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भारत में युवाओं और अमीरों की पसंद बनता हुआ MDMA, ECSTASY ड्रग

MDMA 3,4-मिथाइल​एनेडियोक्सी​-मेथैम्फेटामाइन है, जो उत्तेजक और साइकेडेलिक गुणों वाली (एक अलग ही तरह का मतिभ्रम पैदा करने वाली) एक शक्तिशाली ड्रग है। जिसे एक्सटेसी, E, MD, Molly, Clarity, जैसे स्ट्रीट नामों से जाना जाता है। ये रेव पार्टीस और कॉन्सर्ट में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली ड्रग है। MDMA मस्तिष्क के रसायनों सेरोटोनिन, नोरेपेनेफ्रिन और डोपामाइन के स्राव को बहुत तेजी से बढ़ाने का काम करती है। MDMA आपको खुश और ऊर्जावान महसूस कराती है। यह आपको लोगों के करीब महसूस कराती है और आपको संगीत और चकाचौंध भरा माहौल और अधिक मज़ेदार लगने लगता है। आसान भाषा में कहा जाए तो ये ड्रग्स आपको हर तरह से अच्छा महसूस कराती है और सेक्सुअल इक्छाओं और ताकत को बढ़ाती है इसलिए इसे ड्रग ऑफ़ लव के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। ये ड्रग आमतौर पर टैबलेट और क्रिस्टल के रूप में मिलती है। इसे ओरली लिया जा सकता है, सूंघा जा सकता है, स्मोक किया जा सकता है या इंजेक्शन से भी लिया जा सकता है। आमतौर पर इसका असर होने में लगभग 30 मिनट लगते हैं और शुद्धता और खुराक के आधार पर इसका प्रभाव चार घंटे या उससे अधिक तक रहता है।

NIDA नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्रग एब्यूज के अनुसार इस ड्रग को मूल रूप से 1912 में एक जर्मन दवा कंपनी द्वारा विकसित किया गया था। जो रक्तस्राव को नियंत्रित करने वाली दवाओं को बनाने के लिए एक आधार दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती थी।। 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुवात तक, बिना एफडीए से मंजूरी मिले कुछ मनोचिकित्सक इसका उपयोग करने लगे थे, जो मानते थे कि इससे रोगियों को बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है। इसी दौरान, ये ड्रग जल्द ही अमेरिका और यूरोप की सड़कों पर आ गई। 1985 में, यूनाइटेड स्टेट्स ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) ने MDMA पर एक आपातकालीन प्रतिबंध की घोषणा कर दी I MDMA सिंथेटिक ड्रग्स के एक समूह का हिस्सा है जिसे एम्फ़ैटेमिन-प्रकार उत्तेजक (ATS) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मेथ (मेथैम्फेटामाइन), ये ड्रग्स साइकोस्टिमुलेंट्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ हैं जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने की क्षमता रखते हैं जिससे मूड में सुधार होता है, साथ ही उत्तेजना, उत्साह और सतर्कता के स्तर में भी वृद्धि होती है।

UNODC की 2022 की एक रिपोर्ट (World Drug Report 2022. Booklet 4) के अनुसार एक्सटेसी का उपयोग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा एशिया में किया जाता है जहाँ इसके तक़रीबन 1 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं। देखा गया है कि सामान्य तौर पर युवा वर्ग 20 की उम्र से पहले इस ड्रग का उपयोग शुरू कर देता है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, एमडीएमए और अन्य एम्फ़ैटेमिन-प्रकार के उत्तेजक पदार्थों का उपयोग भारत में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक्स्टसी और इसी तरह की दवाओं (मेथ और इफेड्रिन) के उपयोग में इस वृद्धि के पीछे के मुख्य कारणों में 57% जिज्ञासा (curiosity) और 17% साथियों का प्रभाव (peer influence) शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण में शामिल 93% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने सेक्स से पहले या उसके दौरान एक्स्टसी और इसी तरह की ड्रग्स का उपयोग किया था। इस ड्रग्स का इस्तेमाल करने के कई और कारण भी बताए जाते हैं, जैसे कुछ लोग इसका इस्तेमाल चिंता और तनाव को दूर करके बेहतर महसूस करने के लिए करते हैं, कुछ लोग पार्टिस में एन्जॉय करने के लिए इसका उपयोग करते हैं, तो कुछ लोग अपने संबंधों को और अधिक प्रागण बनाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। भारत में इसे अभी अमीरों के नशे के तौर पर देखा जाता है क्योंकि इसकी कीमत बहुत अधिक होती है और युवाओं में इस ड्रग के इस्तेमाल को एक कूल फैक्टर मन जाता है। हालाँकि मौजूदा हालातों देखा गया है कि जिन अमीर लोगों के माध्यम वर्गीय दोस्त बन रहे हैं वो बड़ी जल्दी इस तरह की जीवन शैली को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं और ऐसे ड्रग्स का उपयोग करने के लिए आकर्षित होते हैं और कम पैसे में ऐसे ड्रग्स को पाने के चक्कर में वो आम तौर पर MDMA में बाथ साल्ट या अन्य हानिकारक सिंथैटिक पदार्थ मिले हुए ड्रग्स का उपयोग करने लगते हैं जिनके प्रभाव काफी घातक हो सकते हैं। कई लोग शराब और गांजे के साथ एक्स्टसी की गोलियाँ लेते हैं जो कि एक जानलेवा संयोजन है जिसकी वजह से कुछ समय पहले एक भारतीय राजनेता की जान भी चली गई थी। मध्यम उपयोग के अन्य दुष्प्रभावों में भूख में कमी, अवसाद, नींद की समस्या और चिंता शामिल हैं। नियमित उपयोग से अधिक स्पष्ट स्वास्थ्य प्रभावों में अनैच्छिक जबड़े की जकड़न, भूख की कमी, खुद से अलगाव (डिपर्सनलाइज़ेशन), अतार्किक या अव्यवस्थित विचार, पैरों में लड़खड़ाहट, घबराहट, कभी गर्मी तो कभी सर्दी लगना, सिरदर्द और मांसपेशियों या जोड़ों में अकड़न शामिल हो सकते हैं।

जहां तक ​​ड्रग के व्यापक नेटवर्क का सवाल है, तो यह वास्तव में एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, क्योंकि एक्स्टसी की टैबलट्स की उनके कॉम्पैक्ट आकार के कारण आसानी से तस्करी की जा सकती है। इनकी बड़ी ही आसानी से सॉफ्ट टॉयज के अंदर, इलेक्ट्रिक आइटम्स के अंदर तस्करी की जा सकती है। UNODC की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे भारत में टेम्परेरी लैब्स में एक्स्टसी कि गोलियों का उत्पादन किया जा रहा है। इंडिया टुडे द्वारा 2016 में की गई एक जाँच के अनुसार, MDMA जैसी पार्टी ड्रग्स भारत में फ़ार्मास्यूटिकल कारखानों में बनाई जा रही हैं। ये फैक्ट्रियाँ पुलिस की नज़रों से बच निकलती हैं, क्योंकि उनके पास वैध दवाएँ बनाने का लाइसेंस है। टेक ट्रांसपेरेंसी प्रोजेक्ट की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टाग्राम दुनिया भर के युवाओं के लिए MDMA के डीलर्स का पता लगाने का एक आसान जरिया जरिया बन गया है। रिपोर्ट बताती है कि कैसे, भले ही हैशटैग MDMA प्रतिबंधित है, फिर भी लोग “#mdmamolly” जैसे शब्दों को उपयोग करते हैं जो Instagram के सुरक्षा फ़िल्टर को बायपास करते हुए उन्हें MDMA के डीलरों या स्कैमर्स तक ले जाते हैं।

एमडीएमए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत एक अनुसूचित ड्रग्स है, जिसका क्रमांक 134 है, जहाँ इसे एक्स्टसी भी कहा जाता है।NDPS एक्ट के अनुसार “10 ग्राम से अधिक एमडीएमए रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल की सजा हो सकती है।” और 0.5 ग्राम से कम सेवन के लिए सजा अधिकतम एक साल होगी। कोई न्यूनतम सजा नहीं है, लेकिन 0.5 से 10 ग्राम एमडीएमए के बीच कुछ भी अधिकतम 10 साल है, अधिनियम के तहत कोई न्यूनतम अवधि निर्धारित नहीं है। अधिनियम के तहत 200,000 रुपये तक का जुर्माना भी निर्धारित है।

MDMA पर निर्भर रोगियों का इलाज और पुनर्वास कार्यक्रम, केस-दर-केस के आधार पर अलग-अलग होता है। वो निर्भर करता है ड्रग्स के इस्तेमाल के तरीके, मात्रा और समय पर कि रोगी कब से इसका उपयोग कर रहा है जबकि कुछ रोगियों को उच्च स्तर की मनोविकृति का अनुभव होता है, जहाँ वे वास्तविकता से संपर्क खो देते हैं, ऐसे में उन्हें मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता होती है।

इलाज के अतरिक्त एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि भारत में MDMA या अन्य मादक पदार्थों को लेकर अधिकतर नैतिकता, वैद्यता और उपयोग करने वाले के आचरण पर ही बात होती है, जबकि हम सबको और सरकार को मिलकर ऐसी नीतियां और स्ट्रक्चर बनाने पर ध्यान देना चाहिए जिससे समाज में जागरूकता फैले, स्वस्थ और खुशनुमा माहौल बने (एक रैट पार्क को तरह), लोग खुले मंच से निराशा और अवसाद पर चर्चा कर सकें और जरुरत पड़ने पर सहायता मांगने से हिचकिचाएं नहीं। क्योंकि एक खुशहाल समाज ही इस तरह के बढ़ते हुए मादक पदार्थों के प्रभाव को कम कर सकता है।

 

सामर्थ कुमार डण्डौतिया

भारत में युवाओं और अमीरों की पसंद बनता हुआ MDMA, ECSTASY ड्रग2024-10-07T23:50:04+00:00

नशा छोड़ने पर क्या होता है?

