Meditation

कैसे पाएं नशे से छुटकारा

क्या आप भी शराब छोड़ना चाहते हैं या नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं पर बार-बार शराब पी लेते हैं, बार-बार आपको नाकामी का सामना करना पड़ता है । अगर आपका जवाब हां है तो ये article आपकी बहुत मदद कर सकता है, और आपकी जो बार-बार नाकाम होती कोशिश है, उसको आप कामयाबी में बदल सकते हैं बस जरूरी है कि आप एकदम इमानदारी से कोशिश करें, और जो मैं आपको बताने वाला हूं उसको पूरी तरह से अमल में लाएं ।

दोस्तों नशा छोड़ने के लिए सबसे जरूरी चीज जो होती है, वो है आपकी मानसिकता । नशा छोड़ने के लिए आप नशा छोड़ते समय किस तरह के गोल्स और प्लान बनाते हैं आप किस तरह की टाइमलाइन सेट करते हैं अपने नशे को छोड़ने के लिए ये जसबसे जरूरी चीज है । और यही सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट इंसान के लिए होना चाहिए कि वो अपने गोल्स को किस तरह से सेट कर रहा है अगर आप long-term की मानसिकता बनाते हैं या जिसको अपन बोलें तो हमेशा के लिए नशा छोड़ने की मानसिकता बनाते हैं कि अब मुझे जिंदगी भर के लिए नशा छोड़ देना है या फिर मुझे अब कभी नशा नहीं करना तो उस इंसान का नशा छोड़ना उतना ही मुश्किल होगा ।

ज्यादातर लोग यही करते हैं कि जब भी नशा छोड़ने के बारे में आपके दिमाग में एक स्ट्रोंग फीलिंग आती है तो आप हर बार की तरह यही सोचते हैं कि हां मैं अब कल से नशा नहीं करूंगा, मैं जीवन भर नशा नहीं करूंगा और यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी होती है । आप इसे दूसरी तरह से सोच सकते हैं आपको पहले ये समझना होगा कि नशा छोड़ने के जो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म एस्पेक्ट हैं उनमें क्या डिफरेंस है और वो हमें किस तरह से फायदा दे सकते हैं इसे आपको समझना जरूरी है । क्योंकि शॉर्ट टर्म गोल्स और लोंग टर्म गोल्स दोनों एक अलग तरह की थिंकिंग हैं अगर आप लोंग-टर्म गोल्स के चक्कर में फंस जाएंगे तो आप समझ लीजिए कि आप कभी भी नशे को छोड़ नहीं पाएंगे।

दोस्तों जब आप नशे के चक्रव्यूह में फंसे हुए होते हैं यानी active addiction में होते हैं तब आप कई बार अपने आप से बोलते हैं कि मैं सच में इस शराब को अपनी जिंदगी निकाल देना चाहता हूँ । मैं इस जहर को अपनी जिंदगी से बाहर कर देना चाहता हूं पर उसी समय आपके मन से एक और आवाज आती है जो आपसे बोलती है कि मैं कैसे बिना शराब के अपनी पूरी जिंदगी को निकाल पाऊँगा, मैं फिर कभी एक भी गिलास शराब का नहीं ले पाऊंगा और ये बहुत ही ज्यादा tension देने वाली सोच होती है । मैं कैसे अपने वेकेशंस को मना पाऊँगा, मैं कैसे अपना बर्थडे सेलिब्रेट करूंगा, मैं कैसे अपने त्योहारों को मनाऊँगा, होली और दिवाली इन सारे त्योहारों को मैं कैसे मनाऊँगा। और भी कई सारे occasion होते हैं जहां पर आपको अल्कोहल की प्रेज़ेन्स हमेशा से मिलती रही है या फिर आपका दिमाग चाहता है या फिर आपने उस तरह से अपने त्योहारों को, अपने सेलिब्रेशंस को मनाया है तो आपका दिमाग हमेशा उसी जगह पर जाता है कि बिना अल्कोहल के मैं उन सारे सेलिब्रेशंस को कैसे मनाऊँगा। मैं कैसे पूरी अपनी जिंदगी बिना शराब के निकाल पाऊंगा । ये सोच आपके लिए बहुत ही डरावनी होती है । इसलिए आप नशा छोड़ने की शुरुआत में बिल्कुल भी इस तरह से ना सोचे और long-term के गोल भी ना बनाएं क्योंकि अगर आप इस तरह से सोचेंगे तो आप बहुत बुरी तरह से अपने फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने लगेंगे । आप ये सोचने लगेंगे कि अगर ऐसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, वैसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, पर सच्चाई तो ये है, कि फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने में हम लोग इतने भी अच्छे नहीं होते, वो तो जब हम उस दौर से गुजरते हैं तभी समझ पाते हैं कि फ़लाँ समय हमनें कैसा बिताया अच्छा या बुरा ।

अगर आप भी नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और इसी तरह का पैनिक माइंडसेट बना रखा है तो ये आपको डरा कर वापस उसी नशे की ओर ले जाएगा इसे छोड़ने का जो आसान रास्ता है वो ये है कि आप अपना माइंडसैट वन डे अट ए टाइम even मोर स्मॉलर then day, वन मोमेंट अट ए टाइम वाला बनाएँ । क्योंकि देखो अगर आपके पास में कोई सब्सटेंस या शराब रखी है तो आपको ये पता होना चाहिए कि आपको उसी मूवमेंट पर फैसला लेना है तुरंत वो डिसीजन लेना है कि आप उस substance को लेंगे या नहीं क्योंकि ये बात साफ है कि जो बीत गया वो आप बदल नहीं सकते और भविष्य का आपको कुछ भी पता नहीं है। तो आपके पास केवल एक ही टाइम फ्रेम है वो है अभी का इसीलिए हमें वनडे एट ए मूवमेंट को फॉलो करना चाहिए ये सबसे कारगर तरीका होता है नशे को छोड़ने के लिए, जिसे अगर आप ईमानदारी से करते हैं तो आप कामयाब जरुर होगे ।

