Health

Effect of Alcohol in Family Life

Effect of Alcohol in Family Life

Effect of Alcohol in Family Life

We have often seen that there are many such families in the society where at least one member has a habit of drinking alcohol. This is a common Vice in today’s times. Getting intoxicated on Alcohol seems like a Social Standard, and you’d be an outcast to many a group if one chooses not to Drink at a gathering. Even in families where drinking is a Taboo, due the Families’ Mental and Social Constructs, eventually break free of the Groupthink of the household and develop the vicious habit of Drinking Liquor. 

There is a famous saying of Albert Einstein that “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”. Before indulging in any form of a Substance, one must know all the angles to it, its merits and demerits, in order to know whether the Habit pattern is actually causing one mental and physical harm. The symptoms may not be evident at first because of the short term gratification one feels and the mental denaturing yet to be perceived. Say, If today your hair starts falling or you have severe pain in the teeth, then you will definitely go to the doctor because these are the problems which you understand clearly, the symptoms to underlying root cause exist.

Alcohol Consumption too, brings along with itself such clear, evident problems in a person’s Family Life. Alcoholics rarely recognise the harm caused by this habit of theirs themselves.

Many alcoholics lie or blame others for their problems. The loss of trust damages relationships and alienates family members from each other.

 

Alcohol has a bad effect on not only One aspect of our lives, it effects all dimensions of it, such as, Interpersonal relationships, Stress in married life, Problems related to parents and  Development of children and financial problems. Alcohol as we all know and cherish is actually in medical terms acts as a Depressant.

1. Marital tension: If there is any problem in the life of an alcoholic person or he experiences any sorrow, then instead of consulting his spouse, he prefers to spend time with alcohol so that he can forget his sorrow and troubles. And he does not understand that this intoxication is not the cure for his sorrow. And from here the tension and distance in his married life keeps on increasing.

2. Problems related to parents and development of children: A child’s brain is developed by the age of 7-8 years. The events that the child learns during that time and the emotional experiences associated with them are stored forever in the hard drive of his/her subconscious mind. It is like the memory of the computer that you can never delete.

In those 7-8 years, if the Child sees his Mother and Father Engaging in Verbal and Physical Altercation in his home, then such incidents have a very negative effect on his Gentle mind. For example, if the father comes home after drinking alcohol every few days a week and uses abusive language, then it is quite possible that the child will not be able to control his emotions in a social environment. There may be troubles, which are very difficult for any member of the household to understand. For such, Counselling helps a person who is unable to control their emotional reactions to alcoholism.

3. Financial problems: Drug addiction makes you financially hollow along with your mental state. Until the effects are severe, you may not realise that your financial condition has been weakened by a drinking problem. If you are a frequent drinker, then it is very important that you pay attention to the expenditure on alcohol from your earnings. If you go to a club or bar and get a six-pack of beer it can cost around 1200 to 5000 depending on the brand, and hard liquor, wine and other beverages can cost more. If you follow this routine 2-3 days a week, then soon your life starts running on credit.

Anything in excess acts as a poison, and a bottle of wine clearly states, “Abuse of alcohol can be injurious to health” It is not only for your personal health, but it is related to your life. It affects other aspects as well. And as aforementioned “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”. 

Effect of Alcohol in Family Life2021-06-03T22:43:12+00:00

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर

scarab ka parivarik Jeevan par asar

हमने  अक्सर  ये  देखा  है कि  समाज  में  कई  ऐसे  परिवार  होते  हैं जहां  कम  से  कम  किसी  एक  सदस्य  को  शराब  पीने  की  आदत  होती  है। देखा  जाए  तो  आज  के  इस  मॉडर्न  समय  में   ये  बात  बहुत  आम  सी  लगती  है। शराब  पीना  जैसे  एक  सोशल  स्टैण्डर्ड  माना  जाता  है, अगर  आप  शराब  नहीं  पीते  तो  आप  शायद  एक  समूह  का  हिस्सा  ना बन पाएं। और  ऐसे  लोग  जिनके  परिवार  में शायद  अब  तक  किसी  ने  शराब  ना  पी  हो, वो  अपनी  कमजोर  मानसिकता  के  चलते  इस  लालच  में फंसकर  शराब  पीना  शुरू  कर  देते  हैं।

अल्बर्ट आइंस्टीन का  एक  मशहूर  कथन  है  कि  “समझदार  व्यक्ति  वही  है  जो  ये  बात  जानता  हो कि  किसी  अनजान  रास्ते  पर  चलते  हुए कहां से  वापस लौट  आना  चाहिएआप  इसे  ऐसे  समझ  सकते  हैं  कि, कोई  भी  काम  शुरू  करने  से  पहले  हमें   उसके  अच्छे  और  बुरे  दोनों पहलुओं को  समझ  लेना  चाहिए  कि  कहीं  उसमें   हमारा  नुकसान  तो  नहीं  हो  रहा। मगर  हम  अपनी  मानसिक  स्थितियों  से  जुड़ी  दिक्कतों  पर  ज्यादा  ध्यान  नहीं  दे  पाते, क्योंकि  वो  हमें   दिखाई  नहीं  देती। अगर  आज  आपके  बाल  झड़ने  लग  जाएं  या  दांतो  में   जोर  का  दर्द  हो  तो  आप  डॉक्टर  के  पास  जरूर  जाएंगे  क्योंकि  ये  वो  परेशानियाँ  हैं  जो  आपको  साफ़  साफ़  समझ    रही  हैं। 

