाइम एडिक्ट(शराबी) को देना चाइये शुरुवात मैं ऐसा होना आम है कि वह परिवार या दोस्तों के साथ अच्छा महसूस न करे या फिर उनके साथ झगड़ा करे पर परिवार को इस बात का ख्याल रखते हुए कि एडिक्ट(शराबी) अभी यह सब एडिक्शन कि वजह से या अभी वह आपके साथ उतना घुला मिला नहीं है इसलिए ऐसा कर रहा होता है क्योकि कोई भी एडिक्ट(शराबी) एक या दो दिन मैं एडिक्ट(शराबी) नहीं बनता इसलिए परिवार को थोड़ा सा टाइम लग सकता है उसके साथ ताल मेल बनाने मैं इसलिए लगातार कोशिशों के बाद परिवार या दोस्तों एडिक्ट(शराबी) के साथ गुल मिल सकते है.परिवार को इस बात का ख्याल रखना चाइये कि उन्हें हमेशा एडिक्ट(शराबी) के साथ पॉजिटिव रहना होगा परिवार को अपने प्रेरणा या अपने बुरे वक़्त कि बाते भी शेयर करते रहना चाइये और एडिक्ट(शराबी) के साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाना चाइये इसका फायदा यह होगा कि एडिक्ट(शराबी) भी अपने आपको आपके साथ शेयर करना शुरू कर देगा|

२) शारबी कि दिनचर्या को एक नयी दिनचर्या से बदलना आपको यकीन नहीं होगा कि एक एडिक्ट(शराबी) भी एक दिनचर्या का पालन करता है जैसे कि एक निश्चित समय पे शराब पीना खाने के पहले सुबह उठने के साथ या फिर सोने के लिए. जब फॅमिली उन लोगो के साथ रहने लगेगी तो उन्हें समझ आने लगेगा कि उनके पीने का पैटर्न क्या है एडिक्ट(शराबी) को बिना बताये उसके इस पैटर्न को समझना होगा फिर फॅमिली को धीरे धीरे इस  दिनचर्या तोडना होगा जैसे कि अगर एडिक्ट(शराबी) खाने के पहले शराब लेता है तो तो उसे इस टाइम पर कही घूमने लेकर चले जाये या कोई और ज़रूरी काम दे सकते है .अगर हो सके तो किसी हॉबी , या रुकी हुई शिक्षा या किसी और काम जिसमे एडिक्ट(शराबी) का मन लगे शुरू कर सकते है

३)सकारत्मक सोच और इक्छाशक्ति को बढ़ाना एडिक्ट लोगो मैं यह सामान्य  है कि वह एक नेगेटिव सोच के साथ आगे बढ़ रहे होते है अगर हम गौर करे तो हम देखंगे कि एडिक्ट अपनी इस हालत के पीछे किसी न किसी हालात या किसी बड़ी परेशानी को दोषी मानते है|

 

 जब हम एडिक्ट को जानने लगते है तब हमें उनके साथ उन समस्याओ को समझ के उनसे बाहर आने के रास्ते को खोजना  शुरू कर देते है जिससे उनकी इछाशक्ति बढ़ने लगती है और एक सकारत्मक सोच के साथ वह आगे बढ़ने लगते है

४) नए दोस्त बनाना और सोबर सोसाइटी मैं रहना ज्यादातर लोग उन लोगो के साथ रहना पसंद करते है जो उनकी तारीफ करे या उनसे वैसी बाते करे जिनको वह सुनना पसंद करते है एडिक्ट कि सोसाइटी भी कुछ ऐसे ही लोगो से मिलकर बनी होती है जो अक्सर नशा या उससे सम्भन्दित बाते ही करते है फॅमिली को इस बात का ख्याल रखना होगा कि एडिक्ट को यह समझना होगा कि नए दोस्तों और पॉजिटिव लोगो के साथ रहने से वह अपनी इस प्रॉब्लम से छूट सकता है शुरुवाती ३ पॉइंट को फॅमिली को लगातार रिपीट करना चाइये फिर जैसे ही एडिक्ट एक पॉजिटिव दिशा मैं आगे बढ़ने लगे तो उसे हमेशा इस बात के लिए समझाते रहना चाइये कि अब टाइम आ गया है नए और सही दोस्तों को चुनने का….शराब छोड़ने के तरीके