नशा छोड़ना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण यात्रा हो सकती है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। नशे की लत केवल एक बुरी आदत नहीं है; यह एक जटिल मानसिक और शारीरिक समस्या है। जब कोई व्यक्ति नशे से छुटकारा पाने की कोशिश करता है, तो उसे कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक प्रभावों का सामना करना पड़ता है। इन प्रभावों में से कुछ तात्कालिक और अस्थायी होते हैं, जबकि कुछ दीर्घकालिक होते हैं जो जीवनभर व्यक्ति के साथ रह सकते हैं।

इस ब्लॉग में, हम नशा छोड़ने के बाद होने वाले विभिन्न शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक प्रभावों पर गहराई से चर्चा करेंगे। यह ब्लॉग उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है जो नशा छोड़ने की योजना बना रहे हैं या पहले से इस प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।

नशा क्या है और इसका शरीर पर प्रभाव

नशा एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति किसी नशीले पदार्थ के सेवन का आदी हो जाता है और उसे नियमित रूप से लेना शुरू कर देता है। यह नशीला पदार्थ शराब, तंबाकू, ड्रग्स, या किसी अन्य केमिकल के रूप में हो सकता है। इन पदार्थों का सेवन व्यक्ति के मस्तिष्क के रसायनों और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे शरीर और मस्तिष्क दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

नशे के परिणामस्वरूप शरीर में निम्नलिखित प्रभाव होते हैं:

  • शारीरिक निर्भरता: शरीर को नशीले पदार्थ की आदत हो जाती है और उसके बिना सामान्य रूप से काम करना मुश्किल हो जाता है।
  • मानसिक निर्भरता: व्यक्ति मानसिक रूप से नशीले पदार्थ के बिना असुरक्षित और असहज महसूस करता है।
  • तंत्रिका तंत्र में बदलाव: मस्तिष्क में डोपामाइन जैसे रसायनों की मात्रा में असंतुलन पैदा होता है, जिससे व्यक्ति को बार-बार नशे की लत महसूस होती है।

नशा छोड़ने के बाद के शारीरिक प्रभाव

जब कोई व्यक्ति नशा छोड़ने का निर्णय लेता है, तो सबसे पहले उसके शरीर को उस नशीले पदार्थ की कमी महसूस होती है, जिससे कई प्रकार के शारीरिक लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस स्थिति को “विदड्रॉवल सिंड्रोम” (Withdrawal Syndrome) कहा जाता है। ये लक्षण नशे के प्रकार और अवधि के अनुसार भिन्न होते हैं।

1. डिटॉक्सिफिकेशन और विदड्रॉवल के शुरुआती लक्षण

डिटॉक्सिफिकेशन नशा छोड़ने की प्रक्रिया का पहला चरण होता है, जिसमें शरीर से नशीले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इस दौरान निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं:

  • कंपकंपी और बेचैनी: शराब और ड्रग्स जैसी चीज़ों के अभाव में शरीर कांपने लगता है और व्यक्ति बेचैनी महसूस करता है।
  • उल्टी और दस्त: शरीर से नशीले पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया के दौरान पेट की समस्याएं आम होती हैं।
  • पसीना आना: शरीर में तनाव और बेचैनी बढ़ने पर पसीना आना सामान्य है।
  • नींद की समस्या: व्यक्ति को नींद आने में कठिनाई हो सकती है या उसे अनिद्रा (Insomnia) हो सकता है।
  • सिरदर्द और शरीर में दर्द: नशा छोड़ने के दौरान सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और अन्य शारीरिक असहजता होती है।

2. दीर्घकालिक शारीरिक प्रभाव

शुरुआती लक्षणों के अलावा, नशा छोड़ने के दीर्घकालिक शारीरिक प्रभाव भी हो सकते हैं:

  • शरीर की ऊर्जा का स्तर: व्यक्ति की ऊर्जा धीरे-धीरे लौटने लगती है, और उसे जीवन के विभिन्न कार्यों में रुचि महसूस होने लगती है।
  • जिगर और अन्य अंगों की कार्यप्रणाली में सुधार: शराब या ड्रग्स के लंबे समय तक सेवन से जिगर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। नशा छोड़ने के बाद इन अंगों की कार्यप्रणाली में सुधार होता है, लेकिन इसमें समय लगता है।
  • वजन में बदलाव: कुछ लोगों में नशा छोड़ने के बाद वजन में बढ़ोतरी हो सकती है, खासकर यदि वे भोजन का उपयोग मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए करने लगते हैं।

नशा छोड़ने के बाद के मानसिक प्रभाव

नशा छोड़ने का मानसिक पहलू शारीरिक प्रभावों से भी अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नशा मस्तिष्क के रसायनों को प्रभावित करता है, इसलिए नशा छोड़ने के बाद मस्तिष्क को सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगता है। इसके परिणामस्वरूप मानसिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

1. अवसाद और चिंता

नशा छोड़ने के शुरुआती दिनों में अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) आम मानसिक लक्षण होते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन छोड़ने के बाद मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर गिर जाता है, जिससे व्यक्ति निराशा, अकेलापन, और उदासी महसूस कर सकता है। चिंता और घबराहट की स्थिति भी बढ़ सकती है क्योंकि व्यक्ति को नशीले पदार्थों की कमी महसूस होती है।

2. मानसिक संघर्ष और इच्छा

शुरुआती चरणों में व्यक्ति को बार-बार नशा करने की इच्छा हो सकती है। मस्तिष्क पुराने पैटर्न को दोहराने की कोशिश करता है, जिससे व्यक्ति को अपने नशे की आदत की ओर लौटने का प्रलोभन महसूस होता है। यह मानसिक संघर्ष बहुत शक्तिशाली हो सकता है, और इसके लिए उचित मानसिक सहायता और परामर्श की आवश्यकता होती है।

3. नींद की समस्या और थकान

नशा छोड़ने के बाद मस्तिष्क को आराम करने में समय लगता है, जिससे व्यक्ति को नींद में समस्या हो सकती है। अनिद्रा, बुरे सपने, और रात में अचानक जागने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या अक्सर तब तक बनी रहती है जब तक कि मस्तिष्क का रसायन संतुलन में न आ जाए।

4. स्मृति और ध्यान में सुधार

शुरुआती मानसिक कठिनाइयों के बाद, नशा छोड़ने से व्यक्ति की स्मृति और ध्यान में सुधार होता है। मस्तिष्क धीरे-धीरे अपनी सामान्य कार्यक्षमता में लौटने लगता है, जिससे व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है और वह पहले से अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।

नशा छोड़ने के बाद सामाजिक प्रभाव

नशा व्यक्ति के सामाजिक जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति को अपने पुराने रिश्तों को सुधारने, नई आदतें विकसित करने, और समाज में पुनः एकीकृत होने की आवश्यकता होती है।

1. परिवारिक संबंधों में सुधार

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति का परिवारिक जीवन भी बदल जाता है। नशे की लत के दौरान परिवार के सदस्यों के साथ तनाव और संघर्ष उत्पन्न होते हैं, लेकिन नशा छोड़ने के बाद इन संबंधों में सुधार हो सकता है। परिवारिक समर्थन और समझ इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. सामाजिक जीवन में बदलाव

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति को अपने सामाजिक जीवन को भी पुनः स्थापित करना पड़ता है। नशीली सामग्री का सेवन करने वाले पुराने मित्रों से दूरी बनाना आवश्यक हो सकता है, और नए स्वस्थ रिश्ते बनाने की कोशिश करनी पड़ती है। यह प्रक्रिया समय ले सकती है, लेकिन यह व्यक्ति को एक नया जीवन जीने में मदद करती है।

3. कार्यक्षमता में सुधार

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति की कार्यक्षमता में भी सुधार होता है। नशे के प्रभाव में व्यक्ति की उत्पादकता और कार्य पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घट जाती है। लेकिन नशा छोड़ने के बाद, उसकी ऊर्जा और ध्यान वापस लौट आते हैं, जिससे वह अपने काम में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

नशा छोड़ने के लिए समर्थन और सहायता

नशा छोड़ना आसान नहीं होता, और इसके लिए सही समर्थन और सहायता की आवश्यकता होती है। इसके लिए कई प्रकार की सेवाएं और संसाधन उपलब्ध होते हैं, जो व्यक्ति को इस कठिन समय से गुजरने में मदद कर सकते हैं।

1. परामर्श और थेरेपी

नशा छोड़ने के बाद परामर्श और मनोचिकित्सा बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। व्यक्तिगत और समूह थेरेपी से व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिलता है, जिससे वह अपने नशे की आदत को छोड़ने और उसे दोबारा न अपनाने के लिए प्रेरित होता है।

2. सपोर्ट ग्रुप

सपोर्ट ग्रुप, जैसे कि अल्कोहलिक्स एनोनिमस (AA) और नार्कोटिक्स एनोनिमस (NA), उन लोगों के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं जो नशे से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं। इन समूहों में व्यक्ति अपने अनुभव साझा कर सकता है और अन्य लोगों से प्रेरणा प्राप्त कर सकता है जो एक ही स्थिति का सामना कर रहे हैं।

3. नशा मुक्ति केंद्र

कई लोग नशा मुक्ति केंद्रों का सहारा लेते हैं, जहां उन्हें नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में उपचार प्रदान किया जाता है। नशा मुक्ति केंद्र में चिकित्सा, परामर्श, और थेरेपी की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो व्यक्ति को नशे से पूरी तरह से छुटकारा पाने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष

नशा छोड़ना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह संभव है। शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक प्रभावों से निपटने के लिए सही समर्थन, परामर्श, और चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

नशा छोड़ने पर क्या होता है?2024-08-22T16:02:29+00:00

Drug Addiction and its Treatment

Drug addiction is a chronic, relapsing condition characterized by the compulsive seeking and use of drugs despite harmful consequences. The widespread prevalence of drug addiction has raised public health concerns globally, creating an urgent need for effective treatment methods. In this blog, we’ll dive into drug addiction, explore the underlying factors, types of treatment approaches, and the latest advancements in addiction care.