ऐसे  ही  कुछ  परेशानियाँ  हैं  जो  एक  शराबी  इंसान  को  दिखाई  नहीं देती  के  कब  उसके  व्यवहार का  असर  उसके  पारिवारिक  जीवन पर  पड़ने  लगा शराब  का  दुरुपयोग  करने  वाले  इंसान  को  अपनी  इस  आदत  से  होने  वाले  नुकसान  का  कोई  एहसास  नहीं  होता।

कई शराबी अपनी समस्याओं के लिए झूठ बोलते हैं या दूसरों को दोष देते हैं। भरोसे का बिगड़ना रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है और परिवार के सदस्यों को एकदूसरे से दूर  कर  देता  है।

 

शराब  से  हमारी  ज़िन्दगी के किसी एक नहीं  बल्कि  हर  हिस्से  पर  बुरा  असर  पड़ता  है, जैसे   वैवाहिक  जीवन में  तनाव का होना , माँ बाप से  जुड़ी  समस्याएँ, बच्चों का  विकास और  आर्थिक  परेशानियाँ।

 

1.वैवाहिक तनाव: शराबी  इंसान  के  जीवन  में   अगर  कोई  परेशानी  आती  है  या  वो  किसी  दुःख  का  अनुभव  करता  है  तो  बजाय  अपने  जीवनसाथी  से  सलाह  करने  के  वो  शराब  के  साथ  समय  बिताना  ज्यादा  पसंद  करता  है  ताकि  वो  अपने  दुख  और  परेशानियों  को  भूल  सके। मगर  वो  ये  नहीं  समझ  पाता  की  ये  नशा  उसके  दुःख  का  इलाज़  नहीं  है। और  यहीं  से  उसके  वैवाहिक  जीवन  में   तनाव  और  दूरियां  बढ़ती  चली  जाती  हैं।

2.माँ बाप से  जुड़ी  समस्याएँ एवं बच्चों  का  विकास:  एक  बच्चे  का  दिमाग  7-8 साल  की  उम्र  तक  विकसित  हो  चूका  होता  है। उस  समय  के  दौरान  बच्चा  जो  सीखता  है  वो घटनाएं और  उनसे  जुड़े  भावनात्मक अनुभव  उसके  अवचेतन  मन   की  हार्ड  ड्राइव  में   हमेशा  के  लिए  स्टोर  हो  जाते  हैं। ये कंप्यूटर की उस  मैमोरी जैसा  होता है  जिसे आप  कभी  डिलीट  नहीं कर सकते। 

उन  7-8 सालो  में  बच्चा  अगर  अपने  घर  अपने  माँ और  पिता  को  मारपिटाई या झगड़ते  हुए  देखता है  तो  उसके कोमल मन  पर  ऐसी घटनाओं का बेहद  नकारत्मक असर  होता  है। उदाहरण  के  तौर  पर  अगर   पिता  हफ्ते में  कुछ दिन या रोज शराब  पीकर  घर  आता  है  और  गाली गलौच या घर में  अपमानजनक  भाषा  का  प्रयोग  करता  है  तो  ये  बहुत  हद  तक  संभव  है  कि  उस  बालक  को  सामाजिक माहौल  में अपनी  भावनाओं  को  काबू  करने  में   काफी  परेशानियाँ  हो  सकती  है, जिसे घर के किसी सदस्य के लिए  समझ  पाना  काफी  मुश्किल  काम  है । काउंसलिंग के  जरिये  ऐसे व्यक्ति को मदद मिलती है जो शराब के नशे में  अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर काबू नहीं रख पाते।

3. आर्थिक  समस्याएँ : नशे  की  लत  आपकी  मानसिक  स्थिति  के  साथ साथ आपको  आर्थिक रूप से भी खोखला कर देती है।  जब तक असर  गंभीर नहीं हो जाते, तब तक आपको इस बात का अहसास नहीं होगा कि शराब पीने की समस्या से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। यदि आप बारबार शराब पीने वाले हैं, तो यह बहुत जरूरी  है  कि  आप  अपनी  कमाई  से  शराब  पर  होने  वाले  खर्च  पर  ध्यान  दें। अगर  आप  एक  क्लब या बार  में  जाते  हैं  और  बीयर के सिक्सपैक लेते  हैं  तो  उसकी  कीमत ब्रांड के आधार पर लगभग 1200 से 5000 तक हो सकती हैं, और हार्ड शराब, वाइन और अन्य पेय पदार्थों की कीमत अधिक हो सकती है। अगर आप हफ्ते में  2-3  दिन यही  रूटीन अपनाते हैं तो आप जल्द ही आपका जीवन उधारी पर चलने लगता है।    