) नयी प्रेरणाओं और नए लक्ष्य कि शुरुवात एडिक्ट को शुरुवात हमेशा छोटे लक्ष्य से करनी चाहिए.इससे उसके असफल होने की दर भी उसे इतना ज्यादा परेशान नहीं करेगी और वह फिर से कोई नया काम करने से पहले सोचेगा नहीं

 ६) समाज और परिवार के लिए उसकी ज़िम्मेदारी यहाँ से शुरुवात एडिक्ट कि खुद की ज़िम्मेदारी को संभालना है जब तक वह इस बात को नहीं समझेगा कि समाज और परिवार के लिए उसकी क्या ज़िम्मेदारी है नशे मै वापिस जाने का डर हमेशा बना रहेगा

) दुसरो कि मदद करना  अगर एडिक्ट को लम्बे समय तक नशे से दूर रहना है तो उसको दूसरे एडिक्ट जो कि नशे कि आदत से गुजर रहे है उनके साथ लगातार अपने आप को शेयर करना होगा इससे वह कही नहीं अपने पिछली गलतियों को याद करेगा और दुसरो को स्कारात्मक सोच देकर अपने आप को भी स्कारात्मक माहोल मैं रख पायेगा

अंत मैं इन सारी बातो को अगर एडिक्ट और उसकी फॅमिली समझ के इस पर काम करती है तो एडिक्ट का कॉन्फिडेंस और विल पावर जो कही कही वह खो चुका है उसको वापिस पाने मैं सहायता मिल जाएगी और हम सब जानते है कि स्कारात्मक सोच और एक द्रढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी इंसान कुछ भी पा सकता है.

शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत2021-06-02T20:59:13+00:00

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां

   

 

ऐसा कई बार देखा गया है की बंदे को मालूम है कि उसे ड्रग/अल्कोहोल का एडिक्शन हो चुका और वो इस प्रॉब्लम से निकलना भी चाहता है पर कुछ गलतफहमीयों या कहें कनफ्युजन की वजह से एक प्रॉपर ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट लेने से घबराता है। इन गलतफहमीयों की मुख्य वजह ये भी है कि हमारे समाज में इस टॉपिक को लेकर जानकारी बहुत कम है या गलत जानकारी है। एक एडिक्ट के लिये अपनी प्रॉब्लम रियालाइज करना और उसके बारे में कुछ करना एक बहुत जरुरी और बड़ा कदम होता है, तो आज हम यहाँ बात करेंगे उन कुछ गलत धारणाओं के बारे में जो ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर अक्सर इंसान के मन में होते हैं…

