भारत में युवाओं और अमीरों की पसंद बनता हुआ MDMA, ECSTASY ड्रग
MDMA 3,4-मिथाइलएनेडियोक्सी-मेथैम्फेटामाइन है, जो उत्तेजक और साइकेडेलिक गुणों वाली (एक अलग ही तरह का मतिभ्रम पैदा करने वाली) एक शक्तिशाली ड्रग है। जिसे एक्सटेसी, E, MD, Molly, Clarity, जैसे स्ट्रीट नामों से जाना जाता है। ये रेव पार्टीस और कॉन्सर्ट में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली ड्रग है। MDMA मस्तिष्क के रसायनों सेरोटोनिन, नोरेपेनेफ्रिन और डोपामाइन के स्राव को बहुत तेजी से बढ़ाने का काम करती है। MDMA आपको खुश और ऊर्जावान महसूस कराती है। यह आपको लोगों के करीब महसूस कराती है और आपको संगीत और चकाचौंध भरा माहौल और अधिक मज़ेदार लगने लगता है। आसान भाषा में कहा जाए तो ये ड्रग्स आपको हर तरह से अच्छा महसूस कराती है और सेक्सुअल इक्छाओं और ताकत को बढ़ाती है इसलिए इसे ड्रग ऑफ़ लव के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। ये ड्रग आमतौर पर टैबलेट और क्रिस्टल के रूप में मिलती है। इसे ओरली लिया जा सकता है, सूंघा जा सकता है, स्मोक किया जा सकता है या इंजेक्शन से भी लिया जा सकता है। आमतौर पर इसका असर होने में लगभग 30 मिनट लगते हैं और शुद्धता और खुराक के आधार पर इसका प्रभाव चार घंटे या उससे अधिक तक रहता है।
NIDA नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्रग एब्यूज के अनुसार इस ड्रग को मूल रूप से 1912 में एक जर्मन दवा कंपनी द्वारा विकसित किया गया था। जो रक्तस्राव को नियंत्रित करने वाली दवाओं को बनाने के लिए एक आधार दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती थी।। 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुवात तक, बिना एफडीए से मंजूरी मिले कुछ मनोचिकित्सक इसका उपयोग करने लगे थे, जो मानते थे कि इससे रोगियों को बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है। इसी दौरान, ये ड्रग जल्द ही अमेरिका और यूरोप की सड़कों पर आ गई। 1985 में, यूनाइटेड स्टेट्स ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) ने MDMA पर एक आपातकालीन प्रतिबंध की घोषणा कर दी I MDMA सिंथेटिक ड्रग्स के एक समूह का हिस्सा है जिसे एम्फ़ैटेमिन-प्रकार उत्तेजक (ATS) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मेथ (मेथैम्फेटामाइन), ये ड्रग्स साइकोस्टिमुलेंट्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ हैं जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने की क्षमता रखते हैं जिससे मूड में सुधार होता है, साथ ही उत्तेजना, उत्साह और सतर्कता के स्तर में भी वृद्धि होती है।
UNODC की 2022 की एक रिपोर्ट (World Drug Report 2022. Booklet 4) के अनुसार एक्सटेसी का उपयोग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा एशिया में किया जाता है जहाँ इसके तक़रीबन 1 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं। देखा गया है कि सामान्य तौर पर युवा वर्ग 20 की उम्र से पहले इस ड्रग का उपयोग शुरू कर देता है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, एमडीएमए और अन्य एम्फ़ैटेमिन-प्रकार के उत्तेजक पदार्थों का उपयोग भारत में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक्स्टसी और इसी तरह की दवाओं (मेथ और इफेड्रिन) के उपयोग में इस वृद्धि के पीछे के मुख्य कारणों में 57% जिज्ञासा (curiosity) और 17% साथियों का प्रभाव (peer influence) शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण में शामिल 93% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने सेक्स से पहले या उसके दौरान एक्स्टसी और इसी तरह की ड्रग्स का उपयोग किया था। इस ड्रग्स का इस्तेमाल करने के कई और कारण भी बताए जाते हैं, जैसे कुछ लोग इसका इस्तेमाल चिंता और तनाव को दूर करके बेहतर महसूस करने के लिए करते हैं, कुछ लोग पार्टिस में एन्जॉय करने के लिए इसका उपयोग करते हैं, तो कुछ लोग अपने संबंधों को और अधिक प्रागण बनाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। भारत में इसे अभी अमीरों के नशे के तौर पर देखा जाता है क्योंकि इसकी कीमत बहुत अधिक होती है और