 

जरुरत से ज्यादा कोई भी चीज़ ज़हर का काम करती है, और शराब की बोतल पर साफ़ अक्षरों में  लिखा होता है, “शराब का  सेवन स्वास्थय के लिए हानिकारक हो सकता है” ये केवल आपके निजी स्वास्थय के लिए ही नहीं बल्कि आपकी ज़िन्दगी से जुड़े दूसरे पहलुओं पर भी बुरा असर डालता है। और जैसा ऊपर लिखा है कि समझदार  व्यक्ति  वही  है  जो  ये  बात  जानता  हो कि  किसी  अनजान  रास्ते  पर  चलते  हुए कहां से  लौट  आना  चाहिए

 

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर2021-06-02T21:44:03+00:00

gutka tambaku chorne ka upay

तम्बाकू छोड़ने के उपाय

अगर हम शराब, स्मैक या और किसी भी प्रकार के अन्य नशे के बारे में बात करेंगे तो वह सभी कुल मिलाकर भी इतनी मौतों के ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना की अकेले तम्बाकू के कारण होती है। डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 – 19 में सिर्फ भारत में ये आंकड़ा करीब दस लाख मौतों का था जो कि वर्ष 2010 से लगभग एक लाख ज़्यादा थीं, इसका साफ़ अल्फ़ाज़ों में मतलब है कि इसमें इज़ाफ़ा हुआ है और यह धीरे धीरे एक महामारी में तब्दील होती जा रही है। भारत में तम्बाकू के उत्पादों का बाज़ार बड़ा ही जटिल है, इसमें बीड़ी, सिगेरट, गुटखा, खैनी, पान मसाला सभी शामिल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में तम्बाकू के सेवन का चलन बहुत तेज़ी के साथ बढ़ा है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग दोनों ही बराबरी से शामिल है।
तम्बाकू का सेवन हमेशा शौक और जिज्ञासा के कारण शुरू होता है लेकिन यह शौक कब जानलेवा लत बन जाती है हमको पता ही नहीं चलता। किसी भी लत को छोड़ना आसान नहीं होता और खासकर की नशे की आदत छोड़ना तोह और कठिन होता है क्यों कि उसमे तो हमारा शरीर भी नशे की वास्तु पर निर्भर हो जाता है। पर हम अपनी इच्छाशक्ति और कुछ नुस्खों के दम पर ऐसा कर सकते हैं, आइये यहाँ पर हम चर्चा करते हैं कुछ तम्बाकू छोड़ने के उपायों के बारे में –
– आप सबसे पहले तो अपने सारे करीबियों को बता दें कि आप तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और वो आपको किसी भी सूरत मैं तम्बाकू
का सेवन करने के लिए न कहें और हो सके तो हमे ये बात याद दिलाते रह।
– अपने पास गुटका, सिगेरट, माचिस आदि रखना छोड़ दे।
– जितना हो सके उन लोगों से दूरी बनाएं जो सिगेरट, गुटखे का बहुत ज़्यादा सेवन करते हो।
– लगभग 40-50 ग्राम सौंफ और इतनी ही अजवायन लेकर तवे पर भूने, थोडा नींबू का रस और हल्का काला नमक डालें और उसको एक डब्बी में रखकर अपनी जेब में रख ले। जब कभी सिगरेट या तम्बाकू आदि की तलब लगे तो कुछ दाने चबाते रहे इससे तलब कम होगी, अपच, गैस और एनोरेक्सिया में भी फायदा होगा।
– इसके साथ ही हलके गर्म पानी में शहद डाल कर पीने से भी तलब कम होती है और सुबह उठ कर इसका सेवन भी तम्बाकू छोड़ने का बेहतरीन उपाय है।
– जब आप तम्बाकू छोड़ने का उपाय करते हैं तो आपको कुछ शारीरिक परेशानियों का सामना करना पद सकता है जैसे पेट में मरोड़ उठना,
भूख न लगना, खट्टी धकारें आना, समय से फ्रेश न हो पाना आदि। सूखे आंवले के टुकड़े, इलायची और सौंफ चबाने से इन सब से प्राकृतिक रूप से फायदा होगा बिना किसी एलॉपथी की दवाई के।
दुर्भाग्य से भारत में तम्बाकू का सेवन शुरू होने कि औसतन उम्र 14 से 16 वर्ष है जो कि एक किशोर अवस्था होती है, इसके लिए हम समाज में जागरूकता के आभाव को ज़िम्मेद्दार ठहरा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने इस मामले कुछ नहीं किया ! 2013 मई में 24 राज्यों ने और 3 केंद्र शाषित प्रदेशों ने तम्बाकू युक्त गुटखे पर रोक लगा दी, पर इसकी जगह तम्बाकू के दूसरे उत्पादों ने ले ली। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इस व्यसन की जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। इसके साथ ही 2016 में नाबालिग को किसी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना गैरकानूनी घोषित हो चुका है मगर इस कानून का अनुपालन काफी मुश्किल साबित हुआ है। हमारे समाज में भी तम्बाकू का उपयोग बहुत हल्के में लिया जाता है इसलिए ये बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग तम्बाकू के व्यसन के बड़े में खुद को जागरूक करे। आखिर यह लड़ाई असली तो हर एक व्यक्ति के स्वयं की भलाई के लिए है। आशा करते हैं की ये दुनिया और हमारा देश तम्बाकू छोड़ने के रास्ते में अग्रसर रहेगा।