  1. सबसे पहला सवाल जो एक इंसान के मन में आता है वो ये होता है कि क्या  मैं एडिक्शन ट्रीटमेंट एफोर्ड कर सकता हुँ… तो इसका सीधा-सीधा जवाब है की हाँ। अगर आप सही तरीके से तलाशेंगे तो आपको ऐसे कई केंद्र और संस्थाऐं मिल जायेंगी जो किफायती दरों में ड्रग/अल्कोहोल एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम चलाती हैं। और इस बात को अगर आप इस नजरीये से देखेंगे की जितना खर्चा आप अपने एडिक्शन पर करते हैं उसकी तुलना में एडिक्शन ट्रीटमेंट का खर्चा कम ही होगा। इसके साथ ही आपको ये बात ध्यान में रखनी होगी की जितना ज्यादा आप एडिक्शन के इंफ्लुऐंस में रहते हैं उतना ही ज्यादा खतरा आपके बिमार होने का और किसी दुर्घटना के शिकार होने का बना रहता जो की कभी-कभार बेहद खर्चीला साबित हो सकता है।
  2. दुसरा डर आपको ये रहता है कि आपकी नौकरी या बिजनस का कहीं नुक्सान तो नहीं हो जायेगा… देखिये इस विषय में तो आपको सही तालमेल बिठाकर प्राथमिकतायें तय करनी होगी। आप अगर सही प्लानिंग कर के अपनी नौकरी या बिजनस से समय निकाल कर अपने आप नशे के जाल से निकालने के लिये देते हैं तो ये आने वाले कल के लिये बेहतर फैसला साबित होगा क्योंकि न केवल आप एडिक्शन की परेशानी से मुक्त होंगे बल्कि साथ ही अपने प्रॉफेशन में और अच्छा परफार्म कर पायेंगे।
  3. इसके आगे एक गलतफहमी ये भी है की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम जेल जैसा होता है। ये बात सही है कि एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम में रिसट्रिक्शनस् होते हैं और वो इसलिये होते हैं क्योंकि ड्रग्स और शराब की तलब बहुत खराब होती है और उनसे पार पाने में समय लगता है इसलिये सही ट्रीटमेंट के लिये आपको एक जगह सीमित रखना पड़ता है और इसी ट्रीटमेंट प्रोसेस को कारगर बनाने के लिये आपको एक हैल्दी डेली रुटीन फॉलो करना रहता है।
  4. चौथी बात हम ये करेंगे की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोसेस के बोरिंग होने का क्योंकि बहुत से लोगों को ये लगता है कि वो एक जगह बंद हो जायेंगे और उनके पास करने को कुछ नहीं होगा या वो और मायूस परेशान लोगों से घिरे होंगे तो यहाँ मैं बता दुँ की ट्रीटमेंट के दौरान आपका रुटीन बिलकुल भी बोरींग नहीं रखा जाता, इस प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाती है कि पेशंट को किसी एक्टिविटी में ऑक्युपाइड रखने की ताकी उसका मन इधर-उधर न भटके। इसके साथ डेली रुटीन में कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होती हैं। 
  5. और लास्ट में सबसे बड़ी गलतफहमी कुछ लोगो को ये हो जाती है कि वो अपने परिवार से दूर हो जायेंगे जबकी होता इसके बिलकुल उलट है। ये कुछ दिन जो आप अपनी बेहतरी के लिये अपने परिवार से दूर बितायेंगे उसमें आप रियलाइज करेंगे की नशे की वजह से आप अपने परिवार से कितने दूर हो गये थे। भले ही आप जब उनके साथ में एक ही छत के नीचे थे तब भी आपके जीवन का केँद्र नशा ही बन चुका था। यहाँ ट्रीटमेंट के दौरान जब आप नशे से दूर रहेंगे तो अपने आप को परिवार के और करीब महसुस करेंगे और उनकी ज्यादा वैल्यु करने लगेंगे। 

तो अगर आपको ये एहसास हो गया है कि आपको ड्रग या अल्कोहोल के एडिक्शन की प्रॉब्लम है तो कोशिश करें की जितना जल्दी हो सके आप इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवायें क्योंकि ये प्रॉब्लम समय के साथ और भयानक होती जाती है। इसके साथ आपके मन में यदि एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर कोई और शंका या सवाल हैं तो हमसे जरुर संपर्क करें…..  

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां2021-02-27T22:22:21+00:00

डेटिंग और रिकवरी

जब हम एडिक्शन रिकवरी में होते हैं तो कई बार डेटिंग या रिलेशनशिप में होना रिलेप्स का कारण बन जाता है क्योंकि हम इमोशनली तैयार नहीं होते रिलेशनशिप से जुड़े स्ट्रेस और उतार-चढ़ाव झेलने के लिये। कभी-कभार हम डेटिंग के साथ जुड़े इशुस् पर इतना ध्यान देते हैं कि हम अपनी रिकवरी को पीछे धकेल देते हैं और जब हम डेट करना शुरु करते हैं तो उसके साथ हमेशा ब्रेक-अप का चांस रहता है जो हमेशा जरुरी नहीं है कि म्युचुवल हो या फिर अच्छे टर्मस् पर हो। इन सिचुऐशनस् में हमारी रिकवरी जो की प्रोसेस में है, वो कहीं दब जाती है और हमें पता ही नहीं चलता की हम कब रिलेप्स हो गये। 