एक और गलती जो आप करते हैं वो ये है कि आप अपने पास्ट के एक्सपीरियंस से अपने फ्यूचर का अनुमान लगाते हैं कि पहले अगर ऐसा हुआ था तो फिर से ऐसा होगा पर ये कोई लॉजिकल बात नहीं है इसमें कोई भी सेंस नहीं है, ये सोच कहीं काम नहीं आती क्योंकि अगर आप ऐसा सोचेंगे कि पहले ऐसा हुआ था तो अब फिर से ऐसा होगा तो आप पहले ही अपनी नाकामी के बारे में सोचने लगेंगे । बल्कि आपको हर उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए सूचना चाहिए जिसे आप जी रहे हैं उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए आपको थैंकफूल होना चाहिए कि अभी मैं सोबर हूं, अभी मेरी बॉडी में अल्कोहल नहीं है मैं सोबर हूं एंड आई एम लविंग it, मुझे ये अच्छा लगता है, मैं इस मूवमेंट को प्यार करता हूं । क्या मैं अगले 10 मिनट बाद सोबर रहूंगा ? क्या मैं कल सोबर रहूंगा ? क्या मैं अपने जन्मदिन पर सोबर रहूंगा ? ये सोचने का मेरा काम नहीं है मुझे नहीं पता। ये कोई तर्क नहीं बनता कि मैं उस समय के बारे में सोचूँ जो मेरे हाथ में नहीं है, इस पर मेरा कोई जोर नहीं है । केवल एक चीज है जो मैं कंट्रोल कर सकता हूं वो है अभी। अभी मैं क्या कर रहा हूं, अभी मैं क्या करूं, अभी मैं नहीं पियूंगा और यही सबसे जरुरी बात है जो मायने रखती है और आपको इसी बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए ।

इसीलिए जब आप शराब या जो भी नशा छोड़ने की कोशिश करते हैं तो शुरुआती 2 से 3 हफ्ते आपके लिए बहुत इंपोर्टेंट होते हैं क्योंकि शुरुआती दो से तीन हफ्तों में जब आप शराब या कोई और नशा छोड़ते हैं तो उस सब्सटेंस में कुछ ऐसी फिजिकल पावर होती है जो कि आपको uncomfortable महसूस करा सकती हैं और इसकी वजह से आप फिर से नशा शुरू कर देते हैं पर दो-तीन हफ्ते के बाद इस शराब या जो भी नशा कर आप करते हैं उसमें कोई ऐसी ताकत नहीं रहती जिसके कारण आप नशा करें अगर आप फिर भी शराब पीते हैं या नशा करते हैं तो इसका पूरा कारण आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति है , आप अपने सबकॉन्शियस माइंड के पहले से सेट पैटर्न पर चल रहे हैं ।

चलो इस बात को और अच्छे से समझते हैं । दोस्तों आप हम में से ज्यादातर लोगों ने खुद को इसी प्रोग्रामिंग में ढाल रखा होता है कि अगर हमें कोई परेशानी होती है या तनाव होता है तो हम शराब पीते हैं और ऐसा हम बार-बार करते हैं । परेशानी आई तो शराब पी ली, दुखा आया तो शराब पी ली, तनाव आया तो शराब पी ली और ये साइकिल चलती रहती है मतलब जैसे ही आपको कोई परेशानी हुई और आपके सबकॉन्शियस माइंड में एक घंटी बजती है “run the alcohol program” क्योंकि आपके सबकॉन्शियस माइंड के पास इतना टाइम नहीं है कि वो हर बार आने वाली समस्या के लिए कोई क्रिएटिव सलूशन निकालने में अपनी एनर्जी बर्बाद करे उदाहरण के लिए अगर हमारा हाथ गर्म तवे पर पड़ जाए तो हम तुरंत रिस्पांस करेंगे, हम जितना जल्दी हो सके अपनी पूरी ताकत और तेजी से अपने हाथ को तवे से दूर करेंगे और ये प्रतिक्रिया कभी भी नहीं बदलती।आप जब भी किसी गर्म चीज पर हाथ रखेंगे तो यही रिस्पांस होगा क्योंकि आप इसके लिए प्रोग्राम्ड हैं और ऐसी ही प्रोग्रामिंग आपने अपने दिमाग में शराब और परेशानी को लेकर कर रखी है इसीलिए आपको अपनी प्रोग्रैमिंग को चेंज करने की जरूरत है । आपको समय देकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए नए तरीके और रास्ते ढूंढने की जरूरत है।

अगर आप भी किसी प्रकार के नशे में फंस गए हैं और लाख कोशिश करने के बाद भी नशा nahi छोड़ पा रहे हैं तो ये article आपकी मदत कर सकता है और अगर आप किसी प्रकार की सलाह या मदत तलाश रहे हैं तो आप हमसे कभी भी contact कर सकते हैं हमारा पता और number आपको website में मिल जाएगा।