What is Drug Addiction?

Drug addiction is a disorder that affects a person’s brain and behavior, leading to an inability to control the use of legal or illegal drugs. People from all walks of life can experience addiction, but the process typically begins with the voluntary act of taking drugs. Over time, a person’s ability to choose not to use the drug weakens, and drug seeking becomes compulsive.

The Science Behind Addiction

Addiction has long been misunderstood as simply a failure of willpower. However, recent research shows that addiction is a complex disease involving the brain’s reward system. When a person uses drugs, chemicals such as dopamine are released, producing feelings of pleasure and euphoria. Repeated drug use alters the brain’s circuitry, weakening areas responsible for decision-making and impulse control, leading to dependency.

Causes of Drug Addiction

  1. Genetic Predisposition: Genetics play a significant role in the risk of developing an addiction. Studies suggest that 40-60% of a person’s vulnerability to addiction is genetic.
  2. Environmental Factors: Family dynamics, exposure to drug use at an early age, peer pressure, and socioeconomic status contribute significantly to drug abuse initiation.
  3. Psychological Factors: Mental health conditions like depression, anxiety, and trauma may drive individuals to use drugs as a form of self-medication.
  4. Social Influences: Cultural attitudes, availability of drugs, and media portrayal of drug use can all normalize drug consumption, leading individuals down the path of addiction.

Commonly Abused Substances

  1. Opioids: Drugs like heroin, morphine, and prescription pain relievers (OxyContin, Vicodin) are part of the opioid epidemic, with misuse leading to significant physical and psychological dependence.
  2. Stimulants: Cocaine, methamphetamine, and prescription drugs such as Adderall or Ritalin can cause long-term effects on brain health and increase the risk of addiction.
  3. Cannabis: Although cannabis is often perceived as less dangerous, it can still cause addiction and lead to cognitive and psychological problems in some users.
  4. Alcohol: Alcohol addiction remains one of the most pervasive forms of addiction worldwide, leading to a range of health complications from liver disease to cognitive impairment.

Recognizing Drug Addiction

Drug addiction often manifests with behavioral, psychological, and physical symptoms. These include:

  • Cravings: An intense desire for the substance.
  • Loss of Control: Inability to stop or reduce drug use despite wanting to.
  • Tolerance: The need to use more of the substance to achieve the same effect.
  • Withdrawal: Physical symptoms when not using the substance, such as nausea, tremors, or anxiety.

Treatment Approaches for Drug Addiction

Treating drug addiction is multifaceted, requiring a combination of medical, psychological, and social interventions. The goal is not just to stop drug use but to help individuals return to a productive life.

  1. Detoxification:
    Detoxification is the first step in treating addiction and involves purging the body of the harmful substances under medical supervision. Withdrawal symptoms can be severe, so it is crucial for individuals to go through detox in a medically safe environment.
  2. Medication-Assisted Treatment (MAT):
    Medications can be used to treat opioid, alcohol, and nicotine addiction. These medications help reduce cravings and withdrawal symptoms, increasing the chances of successful recovery. Common medications include:

    • Methadone: Often used to treat opioid addiction by reducing cravings and withdrawal.
    • Buprenorphine: Provides relief from opioid withdrawal and can prevent relapse.
    • Naltrexone: Blocks the effects of opioids and reduces alcohol cravings.
  3. Behavioral Therapies:
    Behavioral therapy is an essential component of addiction treatment. It aims to change the individual’s behaviors and attitudes toward drug use, increase their life skills, and reinforce the desire for abstinence. Common therapies include:

    • Cognitive-Behavioral Therapy (CBT): Helps individuals identify and change thought patterns that lead to drug abuse.
    • Motivational Interviewing: Engages the individual in treatment by enhancing their intrinsic motivation to change.
    • Contingency Management: Offers tangible rewards for positive behaviors like abstinence.
    • Family Therapy: Focuses on repairing relationships and creating a support system for recovery.
  4. Residential Rehabilitation Programs:
    These programs offer intensive, structured treatment in a live-in facility, allowing individuals to focus entirely on recovery. Residential programs often include group therapy, individual counseling, and life skills training.
  5. Outpatient Programs:
    For those with less severe addictions or who have completed residential treatment, outpatient programs offer flexibility. Patients visit treatment centers while continuing with their day-to-day life, maintaining support through therapy and check-ins.
  6. 12-Step Programs and Peer Support Groups:
    Programs such as Alcoholics Anonymous (AA) and Narcotics Anonymous (NA) use a structured, spiritual framework to help individuals achieve and maintain sobriety. Peer support groups also provide a non-judgmental space for sharing experiences, struggles, and successes in recovery.

Advanced Treatment Options

  1. Holistic Therapies:
    Alternative approaches like yoga, meditation, art therapy, and acupuncture are gaining popularity in drug addiction treatment. These methods aim to heal the mind, body, and spirit and help individuals develop healthier coping mechanisms.
  2. Neurofeedback Therapy:
    Neurofeedback uses real-time monitoring of brain activity to teach individuals how to regulate brain functions. It has been found effective in treating substance use disorders by addressing cognitive and emotional regulation.
  3. Transcranial Magnetic Stimulation (TMS):
    TMS is a non-invasive procedure that uses magnetic fields to stimulate nerve cells in the brain. It is increasingly being used in addiction treatment to help control cravings and improve mood regulation, especially in individuals resistant to other forms of treatment.
  4. Virtual Reality Therapy:
    Virtual reality exposure therapy allows patients to confront triggering environments in a controlled setting, reducing their emotional response and helping them develop better coping strategies.

The Importance of Aftercare

Recovery doesn’t end with the completion of treatment. Aftercare services are crucial for preventing relapse and supporting long-term sobriety. These services may include:

  • Sober Living Homes: Structured, substance-free environments that provide support during the transition back into society.
  • Ongoing Counseling and Therapy: Regular sessions with a therapist or counselor help individuals maintain sobriety by addressing emotional and psychological challenges.
  • Continued Participation in Peer Support Groups: Long-term involvement in support groups provides an ongoing sense of community and accountability.

Challenges in Drug Addiction Treatment

  1. Relapse:
    Relapse is a common part of the recovery process. According to the National Institute on Drug Abuse (NIDA), relapse rates for drug addiction are similar to other chronic diseases, such as diabetes and hypertension, at 40-60%. However, relapse should not be seen as a failure but as an indication that the treatment plan needs adjustment.
  2. Co-occurring Mental Health Disorders:
    Many individuals with substance use disorders also suffer from co-occurring mental health conditions such as depression, anxiety, or post-traumatic stress disorder (PTSD). Treating addiction without addressing these underlying conditions is often ineffective. Integrated treatment approaches that tackle both mental health and addiction concurrently are essential.
  3. Access to Treatment:
    Access to addiction treatment can be challenging due to various barriers, including cost, stigma, and lack of availability. Expanding healthcare coverage, reducing stigma around seeking help, and creating more treatment centers are vital steps in addressing these issues.

The Future of Addiction Treatment

The future of addiction treatment looks promising, with ongoing research and innovation paving the way for more effective, personalized approaches. Some areas of focus include:

  1. Genetic Research:
    By understanding the genetic factors that contribute to addiction, researchers hope to develop targeted therapies and preventative strategies.
  2. Precision Medicine:
    Precision medicine involves tailoring treatment based on an individual’s unique genetic makeup, environment, and lifestyle. This approach is already showing promise in the field of addiction treatment.
  3. Telemedicine:
    The rise of telemedicine offers new opportunities for addiction treatment, especially for those living in rural or underserved areas. Online counseling, virtual support groups, and remote monitoring tools make treatment more accessible and flexible.
  4. Public Policy and Harm Reduction:
    Increasing support for harm reduction strategies, such as needle exchange programs and supervised injection sites, could reduce the public health impact of addiction while guiding individuals toward treatment.

Conclusion

Drug addiction is a multifaceted disease that requires a comprehensive, individualized approach to treatment. From detoxification to therapy, medication, and holistic care, various interventions are necessary to address the physical, psychological, and social aspects of addiction. Continued research and advancements in the field promise to improve outcomes for those struggling with addiction, ultimately offering hope for recovery and a better quality of life.

Recovery is not a straight path, but with the right support, resources, and determination, it is possible. Education and awareness remain crucial to reducing the stigma surrounding addiction and ensuring that more people have access to the help they need. Whether through residential rehabilitation, outpatient services, peer support, or emerging treatments, the ultimate goal is to empower individuals to regain control of their lives and thrive in recovery.

Drug Addiction and its Treatment2024-08-22T15:58:32+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में कितना खर्च आता है?