इसलिये ये आमतौर पर रिकमेंड किया जाता है कि आप कम से कम एक साल वेट करें डेटिंग करने से पहले।

तो हम बात करेंगे की एक साल का टाइम पिरियड क्यों…

वो इसलिये क्येंकि एडिक्शन ट्रीटमेंट एक्सपर्टस् का मानना है कि रिकवरी के पहले साल में हमारा पूरा फोकस और एनर्जी हमारी सोबरायटी पर होना चाहिये। इस पिरियड में हमारी सोबरायटी हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। इस रिकवरी के पहले साल में दरअसल खुद को जान पाते हैं कि हम आखिर हैं कौन बिना ड्रग्स या शराब के। हम इसी के साथ अपनी सेल्फ-एस्टीम री-बिल्ड करते हैं और रोजमर्रा की परेशानीयों से बिना नशा करे निपटना सीखते हैं।

अगर आप इस बीच किसी स्पेशल से मिलते भी हैं तो अच्छा होगा की आप बात धीरे-धीरे आगे बढ़ायें और अपने आप से ईमानदार रहें की रिकवरी ही आपकी फर्स्ट प्रिफरेंस है।

अब हम बात करेंगे की डेटिंग करना रिकवरी के दौरान चैलेंजिंग क्यों होता है…

  • सोशल एन्गजायटी, जब आप ड्रग्स या शराब के इनफ्लुऐंस में होते है तो नये लोगो से मिलना ज्यादा आसान होता है। हो सकता है जब आप सोबर हों तो आपको नये लोगों से मिलने में झिझक और घबराहट महसुस हो, ये सिचुयेशन क्रेविंगस् पैदा कर सकती हैं।
  • जनरल ट्रेंडस्, डेटिंग के दौरान ये बहुत कॉमन है कि आप क्लबस् या पब में जायें और अपने आप को शराब नजदीक ले जायें। ये क्रेविंगस् भले ही पैदा न करे पर फिर भी ये रिकवरी के दौरान अपने आप को डेंजरस स्पॉट में रखने जैसा होगा।
  • आपकी फिलींगस् और रुटीन में आने वाला बदलाव, ये तो ओबवियस है कि जब आप किसी को डेट कर रहे होते हैं तो आपकी फिलींगस् में चेंजेस आते हैं या नई फिलींगस् डेवलप होती हैं जो आपका फोकस रिकवरी से हटा सकती हैं। इसके साथ ही आपका रुटीन जो की रिकवरी को डेडिकेटेड था वो भी डिस्टर्ब होगा।

आप क्या-क्या कर सकते हैं रिकवरी में डेटिंग ईजी करने के लिये…

  • आप किसी अच्छे थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं ये पता करने के लिये की आप वाकई में रैडी हैं किसी रिलेशनशिप के लिये या नहीं।
  • आप रिकवरी के लिये ग्रुप मिटींग्स अटेंड करते रहे, यहाँ दो फायदे होंगे पहला ये कि आप अपने नये रिलेशनशिप की फिलींगस् शेयर कर पायेंगे और दुसरा की वहाँ आपकी फैलोशिप आपको रिकवरी के लिये फोकस्ड रखेगी।
  • ये याद रखें कि आप जिसे भी डेट कर रहें हैं उसके साथ ईमानदार रहें, ये फिक्र बिलकुल न करें वो एडिक्शन हिस्ट्री के बारे में जानकर क्या सोचेगा। क्योंकि रिकवरी आपके जीवन का हिस्सा है, और इस पर आप प्राउड फील कर सकते हैं। अगर वो आपकी रिकवरी को सपोर्ट करेगा तभी डेटिंग किसी जेनुइन रिलेशनशिप में बदलेगी। 
  • अपनी रोज की जाने वाली जगहों जैसे ऑफिस, ग्रुप मीटिंग, कॉलेज वगैरह से बाहर पार्टनर तलाशें, क्योंकि ब्रेकअपस् एक बहुत बड़ा कारण है रिलेप्स होने का और अगर ऐसा हो जाता है तो आपको बार-बार इन जगह जाना ऑकवर्ड लग सकता है।