gutka tambaku chorne ka upay2021-02-27T22:20:13+00:00

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है

क्या है गांजा

गांजे (MARIJUANA) को   पॉट और वीड भी कहा जाता है। ये एक साइकोएक्टिव (मन प्रभावी) ड्रग है जो कैनाबीस सटीवा श्रेणी के पौधे से आता है। ये शायद पूरे विश्व में सबसे ज्यादा एब्युज किया जाने वाला ड्रग है। इसको ज्यादातर जॉइंटस् में, बॉन्गस् में और पाइप में भर कर स्मोक किया जाता है। कई बार इसको खाने की चीजों में या चाय में भी डाल के लिया जाता है।

अल्कोहोल के कंपेरिजन में वीड हमारे बॉडी सिस्टम में लंबे समय के लिये रहता है जब की अल्कोहोल कुछ घंटो के लिये रहता है क्योंकि गांजे में टी.एच.सी tetrahydrocannabinol होता है जिसको मैटाबोलाइज करने में टाइम लगता है। टी.एच.सी में हमारे  बॉडी फैटस् के साथ कम्बाइन होने की प्रोपर्टी होती इसलिये इसे मैटाबोलाइज होने में समय लगता है।

गांजा हमारे शरीर में कितने देर तक रहता है?

गांजे का हमारे शरीर में कितनी देर तक रहता है ये दरअसल कई चीजों पर निर्भर करता है।

  • ली गई मात्रा पर
  • TETRAHYDROCANNABOLI (THC) की लेवल पर
  • हमारे शरीर के हाईड्रेशन (जलयोजन) पर
  • मैटाबोलीजम पर

आमतौर पर गांजा के पता हमारे बालों से 90 दिन तक लगाया जा सकता है, पेशाब में 3 दिन से लेकर 1 महीने तक जो की मात्रा पर निर्भर करता है, 2 दिन या 48 घंटे तक हमारे सलाइवा (लार) से, और 1.5 दिन या 36 घंटे तक हमारे खुन से लगाया जा सकता है।

ओरली लिया हुआ वीड स्मोक किये हुऐ वीड की अपेक्षा हमारे सिस्टम में ज्यादा देर तक रहता है।

नैचुरली वीड को मैटावोलाइज होने में काफी समय लगता है, एक्सरसाइज, हैल्दी खाना और ज्यादा पानी पीना इस प्रोसेस को थोड़ा तेज कर सकता है। पर ऐसा करने से भी कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा।

वीड या गांजा बहुत एडिक्टिव होता और ये जितना देर तक आपके सिस्टम में रहता है उतना ज्यादा चांसेस होतो है की ये आपकी यादाश्त, तर्क-शक्ति, और सीखने की क्षमता पर निगेटिव इफेक्ट करे।

इसके साथ वीड का लगातार इस्तेमाल से हार्ट की और सांस की बिमारीयां होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रेगनेंसी के दौरान वीड स्मोकिंग से आने वाले बच्चे में बर्थ डिफेक्टस् की पॉसिबिलिटी होती है।

 

  

 

  

 

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है2021-02-27T22:20:18+00:00

शराब नशा मुक्ति

नशे के आदी किसी व्यक्ति के पीने की आदत को बदलना आसान काम नहीं होता। मगर, महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित एक स्कूल के छत्रों ने पूरे गाँव को नाशमुक्त कर दिखाया। इस स्कूल ने तंबाकू और शराब का सेवन कर नशा करने वाले लोगों को नशे से मुक्ति दिलाई। यहां के छोटे बच्चों ने सिर्फ दो साल में हजारों लोगों की सोच बदल दी। वहाँ के शिक्षकों ने बताया कि यह मुलवर्धन का परिणाम है, जो एक स्कूल-आधारित मूल्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे शांतिलाल मुत्था फाउंडेशन (एक गैर-लाभकारी संस्था) द्वारा जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिकों का पोषण करने के लिए शुरू किया गया है।

नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।

शराब नशा मुक्ति, nasha mukti kendra bhopal

 

शराब नशा मुक्ति2021-02-27T22:20:25+00:00

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां

   

 