कैसे पाएं नशे से छुटकारा2021-08-31T20:22:38+00:00

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

-मुझे मेरे दोस्तों ने गांजा पीला दिया है..
-मैंने पहले कभी नशा नहीं किया..
-अब पांच-छः दिन से मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा बहुत अजीब लग रहा है..
-बातें भूल जा रहा हूँ..
कोई उपाय बताओ जिससे मैं ठीक हो जाऊ।

अगर आपको भी आपके दोस्तों ने धोखे से गांजा पिला दिया है या आपने ही जान कर ये गलती की है और अब ऐसी ही परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो इन कुछ उपायों से आप इस नशे को उतार सकते हैं
1.पहला खट्टी चीजें खाना जैसे नीबू , इमली , दही , छाछ , कैरी जैसी चीजों को खान। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स नशे को कम कर देते हैं।
2.दूसरा काली मिर्च के 3-4 दाने खाने से गाँजे का नशा काफ़ी हद तक कम हो जाता है । ऐसा इस लिए होता है क्यूँकि दोनो के पौधे समान टैरापाइड प्रोफ़ायल के होते हैं ।
3.तीसरा सरसों के तेल को हल्का गुनगुना करके तेल कि दो-दो बून्द कान में डाल कर लेट जाए।
4.चौथा ठन्डे पानी से दिन में दो-तीन बार नहाना, ऐसा करने से नशा बहोत जल्दी उतार जाएगा और दिमाग़ भी शांत होगा । और आखरी काम जो करना है वो ये कि लम्बी-गहरी नींद लें। इस बारे में ज्यादा सोचें नहीं कि गांजा आपके दिमाग पर हावी हो रहा है या इस तरह के ख्याल मन में न लाएं कि आप पागल हो जाएंगे।

इन उपायों को करने से आपको काफी हद तक  नार्मल फील होने लगेगा । अगर 8-10 दिन निकलने के बाद भी आपको ऐसा लगता है कि आपको परेशानी हो रही है तो साइकेट्रिस्ट से जाकर सलाह जरूर लें।

आपके लिए ये भी जानना जरुरी है

गाँजा पीने से हमारे ब्रेन के फंक्शन प्रभावित होते हैं. जैसे कि शॉर्ट-टर्म मेमोरी, चीजों में सही तालमेल ना बिठा पाना, पढ़ने लिखने में परेशानी, पीने वाले का टाइम पर्सेप्शन बिगड़ जाता है. ये सब इफेक्ट्स हर किसी के लिए अलग-अलग होते हैं । गाँजे में मौजूद THC धीरे धीरे असर करना शुरू करता है इसीलिए अधिकतर जो लोग इसका नशा नहीं करते वो अनजाने में ज़्यादा गाँजा पी लेते हैं और जब ये हिट करना शुरू करता है तो पता चलता है की ये तो समस्या बन गया ।

लेकिन ये सब तो गाँजा फूंकने के दौरान होता है. यानी शॉर्ट-टर्म इफेक्ट्स हैं। यदि आप लम्बे समय तक वीड या गांजा पीते रहेंगे तो आपको साँस का रोग हो सकता है। कम उम्र में गांजे सेवन करने वालों का ब्रेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. जब तक हम 20 साल के नहीं होते, हमारा दिमाग़ पूरी तरह डेवेलप नहीं होता. कई स्टडीज़ में पाया गया है कि टीन-एज यानी किशोर अवस्था में गांजा फूंकने वालों की कॉग्निटिव एबिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है. इसका अत्यधिक सेवन करने से इस पर निर्भरता बढ़ती है. यानी इसके बिना रहना अजीब लगता है और गांजा साइकोसिस यानि मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर भी डेवलप हो सकता है।

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें2021-06-26T11:09:38+00:00

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की लत किसी व्यक्ति या उसके परिवार के लिये किस हद तक कष्टदायक हो सकती है, ये बात  उन परिवारों से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता जिनके परिवारों में इस बीमारी के कारण किसी को अपनी जान गवानी पड़ी हो या उस शराबी व्यक्ति के परिवार ने उससे मुंह मोड़ लिया हो। ये समय उसके परिवार लिए किसी श्राप से कम नहीं होता। नशे की लत में पड़ा व्यक्ति शायद ही कभी इस आदत को छोड़ने के बारे में सोच पाता होगा, मगर उसका परिवार हर मुमकिन कोशिश करता है की किसी तरीके से उसकी नशे की आदत छूट जाए। ऐसे व्यक्ति के लिए नशे में रहना समय के साथ एक साधारण बात हो जाती है। वह व्यक्ति जैसे – जैसे नशे को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल करता जाता है, वैसे – वैसे उसे हर रोज नशा करने की आदत पड़ती जाती है।   

बचपन में हमारे माता – पिता हमारी सेहत का ध्यान रखते हैं, जब हम बीमार पड़ते हैं तो हमें डॉक्टर के पास ले जाते हैं। मगर जब हम बड़े हो जाते हैं, और नौकरी या पढ़ाई करने घर से निकल कर बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं तो हमारे माँ – बाप हम पर भरोसा करते हैं कि हम अपना ध्यान खुद रख सकते हैं। मगर बाहर की दुनिया हमारी घर की चार दीवारों जितनी सुरक्षित नहीं होती, हमें बाहर अलग विचारों और अलग रहन-सहन वाले लोगों से मिलना पड़ता है, बात-चीत करनी पड़ती है और उनके साथ एक घर में रहना भी पड़ता है। जब आप किसी ऐसे माहौल में रहने लगते हैं जहां शराब, सिगरेट रोज का काम हो तो खुद को इन चीजों से दूर रख पाना एक कठिन काम है। हमारे दोस्त या ऑफिस के साथी कभी ना कभी शराब का ग्लास या सिगरेट पकड़ा ही देते हैं और इसके बाद कुछ लोग इसे आदत बना लेते हैं और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते।   