अब एक सवाल है कि क्या आपको दुसरे रिकवरींग एडिक्ट को डेट करना चाहिये कि नहीं, ये सिचुयेशन बहुत ही कॉम्पलीकेटेड होती है। यदि मान लीजीये की आपका पार्टनर रिलेप्स हो जाता है तो बहुत सारे सवाल उठेंगे आपके मन में जैसे क्या डेटिंग कन्टिन्यु करनी चाहिये, क्या ब्रेक अप करना चाहिये, क्या मैं तो रिलेप्स का जिम्मेदार नहीं हुं और यदि आप रिलेप्स हो गये तो आपके पार्टनर की कंडिशन भी सेम होगी इसलिये जब तक दोनो पार्टनर अपनी रिकवरी को लेकर 100 परसेंट कनविंस्ड नहीं हो ऐसे रिलेशनशिप में न जाना ही बेहतर होगा।

कुछ डिफरेंट फर्स्ट डेट ऑयडियाज…..

  1. अपने ही शहर में टुरिस्ट बन जायें, ये एक्सपेरिमेंट बहुत एक्साइटिंग हो सकता है और आपके पास याँदे होंगी शेयर करने के लिये।
  2. साथ में कोई नई क्लॉस जॉइन करें, ऐसा कुछ ढ़ुढ़े जिस में आप दोनो का इन्ट्रेस्ट हो जैसे योगा क्लास, रॉक क्लाइंबिग.. 
  3. कुछ स्पोर्टस खेलें साथ में जो आप के बचपन की यादें ताजा करे ये बहुत मजेदार हो सकता है आप विडियो गेम्स भी खेल सकते हैं…
  4. आप दोनो साथ में कम्युनिटी के लिये वॉलंटीयर वर्क कर सकते हैं ये बहुत अच्छा तरीका है किसी के साथ बॉन्डिंग का।  

सोबर डेटिंग हमेशा मीनिंगफुल होती है, रिकवरी डेटिंग में आपकी बातें ज्यादा मीनिंगफुल और जेनुइन होती हैं। जब आप ड्रग या अल्कोहोल अब्युज कर रहे होते हैं तब आपकी किसी हैल्थी रिलेशनशिप में रहने की एबिलिटी कम हो जाती है।

आप जब भी रिकवरी में डेट करने का डिसाइड करें तो याद रखें की आपकी एडिक्शन रिकवरी ही न. 1 प्रॉयोरिटी हो।

डेटिंग और रिकवरी2021-02-27T22:22:27+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

सामान्य तौर पर नशा करने वाले व्यक्ति से ज्यादा परेशान उनके परिवार के सदस्य होते हैं क्योंकि ये स्वभाविक है कि हम किसी अपने को नशे के गर्त में जाते हुये नहीं देख सकते। एक नशे का आदि हो चुका व्यक्ति को बिना किसी की सहायता के नशा छोड़ने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही हमें ये समझना होगा की नशा कई प्रकार के पदार्थों का होता है और उनका असर भी हमारे शरीर पर अलग-अलग तरह का बोता है। हम नशे के आदि हो चुके व्यक्ति को बिमार होने पर य़ा ओवरडोज़ हो जाने पर क्लीनिक या अस्पताल में भी भर्ती करवाते हैं। वहाँ से ठीक होने पर मरीज कुछ समय बाद अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाता है जिसमें नशा करना भी शामिल होता है।

