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शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत

शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत

अल्कोहल या शराब की लत(एडिक्शन) को एक मानसिक बीमारी कहना ज्यादा सही होगा.अल्कोहल लेने वालो को इस बात का पता ही नहीं चल पता की वह एक शौक या शुरुवात  से इसके आदी हो गए है शुरुवात की बात करे तो अल्कोहल लेने वाला ज्यादातर इंसान अपनी इस आदत को कभी मानेगा नहीं वह यह कहकर टाल देगा की मैं सिर्फ थोड़ी सी लेता हु , या मुझे इसे लेने की बाद अच्छी नींद जाती है या फिर कुछ और मगर हमें यह सोचना होगा की यह शुरुवात बड़ी लत की और लेके जा रही है .

हम अगर अल्कोहल लेने वालो को केटेगरी मैं डिवाइड करे तो यह कई केटेगरी मैं डिवाइड हो सकते है जिनमे से कुछ यह है

 )सोशल ड्रिंकर और शौकिया हुमने अक्सर देखा है की कुछ लोग पार्टी शादी या कभी कभार अपने दोस्तों के साथ अल्कोहल लेने लगते है यह लोग शराब के आदि नहीं होते बस कभी कभी अल्कोहल को लेते है .

)रेगुलर ड्रिंकर :-कुछ लोग शराब को अपनी डेली लाइफ का पार्ट बना लेते है जैसे की अपने सारे कामो को पूरा करके यह लोग शराब लेते है .

) अडिक्टिव या एडिक्ट(शराबी)  कहना गलत नहीं होगा यह लोग अपना सारा काम छोड़ कर बस शराब के बारे मैं सोचते है इनकी दिन की शुरुवात शराब से होती है और अंत भी शराब पर ख़तम होता हैं

 हम लोग अक्सर यह सोचते है की यह अल्कोहल की आदत कैसे लग जाती है और हम इससे कैसे पीछा छूटा सकते है क्योकि शराब की वजह से हम समाज मैं अपना स्थान खो देते है  और घरवालो को परेशांन करना और खुद भी कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करते है | कुछ लोग शराब को एक शौक की तरह शुरू करते है और कुछ किसी बड़ी प्रॉब्लम मैं या किसी मानसिक या भावनात्मक (इमोशनल) प्रॉब्लम मैं शराब को शुरू कर देते है … शराब छोड़ने के तरीके

शराब एक लत कैसे बन जाती है अक्सर हम बिना सोचे समजे शराब को पीना शुरू कर देते है अगर हम इस बात को समझने की कोशिश करे की अगर हम किसी भी चीज़ को एक पैटर्न  मैं या लगातार लेते है तो वह चीज़ हमारी ज़िंदगी मैं एक स्थान बना लेती है और इसी को हम आदत कह सकते है जैसे की हम अगर शराब को रोज अपने सारे काम ख़तम करने के बाद लेते है तो यह एक रेगुलर पैटर्न बना लेती है जिस दिन आप इसे नहीं लेते तो आप उस दिन खाली खाली महसूस करेंगे अगर अभी तक आप इसकी लत मैं नहीं है और अगर आपको इसकी लत पड़ चुकी है तो आप कई मानसिक परेशानियों जैसे की भूख लगना , चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का सामना करने लगते है|

एजुकेशन भी एडिक्शन का एक फैक्टर(कारक) है.उन लोगो का शराब छोड़ना काफीज्यादा मुश्किल होता है जो पड़े लिखे नहीं है और उन्होंने इसको एक शौक की तरह शुरू किया .वह लोग जो पड़े लिखे होते है और किसी इमोशनल मानसिक परेशानी की वजह से शराब शुरू करते है उनका इस आदत को छोड़ना काफी हद तक संभव हो सकता है .हम कुछ और तरीको से अपने आप को इस लत से दूर रख सकते है..शराब छोड़ने के तरीके

शराब छोड़ने के तरीके

वैसे देखा जाये तो यह कहना मुश्किल है की शराब छोड़ने का कोई एक तरीका या इलाज़ संभव है क्योंकि हर इंसान दूसरे इंसान से अलग होता है इसलिए रेगुलर मॉनिटरिंग और बदलावों के बेस पर एडिक्शन का इलाज़ हो सकता है|

काउन्सलिंग हमने सुना है किसी भी समस्या को बातचीत करके सुलझाया जा सकता है और यह काफी हद तक इस समस्या से छूटने का एक कारगर रास्ता हो सकता है .काउन्सलिंग मैं हमें इस बात का ख्याल रखना होगा की अल्कोहल एक कैटेलिस्ट की तरह होता है जो आपके बेसिक नेचर (मूल स्वाभाव) को सामने लाता है जैसे की अगर आप का बेसिक नेचर(मूल स्वाभाव) गुस्से वाला या फिर चुप रहने का है तो आप अपने आपको इस स्वाभाव को ज्यादा समय तक छुपा के नहीं रख सकते ज्यादातर लोग इससे बचने के लिए एक नए बदलाव के साथ ज़िंदगी सुरु कर देते है जो बाद मैं अक्सर उनकी आदत बन जाती है 

हमें यह समझना होगा की कि कौन कौन सी वह वजह है या फिर वह परिस्थिति है जहाँ पर एडिक्ट(शराबी)  नशे कि तलब को ज्यादा महसूस करता है

  1. अकेलापन: हमने अक्सर देखा शुरू एक शारबी समाज के लिए गलत मानसिकता बना लेता है  जिसके लिए समाज, लोगो की इग्नोरेंस या कोई भी और कारण हो सकता शुरू जिसकी वजह से वह समाज से एक दुरी बना लेता शुरू यह अक्सर उन लोगो की लिए सही कहा जा सकता  जो अल्कोहल को किसी मानसिक स्थिति को बिगड़ने की वजह से शुरू कर देते शुरू इसके विपरीत वो लोग जो अल्कोहल को शुक्रिया तौर पे लेते है वह लोग अक्सर शराब पीने के लिए अकेलापन की तरफ भागते है प्रॉब्लम दोनों ही केस मैं अकेलापन है|
  2. शादी या पार्टी मे जाने से उसको कही न कही नशे की तालाब शुरू हो सकती है इसलिए कुछ समय के लिए इन जगहों पे जाने से बचना चहिये |
  3. पुराने एडिक्ट(शराबी)  दोस्तों से मुलाकात भी नशे कि इस लत को बढ़ा देती है!
  4. कोई भी ऐसी बात जो एडिक्ट(शराबी)  को मानसिक रूप से परेशान करती हो!