आप नहीं जान पाते की कब नशा आपकी लत बन गया, और आप अपना सारा गुस्सा, दुख, दर्द यहाँ तक की खुशी का साथी शराब को बना लेते हैं। नशे का सेवन हमने अपनी संस्कृति  में अक्सर होते देखा है। भगवान शिव की ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जहां वह एक चिलम हाथ में लिए भांग या गाँजा पी रहे होते हैं। भारत में कई जगह ऐसे मंदिर हैं जहां भैरव की मूर्तियों पर शराब चढ़ाई जाती है। हमारी युवा पीढ़ी कहीं ना कहीं इन तथ्यों का इस्तेमाल अपने नशे की आदत को सही साबित करने के लिए करती है।   

फिर जीवन इसी तरह से आगे बढ़ता रहता है, और उसी के साथ आपके दोस्त भी आपसे आगे बढ़ जाते हैं मगर आप वहीं रह जाते हैं, आप अपनी नशे की लत को नहीं छोड़ पाते। कहते हैं कि अकेलापन इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए आप शराब या और दूसरे नशों पर निर्भर हो जाते हैं। आपका शरीर आपको समय – समय पर चेतावनी भी देता है, कुछ लोगों लीवर में परेशानी होने लगती है, भूख नहीं लगती और कई व्यक्तियों को बिना शराब पिये नींद नहीं आती, मगर आप हर बार इन चीजों की अनदेखी कर देते हैं। शराब की लत इतनी प्रबल होती है की आप अपनी शरीर की बिगड़ती हालत को समझ ही नहीं पाते। 

आपका परिवार आपकी मदद करने की कोशिश करता है, मगर सिवाय मानसिक उत्पीड़न के उसे कुछ हासिल नहीं होता। आपको लगता है की आपके मन की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता मगर ऐसा नहीं है। अगर आप किसी मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं तो आपको इस बारे में बात करनी चाहिए, काउंसलिंग के जरिए आप अपनी मन की उलझनों को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं। नशा आपकी उस परेशानी को कुछ देर के लिए कम तो कर सकता है मगर खत्म नहीं कर सकता।

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें2021-06-22T10:07:25+00:00

शराब नशा मुक्ति

नशे के आदी किसी व्यक्ति के पीने की आदत को बदलना आसान काम नहीं होता। मगर, महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित एक स्कूल के छत्रों ने पूरे गाँव को नाशमुक्त कर दिखाया। इस स्कूल ने तंबाकू और शराब का सेवन कर नशा करने वाले लोगों को नशे से मुक्ति दिलाई। यहां के छोटे बच्चों ने सिर्फ दो साल में हजारों लोगों की सोच बदल दी। वहाँ के शिक्षकों ने बताया कि यह मुलवर्धन का परिणाम है, जो एक स्कूल-आधारित मूल्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे शांतिलाल मुत्था फाउंडेशन (एक गैर-लाभकारी संस्था) द्वारा जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिकों का पोषण करने के लिए शुरू किया गया है।

नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।

शराब नशा मुक्ति, nasha mukti kendra bhopal

 

शराब नशा मुक्ति2021-02-27T22:20:25+00:00

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!

आज हम बात करेंगे उन 5 गलतीयों के बारे में जो शराब छोड़ते समय लगभग हर आदमी करता है। अगर पूरी 5 नहीं करता तो 2-3 तो जरुर करता है यहाँ हम ये इसलिये डिसकस कर रहें है क्योंकि इनमें से ही एक रिलेप्स का कारण बनती हैं। तो ये जरुरी हो जाता है की जब हम ऐफर्ट लगा रहे हैं वो सही डॉयरेक्शन में जाये।

  • जब आप शराब छोड़ते हैं तब आपको एहसास होता है की दिन कितना बड़ा है। क्योंकि जब आप रेग्युलरली पी रहे होते हैं तो आपके पूरे दिन की सायकल सिर्फ और सिर्फ शराब के इर्द-गिर्द घूम रही होती है। इसलिये शराब छोड़ने के बाद जो आपके पास खाली समय बचेगा उसे किसी भी कंसट्रक्टीव काम से भरने की तैयारी कर लें।
  • जब आप पीते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि आपके बहुत सारे दोस्त हैं। पर हकीकत में सिर्फ ड्रिंकिग बडीस होते हैं इसलिये उसी ग्रुप में लौट कर बैठना भले ही आप के हाथ में कोक हो एक बेवकुफी है क्योंकि शराब आपको अट्रेक्ट करेगी और आप मिजरेबल फील करेंगे। इसलिये ये बहुत जरुरी है कि जब आप ऐसी जगहों और दोस्तों को अवोइड करें।
  • एक और गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं कि शराब छोड़ने को बहुत इम्पारटेन्स देना। वे लोग अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि 24 घंटे उनके दिमाग में शराब घूमती रहती है। खासकर उन लोगों को इसको इतना बड़ा ईशु नहीं बनाना चाहिये जो फिजिकली अल्कोहोल पर डिपेंडेंट नहीं है।(एक दो उदाहरण और जोड़ दें)
  • आपके साथ एक बात और होगी की जैसे आप शराब छोड़ देंगे आप इरिटेट फील करेंगे आप को बहुत सारी बातों में प्रॉबलम नजर आने लगेगी। हो सकता है कि आप अपने आस पास के लोगों के साथ ज्यादा बहस करें। इन बातों से बिलकुल परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि सारी चीजें वैसी की वैसी है दरअसल हुआ ये है कि आप शराब छोड़ने के बाद ज्यादा सजग हो गये हैं आप ये सारी बातें नोटिस करने लगते हैं जो पहले शराब के पीछे छुप जाती थी।
  • सबसे इम्पॉरटेंट बात ये की ये उम्मीद बिलकुल न रखें की सारी चीजें जो शराब की वजह से खराब हो गई थी वो ओवरनाईट ठीक हो जायेंगी। हर इंडिविजुवल अलग होता है और सबकी अलग कहानी होती है इसलिये चीजें बेहतर तो होंगी ये बात तो श्योर है पर इसकी कोई फिक्स टाईम लिमिट नहीं लगा सकते। आप इसको इस तरह से भी सोच सकते हैं की शराब पीने सेल्फ अब्युज आपने सालों तक किया और छोड़ने पर पॉजिटिव रिजल्ट आने में कुछ तो टाईम लगेगा। इसलिये पेशंस बहुत इम्पॉरटेंट एसपेक्ट है। 