आज की दुनिया में नशा एक गंभीर समस्या बन चुकी है। चाहे वह शराब हो, ड्रग्स हो या फिर अन्य किसी प्रकार का नशा, इनसे न केवल व्यक्ति की सेहत को हानि पहुंचती है, बल्कि समाज और परिवार पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नशे की लत छोड़ना आसान नहीं होता, और इसके लिए एक व्यवस्थित उपचार की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि नशा मुक्ति केंद्र (Rehabilitation Centers) का महत्व बढ़ता जा रहा है। लेकिन एक आम सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है, वह है – नशा मुक्ति केंद्र में कितना खर्च आता है?

इस ब्लॉग में, हम नशा मुक्ति केंद्रों की सेवाओं, उपचार की प्रक्रियाओं, और विभिन्न प्रकार के केंद्रों के आधार पर होने वाले खर्च की जानकारी देंगे। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आप या आपका कोई प्रियजन किस प्रकार के नशा मुक्ति केंद्र का चयन कर सकते हैं, और इसके लिए कितना बजट निर्धारित करना चाहिए।

नशा मुक्ति केंद्र क्या है?

नशा मुक्ति केंद्र वह स्थान है जहां नशे की लत से ग्रसित व्यक्ति को उचित चिकित्सा, मानसिक सहायता और परामर्श प्रदान किया जाता है ताकि वह अपनी लत से छुटकारा पा सके और सामान्य जीवन जीने की ओर लौट सके। इन केंद्रों में एक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण प्रदान किया जाता है जहां व्यक्ति को उसके नशे की आदत से दूर रहने में मदद मिलती है।

नशा मुक्ति केंद्र में कौन-कौन सी सेवाएं मिलती हैं?

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार की प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित होती है। ये सेवाएं निम्नलिखित हो सकती हैं:

  1. डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification):
    यह नशा मुक्ति की सबसे पहली प्रक्रिया होती है, जिसमें व्यक्ति के शरीर से नशीले पदार्थों को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इसे चिकित्सकीय देखरेख में किया जाता है। इस चरण में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
  2. परामर्श और मनोचिकित्सा:
    नशे की लत के पीछे अक्सर मानसिक और भावनात्मक कारण होते हैं। इन कारणों को समझने और उनका समाधान करने के लिए मनोचिकित्सकों द्वारा परामर्श प्रदान किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत परामर्श, समूह थैरेपी और परिवार थैरेपी शामिल हो सकती हैं।
  3. व्यवहारिक उपचार (Behavioral Therapy):
    इस उपचार में व्यक्ति के व्यवहार और सोचने के तरीके में परिवर्तन लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें व्यक्ति को नशे से दूर रहने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की शिक्षा दी जाती है।
  4. दवाओं का उपयोग:
    कुछ मामलों में नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। जैसे कि शराब या ओपिओइड्स की लत से छुटकारा पाने के लिए दवाएं दी जाती हैं, जो व्यक्ति की लत को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
  5. जीवनशैली में बदलाव:
    व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है, जिसमें सही खान-पान, नियमित व्यायाम, योग और ध्यान शामिल होते हैं। यह व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को पुनः स्थापित करने में मदद करता है।

नशा मुक्ति केंद्रों के प्रकार और उनके खर्च

नशा मुक्ति केंद्रों का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि केंद्र का स्थान, उसकी सुविधाएं, उपचार की अवधि, और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता। आमतौर पर नशा मुक्ति केंद्रों को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. सरकारी नशा मुक्ति केंद्र (Government Rehabilitation Centers):
    सरकारी नशा मुक्ति केंद्र वे होते हैं जिन्हें राज्य या केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। इन केंद्रों में सामान्यत: उपचार का खर्च कम होता है, और कई बार इसे पूरी तरह से मुफ्त भी किया जाता है। हालांकि, इन केंद्रों में सुविधाओं की कमी हो सकती है और कभी-कभी वेटिंग लिस्ट भी लंबी हो सकती है। लेकिन ये केंद्र उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं।
  2. गैर-लाभकारी संगठन (Non-Profit Organizations – NGOs):
    कई गैर-लाभकारी संगठन नशा मुक्ति सेवाएं प्रदान करते हैं, और इनके केंद्रों में भी खर्च कम होता है। ये संगठन विभिन्न प्रकार की थैरेपी, परामर्श, और समर्थन समूह की सेवाएं प्रदान करते हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य समाज सेवा करना होता है, इसलिए इनके शुल्क कम होते हैं। हालांकि, उनकी गुणवत्ता और सुविधाओं में भी कमी हो सकती है।
  3. निजी नशा मुक्ति केंद्र (Private Rehabilitation Centers):
    निजी नशा मुक्ति केंद्रों में सेवाओं की उच्च गुणवत्ता होती है और यहां के वातावरण भी अधिक आरामदायक और सुविधाजनक होते हैं। इन केंद्रों में चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम होती है जो व्यक्ति को व्यक्तिगत देखभाल और ध्यान प्रदान करती है। यहां के खर्च अपेक्षाकृत अधिक होते हैं, और यह हर व्यक्ति की पहुंच में नहीं होता।

नशा मुक्ति केंद्र में खर्च का विवरण

नशा मुक्ति केंद्र में आने वाला खर्च निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:

  1. उपचार की अवधि (Duration of Treatment):
    किसी भी नशा मुक्ति केंद्र में व्यक्ति को कितना समय बिताना पड़ेगा, यह उसकी लत की गंभीरता पर निर्भर करता है। आमतौर पर उपचार की अवधि 30 दिन, 60 दिन, या 90 दिन तक हो सकती है। जितनी लंबी अवधि होगी, उतना ही खर्च बढ़ सकता है।
  2. रहने की सुविधा (Accommodation):
    निजी नशा मुक्ति केंद्रों में रहने की सुविधा भी बेहतर होती है। कुछ केंद्रों में व्यक्ति को सामान्य कमरे दिए जाते हैं, जबकि कुछ केंद्र लक्जरी सुविधाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि व्यक्तिगत कमरे, जिम, स्पा, और अन्य सुविधाएं। इन सुविधाओं का खर्च सामान्य से अधिक होता है।
  3. मेडिकल सेवाएं:
    यदि व्यक्ति को नशा मुक्ति के दौरान अतिरिक्त चिकित्सा देखरेख की आवश्यकता होती है, जैसे कि डिटॉक्स प्रक्रिया के दौरान या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए, तो यह खर्च भी बढ़ सकता है।
  4. समूह और व्यक्तिगत परामर्श:
    परामर्श और थेरेपी से जुड़े खर्च भी होते हैं। कुछ केंद्रों में समूह परामर्श का खर्च कम होता है जबकि व्यक्तिगत परामर्श अधिक महंगा होता है।
  5. खानपान और अन्य सुविधाएं:
    खानपान और दैनिक जीवन की अन्य सुविधाओं के आधार पर भी खर्च में वृद्धि हो सकती है।

औसत खर्च का अनुमान

सरकारी और गैर-लाभकारी केंद्रों में खर्च:
सरकारी और गैर-लाभकारी नशा मुक्ति केंद्रों में रहने और उपचार का खर्च बहुत कम होता है। इसका खर्च प्रति माह लगभग ₹5,000 से ₹15,000 के बीच हो सकता है। कई सरकारी केंद्रों में यह पूरी तरह से मुफ्त भी हो सकता है।

निजी नशा मुक्ति केंद्रों में खर्च:
निजी केंद्रों में, खर्च प्रति माह ₹25,000 से ₹2,00,000 या इससे भी अधिक हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के केंद्र का चयन करते हैं और वहां कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

लक्जरी नशा मुक्ति केंद्रों में खर्च:
लक्जरी केंद्र, जहां विशिष्ट सुविधाएं जैसे स्पा, जिम, स्विमिंग पूल, और व्यक्तिगत थेरेपी उपलब्ध होती हैं, का खर्च ₹5,00,000 या उससे अधिक हो सकता है। ये केंद्र अक्सर उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए होते हैं और यहां की सेवाएं अत्यधिक व्यक्तिगत और उच्चस्तरीय होती हैं।

नशा मुक्ति के बाद की सेवाएं और उनका खर्च

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज खत्म हो जाने के बाद भी व्यक्ति को समर्थन और देखरेख की आवश्यकता हो सकती है। इसे “आफ्टरकेयर” या “फॉलो-अप” कहा जाता है। इसमें शामिल सेवाओं का खर्च भी अलग-अलग हो सकता है। ये सेवाएं निम्नलिखित हो सकती हैं:

  • आउटपेशेंट थेरेपी (Outpatient Therapy):
    आउटपेशेंट थेरेपी का खर्च लगभग ₹1,000 से ₹5,000 प्रति सत्र हो सकता है। इसमें व्यक्ति को नियमित रूप से काउंसलर या थेरेपिस्ट से मिलने की आवश्यकता होती है।
  • सपोर्ट ग्रुप (Support Groups):
    सपोर्ट ग्रुप में भाग लेना अक्सर मुफ्त होता है, लेकिन कुछ प्राइवेट सपोर्ट ग्रुप्स में मामूली शुल्क भी हो सकता है।

निष्कर्ष

नशा मुक्ति केंद्र में खर्च का अनुमान लगाना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें उपचार की अवधि, केंद्र का प्रकार, और सुविधाएं शामिल होती हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नशा मुक्ति का उपचार एक निवेश है – न केवल

नशा मुक्ति केंद्र में कितना खर्च आता है?2024-08-22T15:58:42+00:00

Diagnosis of Addiction

How can one know that he/she is in the grasp of addiction? The bigger question here is, does someone who is using drugs want to know the truth? The majority of people who are using always live under the false impression that they are not in the claws of addiction. They believe, “I can quit whenever I want, and this habit of mine is not hurting my life in any way.” Moreover, this false confidence makes them do drugs aggressively. Generally, about 10 percent of suffering addicts are sensible to diagnose themselves, so most of the addicts go through deaddiction therapy only after being not able to function properly physically or sanely and sometimes sanely.