हम अपने आप को या अपने परिवार के किसी सदस्य को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। ये एक बिमारी है जिसका सही तरीके से उपचार आवश्यक है। नशे की लत की बिमारी का नशा मुक्ति केंद्र में उपचार थोड़ा मुश्किल और लंबा हो सकता है पर यह सबसे कारगर माध्यम है। इसके बहुत सारे कारण हैं। इसको विस्तार से समझने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना होगा की नशे की लत की बिमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है और इससे समाज का कोई भी वर्ग अछुता नहीं है। इस बिमारी का मरीज कोई भी हो सकता है। हमें इसके उपचार के लिये न केवल अपने शरीर पर काम करना पड़ता है बल्कि हमें अपनी मानसिकता और जीवन जीने के ढ़ंग पर भी काम करना होता है। हम और किसी माध्यम से उपचार करते हैं तो उनमें से अधिकांश सिर्फ शरीर पर काम करते हैं, इसी वजह से इनका असर केवल कुछ समय के लिये होता है। हमको ये पता होना चाहिये की नशे का प्रलोभन बहुत ही तीव्र होता है और इसके जाल से बचने के लिये हर नशे के आदि व्यक्ति को मानसिक रुप से तैयार होना होता है।

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कई कारणों से सबसे उत्तम विकल्प है। यहाँ हर मरीज का उपचार उसकी उम्र और नशे का प्रकार देखकर किया जाता है क्योंकि ये दोनो ही बातें उपचार की अवधि और कुछ तरीकों पर असर करती हैं। नशा मुक्ति केंद्र में काम करने वाले सारे लोग और केंद्र द्वारा नियुक्त डॉक्टर एंव काउन्सलर सभी लोग इस काम के प्रति सर्मपित होते हैं।

यह सारी सुविधाऐं हमें एक ही जगह मिल जाती हैं। अधिकांश लोग जो नशा मुक्ति केंद्र द्वारा रखे जाते हैं वो नशाखोरी के भयानक परिणामों से भली-भांती परिचित होते हैं और वो उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे मरीज की मानसिकता को समझते हैं तथा कदम-कदम पर उनकी सुधार में मदद करते हैं। यहाँ पर नियुक्त मनोचिकित्सकों को इस तरह के मरीजों का काफी अनुभव होता है जिससे वो मरीज की अवसाद, बैचेनी आदि मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हाते हैं। बहुत बार ये देखा गया है कि जब मरीज को नशे की शारिरिक तलब खत्म हो जाती है उसके बाद कुछ समय बाद वो फिर उसे याद करने लगता है। तब काउन्सलर उनका नशे के प्रति नजरीया बदलने में सहायक सिध्द होते हैं। यह सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ करते हैं।

इसके अतिरिक्त अगर कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आता है और अपने आप से नशा मुक्ति केंद्र आता है तो ये संस्थाऐं पीड़ित की सहायता करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नशे की लत से संबधित समस्याऐं देश में लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसी स्तिथि में नशा मुक्ति केंद्र में उपचार का विकल्प सबसे सटीक साबित होता है क्योंकि इससे और माध्यमों की अपेक्षा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।    

 

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार2021-02-27T22:24:16+00:00

Procedure of Rehabilitation Centre in India

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Procedure of Rehabilitation Centre in India

We all agree that addiction is sin to our society but we all should know well enough that addiction is deeply rooted in our today’s society. Whether you live in small village, town or in metro city, you can easily notice severe effects due to addiction in peoples life around you. School, colleges, offices, marketplace, etc. you can find addiction’s influence everywhere. It can be easily said that there is no single place in our surroundings left. Addiction is very unique kind of disease in which not only the person with addiction suffers but his or her whole family suffers. First things first, addiction is injurious to our health including that this becomes primary reason for family disputes and wastage of money.

We try millions of ways to get rid of the addiction for ourselves or for our loved ones. One of good options is to choose “Rehab Centre” or “Nasha Mukti Kendra” for treatment of addiction. Let us see through there procedure.

India is a vast country, with people from different sections of society and different environment living in it. Consequently there are different types of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are available throughout the country. The fees of treatment can vary from lakhs of rupees to several thousands. The basic procedures of any genuine Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are following.