 

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!2021-02-27T22:20:51+00:00

withdrawal management

यहाँ हम बात करेंगे उस शारिरिक अवस्था की जो होना लगभग तय है जब आप शराब या कोई दुसरा सुखा नशा जैसे स्मैक, हेरोइन आदि एकदम से छोड़ते हैं तो आपकी तबियत बिगड़ने लगती है, आपको बैचेनी, घबराहट, नींद न आना, भूख न लगना जैसी प्रॉबलम का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि आपका शरीर शराब या जो भी नशा आप करते हैं उसका अभ्यस्त/habitual हो चुका होता है इसलिये जब वो ड्रग बॉडी के सिस्टम में नहीं पहुँचता तो हमारा शरीर इस प्रकार से रियेक्ट करता है।

जब आप शराब या कोई भी नशा छोड़ते हैं तो विथड्रॉवल आना स्वाभाविक होता है। खासकर शुरुआत के 7 से 10 दिन तकलीफ देने वाले हो सकते हैं लेकिन इसके बाद शरीर नॉर्मल होने लगता है।

तो चलिये यहां हम कुछ तरीके जानेगें जो आपको विथड्रॉवलस् को हैंडल करने में मददगार रहेंगे।

  • पहले तो आप कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की और सुबह उठकर हल्के गर्म पानी में नींबु डालकर पीना भी फायदेमंद रहेगा। इस पिरियड में तरल पदार्थ/liquid intake ज्यादा से ज्यादा लें जैसे फ्रुट जुस, मिल्कशेक पर सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन बिलकुल न करें।
  • जितना हो सके हल्का खाना खायें कम तेल मिर्च का। विटामिन, आयरन, पोटेशियम युक्त फलों का सेवन करें।
  • क्रेविंग कम करने के लिये दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से नहायें। ऐसा करने से आपका शरीर से शराब की फिजिकल क्रेविंग कम होगी।
  • विथड्रॉवल के दौरान अपने डेली रुटीन में हल्की एक्सरसाइज और योगा को शामिल करना बहुत जरुरी होता है। इससे आपको नींद आने में मदद मिलेगी। योगा के साथ प्राणायाम भी करना क्रेविंगस् को कम करता है।
  • कोशिश करें धूप मे बैठने की क्योंकि विटामिन डी का इससे अच्छा कोई सोर्स नहीं होता साथ ही धूप लेने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।
  • अगर इस दौरान आपकी नींद नहीं आती और शरीर में दर्द होता है तो आप डॉक्टर से कन्सल्ट कर सेडेटिव और पेन किलर ले सकते हैं।

अल्कोहोल, स्मैक, अफीम आदि के विथड्रावल कई बार बहुत ही ज्यादा सिवीयर भी हो जाते हैं। जैसे हैलुसिनेशन में चले जाना या अपना आपा खो देना, ब्राउन शुगर/स्मैक के विथड्रॉवलस् में सीज़रस् भी आ सकते हैं इसलिये ऐसी कंडिशन में डीटॉक्स के लिये रीहैब या हास्पिटल का तुरंत मदद लें क्योंकि इस तरह की कंडिशन घातक हो सकती है। इसके साथ ही कई केसेस में आई.वी का भी इस्तेमाल करना पड़ सकता है जो की घर पर पॉसिबल नहीं हो पाता।

यहां पर मैं आपको कहना चाहता हुँ की आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें और किसी भी सिवीयर कंडिशन का इलाज खुद से करने की जरा भी कोशिश न करें।

लंबे समय से चले आ रहे एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिये हमे थोड़ी तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी, इसका कोई शार्टकट नहीं है पर यहां मैं एक बात तो गारंटी के साथ आपसे कह सकता हुँ की अगर इस लॉकडाउन में आप थोडी तकलीफ उठा कर नशे के भंवर से निकल गये तो पूरी लाइफ आजादी से रहेंगे।

withdrawal management2021-02-27T22:22:35+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

सामान्य तौर पर नशा करने वाले व्यक्ति से ज्यादा परेशान उनके परिवार के सदस्य होते हैं क्योंकि ये स्वभाविक है कि हम किसी अपने को नशे के गर्त में जाते हुये नहीं देख सकते। एक नशे का आदि हो चुका व्यक्ति को बिना किसी की सहायता के नशा छोड़ने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही हमें ये समझना होगा की नशा कई प्रकार के पदार्थों का होता है और उनका असर भी हमारे शरीर पर अलग-अलग तरह का बोता है। हम नशे के आदि हो चुके व्यक्ति को बिमार होने पर य़ा ओवरडोज़ हो जाने पर क्लीनिक या अस्पताल में भी भर्ती करवाते हैं। वहाँ से ठीक होने पर मरीज कुछ समय बाद अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाता है जिसमें नशा करना भी शामिल होता है।