A large portion of people seeking deaddiction therapy is mostly referred by family or friends. Most of them are bought in for deaddiction are unwilling at the beginning and are coerced into the process by family and loved ones. Generally, it is always late when the problem of addiction is acknowledged by the family because it only gets noticed when an addicted person starts to show physical symptoms and anti-social behavior. This delay can cost the deaddiction process to take a much longer time and in addition, the risk of overdose and severe disease also increases.
Here are some significant points by which one can detect the disease of addiction at an early period and consult a deaddiction center for therapy. Getting to know about addiction problems can help you immensely by eliminating the longer therapy time and so cutting the cost of therapy, and more importantly reducing the impact of addiction on physical and mental health.

Therefore, please look for these conditions in yourself or for someone you care about:
• Consuming the substance in larger amounts. If the person consumes the substance secretly, the family members can also judge by excessive smell (in the case of alcohol) or by after-effects of the drug.
• Failing to fulfill social obligations.
• The decline in performance at work or school.
• Giving up hobbies and other recreational activities. Avoid going to places where the substance cannot be consumed or is difficult to consume.
• Relationships getting disturbed by consumption.
• Missing important events due to the influence of the substance. The longer period of the hangover.
• Anti-social behavior in public places. Extreme rage when someone tries to stop them from consuming.
• Increase in health-related problems like stomach problems, headaches, body pain, etc.
• Lying to the physician about the cause of the problem, and lying about many things.
Withdrawal symptoms like sweating, shaking of hands, and nausea.
• Continuous consumption even after health and relationship problems.

Even, if a few things or situations mentioned above are true and happening then the person should consult the deaddiction center right away. Coercion is sometimes necessary, if your loved one or family member is showing these signs and is unwilling to take any help or avoid any kind of confrontation, then coercion is the right thing to do, even if it makes the suffering person angry.

Deaddiction centers have capable and experienced staff to deal with unwilling patients and after a week or two; they begin to understand that this coercion was for their own interest.

Diagnosis of Addiction2022-05-31T17:43:51+00:00

Role of Deaddiction Center

Diagnosis of an addict is not very complex but what should be done after identifying? Mostly this problem of addiction often gets identified when something negative happens, like health-related issues, big household fights, disturbance in social/personal relationships, or setbacks in profession or school. Most of the time, the problem of addiction is identified by the family members or someone close. Let me tell you what 90 percent of an addict does after knowing, they try to quit drugs or give up drinking, but this effort is seldom honest. After quitting about a week or say about a month, when things normalize the intensity of the effort fades away and they start using or drinking again. Only 10 percent of suffering addicts try to identify the problem in themselves and only 10 percent of them possess’ will power to overcome addiction. The process of deaddiction can be very tricky; quitting can be easy for any non-addict but for an addicted person even trying is very hard. There are many aspects involved with an addict. The temptation and physical and mental craving are so intense that abstinence from the substance is difficult.
Deaddiction centers offer treatment of addiction and assistance in remaining sober in the real world, where temptations are everywhere. Generally, most addicts are coerced into therapy by admitting them at the Deaddiction Center.

Here, the Role of Deaddiction Center starts, and the guideline for addiction treatment is generally the same throughout the country or we can also say the whole world. The important thing is choosing the right deaddiction center.
The first thing achieved by the deaddiction center is complete abstinence from the addictive substance. This is the most crucial role of the center, since the atmosphere of the center is completely free of the addictive substance, and the person undergoing therapy is restricted from going outside of the central campus. Therefore by remaining in therapy, the person is saved from the temptations.
Undergoing therapy, the atmosphere and the staff of the center have a huge impact on the outcome of the therapy program. The staff personality should be encouraging to the person seeking therapy and their behavior should also reflect the benefits of remaining sober. The atmosphere also plays an important role because in the de-addiction center there are many persons from different backgrounds and different classes of society. The atmosphere of the center should be as such that no individual may allow harming another person seeking therapy.
The major part is played by the administration and counselors of the deaddiction center. The former is responsible for all the facilities promised at the time of admission of the patient and maintaining a positive ambiance of the premises throughout the therapy, the former is responsible for understanding the addict on a personal level and working with him/her for positive changes.
Another key aspect of deaddiction center is assistance after therapy. This thing helps the recovered person in facing real-world problems while remaining sober. The addicted person always tends to bend towards addiction while facing any hardships of life, even after remaining sober for a longer period. At such time there is always the option to get help from deaddiction center, this helps the person in a time of stress and tough situations.
Another thing is for the family, the counselor of the deaddiction center and family should work together for getting good results.

Role of Deaddiction Center2022-05-31T17:39:18+00:00

नशा मुक्ति के 100% अचूक और कारगर उपाय का पूरा सच

दोस्तों आज मैं जिस विषय पर मैं लिखने जा रहा हुँ वो एक नशा मुक्ति केंद्र के संचालक के और नशा मुक्ति के अभियान से जुड़े होने की वजह से बेहद जरुरी हो जाता है। मेरे प्रोफेशन में मुझे कभी-कभार ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है जो कि तर्क विहीन और हंसाने वाले होते हैं। मुझे अक्सर ऐसे फोन कॉलस् आते हैं जिसमें नशा पीड़ित व्यक्ति के परिजन नशा छूटने की गारंटी की मांग रखते हैं, यहाँ तक की कभी-कभी नशा करने वाला व्यक्ति खुद नशा करके  फोन करता है और गिड़गिड़ाता कर कहता है की मेरा नशा गारंटी के साथ छुड़ा दो, मेरे से जायदाद लिखवा लो पर नशा छुड़ा दो, और भी भांती-भांती प्रकार के फोन आते हैं और कुछ लोग साक्षात् दर्शन देकर भी इस प्रकार के सवाल पूछते हैं और गोली-दवाई के बारे में भी पूछते हैं की कोई ऐसी दवा दे दो जिसको ले कर नशा ही न करुँ या बिलकुल जादू की तरह सब बदल जाए। आज के समय में ये चलन कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है, पहले भी ऐसा होता था पर कम होता था इसलिये मुझे लगा की मैं कलम के माध्यम से विषय पर कुछ प्रकाश डालूँ।

दोस्तों अक्सर ऐसा अक्सर दो प्रकार की परिस्थियों में होता है: 

  • पहली है desperation की स्टेज, ऐसा अक्सर देखा गया है कि नशा करने वाले बंदे का परिवार या खुद नशे करने वाला अपनी आदत से इस कदर परेशान हो चुका होता है कि वो ऐसे चमत्कार की कामना करने लगता है या ऐसी चीजें fantasize करता है जो reasonable (तार्किक) दुनिया में संभव नहीं है
  • दुसरा शिकार fraud marketing scheme के होते हैं.. आपने ऐसे बहुत सारे विज्ञापन देखे होंगे जिसमें कई ऐसी रामबाण दवाओं के बारे में बताया जाता है कि इन दवाओं को लेने से हर तरह का नशा मीलों दूर भाग जाता है… और गौर करने वाली बात य़हाँ पर ये भी है कि ऐसी दवा बेचने वालों के एड भी बहुत कनविंसिंग होते है…. शानदार तरीके से फिल्माए गय और मंझे हुऐ स्थापित कलाकारों की एक्टिंग के साथ.. ये फिल्मी सितारे एक और शराब का प्रचार करते हैं और दुसरी तरफ कुछ ऐसे गोरखधेधे को बढ़ावा भी देते हैं। पर आप खुद अपने दिमाग से सोचो कि अगर ऐसी कोई दवा बनी होती ना, तो दुनिया कुछ और ही होती… नशे की वजह से दुनिया में इतना त्राहिमाम न मचा होता, मतलब सतयुग ही आ गया होता.. और ऐसी दवा के अविष्कारक को अब तक 3 बार नोबेल पुरुस्कार मिल चूका होता क्योंकि सिर्फ उसकी बदौलत हर साल न जाने कितने ही लोगों का जान बचती, कितने ही परिवार बर्बाद होने से बच जाते, अपराध कम हो जाते और भी कई सारी समस्याओं का समाधान बस एक दवाई से हो जाता। हाँ ये जरूर है कि ऐसे कई प्रकार के केमिकल होते हैं जो अल्कोहल के साथ रियेक्ट करते हैं और उसको लेने के बाद शराब पीने पर शरीर रियेक्ट करता है और इंसान को उल्टि, सरदर्द, घबराहट, बैचेनी जैसी तकलीफें होती हैं… इससे इंसान शराब पीने से घबराने लगता है… ये तरीका कई बार काम तो कर जाता है पर ज्यादा दिन तक नहीं चल पाता…. क्योंकि कुछ टाइम बाद बंदे को शक हो जाता है कि दया कुछ तो गड़बड़ है …. उसको समझ में आ जाता है कि खाने में कुछ मिलाया जा रहा है और फिर वो घर का खाना ही छोड़ देता है या घर में लड़ता-झगड़ता है। इन कैमिकल्स का एक भारी downside ये भी है कि ये केमिकल कितना रियेक्ट करेंगे और कितनी शराब की मात्रा पर करेंगे …ये कोई फिक्स नहीं है …. ये बात हर एक individual की शारिरिक संरचना पर डिपेंड करती है… और कभी-कभी रियेक्शन एक्सट्रिम भी साबित हो सकते हैं और शरीर के लिये रियेक्शनस तो हानिकारक ही होते हैं।