 

एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास कॉन्फिडेंस और इक्छा शक्ति विल पावर खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए | एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास (confidence) और इक्छा शक्ति (will power) खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए और नीचे दिए गए पॉइंट्स पे स्टेप बाई स्टेप काम करना चाइये इससे एक एडिक्ट(शराबी)  को एक नयी इक्छाशक्ति , आत्म विश्बास और एक सकारात्मक सोच देकर नशे से दूर रख सकते है

१) शेयरिंग परिवार या दोस्तों मैं जो भी लोग एडिक्ट(शराबी) के करीब होते है ज्यादा से ज्यादा टाइम एडिक्ट(शराबी) को देना चाइये शुरुवात मैं ऐसा होना आम है कि वह परिवार या दोस्तों के साथ अच्छा महसूस न करे या फिर उनके साथ झगड़ा करे पर परिवार को इस बात का ख्याल रखते हुए कि एडिक्ट(शराबी) अभी यह सब एडिक्शन कि वजह से या अभी वह आपके साथ उतना घुला मिला नहीं है इसलिए ऐसा कर रहा होता है क्योकि कोई भी एडिक्ट(शराबी) एक या दो दिन मैं एडिक्ट(शराबी) नहीं बनता इसलिए परिवार को थोड़ा सा टाइम लग सकता है उसके साथ ताल मेल बनाने मैं इसलिए लगातार कोशिशों के बाद परिवार या दोस्तों एडिक्ट(शराबी) के साथ गुल मिल सकते है.परिवार को इस बात का ख्याल रखना चाइये कि उन्हें हमेशा एडिक्ट(शराबी) के साथ पॉजिटिव रहना होगा परिवार को अपने प्रेरणा या अपने बुरे वक़्त कि बाते भी शेयर करते रहना चाइये और एडिक्ट(शराबी) के साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाना चाइये इसका फायदा यह होगा कि एडिक्ट(शराबी) भी अपने आपको आपके साथ शेयर करना शुरू कर देगा|

२) शारबी कि दिनचर्या को एक नयी दिनचर्या से बदलना आपको यकीन नहीं होगा कि एक एडिक्ट(शराबी) भी एक दिनचर्या का पालन करता है जैसे कि एक निश्चित समय पे शराब पीना खाने के पहले सुबह उठने के साथ या फिर सोने के लिए. जब फॅमिली उन लोगो के साथ रहने लगेगी तो उन्हें समझ आने लगेगा कि उनके पीने का पैटर्न क्या है एडिक्ट(शराबी) को बिना बताये उसके इस पैटर्न को समझना होगा फिर फॅमिली को धीरे धीरे इस  दिनचर्या तोडना होगा जैसे कि अगर एडिक्ट(शराबी) खाने के पहले शराब लेता है तो तो उसे इस टाइम पर कही घूमने लेकर चले जाये या कोई और ज़रूरी काम दे सकते है .अगर हो सके तो किसी हॉबी , या रुकी हुई शिक्षा या किसी और काम जिसमे एडिक्ट(शराबी) का मन लगे शुरू कर सकते है

३)सकारत्मक सोच और इक्छाशक्ति को बढ़ाना एडिक्ट लोगो मैं यह सामान्य  है कि वह एक नेगेटिव सोच के साथ आगे बढ़ रहे होते है अगर हम गौर करे तो हम देखंगे कि एडिक्ट अपनी इस हालत के पीछे किसी न किसी हालात या किसी बड़ी परेशानी को दोषी मानते है|

 

 जब हम एडिक्ट को जानने लगते है तब हमें उनके साथ उन समस्याओ को समझ के उनसे बाहर आने के रास्ते को खोजना  शुरू कर देते है जिससे उनकी इछाशक्ति बढ़ने लगती है और एक सकारत्मक सोच के साथ वह आगे बढ़ने लगते है

४) नए दोस्त बनाना और सोबर सोसाइटी मैं रहना ज्यादातर लोग उन लोगो के साथ रहना पसंद करते है जो उनकी तारीफ करे या उनसे वैसी बाते करे जिनको वह सुनना पसंद करते है एडिक्ट कि सोसाइटी भी कुछ ऐसे ही लोगो से मिलकर बनी होती है जो अक्सर नशा या उससे सम्भन्दित बाते ही करते है फॅमिली को इस बात का ख्याल रखना होगा कि एडिक्ट को यह समझना होगा कि नए दोस्तों और पॉजिटिव लोगो के साथ रहने से वह अपनी इस प्रॉब्लम से छूट सकता है शुरुवाती ३ पॉइंट को फॅमिली को लगातार रिपीट करना चाइये फिर जैसे ही एडिक्ट एक पॉजिटिव दिशा मैं आगे बढ़ने लगे तो उसे हमेशा इस बात के लिए समझाते रहना चाइये कि अब टाइम आ गया है नए और सही दोस्तों को चुनने का….शराब छोड़ने के तरीके