  • Withdrawal Period – we have to understand that starting days of any addict are toughest because addict’s body is used to the substance. In withdrawal period the patient might find it very difficult to follow normal routine. The main withdrawal symptoms are loss of appetite, shivering, insomnia etc. in this period the staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra has to take more care of the patient. If needed, medicines are given to relax the patient in this period. Withdrawal period can be of ten days to a month depending upon type of addiction and consumption of addictive substance.
  • Following Routine – the next step after removal of all withdrawal symptoms is get patient into daily routine of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra. This routine includes yoga, workout, therapies, entertainment, indoor games, timely meals, sharing and meeting sessions. In sharing sessions patients share their addiction related stories with each other and staff. This helps them in getting out of self-guilt while yoga and therapy works on wellness of patient’s mind and body.
  • Psychiatrist Consultation and Counseling – after getting patient into daily routine they go centre’s psychiatrist for consultation. After analysis they are prescribed with medicines only if needed. On the other hand, counselor of the centre takes general and personal sessions with the patients in order to determine the root of the addiction and treat disease of addiction. The counselor also gets in touch with family of the patient for seeking better results. Both of the professional contribute in the treatment and also motivate patients for living sober life.
  • Atmosphere of Rehabilitation Centre – it is one of the prime factors in successful or she might mentally be still in the grasp of addiction. The behavior of the staff and other patients effects on the recovering patient. It becomes essentially important to maintain positivity in each individual being treated at the centre.
  • Responsibility of Patient – this is the last step before discharge. The staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra keeps a sharp eye on the improvement of the patient physically as well as mentally. In this last phase the patient is given small responsibilities of the centre like taking heading sharing sessions, dealing with other patients general problems, heading group meetings etc. this gives patient extra confidence to stay sober and also motivates other patients as well.

It has been mentioned earlier, that there are many types of Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra available across the country. It is not necessary that all centre follow same procedure. There are many centre in which they do not treat patient in correct way, to add here some of them use heavy sedatives to keep patient numb over a long period of time in centre. So, while opting for Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra for your loved ones or for you always keep in mind to check the reputation and procedure of the institution.

 

Nasha Mukti kendra Bhopal

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Procedure of Rehabilitation Centre in India2021-02-27T22:24:46+00:00

nasha mukti kendra mai kya hota hai

नशा मुक्ति केंद्रों में क्या होता है?

nasha mukti kendra mai kya hota hai, नशा समाज की बुराई है लेकिन ये सच्चाई भी है कि यह हमारे समाज में बहुत अच्छी तरह से जड़ें जमा चुका है। आप छोटे गाँव, कस्बे या किसी महानगर, कहीं भी रहते हों आप को नशे से होने वाले दुष्परिणामों की झलक अपने आस-पास ही देखने को मिल जायेगी। स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, बाजार कोई भी जगह इससे बची नहीं है। ये एक ऐसी बिमारी है जिसमे न केवल एक व्यक्ति बल्की पूरा घर-परिवार तबाह हो जाता है। सर्वप्रथम नशा सेहत के लिये खराब तो होता ही है साथ ही यह पारिवारिक कलह और पैसों की बर्बादी के लिये जिम्मेदार होता है।  

हम अपने लिये, अपने परिवार के सदस्य या जिसको भी हम चाहते हैं उसकी नशे की लत छुड़ाने के लिये लाख जतन करते हैं। उसी में से एक अच्छा विकल्प है “नशा मुक्ति केंद्र” या “रीहैब सेंटर” का चुनाव करना। आइये जानते हैं इनके काम करने का तरीका।

हमारे देश में  कई तरह के नशा मुक्ति केंद्र मौजूद हैं, इनकी महीने की फीस लाखों से लेकर कुछ हजार तक है। सबसे पहले हमे ये समझना होगा की नशा अलग-अलग प्रकार का होता है और समूचे देश में एक तरह की जलवायू नहीं है। आइये जानते हैं उन प्रक्रियाओं को जो सामान्य रूप से सारे प्रमाणित नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर अपनाते हैं।