अच्छा मैं ये बिलकुल नहीं कहा रहा कि इस तरह के fraud में नशा मुक्ति केंद्र शामिल नहीं हैं। कई ऐसे नशा मुक्ति केंद्र भी हैं जो पैसे के लालच में झूठे प्रचार और वादे भी करते हैं और परेशानी का फायदा उठाते हुऐ पैसा बनाते हैं। पैसे लेना कोई गलत बात नहीं है आप काम कर रहे हो और हर कम को चलने के लिए अर्थव्यवस्था की जरुरत होती ही है, पर गलत प्रचार और वादे करना ठीक नहीं है केवल अपने कम को चलने के लिए 100 % नशे से मुक्ति दिलाने वाले लोग 100 % झूठे होते हैं, क्योंकि मेडिकल साइंस में कुछ भी चीज 100 परसेंट नहीं होती… आप किसी बड़े डॉक्टर से पूछ लें.. या हिन्दी अंग्रजी फिल्मों का वो सीन याद करें जिसमें डॉक्टर कहता है कि अब सब उपरवाले के हाथ में है। एक छोटे से घाव के इलाज से लेकर कैंसर तक का इलाज…. सब ek best attempt होता है और यो एक फेक्ट है।
चलिए अब जरा ये भी समझ लेते हैं कि नशे किस तरह कि बीमारी है और इसका इलाज क्या है। दोस्तों यहाँ सबसे जरुरी बात जो समझने वाली है वो ये कि नशा करना कोई choice या नैतिक बुराई नहीं है बल्कि diabetes, hypertension, और asthma की तरह chronic disease हैं पिछले कई सालों की रिसर्च से ये साबित हुआ है की नशा एक मानसिक और शारीरिक बीमारी है। कई सालों तक लगातार नशा करने की वजह से एडिक्ट के mind में ऐसे बदलाव हो जाते हैं जो कि हमेशा रहते हैं कई बार तो नशा छोड़ने के महीनों-सालों बाद भी।

शराब या नशे के इस्तेमाल से व्यक्ति के दिमाग कि कार्यप्रणाली और संरचना में बदलाव आ जाता है उदाहरण के तौर पे हमारे दिमाग का communication system नशे कि वजह से disturb हो जाता है और हमें information collect करने में और उनके इम्प्लीमेंटेशन में परेशानी होने लगती है। दिमाग के कई और भी हिस्से भी हैं जो नशे कि वजह से प्रभावित होते हैं उनमें से कुछ के बारे में आपको बताता हूँ

  • Cortex – ये दिमाग का बाहरी हिस्सा होता है जिसमें सबसे अधिक विकसित कोशिकाएं होतीं हैं इस हिस्से का काम होता है सोचना , सीखना और समझना। जो कि नशे के कारन बहोत प्रभावित होता है।
  • Limbic part – ये दिमाग का रिवार्ड सर्किट होता है जो कि हमारे दिमाग कि सभी कोशिकाओं को जोड़े रखता है और यही हिस्सा…. हमारी ख़ुशी के अहसास और भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। limbic system तब activate होता है जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिससे हमें ख़ुशी का एहसास हो और दुर्भाग्य की बात ये है कि नशा करने से भी ये activate होता है और लगातार नशा करने कि वजह से ये पूरी तरह से नशे पर ही निर्भर हो जाता है। …. मतलब ये कि हमें जो भी काम करने में मजा आता था अब वो मजा बिना नशे के मिल पाना पॉसिबल ही नहीं रह जाता।
  • Hippocampus – ये भी limbic part से जुड़ा हुआ एक हिस्सा होता है जो कि हमारी long term memories को store करता है नशे के कारण हमारे इस हिस्से पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। मैं ज्यादा deep नहीं जाऊंगा इन सब में वरना ये टॉपिक बहोत लम्बा हो जाएगा so कुल मिला कर बात ये है कि ये जो दिमाग में बदलाव होते हैं वो आसानी से आने जाने वाली चीज नहीं हैं।

उदाहरण के तौर पे आपका diabetes control में रहता क्योंकि आप दवाई ले रहे होते हैं और अपनी diet पर ध्यान दे रहे होते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि diabetes ठीक हो गया वो अभी भी आपके system में है, but आपने उसे अच्छे से manage कर रखा है, और same condition नशे के साथ होती है, ये ठीक होने वाली बीमारी नहीं है पर इसे भी successfully manage किया जा सकता है पर ये आपके साथ बनी रहेगी। इतना सब कुछ जानने के बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि अगर आपसे कोई बोलता है कि उसके पास नशे का ऐसा इलाज है जिससे नशे 100 % छूट जाएगा या ऐसी कोई दवाई है जो नशे छुड़ा देगी तो समझ लेना वो 100 % झूठ बोल रहा है और आपको बाबा जी ठुल्लु पकड़ा रहा है।

पर प्रोब्लम ये है कि सच कड़वा होता है और कुछ भी हासिल करने के लिये धैर्य और परिश्रम लगता है और लोगों को आज के समय में सच सुनने कि आदत नहीं रही है या हम ये कह सकते हैं कि वो अपने परिजन की नशे कि आदत से इतने परेशान हो चुके है कि अब वो सच को स्वीकारना ही नहीं चाहते। हमें ये समझना चाहिए कि नशा करना किसी का character certificate नहीं है जो ये कहे की ये बंदा नैतिक रुप से कमजोर है और ये किसी की choice का मामला भी नहीं है … क्य़ोंकि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का ये aim नहीं बनाता की उसे आगे जा कर एक addict बनना है
पर लोग addict हो जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता और फिर वो ताउम्र addict ही रहते हैं पर वो इलाज के द्वारा अपनी इस बीमारी को manage कर सकते हैं। कई बार लोग इसमें विफल भी होते हैं, यानि दोबारा पी लेते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं है कि उनका इलाज बेकार गया, बल्कि इसका मतलब ये है की उन्हें फिर से इलाज लेने की और अपने trigger points पर काम करने की जरुरत है। अच्छा एक सीधी सी बात है क्या अगर कोई diabetic इंसान किसी कारण दवाई लेना भूल जाए या मिठाई खा ले तो क्या हम उसे कोसना शुरू कर देते हैं क्या ? या doctor को बुरा भला बोलते हैं कि इसने दवाई क्यों नहीं ली या मीठा क्यों खा लिया। अच्छा उन लोगों को पता होता है कि मीठा खाना या दवाई नहीं खाना उनके स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है, फिर भी वो अपने doctor के निर्देशों की अनदेखी कर देते है। और कई बार ऐसा ही addiction treatment के मामले में भी होता है।
तो सीधी-सधी बात ये है कि गलत अपेक्षाएं रखना छोड़ो और अपने परिजन का साथ दो जिससे वो नशे से दूर रह पाए, और आप लोग ऐसे लोगों से दूरी बना लो जो आपसे झूठे वादे कर देते हैं की 100 % नशे छुड़ा देंगे। हालाँकि झूठ बोलने वालों का भी क्या ही है, उनकी भी क्या गलती है जब तक आप लोग सच्चाई को नहीं अपनाओगे लोग झूठ बोलते रहेंगे।
कई लोग तो हमें भी बोलते हैं कि इंसान को आप ठीक नहीं कर सकते तो दुकान क्यों खोल कर बैठे हो। तो इसका सीधा सा जवाब है, लोग नशे छोड़ नहीं सकते पर manage तो कर सकते हैं बशर्ते वो अपनी परेशानी को समझें और उस सकारात्मक दिशा मैं कम करें। मैं खुद 12 साल से manage किया हुआ हूँ, आज तक नहीं पी इतने साल में, और ऐसे सैंकड़ों लोग हैं जो यहाँ रहे और अपने नशे कि बीमारी को successfully manage करके अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।

नशा मुक्ति के 100% अचूक और कारगर उपाय का पूरा सच2022-04-27T09:43:56+00:00

Addiction Treatment (Nasha Mukti Kendra) Expenses

Addiction Treatment (Nasha Mukti Kendra) Expenses

Whether the addiction is a disease or not? Our society has mixed opinions about this
question, even in today’s world. Alcohol addiction is declared as a disease by A.M.A
(American Medical Association, way back in 1956 and followed up in 1987 addiction is
termed as a disease by other medical organizations also. Like every other disease, its
treatment also requires some expenses. The treatment of this disease is little different
than other others. There has to work is done on the patient’s behaviour and psychology
to get positive results. The medicinal part of addiction treatment is mostly used to deal
with withdrawals and cravings, which are experienced at the initial stages of treatment.
Addiction is a disease that grows with time and the intensity of cravings becomes much
stronger, therefore after identifying the disease it is smart to get the treatment started as
soon as possible.
The cost/fees of Addiction Treatment or De-Addiction Center is around rupees 12k –
15k per month. These figures are based on a survey of authentic De-Addiction Centers
(Nasha Mukti Kendra) run by different NGOs and Trusts in our country. These centers
are in general operated for the middle and lower-middle-class sections of society. All of
the Centers surveyed here are reliable and govt. recognised. While analysing the
expenditure we must keep in mind that none of these Addiction Treatment Centers
(Nasha Mukti Kendra) take any kind of grant or aid from the state or central
government.
The first thing after admission of the patient of the Addiction Treatment Center (Nasha
Mukti Kendra) is mandatory medical tests. Generally, four basic tests are conducted by
any De-addiction Center, these tests are LFT, RFT, Lipid, and HIV. The medical test
charges are not included in monthly fees, they are charged exclusively of monthly fees,
which are nearly about 2000 Rs. The medical tests are very necessary, as based on
these investigations the course of treatment will be decided. The test result will also
help decide on diet and medications if required. Very often an addict can look like a
healthy person from the outside but due to the addiction his/, her internal body system
may be damaged.
The monthly charge includes the expenses of accommodation, breakfast, meals and
tea/coffee, etc, yoga instructor fee, counsellor fee, security of the campus, and
withdrawal medications.
It seems appropriate, the amount of 12 – 15 thousand rupees per month by analysing
the current cost of living and food in the present day. A well-maintained building, basic
amenities like proper arrangement of electricity, water, books, etc. and basic
entertainment means like, T.V, radio, music system, etc. will cost easily around this
much. When choosing an Addiction Treatment Center (Nasha Mukti Kendra) you must
keep a few things in mind like checking out the information about the center through the
internet or by other means, you may visit the center before admitting someone or
yourself, and more importantly, if you succeed in negotiating the fees more than 2000 –
3000 rupees then you must think there is something wrong with their words and deeds.
It had been found in the survey that there are many Addiction Treatment Centers that
are bogus or not doing their job properly because of greed. In today’s world nobody will
allow themselves to lose especially when it comes to money, they might not take profit
from someone but they surely don’t willing to be at loss. Nobody can run an Addiction
Treatment like that there will be a loophole if the center’s administration is giving a
discount of more than 40 percent.
There is no limit to luxuries in a man’s life, and there are plenty in numbers of those who
can afford them. For them, there are many Addiction Treatment Centers in which you
can find the same comfort means as you can find in a fancy hotel suite.
When a person or when someone’s family decides to get into the treatment program,
then the concerned person must get all the possible information about the Addiction
Treatment Center which is also known as Nasha Mukti Kendra in our country. The
selection of the Addiction Treatment Center is a vital choice as many factors of recovery
depend upon the Center’s atmosphere and guidance.