) नयी प्रेरणाओं और नए लक्ष्य कि शुरुवात एडिक्ट को शुरुवात हमेशा छोटे लक्ष्य से करनी चाहिए.इससे उसके असफल होने की दर भी उसे इतना ज्यादा परेशान नहीं करेगी और वह फिर से कोई नया काम करने से पहले सोचेगा नहीं

 ६) समाज और परिवार के लिए उसकी ज़िम्मेदारी यहाँ से शुरुवात एडिक्ट कि खुद की ज़िम्मेदारी को संभालना है जब तक वह इस बात को नहीं समझेगा कि समाज और परिवार के लिए उसकी क्या ज़िम्मेदारी है नशे मै वापिस जाने का डर हमेशा बना रहेगा

) दुसरो कि मदद करना  अगर एडिक्ट को लम्बे समय तक नशे से दूर रहना है तो उसको दूसरे एडिक्ट जो कि नशे कि आदत से गुजर रहे है उनके साथ लगातार अपने आप को शेयर करना होगा इससे वह कही नहीं अपने पिछली गलतियों को याद करेगा और दुसरो को स्कारात्मक सोच देकर अपने आप को भी स्कारात्मक माहोल मैं रख पायेगा

अंत मैं इन सारी बातो को अगर एडिक्ट और उसकी फॅमिली समझ के इस पर काम करती है तो एडिक्ट का कॉन्फिडेंस और विल पावर जो कही कही वह खो चुका है उसको वापिस पाने मैं सहायता मिल जाएगी और हम सब जानते है कि स्कारात्मक सोच और एक द्रढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी इंसान कुछ भी पा सकता है.

शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत2021-06-02T20:59:13+00:00

gutka tambaku chorne ka upay

तम्बाकू छोड़ने के उपाय

अगर हम शराब, स्मैक या और किसी भी प्रकार के अन्य नशे के बारे में बात करेंगे तो वह सभी कुल मिलाकर भी इतनी मौतों के ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना की अकेले तम्बाकू के कारण होती है। डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 – 19 में सिर्फ भारत में ये आंकड़ा करीब दस लाख मौतों का था जो कि वर्ष 2010 से लगभग एक लाख ज़्यादा थीं, इसका साफ़ अल्फ़ाज़ों में मतलब है कि इसमें इज़ाफ़ा हुआ है और यह धीरे धीरे एक महामारी में तब्दील होती जा रही है। भारत में तम्बाकू के उत्पादों का बाज़ार बड़ा ही जटिल है, इसमें बीड़ी, सिगेरट, गुटखा, खैनी, पान मसाला सभी शामिल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में तम्बाकू के सेवन का चलन बहुत तेज़ी के साथ बढ़ा है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग दोनों ही बराबरी से शामिल है।
तम्बाकू का सेवन हमेशा शौक और जिज्ञासा के कारण शुरू होता है लेकिन यह शौक कब जानलेवा लत बन जाती है हमको पता ही नहीं चलता। किसी भी लत को छोड़ना आसान नहीं होता और खासकर की नशे की आदत छोड़ना तोह और कठिन होता है क्यों कि उसमे तो हमारा शरीर भी नशे की वास्तु पर निर्भर हो जाता है। पर हम अपनी इच्छाशक्ति और कुछ नुस्खों के दम पर ऐसा कर सकते हैं, आइये यहाँ पर हम चर्चा करते हैं कुछ तम्बाकू छोड़ने के उपायों के बारे में –
– आप सबसे पहले तो अपने सारे करीबियों को बता दें कि आप तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और वो आपको किसी भी सूरत मैं तम्बाकू
का सेवन करने के लिए न कहें और हो सके तो हमे ये बात याद दिलाते रह।
– अपने पास गुटका, सिगेरट, माचिस आदि रखना छोड़ दे।
– जितना हो सके उन लोगों से दूरी बनाएं जो सिगेरट, गुटखे का बहुत ज़्यादा सेवन करते हो।
– लगभग 40-50 ग्राम सौंफ और इतनी ही अजवायन लेकर तवे पर भूने, थोडा नींबू का रस और हल्का काला नमक डालें और उसको एक डब्बी में रखकर अपनी जेब में रख ले। जब कभी सिगरेट या तम्बाकू आदि की तलब लगे तो कुछ दाने चबाते रहे इससे तलब कम होगी, अपच, गैस और एनोरेक्सिया में भी फायदा होगा।
– इसके साथ ही हलके गर्म पानी में शहद डाल कर पीने से भी तलब कम होती है और सुबह उठ कर इसका सेवन भी तम्बाकू छोड़ने का बेहतरीन उपाय है।
– जब आप तम्बाकू छोड़ने का उपाय करते हैं तो आपको कुछ शारीरिक परेशानियों का सामना करना पद सकता है जैसे पेट में मरोड़ उठना,
भूख न लगना, खट्टी धकारें आना, समय से फ्रेश न हो पाना आदि। सूखे आंवले के टुकड़े, इलायची और सौंफ चबाने से इन सब से प्राकृतिक रूप से फायदा होगा बिना किसी एलॉपथी की दवाई के।
दुर्भाग्य से भारत में तम्बाकू का सेवन शुरू होने कि औसतन उम्र 14 से 16 वर्ष है जो कि एक किशोर अवस्था होती है, इसके लिए हम समाज में जागरूकता के आभाव को ज़िम्मेद्दार ठहरा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने इस मामले कुछ नहीं किया ! 2013 मई में 24 राज्यों ने और 3 केंद्र शाषित प्रदेशों ने तम्बाकू युक्त गुटखे पर रोक लगा दी, पर इसकी जगह तम्बाकू के दूसरे उत्पादों ने ले ली। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इस व्यसन की जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। इसके साथ ही 2016 में नाबालिग को किसी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना गैरकानूनी घोषित हो चुका है मगर इस कानून का अनुपालन काफी मुश्किल साबित हुआ है। हमारे समाज में भी तम्बाकू का उपयोग बहुत हल्के में लिया जाता है इसलिए ये बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग तम्बाकू के व्यसन के बड़े में खुद को जागरूक करे। आखिर यह लड़ाई असली तो हर एक व्यक्ति के स्वयं की भलाई के लिए है। आशा करते हैं की ये दुनिया और हमारा देश तम्बाकू छोड़ने के रास्ते में अग्रसर रहेगा।