युवाओं में इस ड्रग के इस्तेमाल को एक कूल फैक्टर मन जाता है। हालाँकि मौजूदा हालातों देखा गया है कि जिन अमीर लोगों के माध्यम वर्गीय दोस्त बन रहे हैं वो बड़ी जल्दी इस तरह की जीवन शैली को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं और ऐसे ड्रग्स का उपयोग करने के लिए आकर्षित होते हैं और कम पैसे में ऐसे ड्रग्स को पाने के चक्कर में वो आम तौर पर MDMA में बाथ साल्ट या अन्य हानिकारक सिंथैटिक पदार्थ मिले हुए ड्रग्स का उपयोग करने लगते हैं जिनके प्रभाव काफी घातक हो सकते हैं। कई लोग शराब और गांजे के साथ एक्स्टसी की गोलियाँ लेते हैं जो कि एक जानलेवा संयोजन है जिसकी वजह से कुछ समय पहले एक भारतीय राजनेता की जान भी चली गई थी। मध्यम उपयोग के अन्य दुष्प्रभावों में भूख में कमी, अवसाद, नींद की समस्या और चिंता शामिल हैं। नियमित उपयोग से अधिक स्पष्ट स्वास्थ्य प्रभावों में अनैच्छिक जबड़े की जकड़न, भूख की कमी, खुद से अलगाव (डिपर्सनलाइज़ेशन), अतार्किक या अव्यवस्थित विचार, पैरों में लड़खड़ाहट, घबराहट, कभी गर्मी तो कभी सर्दी लगना, सिरदर्द और मांसपेशियों या जोड़ों में अकड़न शामिल हो सकते हैं।
जहां तक ड्रग के व्यापक नेटवर्क का सवाल है, तो यह वास्तव में एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, क्योंकि एक्स्टसी की टैबलट्स की उनके कॉम्पैक्ट आकार के कारण आसानी से तस्करी की जा सकती है। इनकी बड़ी ही आसानी से सॉफ्ट टॉयज के अंदर, इलेक्ट्रिक आइटम्स के अंदर तस्करी की जा सकती है। UNODC की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे भारत में टेम्परेरी लैब्स में एक्स्टसी कि गोलियों का उत्पादन किया जा रहा है। इंडिया टुडे द्वारा 2016 में की गई एक जाँच के अनुसार, MDMA जैसी पार्टी ड्रग्स भारत में फ़ार्मास्यूटिकल कारखानों में बनाई जा रही हैं। ये फैक्ट्रियाँ पुलिस की नज़रों से बच निकलती हैं, क्योंकि उनके पास वैध दवाएँ बनाने का लाइसेंस है। टेक ट्रांसपेरेंसी प्रोजेक्ट की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टाग्राम दुनिया भर के युवाओं के लिए MDMA के डीलर्स का पता लगाने का एक आसान जरिया जरिया बन गया है। रिपोर्ट बताती है कि कैसे, भले ही हैशटैग MDMA प्रतिबंधित है, फिर भी लोग “#mdmamolly” जैसे शब्दों को उपयोग करते हैं जो Instagram के सुरक्षा फ़िल्टर को बायपास करते हुए उन्हें MDMA के डीलरों या स्कैमर्स तक ले जाते हैं।
एमडीएमए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत एक अनुसूचित ड्रग्स है, जिसका क्रमांक 134 है, जहाँ इसे एक्स्टसी भी कहा जाता है।NDPS एक्ट के अनुसार “10 ग्राम से अधिक एमडीएमए रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल की सजा हो सकती है।” और 0.5 ग्राम से कम सेवन के लिए सजा अधिकतम एक साल होगी। कोई न्यूनतम सजा नहीं है, लेकिन 0.5 से 10 ग्राम एमडीएमए के बीच कुछ भी अधिकतम 10 साल है, अधिनियम के तहत कोई न्यूनतम अवधि निर्धारित नहीं है। अधिनियम के तहत 200,000 रुपये तक का जुर्माना भी निर्धारित है।
MDMA पर निर्भर रोगियों का इलाज और पुनर्वास कार्यक्रम, केस-दर-केस के आधार पर अलग-अलग होता है। वो निर्भर करता है ड्रग्स के इस्तेमाल के तरीके, मात्रा और समय पर कि रोगी कब से इसका उपयोग कर रहा है जबकि कुछ रोगियों को उच्च स्तर की मनोविकृति का अनुभव होता है, जहाँ वे वास्तविकता से संपर्क खो देते हैं, ऐसे में उन्हें मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता होती है।
इलाज के अतरिक्त एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि भारत में MDMA या अन्य मादक पदार्थों को लेकर अधिकतर नैतिकता, वैद्यता और उपयोग करने वाले के आचरण पर ही बात होती है, जबकि हम सबको और सरकार को मिलकर ऐसी नीतियां और स्ट्रक्चर बनाने पर ध्यान देना चाहिए जिससे समाज में जागरूकता फैले, स्वस्थ और खुशनुमा माहौल बने (एक रैट पार्क को तरह), लोग खुले मंच से निराशा और अवसाद पर चर्चा कर सकें और जरुरत पड़ने पर सहायता मांगने से हिचकिचाएं नहीं। क्योंकि एक खुशहाल समाज ही इस तरह के बढ़ते हुए मादक पदार्थों के प्रभाव को कम कर सकता है।
सामर्थ कुमार डण्डौतिया