Addiction Treatment (Nasha Mukti Kendra) Expenses2022-04-12T02:55:13+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है

हमारे समाज में नशे का चलन बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसके कारण हर घर में कोई ना कोई नशा पीड़ित मिल ही जाता है ।नशा करने वाला व्यक्ति केवल अपने जीवन को अंधकार में नहीं डालता बल्कि उसके साथ उसका पूरा घर भी बर्बाद हो जाता है । घर वाले हर मुमकिन कोशिश करना चाहते हैं कि वो इंसान कैसे भी इस नशे की बुरी अदात को छोड़ दे पर ज़्यादातर मामलों में ये देखा गया है कि घर वालों को ये समझ ही नहीं आता कि किस तरह से उनके घर के नशा पीड़ित सदस्य को वह इस नशे के जाल से निकालें । नशा एक घातक बीमारी है और इसका इलाज करवाने से ही व्यक्ति ठीक हो सकता है और जो सबसे कारगर तारीका है वह है नशा मुक्ति केन्द्र का । पर नशा मुक्ति केंद्र के बारे में इतनी भ्रांतियाँ फैलीं हुईं हैं जिनकी वजह से घर वाले सही समय पर इलाज करवाने में बहुत देर कर देते हैं उनके मन में ऐसे कई सवाल रहते हैं कि नशा मुक्ति केंद्र में क्या होता है, नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है, कितना टाइम लगता है । तो आज हम इन सारे सवालों का जवाब लाए हैं जिससे कि आपको नशा मुक्ति केंद्र के काम करने के तरीक़े की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
जब कोई भी नशा पीड़ित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होते हैं तो सबसे पहले उनका चेकअप होता है जिसमें उनके LFT, RFT, CBC, BLOOD SUGAR ,HIV आदि टेस्ट होते हैं, जिससे कि व्यक्ति की शारीरिक स्थिति नशे का क्या प्रभाव पड़ा है उसका पता चल सके और फिर उन्ही रिपोर्ट्स के आधार पर नशा पीड़ित इंसान के withdrawal और detox का प्रोसेस स्टार्ट होता है इसे आसान भाषा में समझे तो जब कोई इंसान नशा बंद करता है तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिन्हें हम withdrawal कहते हैं ।

ये पूरा प्रोसेस लगभग 10 से 15 दिन का रहता है कुछ केस में ये समय और भी लंबा जा सकता है जोकि निर्भर करता है मरीज़ की स्तिथि के ऊपर, क्योंकि कई लोगों में जिस नशे को वह इस्तेमाल करते हैं उसके प्रति बहुत ज्यादा शारीरिक निर्भरता हो जाती है जब withdrawal और detox का पार्ट खत्म हो जाता है । अगला पार्ट जो थैरिपी का रहता है वह होता है मनोवैज्ञानिक चिकित्सा का इसमें मनोवैज्ञानिक मनोचिकित्सक और काउंसलर मरीज का असेसमेंट करते हैं, जैसे कि नशे का क्या प्रभाव मरीज की मानसिक स्थिति पर पड़ा है, क्या उसकी कैस हिस्ट्री है, क्या क्या उसके ट्रिगर प्वाइंट हैं जिनकी वजह से वह नशा करते हैं,फिर उसके अनुसार उनकी थैरिपी रहती है । इसमें योग, ध्यान, Behavioral Therapy ,CBT, REBT, Motivational, Interviewing, DBT, Person Centered Therapy, सामूहिक परामर्श, व्यक्तिगत परामर्श, पारिवारिक परामर्श, 12 Staps, AA यानी Alcoholic Ananymous, NA narcotics ananymous, AA/NA fellowship, आध्यात्मिक जाग्रति, therapeutic games. आदि थैरिपी शामिल होतीं हैं ।

यहां एक बात ध्यान देने वाली है दोस्तों जो है person centered therapy यानी नशा मुक्ति में जो इलाज होता है वह हर इंसान के अनुसार अलग अलग हो सकता है क्योंकि हर इंसान की अलग मानसिक और शरीरिक स्तिथि होती है इसीलिए नशे का प्रभाव भी हर इंसान पर अलग अलग होता है। इसीलिए जरूरी नहीं की हर नशा करने वाले को एक जैसी थैरिपी दी जाए और किसी व्यक्ति को नशे से छोड़ने में कितना समय लगेगा वह भी इसी बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति पर नशे का क्या प्रभाव पड़ा है देखिये सालों तक व्यक्ति नशा करता है इस कारण नशा पीड़ित में उस नशे के प्रति मानसिक और शरीरिक दोनों तरह से निर्भर हो जाता है तो बनी बात है कि सारी चीजों को फिर से नॉर्मल होने में समय तो लगेगा ही, अगर आप लोग ये सोचो की नशा मुक्ति में भर्ती होते ही कोई overnight changes आ जाने वाले हैं या कुछ ही समय में व्यक्ति ठीक हो जाएगा तो ये दिमाग से निकाल दीजिये क्योंकि ना ही नशे की बीमारी एक रात में पैदा होती है और ना ही एक रात में ठीक होती है ये एक लम्बी प्रक्रिया है। अब अंत में सवाल बचता है कि नशा मुक्ति केंद्र में रखा कैसे जाता है तो इसका जवाब भी सीधा सा है जिस तरह से स्कूल hostels में students रहते हैं उसी तरह से नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों को रखा जाता है, उनका सुबह उठने से लेकर नाईट में सोने तक का पूरा एक रूटीन रहता है । टाइम पर खाना-नाश्ता, टाइम पर क्लासेस, टाइम पर सोना ये पूरा का पूरा एक रूटीन रहता है एक तरह से हम कह सकते हैं कि एक disciplined डेली रूटीन होता है या और आसान भाषा में कहें तो एक अनुशासित दिनचर्या होती है जोकि बहुत जरूरी है क्योंकि एक्टिव एडिक्शन के दौरान हम अपनी हेल्दी लाइफ़स्टाइल को जीना भूल ही जाते हैं हम खाना नहीं खा पाते, हम अपना काम नहीं कर पाते, हम ठीक से सो नहीं पाते, नशे के जाल में फंसे रहने के कारण ना तो हम अपना ख्याल रख पाते हैं और ना ही अपनों का. एक्टिव एडिक्शन की वजह से हम शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं हम समाज की मुख्यधारा से अलग हट जाते हैं, हम भावनात्मक तौर पर कमजोर हो जाते हैं, इसी वजह से नशा मुक्ति केंद्र में नशे से पीड़ित व्यक्ति के ओवरऑल व्यक्तित्व पर काम होता है जिससे वो शरीरिक और मानसिक दोनों तरह से मजबूत हो सकें ।

नशा मुक्ति केंद्र में कैसे रखा जाता है2021-10-04T11:38:30+00:00

कैसे पाएं नशे से छुटकारा

क्या आप भी शराब छोड़ना चाहते हैं या नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं पर बार-बार शराब पी लेते हैं, बार-बार आपको नाकामी का सामना करना पड़ता है । अगर आपका जवाब हां है तो ये article आपकी बहुत मदद कर सकता है, और आपकी जो बार-बार नाकाम होती कोशिश है, उसको आप कामयाबी में बदल सकते हैं बस जरूरी है कि आप एकदम इमानदारी से कोशिश करें, और जो मैं आपको बताने वाला हूं उसको पूरी तरह से अमल में लाएं ।

दोस्तों नशा छोड़ने के लिए सबसे जरूरी चीज जो होती है, वो है आपकी मानसिकता । नशा छोड़ने के लिए आप नशा छोड़ते समय किस तरह के गोल्स और प्लान बनाते हैं आप किस तरह की टाइमलाइन सेट करते हैं अपने नशे को छोड़ने के लिए ये जसबसे जरूरी चीज है । और यही सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट इंसान के लिए होना चाहिए कि वो अपने गोल्स को किस तरह से सेट कर रहा है अगर आप long-term की मानसिकता बनाते हैं या जिसको अपन बोलें तो हमेशा के लिए नशा छोड़ने की मानसिकता बनाते हैं कि अब मुझे जिंदगी भर के लिए नशा छोड़ देना है या फिर मुझे अब कभी नशा नहीं करना तो उस इंसान का नशा छोड़ना उतना ही मुश्किल होगा ।