gutka tambaku chorne ka upay2021-02-27T22:20:13+00:00

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

It is obvious that no can see their loved ones or family member into deep holes of addiction of illicit substances therefore generally the family members of the addict are more anxious and troubled than addict itself. It is very difficult task for an addict to get completely out of trap of addiction without any external help. First we all have to understand that addictions are of various illicit substances so their effect on body and mind also vary from one another. Sometimes we take addict to hospitals and clinics, in case of him/her not feeling well physically or in case of overdose. After being treated in hospital or clinic maximum addicts return to their previous routine which also includes abusing illicit substances.

We can tackle the sin of addiction for ourselves and for our family members, if we handle this disease properly. The treatment of this disease in rehabilitation centre or nasha mukti kendra can be a tough task and can also be of longer time span but this method works best out of all the available options. There are many of reasons for considering rehabilitation centre or nasha mukti Kendra as the best option. To understand the treatment undergo in rehabilitation centre or nasha mukti kendra in broader way, we have to know that addiction victim can be of any age group and can be from any section of society. The demon of addiction does not differentiate between rich and poor, it effects all in same way. For a successful treatment of this disease we have to work on both our body and our mind. An addict also has to change his lifestyle for sustaining soberness over a longer period of time. We generally seek options that work only on physical condition of an addict that is why the patient tends to relapse after a shorter period of time. We should be aware of the fact that these addictive substances have high intensity of attraction and to avoid getting into the trap of addiction it becomes significantly necessary for recovered patient to prepare mentally.

In rehabilitation centre or nasha mukti kendra the treatment of the patient done according to the factors such as age and type of addictive substance. Since different substance has different effects and to add on here, the mentality with age also changes of every individual therefore the treatment procedure and time span also changes. This is the most important thing about rehabilitation centre or nasha mukti kendra. Apart from that all the appointed personnel by the rehab centre is dedicated to the profession of de-addiction or nasha mukti.

Generally, a genuine rehab centre appoints physician, psychiatrist, counselor, and yoga and exercise instructor with other supporting staff. We get all these key facilities required for proper treatment under one roof. Most of the staff appointed by the rehabilitation centre or nasha mukti kendra are familiar with devastating effects of pro-longed addiction and they understand mental condition of the recovering patient at each step. Hence, they are able to help them recover in better way. Psychiatrist and counselor appointed here has experience in dealing with all kind of addicts, they also prescribe medicines only if needed to overcome their problems such as depression, insomnia etc. It is often seen that after becoming physically well for sometime the recovering patient might think of addictive substance or perhaps crave for it mentally. In that case counselor plays a vital role in eliminating those thoughts conclusively. All these factors combined contribute in successful recovery from addiction.

Many rehab centre also help patients if he/she willingly seek consultation of rehab centre in case of relapse. The statics in our nation of addiction victims is gradually increasing by year. In this situation the option of rehabilitation centre or nasha mukti kendra is most effective medium because it produces more successful results than any other.       

 

  

Rehabilitation Centre: A cure for addiction2021-02-27T22:24:09+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

सामान्य तौर पर नशा करने वाले व्यक्ति से ज्यादा परेशान उनके परिवार के सदस्य होते हैं क्योंकि ये स्वभाविक है कि हम किसी अपने को नशे के गर्त में जाते हुये नहीं देख सकते। एक नशे का आदि हो चुका व्यक्ति को बिना किसी की सहायता के नशा छोड़ने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही हमें ये समझना होगा की नशा कई प्रकार के पदार्थों का होता है और उनका असर भी हमारे शरीर पर अलग-अलग तरह का बोता है। हम नशे के आदि हो चुके व्यक्ति को बिमार होने पर य़ा ओवरडोज़ हो जाने पर क्लीनिक या अस्पताल में भी भर्ती करवाते हैं। वहाँ से ठीक होने पर मरीज कुछ समय बाद अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाता है जिसमें नशा करना भी शामिल होता है।

हम अपने आप को या अपने परिवार के किसी सदस्य को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। ये एक बिमारी है जिसका सही तरीके से उपचार आवश्यक है। नशे की लत की बिमारी का नशा मुक्ति केंद्र में उपचार थोड़ा मुश्किल और लंबा हो सकता है पर यह सबसे कारगर माध्यम है। इसके बहुत सारे कारण हैं। इसको विस्तार से समझने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना होगा की नशे की लत की बिमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है और इससे समाज का कोई भी वर्ग अछुता नहीं है। इस बिमारी का मरीज कोई भी हो सकता है। हमें इसके उपचार के लिये न केवल अपने शरीर पर काम करना पड़ता है बल्कि हमें अपनी मानसिकता और जीवन जीने के ढ़ंग पर भी काम करना होता है। हम और किसी माध्यम से उपचार करते हैं तो उनमें से अधिकांश सिर्फ शरीर पर काम करते हैं, इसी वजह से इनका असर केवल कुछ समय के लिये होता है। हमको ये पता होना चाहिये की नशे का प्रलोभन बहुत ही तीव्र होता है और इसके जाल से बचने के लिये हर नशे के आदि व्यक्ति को मानसिक रुप से तैयार होना होता है।