ऐसा कई बार देखा गया है की बंदे को मालूम है कि उसे ड्रग/अल्कोहोल का एडिक्शन हो चुका और वो इस प्रॉब्लम से निकलना भी चाहता है पर कुछ गलतफहमीयों या कहें कनफ्युजन की वजह से एक प्रॉपर ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट लेने से घबराता है। इन गलतफहमीयों की मुख्य वजह ये भी है कि हमारे समाज में इस टॉपिक को लेकर जानकारी बहुत कम है या गलत जानकारी है। एक एडिक्ट के लिये अपनी प्रॉब्लम रियालाइज करना और उसके बारे में कुछ करना एक बहुत जरुरी और बड़ा कदम होता है, तो आज हम यहाँ बात करेंगे उन कुछ गलत धारणाओं के बारे में जो ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर अक्सर इंसान के मन में होते हैं…

  1. सबसे पहला सवाल जो एक इंसान के मन में आता है वो ये होता है कि क्या  मैं एडिक्शन ट्रीटमेंट एफोर्ड कर सकता हुँ… तो इसका सीधा-सीधा जवाब है की हाँ। अगर आप सही तरीके से तलाशेंगे तो आपको ऐसे कई केंद्र और संस्थाऐं मिल जायेंगी जो किफायती दरों में ड्रग/अल्कोहोल एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम चलाती हैं। और इस बात को अगर आप इस नजरीये से देखेंगे की जितना खर्चा आप अपने एडिक्शन पर करते हैं उसकी तुलना में एडिक्शन ट्रीटमेंट का खर्चा कम ही होगा। इसके साथ ही आपको ये बात ध्यान में रखनी होगी की जितना ज्यादा आप एडिक्शन के इंफ्लुऐंस में रहते हैं उतना ही ज्यादा खतरा आपके बिमार होने का और किसी दुर्घटना के शिकार होने का बना रहता जो की कभी-कभार बेहद खर्चीला साबित हो सकता है।
  2. दुसरा डर आपको ये रहता है कि आपकी नौकरी या बिजनस का कहीं नुक्सान तो नहीं हो जायेगा… देखिये इस विषय में तो आपको सही तालमेल बिठाकर प्राथमिकतायें तय करनी होगी। आप अगर सही प्लानिंग कर के अपनी नौकरी या बिजनस से समय निकाल कर अपने आप नशे के जाल से निकालने के लिये देते हैं तो ये आने वाले कल के लिये बेहतर फैसला साबित होगा क्योंकि न केवल आप एडिक्शन की परेशानी से मुक्त होंगे बल्कि साथ ही अपने प्रॉफेशन में और अच्छा परफार्म कर पायेंगे।
  3. इसके आगे एक गलतफहमी ये भी है की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम जेल जैसा होता है। ये बात सही है कि एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम में रिसट्रिक्शनस् होते हैं और वो इसलिये होते हैं क्योंकि ड्रग्स और शराब की तलब बहुत खराब होती है और उनसे पार पाने में समय लगता है इसलिये सही ट्रीटमेंट के लिये आपको एक जगह सीमित रखना पड़ता है और इसी ट्रीटमेंट प्रोसेस को कारगर बनाने के लिये आपको एक हैल्दी डेली रुटीन फॉलो करना रहता है।
  4. चौथी बात हम ये करेंगे की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोसेस के बोरिंग होने का क्योंकि बहुत से लोगों को ये लगता है कि वो एक जगह बंद हो जायेंगे और उनके पास करने को कुछ नहीं होगा या वो और मायूस परेशान लोगों से घिरे होंगे तो यहाँ मैं बता दुँ की ट्रीटमेंट के दौरान आपका रुटीन बिलकुल भी बोरींग नहीं रखा जाता, इस प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाती है कि पेशंट को किसी एक्टिविटी में ऑक्युपाइड रखने की ताकी उसका मन इधर-उधर न भटके। इसके साथ डेली रुटीन में कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होती हैं। 
  5. और लास्ट में सबसे बड़ी गलतफहमी कुछ लोगो को ये हो जाती है कि वो अपने परिवार से दूर हो जायेंगे जबकी होता इसके बिलकुल उलट है। ये कुछ दिन जो आप अपनी बेहतरी के लिये अपने परिवार से दूर बितायेंगे उसमें आप रियलाइज करेंगे की नशे की वजह से आप अपने परिवार से कितने दूर हो गये थे। भले ही आप जब उनके साथ में एक ही छत के नीचे थे तब भी आपके जीवन का केँद्र नशा ही बन चुका था। यहाँ ट्रीटमेंट के दौरान जब आप नशे से दूर रहेंगे तो अपने आप को परिवार के और करीब महसुस करेंगे और उनकी ज्यादा वैल्यु करने लगेंगे। 

तो अगर आपको ये एहसास हो गया है कि आपको ड्रग या अल्कोहोल के एडिक्शन की प्रॉब्लम है तो कोशिश करें की जितना जल्दी हो सके आप इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवायें क्योंकि ये प्रॉब्लम समय के साथ और भयानक होती जाती है। इसके साथ आपके मन में यदि एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर कोई और शंका या सवाल हैं तो हमसे जरुर संपर्क करें…..  