ज्यादातर लोग यही करते हैं कि जब भी नशा छोड़ने के बारे में आपके दिमाग में एक स्ट्रोंग फीलिंग आती है तो आप हर बार की तरह यही सोचते हैं कि हां मैं अब कल से नशा नहीं करूंगा, मैं जीवन भर नशा नहीं करूंगा और यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी होती है । आप इसे दूसरी तरह से सोच सकते हैं आपको पहले ये समझना होगा कि नशा छोड़ने के जो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म एस्पेक्ट हैं उनमें क्या डिफरेंस है और वो हमें किस तरह से फायदा दे सकते हैं इसे आपको समझना जरूरी है । क्योंकि शॉर्ट टर्म गोल्स और लोंग टर्म गोल्स दोनों एक अलग तरह की थिंकिंग हैं अगर आप लोंग-टर्म गोल्स के चक्कर में फंस जाएंगे तो आप समझ लीजिए कि आप कभी भी नशे को छोड़ नहीं पाएंगे।

दोस्तों जब आप नशे के चक्रव्यूह में फंसे हुए होते हैं यानी active addiction में होते हैं तब आप कई बार अपने आप से बोलते हैं कि मैं सच में इस शराब को अपनी जिंदगी निकाल देना चाहता हूँ । मैं इस जहर को अपनी जिंदगी से बाहर कर देना चाहता हूं पर उसी समय आपके मन से एक और आवाज आती है जो आपसे बोलती है कि मैं कैसे बिना शराब के अपनी पूरी जिंदगी को निकाल पाऊँगा, मैं फिर कभी एक भी गिलास शराब का नहीं ले पाऊंगा और ये बहुत ही ज्यादा tension देने वाली सोच होती है । मैं कैसे अपने वेकेशंस को मना पाऊँगा, मैं कैसे अपना बर्थडे सेलिब्रेट करूंगा, मैं कैसे अपने त्योहारों को मनाऊँगा, होली और दिवाली इन सारे त्योहारों को मैं कैसे मनाऊँगा। और भी कई सारे occasion होते हैं जहां पर आपको अल्कोहल की प्रेज़ेन्स हमेशा से मिलती रही है या फिर आपका दिमाग चाहता है या फिर आपने उस तरह से अपने त्योहारों को, अपने सेलिब्रेशंस को मनाया है तो आपका दिमाग हमेशा उसी जगह पर जाता है कि बिना अल्कोहल के मैं उन सारे सेलिब्रेशंस को कैसे मनाऊँगा। मैं कैसे पूरी अपनी जिंदगी बिना शराब के निकाल पाऊंगा । ये सोच आपके लिए बहुत ही डरावनी होती है । इसलिए आप नशा छोड़ने की शुरुआत में बिल्कुल भी इस तरह से ना सोचे और long-term के गोल भी ना बनाएं क्योंकि अगर आप इस तरह से सोचेंगे तो आप बहुत बुरी तरह से अपने फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने लगेंगे । आप ये सोचने लगेंगे कि अगर ऐसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, वैसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, पर सच्चाई तो ये है, कि फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने में हम लोग इतने भी अच्छे नहीं होते, वो तो जब हम उस दौर से गुजरते हैं तभी समझ पाते हैं कि फ़लाँ समय हमनें कैसा बिताया अच्छा या बुरा ।

अगर आप भी नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और इसी तरह का पैनिक माइंडसेट बना रखा है तो ये आपको डरा कर वापस उसी नशे की ओर ले जाएगा इसे छोड़ने का जो आसान रास्ता है वो ये है कि आप अपना माइंडसैट वन डे अट ए टाइम even मोर स्मॉलर then day, वन मोमेंट अट ए टाइम वाला बनाएँ । क्योंकि देखो अगर आपके पास में कोई सब्सटेंस या शराब रखी है तो आपको ये पता होना चाहिए कि आपको उसी मूवमेंट पर फैसला लेना है तुरंत वो डिसीजन लेना है कि आप उस substance को लेंगे या नहीं क्योंकि ये बात साफ है कि जो बीत गया वो आप बदल नहीं सकते और भविष्य का आपको कुछ भी पता नहीं है। तो आपके पास केवल एक ही टाइम फ्रेम है वो है अभी का इसीलिए हमें वनडे एट ए मूवमेंट को फॉलो करना चाहिए ये सबसे कारगर तरीका होता है नशे को छोड़ने के लिए, जिसे अगर आप ईमानदारी से करते हैं तो आप कामयाब जरुर होगे ।

एक और गलती जो आप करते हैं वो ये है कि आप अपने पास्ट के एक्सपीरियंस से अपने फ्यूचर का अनुमान लगाते हैं कि पहले अगर ऐसा हुआ था तो फिर से ऐसा होगा पर ये कोई लॉजिकल बात नहीं है इसमें कोई भी सेंस नहीं है, ये सोच कहीं काम नहीं आती क्योंकि अगर आप ऐसा सोचेंगे कि पहले ऐसा हुआ था तो अब फिर से ऐसा होगा तो आप पहले ही अपनी नाकामी के बारे में सोचने लगेंगे । बल्कि आपको हर उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए सूचना चाहिए जिसे आप जी रहे हैं उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए आपको थैंकफूल होना चाहिए कि अभी मैं सोबर हूं, अभी मेरी बॉडी में अल्कोहल नहीं है मैं सोबर हूं एंड आई एम लविंग it, मुझे ये अच्छा लगता है, मैं इस मूवमेंट को प्यार करता हूं । क्या मैं अगले 10 मिनट बाद सोबर रहूंगा ? क्या मैं कल सोबर रहूंगा ? क्या मैं अपने जन्मदिन पर सोबर रहूंगा ? ये सोचने का मेरा काम नहीं है मुझे नहीं पता। ये कोई तर्क नहीं बनता कि मैं उस समय के बारे में सोचूँ जो मेरे हाथ में नहीं है, इस पर मेरा कोई जोर नहीं है । केवल एक चीज है जो मैं कंट्रोल कर सकता हूं वो है अभी। अभी मैं क्या कर रहा हूं, अभी मैं क्या करूं, अभी मैं नहीं पियूंगा और यही सबसे जरुरी बात है जो मायने रखती है और आपको इसी बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए ।

इसीलिए जब आप शराब या जो भी नशा छोड़ने की कोशिश करते हैं तो शुरुआती 2 से 3 हफ्ते आपके लिए बहुत इंपोर्टेंट होते हैं क्योंकि शुरुआती दो से तीन हफ्तों में जब आप शराब या कोई और नशा छोड़ते हैं तो उस सब्सटेंस में कुछ ऐसी फिजिकल पावर होती है जो कि आपको uncomfortable महसूस करा सकती हैं और इसकी वजह से आप फिर से नशा शुरू कर देते हैं पर दो-तीन हफ्ते के बाद इस शराब या जो भी नशा कर आप करते हैं उसमें कोई ऐसी ताकत नहीं रहती जिसके कारण आप नशा करें अगर आप फिर भी शराब पीते हैं या नशा करते हैं तो इसका पूरा कारण आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति है , आप अपने सबकॉन्शियस माइंड के पहले से सेट पैटर्न पर चल रहे हैं ।

चलो इस बात को और अच्छे से समझते हैं । दोस्तों आप हम में से ज्यादातर लोगों ने खुद को इसी प्रोग्रामिंग में ढाल रखा होता है कि अगर हमें कोई परेशानी होती है या तनाव होता है तो हम शराब पीते हैं और ऐसा हम बार-बार करते हैं । परेशानी आई तो शराब पी ली, दुखा आया तो शराब पी ली, तनाव आया तो शराब पी ली और ये साइकिल चलती रहती है मतलब जैसे ही आपको कोई परेशानी हुई और आपके सबकॉन्शियस माइंड में एक घंटी बजती है “run the alcohol program” क्योंकि आपके सबकॉन्शियस माइंड के पास इतना टाइम नहीं है कि वो हर बार आने वाली समस्या के लिए कोई क्रिएटिव सलूशन निकालने में अपनी एनर्जी बर्बाद करे उदाहरण के लिए अगर हमारा हाथ गर्म तवे पर पड़ जाए तो हम तुरंत रिस्पांस करेंगे, हम जितना जल्दी हो सके अपनी पूरी ताकत और तेजी से अपने हाथ को तवे से दूर करेंगे और ये प्रतिक्रिया कभी भी नहीं बदलती।आप जब भी किसी गर्म चीज पर हाथ रखेंगे तो यही रिस्पांस होगा क्योंकि आप इसके लिए प्रोग्राम्ड हैं और ऐसी ही प्रोग्रामिंग आपने अपने दिमाग में शराब और परेशानी को लेकर कर रखी है इसीलिए आपको अपनी प्रोग्रैमिंग को चेंज करने की जरूरत है । आपको समय देकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए नए तरीके और रास्ते ढूंढने की जरूरत है।

अगर आप भी किसी प्रकार के नशे में फंस गए हैं और लाख कोशिश करने के बाद भी नशा nahi छोड़ पा रहे हैं तो ये article आपकी मदत कर सकता है और अगर आप किसी प्रकार की सलाह या मदत तलाश रहे हैं तो आप हमसे कभी भी contact कर सकते हैं हमारा पता और number आपको website में मिल जाएगा।

कैसे पाएं नशे से छुटकारा2021-08-31T20:22:38+00:00
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