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कई कारणों से सबसे उत्तम विकल्प है। यहाँ हर मरीज का उपचार उसकी उम्र और नशे का प्रकार देखकर किया जाता है क्योंकि ये दोनो ही बातें उपचार की अवधि और कुछ तरीकों पर असर करती हैं। नशा मुक्ति केंद्र में काम करने वाले सारे लोग और केंद्र द्वारा नियुक्त डॉक्टर एंव काउन्सलर सभी लोग इस काम के प्रति सर्मपित होते हैं।

यह सारी सुविधाऐं हमें एक ही जगह मिल जाती हैं। अधिकांश लोग जो नशा मुक्ति केंद्र द्वारा रखे जाते हैं वो नशाखोरी के भयानक परिणामों से भली-भांती परिचित होते हैं और वो उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे मरीज की मानसिकता को समझते हैं तथा कदम-कदम पर उनकी सुधार में मदद करते हैं। यहाँ पर नियुक्त मनोचिकित्सकों को इस तरह के मरीजों का काफी अनुभव होता है जिससे वो मरीज की अवसाद, बैचेनी आदि मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हाते हैं। बहुत बार ये देखा गया है कि जब मरीज को नशे की शारिरिक तलब खत्म हो जाती है उसके बाद कुछ समय बाद वो फिर उसे याद करने लगता है। तब काउन्सलर उनका नशे के प्रति नजरीया बदलने में सहायक सिध्द होते हैं। यह सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ करते हैं।

इसके अतिरिक्त अगर कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आता है और अपने आप से नशा मुक्ति केंद्र आता है तो ये संस्थाऐं पीड़ित की सहायता करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नशे की लत से संबधित समस्याऐं देश में लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसी स्तिथि में नशा मुक्ति केंद्र में उपचार का विकल्प सबसे सटीक साबित होता है क्योंकि इससे और माध्यमों की अपेक्षा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।    

 

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार2021-02-27T22:24:16+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशे की लत एक बमारी है, यह बात डब्लु.एच.ओ द्वारा प्रमाणित है और इससे उबरने के लिये इसका सही ढ़ंग से इलाज जरुरी है। नशे की लत को सामन्यतः हर व्यक्ति हल्के में लेता है यही दृष्टिकोण बाद में परेशानी का कारण बनता है। नशा चाहे वह किसी भी पदार्थ का क्यों न हो, पदार्थ के सेवन की मात्रा हमेशा बढ़ती है। नशे की लत के इलाज के लिये पीड़ित या पीड़ित का परिवार तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं जैसे कि डॉक्टरों से सलाह, नीम-हकीमो के पास जाना, टोने-टोंटके करना, टी.वी.-रेडीयो के विज्ञापन में दिखाई गई दवाओं का इस्तेमाल करना आदि। इनमें से एक सबसे बेहतर उपाय है कि पीड़ित का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाया जाये।

सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्र इलाज का मकसद न केवल मरीज को कुछ समय के लिये नशा मुक्त करना होता है बल्की इलाज नशे से हमेशा के लिये दूरी बनाये रखने के लिये होता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चरणबद्ध तरीके से होता है।

  • पहला चरण – मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले मरीज का डी-टॉक्स किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज के शरीर मौजूद सारे हानिकारक तत्व को निकाला जाता है। ये चरण सबसे अहम है क्योंकि शरीर से सारे हानिकारक रसायन निकलने के बाद ही शारीरिक तलब (क्रेविंग) खत्म होती है। इसी चरण में विथड्रॉवल आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिये इस दौरान मरीज का केंद्र के स्टाफ द्वारा विषेश ख्याल रखा जाता है।
  • दूसरा चरण – इस चरण में मरीज को केंद्र की दैनिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इसमें योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मीटिंग सेशन इत्यादी गतिविधियां होती हैं। इस चरण से मरीज की शारिरिक ऊर्जा बनी रहती है और इससे मरीज की सोच सकारत्मक बनी रहती है। सकारात्मक सोच का होना इलाज के लिये बहुत जरुरी होता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अपने नशे के साथ बिताये गये समय के कारण नकारात्मक हो जाते हैं। यहां स्टाफ की और अन्य मरीजों के साथ की सहायता से मरीज की जीवन के प्रति उमंग और सकारात्मकता बनी रहती है।
  • तीसरा चरण – इस चरण मनोचिकित्सक और काउन्सलर मरीज का आकलन करते हैं। बहुत से नशे के आदि व्यक्ति अवसाद में और भ्रमित रहते हैं, जिनकी जाँच केंद्र द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक करते है और जरुरत पड़ने पर दवाई देते हैं। वहीं काउन्सलर मरीज को नशा छोड़ने के प्रेरित करते हैं अथवा उनकी समस्याऐं सुलझाते हैं।
  • चौथा चरण – ये चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मरीज की नशा मुक्ति केंद्र से छुट्टी होने से पहले उसे केंद्र के कुछ कार्यों की जम्मेदारीयां दी जाती हैं। इससे मरीज का नशा छोड़ने का हौसला बुलंद होता है और अन्य मरीज उसे देखकर प्रभावित होते हैं।

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों करवाया जाये? यह सबसे बेहतर उपाय इसलिये है क्योंकि यह ज्यादा कारगर साबित होता है। ये केवल शरीर पर काम नहीं करता बल्की ये मानसिक रुप मरीज को नशे से दूर रहने में मदद करता है। इसके अलावा नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सर्मपित सारे प्रोफेशनल एक ही छत के नीचे मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त माहौल का बड़ा अंतर पड़ता है। नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को दूसरे मरीजों को देखकर नशा छोड़ने के लिये प्रेरणा मिलती है इसके विपरीत अस्पताल में केवल डी-टॉक्स की सुविधा होती है वह भी अपेक्षाकृत बहुत मंहगी होती।   

     

 

 

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज2021-02-27T22:24:23+00:00

Procedure of Rehabilitation Centre in India

rehab centre

Procedure of Rehabilitation Centre in India

We all agree that addiction is sin to our society but we all should know well enough that addiction is deeply rooted in our today’s society. Whether you live in small village, town or in metro city, you can easily notice severe effects due to addiction in peoples life around you. School, colleges, offices, marketplace, etc. you can find addiction’s influence everywhere. It can be easily said that there is no single place in our surroundings left. Addiction is very unique kind of disease in which not only the person with addiction suffers but his or her whole family suffers. First things first, addiction is injurious to our health including that this becomes primary reason for family disputes and wastage of money.