हम अपने आप को या अपने परिवार के किसी सदस्य को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। ये एक बिमारी है जिसका सही तरीके से उपचार आवश्यक है। नशे की लत की बिमारी का नशा मुक्ति केंद्र में उपचार थोड़ा मुश्किल और लंबा हो सकता है पर यह सबसे कारगर माध्यम है। इसके बहुत सारे कारण हैं। इसको विस्तार से समझने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना होगा की नशे की लत की बिमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है और इससे समाज का कोई भी वर्ग अछुता नहीं है। इस बिमारी का मरीज कोई भी हो सकता है। हमें इसके उपचार के लिये न केवल अपने शरीर पर काम करना पड़ता है बल्कि हमें अपनी मानसिकता और जीवन जीने के ढ़ंग पर भी काम करना होता है। हम और किसी माध्यम से उपचार करते हैं तो उनमें से अधिकांश सिर्फ शरीर पर काम करते हैं, इसी वजह से इनका असर केवल कुछ समय के लिये होता है। हमको ये पता होना चाहिये की नशे का प्रलोभन बहुत ही तीव्र होता है और इसके जाल से बचने के लिये हर नशे के आदि व्यक्ति को मानसिक रुप से तैयार होना होता है।

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कई कारणों से सबसे उत्तम विकल्प है। यहाँ हर मरीज का उपचार उसकी उम्र और नशे का प्रकार देखकर किया जाता है क्योंकि ये दोनो ही बातें उपचार की अवधि और कुछ तरीकों पर असर करती हैं। नशा मुक्ति केंद्र में काम करने वाले सारे लोग और केंद्र द्वारा नियुक्त डॉक्टर एंव काउन्सलर सभी लोग इस काम के प्रति सर्मपित होते हैं।

यह सारी सुविधाऐं हमें एक ही जगह मिल जाती हैं। अधिकांश लोग जो नशा मुक्ति केंद्र द्वारा रखे जाते हैं वो नशाखोरी के भयानक परिणामों से भली-भांती परिचित होते हैं और वो उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे मरीज की मानसिकता को समझते हैं तथा कदम-कदम पर उनकी सुधार में मदद करते हैं। यहाँ पर नियुक्त मनोचिकित्सकों को इस तरह के मरीजों का काफी अनुभव होता है जिससे वो मरीज की अवसाद, बैचेनी आदि मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हाते हैं। बहुत बार ये देखा गया है कि जब मरीज को नशे की शारिरिक तलब खत्म हो जाती है उसके बाद कुछ समय बाद वो फिर उसे याद करने लगता है। तब काउन्सलर उनका नशे के प्रति नजरीया बदलने में सहायक सिध्द होते हैं। यह सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ करते हैं।

इसके अतिरिक्त अगर कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आता है और अपने आप से नशा मुक्ति केंद्र आता है तो ये संस्थाऐं पीड़ित की सहायता करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नशे की लत से संबधित समस्याऐं देश में लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसी स्तिथि में नशा मुक्ति केंद्र में उपचार का विकल्प सबसे सटीक साबित होता है क्योंकि इससे और माध्यमों की अपेक्षा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।    

 

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार2021-02-27T22:24:16+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशे की लत एक बमारी है, यह बात डब्लु.एच.ओ द्वारा प्रमाणित है और इससे उबरने के लिये इसका सही ढ़ंग से इलाज जरुरी है। नशे की लत को सामन्यतः हर व्यक्ति हल्के में लेता है यही दृष्टिकोण बाद में परेशानी का कारण बनता है। नशा चाहे वह किसी भी पदार्थ का क्यों न हो, पदार्थ के सेवन की मात्रा हमेशा बढ़ती है। नशे की लत के इलाज के लिये पीड़ित या पीड़ित का परिवार तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं जैसे कि डॉक्टरों से सलाह, नीम-हकीमो के पास जाना, टोने-टोंटके करना, टी.वी.-रेडीयो के विज्ञापन में दिखाई गई दवाओं का इस्तेमाल करना आदि। इनमें से एक सबसे बेहतर उपाय है कि पीड़ित का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाया जाये।

सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्र इलाज का मकसद न केवल मरीज को कुछ समय के लिये नशा मुक्त करना होता है बल्की इलाज नशे से हमेशा के लिये दूरी बनाये रखने के लिये होता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चरणबद्ध तरीके से होता है।