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां2021-02-27T22:22:21+00:00

withdrawal management

यहाँ हम बात करेंगे उस शारिरिक अवस्था की जो होना लगभग तय है जब आप शराब या कोई दुसरा सुखा नशा जैसे स्मैक, हेरोइन आदि एकदम से छोड़ते हैं तो आपकी तबियत बिगड़ने लगती है, आपको बैचेनी, घबराहट, नींद न आना, भूख न लगना जैसी प्रॉबलम का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि आपका शरीर शराब या जो भी नशा आप करते हैं उसका अभ्यस्त/habitual हो चुका होता है इसलिये जब वो ड्रग बॉडी के सिस्टम में नहीं पहुँचता तो हमारा शरीर इस प्रकार से रियेक्ट करता है।

जब आप शराब या कोई भी नशा छोड़ते हैं तो विथड्रॉवल आना स्वाभाविक होता है। खासकर शुरुआत के 7 से 10 दिन तकलीफ देने वाले हो सकते हैं लेकिन इसके बाद शरीर नॉर्मल होने लगता है।

तो चलिये यहां हम कुछ तरीके जानेगें जो आपको विथड्रॉवलस् को हैंडल करने में मददगार रहेंगे।

  • पहले तो आप कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की और सुबह उठकर हल्के गर्म पानी में नींबु डालकर पीना भी फायदेमंद रहेगा। इस पिरियड में तरल पदार्थ/liquid intake ज्यादा से ज्यादा लें जैसे फ्रुट जुस, मिल्कशेक पर सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन बिलकुल न करें।
  • जितना हो सके हल्का खाना खायें कम तेल मिर्च का। विटामिन, आयरन, पोटेशियम युक्त फलों का सेवन करें।
  • क्रेविंग कम करने के लिये दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से नहायें। ऐसा करने से आपका शरीर से शराब की फिजिकल क्रेविंग कम होगी।
  • विथड्रॉवल के दौरान अपने डेली रुटीन में हल्की एक्सरसाइज और योगा को शामिल करना बहुत जरुरी होता है। इससे आपको नींद आने में मदद मिलेगी। योगा के साथ प्राणायाम भी करना क्रेविंगस् को कम करता है।
  • कोशिश करें धूप मे बैठने की क्योंकि विटामिन डी का इससे अच्छा कोई सोर्स नहीं होता साथ ही धूप लेने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।
  • अगर इस दौरान आपकी नींद नहीं आती और शरीर में दर्द होता है तो आप डॉक्टर से कन्सल्ट कर सेडेटिव और पेन किलर ले सकते हैं।

अल्कोहोल, स्मैक, अफीम आदि के विथड्रावल कई बार बहुत ही ज्यादा सिवीयर भी हो जाते हैं। जैसे हैलुसिनेशन में चले जाना या अपना आपा खो देना, ब्राउन शुगर/स्मैक के विथड्रॉवलस् में सीज़रस् भी आ सकते हैं इसलिये ऐसी कंडिशन में डीटॉक्स के लिये रीहैब या हास्पिटल का तुरंत मदद लें क्योंकि इस तरह की कंडिशन घातक हो सकती है। इसके साथ ही कई केसेस में आई.वी का भी इस्तेमाल करना पड़ सकता है जो की घर पर पॉसिबल नहीं हो पाता।

यहां पर मैं आपको कहना चाहता हुँ की आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें और किसी भी सिवीयर कंडिशन का इलाज खुद से करने की जरा भी कोशिश न करें।

लंबे समय से चले आ रहे एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिये हमे थोड़ी तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी, इसका कोई शार्टकट नहीं है पर यहां मैं एक बात तो गारंटी के साथ आपसे कह सकता हुँ की अगर इस लॉकडाउन में आप थोडी तकलीफ उठा कर नशे के भंवर से निकल गये तो पूरी लाइफ आजादी से रहेंगे।

withdrawal management2021-02-27T22:22:35+00:00

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

Rehabilitation Centre: A cure for addiction

It is obvious that no can see their loved ones or family member into deep holes of addiction of illicit substances therefore generally the family members of the addict are more anxious and troubled than addict itself. It is very difficult task for an addict to get completely out of trap of addiction without any external help. First we all have to understand that addictions are of various illicit substances so their effect on body and mind also vary from one another. Sometimes we take addict to hospitals and clinics, in case of him/her not feeling well physically or in case of overdose. After being treated in hospital or clinic maximum addicts return to their previous routine which also includes abusing illicit substances.

We can tackle the sin of addiction for ourselves and for our family members, if we handle this disease properly. The treatment of this disease in rehabilitation centre or nasha mukti kendra can be a tough task and can also be of longer time span but this method works best out of all the available options. There are many of reasons for considering rehabilitation centre or nasha mukti Kendra as the best option. To understand the treatment undergo in rehabilitation centre or nasha mukti kendra in broader way, we have to know that addiction victim can be of any age group and can be from any section of society. The demon of addiction does not differentiate between rich and poor, it effects all in same way. For a successful treatment of this disease we have to work on both our body and our mind. An addict also has to change his lifestyle for sustaining soberness over a longer period of time. We generally seek options that work only on physical condition of an addict that is why the patient tends to relapse after a shorter period of time. We should be aware of the fact that these addictive substances have high intensity of attraction and to avoid getting into the trap of addiction it becomes significantly necessary for recovered patient to prepare mentally.