We try millions of ways to get rid of the addiction for ourselves or for our loved ones. One of good options is to choose “Rehab Centre” or “Nasha Mukti Kendra” for treatment of addiction. Let us see through there procedure.

India is a vast country, with people from different sections of society and different environment living in it. Consequently there are different types of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are available throughout the country. The fees of treatment can vary from lakhs of rupees to several thousands. The basic procedures of any genuine Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are following.

  • Withdrawal Period – we have to understand that starting days of any addict are toughest because addict’s body is used to the substance. In withdrawal period the patient might find it very difficult to follow normal routine. The main withdrawal symptoms are loss of appetite, shivering, insomnia etc. in this period the staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra has to take more care of the patient. If needed, medicines are given to relax the patient in this period. Withdrawal period can be of ten days to a month depending upon type of addiction and consumption of addictive substance.
  • Following Routine – the next step after removal of all withdrawal symptoms is get patient into daily routine of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra. This routine includes yoga, workout, therapies, entertainment, indoor games, timely meals, sharing and meeting sessions. In sharing sessions patients share their addiction related stories with each other and staff. This helps them in getting out of self-guilt while yoga and therapy works on wellness of patient’s mind and body.
  • Psychiatrist Consultation and Counseling – after getting patient into daily routine they go centre’s psychiatrist for consultation. After analysis they are prescribed with medicines only if needed. On the other hand, counselor of the centre takes general and personal sessions with the patients in order to determine the root of the addiction and treat disease of addiction. The counselor also gets in touch with family of the patient for seeking better results. Both of the professional contribute in the treatment and also motivate patients for living sober life.
  • Atmosphere of Rehabilitation Centre – it is one of the prime factors in successful or she might mentally be still in the grasp of addiction. The behavior of the staff and other patients effects on the recovering patient. It becomes essentially important to maintain positivity in each individual being treated at the centre.
  • Responsibility of Patient – this is the last step before discharge. The staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra keeps a sharp eye on the improvement of the patient physically as well as mentally. In this last phase the patient is given small responsibilities of the centre like taking heading sharing sessions, dealing with other patients general problems, heading group meetings etc. this gives patient extra confidence to stay sober and also motivates other patients as well.

It has been mentioned earlier, that there are many types of Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra available across the country. It is not necessary that all centre follow same procedure. There are many centre in which they do not treat patient in correct way, to add here some of them use heavy sedatives to keep patient numb over a long period of time in centre. So, while opting for Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra for your loved ones or for you always keep in mind to check the reputation and procedure of the institution.

 

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Procedure of Rehabilitation Centre in India2021-02-27T22:24:46+00:00

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका

समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका.

नशे से होने वाले दुष्परिणामों से शायद हर व्यक्ति वाकिफ होगा। हम सभी जानते हैं की नशे की लत चाहे वो शराब, गांजे, ड्रग्स या किसी भी मादक पदार्थ की हो, सब किसी न किसी प्रकार से स्वास्थ के लिए हानिकारक होती हैं। हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं और उतनी ही सरलता के साथ नज़रअंदाज़ भी करते हैं। औसतन हर चार में से एक परिवार इस समस्या से पीड़ित है। मादक पदार्थों की बढ़ती खपत और प्रचलन राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक समस्या है।

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इस समस्या की रोकथाम और निराकरण के लिए कभी हम सरकार के लचर रवैये पर आरोप लगते हैं। जो की पूरी तरह से ठीक नहीं है। इसके अनेक कारण हैं। कुछ लोग कानून व्यवस्था को कड़ा करने का उपदेश देते हैं ये न जानते हुए की कानून के नियम और प्रावधान पहले से ही पर्याप्त हैं मगर उनको प्रभावी बनाने के लिए जनता का सहयोग बहुत ज़रूरी होता है। यहाँ तक की मैंने खुद ये बात देखी है हमारे शहर भोपाल में की जब भी पुलिस कोई चैकिंग अभियान चलाती है तो हम पुलिस पर आम जनता को परेशान करने का आरोप लगाते हैं जबकि हमें इस विषय में प्रशासन का सहयोग करना चाहिये, क्योंकि इस से ड्रग पैडलिंग पर लगाम लगेगी और शराब पी कर वाहन चलाने वालों को उचित दंड मिलेगा।

इस समस्या के लिए हम पश्चिमी सभ्यता के असर और फिल्मो पर आरोप लगाते हैं जो की बहुत अप्रासंगिक है। हमारी देश की फिल्मे हमारे ही समाज का ही आइना है। ये आरोप सदियों से युवा वर्ग पर लगता आ रहा है और हमेशा से ही बेमतलब का रहा है। दरअसल युवाओं  में  केवल जागरूकता के स्तर को और उनके रवैये प्रति बदलाव की आव्यशकता है।

मैं खासतौर पर हिंदी बोले जाने वाले राज्यों की बात करूंगा जहाँ सबसे बड़ा कारण यहाँ के रहवासियों का नजरिया और इस विषय के प्रति गंभीरता का है। हम में से ज़्यादातर लोगों की आदत यह है की जब तक हमारा कोई करीबी या परिवार वाला इसकी चपेट में नहीं आता तब तक हम कभी इस विषय की बारे में जानकारी लेने में कोई रूचि नहीं रखते।

नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र में उपचार के लिए हर उम्र का व्यक्ति आता है। यहाँ नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र के प्रबंधन की प्राथमिकता यह होती है की मरीज़ की मादक पदार्थ पर निर्भरता ख़त्म की जाए और उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ किया जाए उसके बाद उपचार पूरी प्रक्रिया उसकी नशे के प्रति मानसिकता बदलने पर केंद्रित होती है। ये ज़रूरी नहीं की नशे से पूर्ण रूप  से  छुटकारा किसी एक उम्र के वर्ग के लोगों का संभव हो क्योंकि सारा सवाल इच्छा शक्ति का है। नशा मुक्ति केंद्र के उपचार का ज़ोर इस इच्छा शक्ति को बढाने पर होता है। किसी भी व्यक्ति स्थायी नशे से दूरी के लिए उसका नशे के प्रति मानसिक परिवर्तन ज़िम्मेदार होता है।

नशे की चपेट में ज़्यादातर व्यक्ति युवावस्था में आता है इसलिए नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र की सहायता अगर किसी भी नशे की प्रारंभिक अवस्था में ली जाए तो ये सर्वोत्तम रहता है क्योंकि सबसे पहले शरीर इस से होने वाले स्वास्थ हानि से बच जाता है और उस पर खर्च होने ववा समय और पैसे दोनों की बचत होती है। दूसरा यह की युवा उम्र में नशे के प्रति द्रष्टिकोण बदलने की सम्भावना ज़्यादा होती है।

इसके अतिरिक्त यह संस्थाएं नशे के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाती है उसके द्वारा आमजन अलग-अलग नशे के लक्षण व उससे बचने के तरीकों का ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

नशे की बुराई से लड़ने के लिए हमें सबसे पहले अपना नजरिया बदलना होगा चूँकि यह समस्या हम सभी के घरों पर दस्तक दे रही है हम इसके अनेक पहलुओं से जबतक अनजान रहेंगे यह समस्या बानी रहेगी। हम सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना की नशे से लड़ने की कुंजी इसके प्रति जागरूकता है। हमें इस के बारे में संस्थाएं निशुल्क जानकारी प्रदान करती हैं।

 
समाज में नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्रों की भूमिका2021-02-27T22:25:15+00:00

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)

CBT is psychological intervention in order to improve mental health of the patient. This therapy focuses on challenging and changing thought pattern, attitude and behavior. CBT is originally designed to treat depression. It is widely used to treat addiction.

The individuals struggling with substance is often diagnosed with bi-polar disorder, obsessive compulsive disorder (OCD), and psychotic order. CBT focuses on thinking patterns and emotional behavior responsible for cause of addiction. CBT is effective treatment method for substance abuse.

CBT is action-oriented and problem focused therapy program that benefits

  • CBT helps in identifying behavior patterns and beliefs which lead to self destructing actions.
  • CBT helps the patient in finding and adopting alternate thinking.
  • CBT can be provided in both, individual or group therapy.
  • CBT skills and strategies are practical and can be used in daily life.
  • CBT also helps in dealing with stress triggering situations that may lead to relapse.

CBT is different from traditional therapies. Since therapist and the patient are both actively involved in this, they work together to find solutions in order to achieve recovery of the patient. CBT may require practice or homework for patient outside therapy sessions.

CBT helps in addiction treatment by

  • There is always some presumed beliefs or false beliefs associated with individuals struggling with drugs/alcohol. CBT helps in replacing those beliefs with practical and positive approach for analyzing the cause of that belief.
  • Prolonged addict of any drug/alcohol often seems to have mood swings, some time very intense. CBT provide self-help tools to cope up with mood swings.
  • In general an addict struggles to communicate about his/her feelings with anyone. CBT teaches effective communication skills. This helps the patient in avoiding situations that may lead to consume drugs/alcohol.

COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT) Techniques

These techniques or methods are designed to overcome issues responsible for situations or instances that may lead to desire of taking drugs/alcohol.

  • Thought Records

The general tendency of an addict is negative. There thinking pattern is developed in such way that they will find some excuse to support their taking drugs or drinking. This technique will help in compare those thought with reasonable and balanced thoughts and positive approach to evaluate their thinking.

  • Behavioral Experiments

In this technique the therapist finds out best type of thoughts that are effective in changing behavior patterns. For instance some people responds positively by self-criticism and change their habit or for some people it’s different they respond well by self-kindness. In order to dismiss or change habit of addiction, this experiment is a helpful tool.

  • Imagery Based Exposure

This is a distinct exercise used for the addicts who take drugs/drink because of anxiety. In this exercise the patient thinks of a negative memory that produces anxiety. Patient made to take note of every detail of that memory. By repeating this exercise over time the desire of taking drugs/drink will reduce.

  • Activity Schedule

The primary objective of this exercise is to replace the idle time available time at patients hand with some resourceful and healthy activity. The chances of taking drugs/drink are reduced as by allotting the idle time, which may had been used for something that triggers craving.

CBT is proven to be helpful all over the world in addiction treatment. In addition this not only helps in recovery but also in relapse prevention, as its different exercise can be helpful in avoiding drugs/drink in daily life routine.

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COGNITIVE BEHAVIOR THERAPY (CBT)2021-02-27T22:25:28+00:00

Services Of Rehabilitation Center

The perception of an average educated Indian towards Rehabilitation Center or Addiction Treatment Center is flawed. Generally people use the services of Rehabilitation Center facilities as last resort instead of that it should be considered as first option. The problem lies with the attitude towards drug abuse. I have encountered hundreds of people obscure about drug abuse.The truths regarding drug abuse are not known to large number people generally they are misinformed about the issue terribly.