  • पहला चरण – मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले मरीज का डी-टॉक्स किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज के शरीर मौजूद सारे हानिकारक तत्व को निकाला जाता है। ये चरण सबसे अहम है क्योंकि शरीर से सारे हानिकारक रसायन निकलने के बाद ही शारीरिक तलब (क्रेविंग) खत्म होती है। इसी चरण में विथड्रॉवल आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिये इस दौरान मरीज का केंद्र के स्टाफ द्वारा विषेश ख्याल रखा जाता है।
  • दूसरा चरण – इस चरण में मरीज को केंद्र की दैनिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इसमें योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मीटिंग सेशन इत्यादी गतिविधियां होती हैं। इस चरण से मरीज की शारिरिक ऊर्जा बनी रहती है और इससे मरीज की सोच सकारत्मक बनी रहती है। सकारात्मक सोच का होना इलाज के लिये बहुत जरुरी होता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अपने नशे के साथ बिताये गये समय के कारण नकारात्मक हो जाते हैं। यहां स्टाफ की और अन्य मरीजों के साथ की सहायता से मरीज की जीवन के प्रति उमंग और सकारात्मकता बनी रहती है।
  • तीसरा चरण – इस चरण मनोचिकित्सक और काउन्सलर मरीज का आकलन करते हैं। बहुत से नशे के आदि व्यक्ति अवसाद में और भ्रमित रहते हैं, जिनकी जाँच केंद्र द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक करते है और जरुरत पड़ने पर दवाई देते हैं। वहीं काउन्सलर मरीज को नशा छोड़ने के प्रेरित करते हैं अथवा उनकी समस्याऐं सुलझाते हैं।
  • चौथा चरण – ये चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मरीज की नशा मुक्ति केंद्र से छुट्टी होने से पहले उसे केंद्र के कुछ कार्यों की जम्मेदारीयां दी जाती हैं। इससे मरीज का नशा छोड़ने का हौसला बुलंद होता है और अन्य मरीज उसे देखकर प्रभावित होते हैं।

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों करवाया जाये? यह सबसे बेहतर उपाय इसलिये है क्योंकि यह ज्यादा कारगर साबित होता है। ये केवल शरीर पर काम नहीं करता बल्की ये मानसिक रुप मरीज को नशे से दूर रहने में मदद करता है। इसके अलावा नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सर्मपित सारे प्रोफेशनल एक ही छत के नीचे मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त माहौल का बड़ा अंतर पड़ता है। नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को दूसरे मरीजों को देखकर नशा छोड़ने के लिये प्रेरणा मिलती है इसके विपरीत अस्पताल में केवल डी-टॉक्स की सुविधा होती है वह भी अपेक्षाकृत बहुत मंहगी होती।   

     

 

 

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज2021-02-27T22:24:23+00:00

Procedure of Rehabilitation Centre in India

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Procedure of Rehabilitation Centre in India

We all agree that addiction is sin to our society but we all should know well enough that addiction is deeply rooted in our today’s society. Whether you live in small village, town or in metro city, you can easily notice severe effects due to addiction in peoples life around you. School, colleges, offices, marketplace, etc. you can find addiction’s influence everywhere. It can be easily said that there is no single place in our surroundings left. Addiction is very unique kind of disease in which not only the person with addiction suffers but his or her whole family suffers. First things first, addiction is injurious to our health including that this becomes primary reason for family disputes and wastage of money.

We try millions of ways to get rid of the addiction for ourselves or for our loved ones. One of good options is to choose “Rehab Centre” or “Nasha Mukti Kendra” for treatment of addiction. Let us see through there procedure.

India is a vast country, with people from different sections of society and different environment living in it. Consequently there are different types of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are available throughout the country. The fees of treatment can vary from lakhs of rupees to several thousands. The basic procedures of any genuine Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra are following.

  • Withdrawal Period – we have to understand that starting days of any addict are toughest because addict’s body is used to the substance. In withdrawal period the patient might find it very difficult to follow normal routine. The main withdrawal symptoms are loss of appetite, shivering, insomnia etc. in this period the staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra has to take more care of the patient. If needed, medicines are given to relax the patient in this period. Withdrawal period can be of ten days to a month depending upon type of addiction and consumption of addictive substance.
  • Following Routine – the next step after removal of all withdrawal symptoms is get patient into daily routine of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra. This routine includes yoga, workout, therapies, entertainment, indoor games, timely meals, sharing and meeting sessions. In sharing sessions patients share their addiction related stories with each other and staff. This helps them in getting out of self-guilt while yoga and therapy works on wellness of patient’s mind and body.
  • Psychiatrist Consultation and Counseling – after getting patient into daily routine they go centre’s psychiatrist for consultation. After analysis they are prescribed with medicines only if needed. On the other hand, counselor of the centre takes general and personal sessions with the patients in order to determine the root of the addiction and treat disease of addiction. The counselor also gets in touch with family of the patient for seeking better results. Both of the professional contribute in the treatment and also motivate patients for living sober life.
  • Atmosphere of Rehabilitation Centre – it is one of the prime factors in successful or she might mentally be still in the grasp of addiction. The behavior of the staff and other patients effects on the recovering patient. It becomes essentially important to maintain positivity in each individual being treated at the centre.
  • Responsibility of Patient – this is the last step before discharge. The staff of Rehab Centre or Nasha Mukti Kendra keeps a sharp eye on the improvement of the patient physically as well as mentally. In this last phase the patient is given small responsibilities of the centre like taking heading sharing sessions, dealing with other patients general problems, heading group meetings etc. this gives patient extra confidence to stay sober and also motivates other patients as well.

It has been mentioned earlier, that there are many types of Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra available across the country. It is not necessary that all centre follow same procedure. There are many centre in which they do not treat patient in correct way, to add here some of them use heavy sedatives to keep patient numb over a long period of time in centre. So, while opting for Rehabilitation Centre or Nasha Mukti Kendra for your loved ones or for you always keep in mind to check the reputation and procedure of the institution.