In rehabilitation centre or nasha mukti kendra the treatment of the patient done according to the factors such as age and type of addictive substance. Since different substance has different effects and to add on here, the mentality with age also changes of every individual therefore the treatment procedure and time span also changes. This is the most important thing about rehabilitation centre or nasha mukti kendra. Apart from that all the appointed personnel by the rehab centre is dedicated to the profession of de-addiction or nasha mukti.

Generally, a genuine rehab centre appoints physician, psychiatrist, counselor, and yoga and exercise instructor with other supporting staff. We get all these key facilities required for proper treatment under one roof. Most of the staff appointed by the rehabilitation centre or nasha mukti kendra are familiar with devastating effects of pro-longed addiction and they understand mental condition of the recovering patient at each step. Hence, they are able to help them recover in better way. Psychiatrist and counselor appointed here has experience in dealing with all kind of addicts, they also prescribe medicines only if needed to overcome their problems such as depression, insomnia etc. It is often seen that after becoming physically well for sometime the recovering patient might think of addictive substance or perhaps crave for it mentally. In that case counselor plays a vital role in eliminating those thoughts conclusively. All these factors combined contribute in successful recovery from addiction.

Many rehab centre also help patients if he/she willingly seek consultation of rehab centre in case of relapse. The statics in our nation of addiction victims is gradually increasing by year. In this situation the option of rehabilitation centre or nasha mukti kendra is most effective medium because it produces more successful results than any other.       

 

  

Rehabilitation Centre: A cure for addiction2021-02-27T22:24:09+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार

सामान्य तौर पर नशा करने वाले व्यक्ति से ज्यादा परेशान उनके परिवार के सदस्य होते हैं क्योंकि ये स्वभाविक है कि हम किसी अपने को नशे के गर्त में जाते हुये नहीं देख सकते। एक नशे का आदि हो चुका व्यक्ति को बिना किसी की सहायता के नशा छोड़ने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही हमें ये समझना होगा की नशा कई प्रकार के पदार्थों का होता है और उनका असर भी हमारे शरीर पर अलग-अलग तरह का बोता है। हम नशे के आदि हो चुके व्यक्ति को बिमार होने पर य़ा ओवरडोज़ हो जाने पर क्लीनिक या अस्पताल में भी भर्ती करवाते हैं। वहाँ से ठीक होने पर मरीज कुछ समय बाद अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाता है जिसमें नशा करना भी शामिल होता है।

हम अपने आप को या अपने परिवार के किसी सदस्य को नशे की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। ये एक बिमारी है जिसका सही तरीके से उपचार आवश्यक है। नशे की लत की बिमारी का नशा मुक्ति केंद्र में उपचार थोड़ा मुश्किल और लंबा हो सकता है पर यह सबसे कारगर माध्यम है। इसके बहुत सारे कारण हैं। इसको विस्तार से समझने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना होगा की नशे की लत की बिमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है और इससे समाज का कोई भी वर्ग अछुता नहीं है। इस बिमारी का मरीज कोई भी हो सकता है। हमें इसके उपचार के लिये न केवल अपने शरीर पर काम करना पड़ता है बल्कि हमें अपनी मानसिकता और जीवन जीने के ढ़ंग पर भी काम करना होता है। हम और किसी माध्यम से उपचार करते हैं तो उनमें से अधिकांश सिर्फ शरीर पर काम करते हैं, इसी वजह से इनका असर केवल कुछ समय के लिये होता है। हमको ये पता होना चाहिये की नशे का प्रलोभन बहुत ही तीव्र होता है और इसके जाल से बचने के लिये हर नशे के आदि व्यक्ति को मानसिक रुप से तैयार होना होता है।

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कई कारणों से सबसे उत्तम विकल्प है। यहाँ हर मरीज का उपचार उसकी उम्र और नशे का प्रकार देखकर किया जाता है क्योंकि ये दोनो ही बातें उपचार की अवधि और कुछ तरीकों पर असर करती हैं। नशा मुक्ति केंद्र में काम करने वाले सारे लोग और केंद्र द्वारा नियुक्त डॉक्टर एंव काउन्सलर सभी लोग इस काम के प्रति सर्मपित होते हैं।

यह सारी सुविधाऐं हमें एक ही जगह मिल जाती हैं। अधिकांश लोग जो नशा मुक्ति केंद्र द्वारा रखे जाते हैं वो नशाखोरी के भयानक परिणामों से भली-भांती परिचित होते हैं और वो उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहे मरीज की मानसिकता को समझते हैं तथा कदम-कदम पर उनकी सुधार में मदद करते हैं। यहाँ पर नियुक्त मनोचिकित्सकों को इस तरह के मरीजों का काफी अनुभव होता है जिससे वो मरीज की अवसाद, बैचेनी आदि मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हाते हैं। बहुत बार ये देखा गया है कि जब मरीज को नशे की शारिरिक तलब खत्म हो जाती है उसके बाद कुछ समय बाद वो फिर उसे याद करने लगता है। तब काउन्सलर उनका नशे के प्रति नजरीया बदलने में सहायक सिध्द होते हैं। यह सब मिलकर नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ करते हैं।