I have had came across many people who believe in these statements:

Myths

  • Smoking marijuana helps in recreational activities.
  • Marijuana is not addictive.
  • Concentration while driving, studying improves with smoking marijuana.
  • There is a safe limit of alcohol intake.
  • Alcohol helps with digestion of meat products.

Facts

  • It is proven fact that marijuana is highly addictive in nature around the globe.
  • Marijuana does not make you artist.
  • The average reaction time and concentration level increases with smoking marijuana.
  • There is no safe limit of alcohol intake.
  • Alcohol does not help in digestion of meat products.

These are the common myths prevailing among the minds of even educated people of our society. Apart from this, people do not get serious about intoxicating themselves up until they came across serious health issue or accident.

Many of us neglect the signs of addiction in ourselves and as well as of our loved ones. People also have a very careless attitude about the use of illicit substances like hashish, heroin, cocaine, etc People often don’t try to get enough knowledge about these dangerous drugs until someone close to them get affected.

Addiction to these drugs will result not only affect the life of the user but also of his/her family.  The problems accompanied with the drug abuse are more than just health issues. With drug abuse the loss of social stature along with financial troubles will always be associated.

Significance of Services of Rehabilitation Centers in Welfare.

The key for fighting the problem of drug abuse is to identify the signs and symptoms of addiction and to enable the victim to get help from Addiction Treatment Centers or Rehabilitation Centers. As the proverb says “There is no time like the present” it better to avail the services of Rehabilitation Center at first sight of addiction symptoms. In other words if you find any sign of addiction in your family members or loved one consult the service of Rehabilitation Center.

The deceptive zone of addiction needs a methodical and scientific approach for complete recovery of the victim. These centers have all the necessary means to encounter the addiction problem of different substances. Physical treatment for different substances may differ but the complete recovery depends upon total abstinence. The focus of such Rehabilitation or Addiction Treatment Centers is primarily on complete recovery.

An addict might physically regain health through medication and proper diet but there is always a greater possibility of relapse. These center work with specially designed therapies and psychologies to develop mentality of the victim for total abstinence.

This is a problem which gets worse with time however if one can avail the services of Rehabilitation Center in early stage the recovery will be faster.

The recovery process in Rehabilitation Center primarily depends on such factors:

  • The time spent under the influence of drug.
  • Mental condition at the time of admission.
  • Willingness of the victim.
  • Support of the family.

For complete abstinence from the drug mental stability is required along with the physical health. Generally mental condition needs much time to improve (if effected) than physical health.

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Services Of Rehabilitation Center2021-02-27T22:25:35+00:00

Need For Rehabilitation Centers

The need for Rehabilitation Centers is obvious. There cannot be any debate about how the disgrace of drug abuse has influenced our society as from the newspaper to the tabloids; from television to local radio station you can find some piece of information regarding this issue. It’s not a matter that needs any longer debating “whether this problem is poisoning our way of life or not?” Because the bitter truth which is that, this problem has so embedded in our ambiance that one out of the three resident families of this city has been affected by this problem. There is no scale to measure the destruction and apprehension caused by this evil to the lives of victim. From school going teens to well employed person this evil does not spare anyone.

The reason for increase criminal activity.

The heinous crimes committed under the influence of drugs and for the acquiring of drug is more than forty percent of the total crime of the city. One can observe the intensity of road rage, school teens fighting over petty issues, etc. has significantly increased or sometimes these fights lead to killings. The primary reason for this kind of intensity is the not the ego but the influence of illicit drugs which has impaired the ability of thinking things reasonably of some people in our society. Out of total domestic violence and sexual assault case reported to authorities. Substance abuse indulgence is found to be main cause directly or indirectly in eighty percent.

These illicit drugs are making their way to the streets of every city and village. There is a very strict provision of law against contravention of these substances. However, the lure of big profit margin associated in trading of these drugs making this possible. Every addict sooner or later, at some point always face financial crisis because these drugs are expensive. After becoming an addict the body of user tends to develop tolerance for the drug. This means that the user will have to intake more quantity of the drug for the same kind of rush and feeling.

To fulfill their need an addict is a very likely to commit a crime for money like stealing, robbery etc. These addicts are potential candidates to become drug paddler. Drug mafia often uses such addicts in exchange for little quantity of drug.

Number of people who are accused of paddling drugs had confessed that for getting high they had started this gig. Many of the convicts of crime like stealing, burglary, etc. are from descent family backgrounds. Some of the convicts had good jobs and promising careers before they had became addicts. This habit of drug abuse had turned kings into beggars, without any doubt.

In today’s demography, we live in situation that there is urgent requirement of proper institution dedicated towards wellness of the victims of drug abuse. The Rehabilitation Center for Drug Addicts or Addiction Treatment Centers can play very vital role in welfare and improvement in life of victims.

As the dependency on drugs is increases with the time. It certainly becomes important for an addict to have proper medical care for detoxification and also to handle withdrawals. These institution have professionals with experience to handle the situation.

The need for Rehabilitation Centers is important is for the reason that the addict goes through various emotional phases along with regular deterioration of health.

 Which are depends upon the factors:

  • The drug to which individual is addict.
  • Age of patient
  • Duration of addiction.
  • Health loss due to addiction.

These Rehabilitation centers help in recovery from addiction through special programs designed specifically for sole purpose of complete abstinence. The cycle of addiction is very deceptive and vicious. However, with help of trained and experience staff personnel and focused therapies one can find a way. Therefore one must seek the services of rehab to get through the quicksand of addiction to a beautiful life.

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Need For Rehabilitation Centers2021-02-27T22:25:40+00:00
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