  • विथड्रॉवल पीरियड – सबसे पहले हें ये समझना होगा कि कोई भी व्यक्ति जो नशे का आदि हो चुका है उसके लिये शुरुआत के दिन कठिन होते हैं। इसकी वजह ये है कि नशा करने वाले व्यक्ति का शरीर नशे के पर्दाथ का अभ्यस्त हो चुका होता है। इसके कारण मरीज को भूख न लगना, शरीर में कंपन, नींद न आना आदि समस्या का सामना करना पड़ता है। विथड्रॉवलपीरियड के दौरान नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर के स्टाफ द्वारा मरीज का पूरा ख्याल रखा जाता है और मरीज को तकलीफ से उबारने के लिये जरुरत के हिसाब से दवाईयां भी दी जाती हैं। यह पिरीयड 1 सप्ताह से लेकर 20-25 दिन तक का हो सकता है, इसकी अवधि नशे के प्रकार और सेवन की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • रुटीन में लाना – जब मरीज के अंदर से विथड्रावल के लक्षण खत्म हो जाते हैं उसके बाद धीरे-धीरे स्टाफ की मदद से मरीज को केंद्र के सामान्य रुटीन में लाया जाता है। इस रुटीन में योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मनोरंजक गतिविधियां, शेयरिंग मीटिंग आदि शामिल होती हैं। शेयरिंग मीटिंग में मरीज अपने नशे से जुड़े अनुभवों को दूसरे साथियों के साथ बांटता है जिससे मरीज का मन हल्का होता है और इस रुटीन की मदद से मरीज के स्वास्थ में सुधार होता है।   
  • मनोचिकित्सक से परामर्श और काउन्सलिंग – मरीज जब पूरी तरह रुटीन में आ जाता है तब केंद्र के मनोचिकित्सक मरीज का आकलन करते हैं। कुछ मरीजों की समस्या के लिये दवाईयां लिखी जाती हैं जो समय अनुसार स्टाफ द्वारा मरीज को दी जाती हैं। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्र के काउन्सलर सामुहिक और व्यक्तिगत क्लाँसेज लेते हैं और मरीज का आकलन करते हैं। काउन्सलर और मनोचिकित्सक समस्याओं को सुलझाने के लिये जरुरत पड़ने पर मरीज के परिवार के भी संपर्क में रहते हैं। साथ ही प्रत्येक मरीज का मनोबल बढ़ाते हैं।
  • केंद्र का वातावरण – नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर में सभी वर्ग के मरीज भर्ती होते हैं इसलिये केंद्र के स्टाफ को इस बात का विषेश ध्यान रखना पड़ता है कि पूरे केंद्र का माहौल और अच्छा बना रहे तथा किसी के व्यवहार से तकलीफ न हो। स्टाफ को इस बात का भी गौर करना होता है कि कोई मरीज दूसरे मरीज पर नकारात्मक प्रभाव तो नहीं डाल रहा है।   
  • मरीज की जिम्मेदारीयां – पूरा स्टाफ हर मरीज की प्रगति पर ध्यान रखता है। जो भी मरीज बेहतर प्रोगरेस दिखाता है उसके हाथ में थोड़ी बहुत केंद्र की जिम्मेदारीयां दी जाती हैं जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और अन्य मरीजों का भी आत्मविश्वास बढ़ता है।

पूरे देश में नशा मुक्ति केंद्र और रीहैब सेंटर खुले हुये हैं। ये जरुरी नहीं की हर नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर यही तरीका अपनाता हो। कई सेंटर ऐसे भी हैं जिनमे फर्जी या बेढ़ंगे तरीके से काम किया जाता है। इसलिये यह बहुत जरुरी हो जाता है कि आप अपने परिवार के सदस्य के लिये या अपने लिये किसी नशा मुक्ति केंद्र का चुनाव करें तो अच्छी तरह से केंद्र के बारे में जानकारी पता कर लें। नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है, नशा मुक्ति केंद्र में क्या होता है

Nasha Mukti kendra Bhopal

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nasha mukti kendra mai kya hota hai2021-02-27T22:24:54+00:00
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