इसके अतिरिक्त अगर कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आता है और अपने आप से नशा मुक्ति केंद्र आता है तो ये संस्थाऐं पीड़ित की सहायता करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नशे की लत से संबधित समस्याऐं देश में लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसी स्तिथि में नशा मुक्ति केंद्र में उपचार का विकल्प सबसे सटीक साबित होता है क्योंकि इससे और माध्यमों की अपेक्षा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।    

 

नशा मुक्ति केंद्र में उपचार2021-02-27T22:24:16+00:00

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज

नशे की लत एक बमारी है, यह बात डब्लु.एच.ओ द्वारा प्रमाणित है और इससे उबरने के लिये इसका सही ढ़ंग से इलाज जरुरी है। नशे की लत को सामन्यतः हर व्यक्ति हल्के में लेता है यही दृष्टिकोण बाद में परेशानी का कारण बनता है। नशा चाहे वह किसी भी पदार्थ का क्यों न हो, पदार्थ के सेवन की मात्रा हमेशा बढ़ती है। नशे की लत के इलाज के लिये पीड़ित या पीड़ित का परिवार तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं जैसे कि डॉक्टरों से सलाह, नीम-हकीमो के पास जाना, टोने-टोंटके करना, टी.वी.-रेडीयो के विज्ञापन में दिखाई गई दवाओं का इस्तेमाल करना आदि। इनमें से एक सबसे बेहतर उपाय है कि पीड़ित का नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाया जाये।

सबसे पहले नशा मुक्ति केंद्र इलाज का मकसद न केवल मरीज को कुछ समय के लिये नशा मुक्त करना होता है बल्की इलाज नशे से हमेशा के लिये दूरी बनाये रखने के लिये होता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चरणबद्ध तरीके से होता है।

  • पहला चरण – मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले मरीज का डी-टॉक्स किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज के शरीर मौजूद सारे हानिकारक तत्व को निकाला जाता है। ये चरण सबसे अहम है क्योंकि शरीर से सारे हानिकारक रसायन निकलने के बाद ही शारीरिक तलब (क्रेविंग) खत्म होती है। इसी चरण में विथड्रॉवल आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिये इस दौरान मरीज का केंद्र के स्टाफ द्वारा विषेश ख्याल रखा जाता है।
  • दूसरा चरण – इस चरण में मरीज को केंद्र की दैनिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इसमें योगा, ध्यान, व्ययाम, समय पर भोजन, मीटिंग सेशन इत्यादी गतिविधियां होती हैं। इस चरण से मरीज की शारिरिक ऊर्जा बनी रहती है और इससे मरीज की सोच सकारत्मक बनी रहती है। सकारात्मक सोच का होना इलाज के लिये बहुत जरुरी होता है क्योंकि ज्यादातर मरीज अपने नशे के साथ बिताये गये समय के कारण नकारात्मक हो जाते हैं। यहां स्टाफ की और अन्य मरीजों के साथ की सहायता से मरीज की जीवन के प्रति उमंग और सकारात्मकता बनी रहती है।
  • तीसरा चरण – इस चरण मनोचिकित्सक और काउन्सलर मरीज का आकलन करते हैं। बहुत से नशे के आदि व्यक्ति अवसाद में और भ्रमित रहते हैं, जिनकी जाँच केंद्र द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक करते है और जरुरत पड़ने पर दवाई देते हैं। वहीं काउन्सलर मरीज को नशा छोड़ने के प्रेरित करते हैं अथवा उनकी समस्याऐं सुलझाते हैं।
  • चौथा चरण – ये चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मरीज की नशा मुक्ति केंद्र से छुट्टी होने से पहले उसे केंद्र के कुछ कार्यों की जम्मेदारीयां दी जाती हैं। इससे मरीज का नशा छोड़ने का हौसला बुलंद होता है और अन्य मरीज उसे देखकर प्रभावित होते हैं।

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों करवाया जाये? यह सबसे बेहतर उपाय इसलिये है क्योंकि यह ज्यादा कारगर साबित होता है। ये केवल शरीर पर काम नहीं करता बल्की ये मानसिक रुप मरीज को नशे से दूर रहने में मदद करता है। इसके अलावा नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सर्मपित सारे प्रोफेशनल एक ही छत के नीचे मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त माहौल का बड़ा अंतर पड़ता है। नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को दूसरे मरीजों को देखकर नशा छोड़ने के लिये प्रेरणा मिलती है इसके विपरीत अस्पताल में केवल डी-टॉक्स की सुविधा होती है वह भी अपेक्षाकृत बहुत मंहगी होती।   

     

 

 

नशा मुक्ति केंद्र में इलाज2021-02-27T22:24:23+00:00
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