 

Nasha Mukti kendra Bhopal

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Procedure of Rehabilitation Centre in India2021-02-27T22:24:46+00:00

nasha mukti kendra mai kya hota hai

नशा मुक्ति केंद्रों में क्या होता है?

nasha mukti kendra mai kya hota hai, नशा समाज की बुराई है लेकिन ये सच्चाई भी है कि यह हमारे समाज में बहुत अच्छी तरह से जड़ें जमा चुका है। आप छोटे गाँव, कस्बे या किसी महानगर, कहीं भी रहते हों आप को नशे से होने वाले दुष्परिणामों की झलक अपने आस-पास ही देखने को मिल जायेगी। स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, बाजार कोई भी जगह इससे बची नहीं है। ये एक ऐसी बिमारी है जिसमे न केवल एक व्यक्ति बल्की पूरा घर-परिवार तबाह हो जाता है। सर्वप्रथम नशा सेहत के लिये खराब तो होता ही है साथ ही यह पारिवारिक कलह और पैसों की बर्बादी के लिये जिम्मेदार होता है।  

हम अपने लिये, अपने परिवार के सदस्य या जिसको भी हम चाहते हैं उसकी नशे की लत छुड़ाने के लिये लाख जतन करते हैं। उसी में से एक अच्छा विकल्प है “नशा मुक्ति केंद्र” या “रीहैब सेंटर” का चुनाव करना। आइये जानते हैं इनके काम करने का तरीका।

हमारे देश में  कई तरह के नशा मुक्ति केंद्र मौजूद हैं, इनकी महीने की फीस लाखों से लेकर कुछ हजार तक है। सबसे पहले हमे ये समझना होगा की नशा अलग-अलग प्रकार का होता है और समूचे देश में एक तरह की जलवायू नहीं है। आइये जानते हैं उन प्रक्रियाओं को जो सामान्य रूप से सारे प्रमाणित नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर अपनाते हैं।

  • विथड्रॉवल पीरियड – सबसे पहले हें ये समझना होगा कि कोई भी व्यक्ति जो नशे का आदि हो चुका है उसके लिये शुरुआत के दिन कठिन होते हैं। इसकी वजह ये है कि नशा करने वाले व्यक्ति का शरीर नशे के पर्दाथ का अभ्यस्त हो चुका होता है। इसके कारण मरीज को भूख न लगना, शरीर में कंपन, नींद न आना आदि समस्या का सामना करना पड़ता है। विथड्रॉवलपीरियड के दौरान नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर के स्टाफ द्वारा मरीज का पूरा ख्याल रखा जाता है और मरीज को तकलीफ से उबारने के लिये जरुरत के हिसाब से दवाईयां भी दी जाती हैं। यह पिरीयड 1 सप्ताह से लेकर 20-25 दिन तक का हो सकता है, इसकी अवधि नशे के प्रकार और सेवन की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • रुटीन में लाना – जब मरीज के अंदर से विथड्रावल के लक्षण खत्म हो जाते हैं उसके बाद धीरे-धीरे स्टाफ की मदद से मरीज को केंद्र के सामान्य रुटीन में लाया जाता है। इस रुटीन में योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मनोरंजक गतिविधियां, शेयरिंग मीटिंग आदि शामिल होती हैं। शेयरिंग मीटिंग में मरीज अपने नशे से जुड़े अनुभवों को दूसरे साथियों के साथ बांटता है जिससे मरीज का मन हल्का होता है और इस रुटीन की मदद से मरीज के स्वास्थ में सुधार होता है।   
  • मनोचिकित्सक से परामर्श और काउन्सलिंग – मरीज जब पूरी तरह रुटीन में आ जाता है तब केंद्र के मनोचिकित्सक मरीज का आकलन करते हैं। कुछ मरीजों की समस्या के लिये दवाईयां लिखी जाती हैं जो समय अनुसार स्टाफ द्वारा मरीज को दी जाती हैं। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्र के काउन्सलर सामुहिक और व्यक्तिगत क्लाँसेज लेते हैं और मरीज का आकलन करते हैं। काउन्सलर और मनोचिकित्सक समस्याओं को सुलझाने के लिये जरुरत पड़ने पर मरीज के परिवार के भी संपर्क में रहते हैं। साथ ही प्रत्येक मरीज का मनोबल बढ़ाते हैं।
  • केंद्र का वातावरण – नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर में सभी वर्ग के मरीज भर्ती होते हैं इसलिये केंद्र के स्टाफ को इस बात का विषेश ध्यान रखना पड़ता है कि पूरे केंद्र का माहौल और अच्छा बना रहे तथा किसी के व्यवहार से तकलीफ न हो। स्टाफ को इस बात का भी गौर करना होता है कि कोई मरीज दूसरे मरीज पर नकारात्मक प्रभाव तो नहीं डाल रहा है।   
  • मरीज की जिम्मेदारीयां – पूरा स्टाफ हर मरीज की प्रगति पर ध्यान रखता है। जो भी मरीज बेहतर प्रोगरेस दिखाता है उसके हाथ में थोड़ी बहुत केंद्र की जिम्मेदारीयां दी जाती हैं जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और अन्य मरीजों का भी आत्मविश्वास बढ़ता है।

पूरे देश में नशा मुक्ति केंद्र और रीहैब सेंटर खुले हुये हैं। ये जरुरी नहीं की हर नशा मुक्ति केंद्र या रीहैब सेंटर यही तरीका अपनाता हो। कई सेंटर ऐसे भी हैं जिनमे फर्जी या बेढ़ंगे तरीके से काम किया जाता है। इसलिये यह बहुत जरुरी हो जाता है कि आप अपने परिवार के सदस्य के लिये या अपने लिये किसी नशा मुक्ति केंद्र का चुनाव करें तो अच्छी तरह से केंद्र के बारे में जानकारी पता कर लें। नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है, नशा मुक्ति केंद्र में क्या होता है

Nasha Mukti kendra Bhopal

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