Nasha Mukti

नशा छोड़ने पर क्या होता है?

नशा छोड़ना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण यात्रा हो सकती है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। नशे की लत केवल एक बुरी आदत नहीं है; यह एक जटिल मानसिक और शारीरिक समस्या है। जब कोई व्यक्ति नशे से छुटकारा पाने की कोशिश करता है, तो उसे कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक प्रभावों का सामना करना पड़ता है। इन प्रभावों में से कुछ तात्कालिक और अस्थायी होते हैं, जबकि कुछ दीर्घकालिक होते हैं जो जीवनभर व्यक्ति के साथ रह सकते हैं।

इस ब्लॉग में, हम नशा छोड़ने के बाद होने वाले विभिन्न शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक प्रभावों पर गहराई से चर्चा करेंगे। यह ब्लॉग उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है जो नशा छोड़ने की योजना बना रहे हैं या पहले से इस प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।

नशा क्या है और इसका शरीर पर प्रभाव

नशा एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति किसी नशीले पदार्थ के सेवन का आदी हो जाता है और उसे नियमित रूप से लेना शुरू कर देता है। यह नशीला पदार्थ शराब, तंबाकू, ड्रग्स, या किसी अन्य केमिकल के रूप में हो सकता है। इन पदार्थों का सेवन व्यक्ति के मस्तिष्क के रसायनों और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे शरीर और मस्तिष्क दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

नशे के परिणामस्वरूप शरीर में निम्नलिखित प्रभाव होते हैं:

  • शारीरिक निर्भरता: शरीर को नशीले पदार्थ की आदत हो जाती है और उसके बिना सामान्य रूप से काम करना मुश्किल हो जाता है।
  • मानसिक निर्भरता: व्यक्ति मानसिक रूप से नशीले पदार्थ के बिना असुरक्षित और असहज महसूस करता है।
  • तंत्रिका तंत्र में बदलाव: मस्तिष्क में डोपामाइन जैसे रसायनों की मात्रा में असंतुलन पैदा होता है, जिससे व्यक्ति को बार-बार नशे की लत महसूस होती है।

नशा छोड़ने के बाद के शारीरिक प्रभाव

जब कोई व्यक्ति नशा छोड़ने का निर्णय लेता है, तो सबसे पहले उसके शरीर को उस नशीले पदार्थ की कमी महसूस होती है, जिससे कई प्रकार के शारीरिक लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस स्थिति को “विदड्रॉवल सिंड्रोम” (Withdrawal Syndrome) कहा जाता है। ये लक्षण नशे के प्रकार और अवधि के अनुसार भिन्न होते हैं।

1. डिटॉक्सिफिकेशन और विदड्रॉवल के शुरुआती लक्षण

डिटॉक्सिफिकेशन नशा छोड़ने की प्रक्रिया का पहला चरण होता है, जिसमें शरीर से नशीले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इस दौरान निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं:

  • कंपकंपी और बेचैनी: शराब और ड्रग्स जैसी चीज़ों के अभाव में शरीर कांपने लगता है और व्यक्ति बेचैनी महसूस करता है।
  • उल्टी और दस्त: शरीर से नशीले पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया के दौरान पेट की समस्याएं आम होती हैं।
  • पसीना आना: शरीर में तनाव और बेचैनी बढ़ने पर पसीना आना सामान्य है।
  • नींद की समस्या: व्यक्ति को नींद आने में कठिनाई हो सकती है या उसे अनिद्रा (Insomnia) हो सकता है।
  • सिरदर्द और शरीर में दर्द: नशा छोड़ने के दौरान सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और अन्य शारीरिक असहजता होती है।

2. दीर्घकालिक शारीरिक प्रभाव

शुरुआती लक्षणों के अलावा, नशा छोड़ने के दीर्घकालिक शारीरिक प्रभाव भी हो सकते हैं:

  • शरीर की ऊर्जा का स्तर: व्यक्ति की ऊर्जा धीरे-धीरे लौटने लगती है, और उसे जीवन के विभिन्न कार्यों में रुचि महसूस होने लगती है।
  • जिगर और अन्य अंगों की कार्यप्रणाली में सुधार: शराब या ड्रग्स के लंबे समय तक सेवन से जिगर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। नशा छोड़ने के बाद इन अंगों की कार्यप्रणाली में सुधार होता है, लेकिन इसमें समय लगता है।
  • वजन में बदलाव: कुछ लोगों में नशा छोड़ने के बाद वजन में बढ़ोतरी हो सकती है, खासकर यदि वे भोजन का उपयोग मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए करने लगते हैं।

नशा छोड़ने के बाद के मानसिक प्रभाव

नशा छोड़ने का मानसिक पहलू शारीरिक प्रभावों से भी अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नशा मस्तिष्क के रसायनों को प्रभावित करता है, इसलिए नशा छोड़ने के बाद मस्तिष्क को सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगता है। इसके परिणामस्वरूप मानसिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

1. अवसाद और चिंता

नशा छोड़ने के शुरुआती दिनों में अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) आम मानसिक लक्षण होते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन छोड़ने के बाद मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर गिर जाता है, जिससे व्यक्ति निराशा, अकेलापन, और उदासी महसूस कर सकता है। चिंता और घबराहट की स्थिति भी बढ़ सकती है क्योंकि व्यक्ति को नशीले पदार्थों की कमी महसूस होती है।

2. मानसिक संघर्ष और इच्छा

शुरुआती चरणों में व्यक्ति को बार-बार नशा करने की इच्छा हो सकती है। मस्तिष्क पुराने पैटर्न को दोहराने की कोशिश करता है, जिससे व्यक्ति को अपने नशे की आदत की ओर लौटने का प्रलोभन महसूस होता है। यह मानसिक संघर्ष बहुत शक्तिशाली हो सकता है, और इसके लिए उचित मानसिक सहायता और परामर्श की आवश्यकता होती है।

3. नींद की समस्या और थकान

नशा छोड़ने के बाद मस्तिष्क को आराम करने में समय लगता है, जिससे व्यक्ति को नींद में समस्या हो सकती है। अनिद्रा, बुरे सपने, और रात में अचानक जागने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या अक्सर तब तक बनी रहती है जब तक कि मस्तिष्क का रसायन संतुलन में न आ जाए।

4. स्मृति और ध्यान में सुधार

शुरुआती मानसिक कठिनाइयों के बाद, नशा छोड़ने से व्यक्ति की स्मृति और ध्यान में सुधार होता है। मस्तिष्क धीरे-धीरे अपनी सामान्य कार्यक्षमता में लौटने लगता है, जिससे व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है और वह पहले से अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।

नशा छोड़ने के बाद सामाजिक प्रभाव

नशा व्यक्ति के सामाजिक जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति को अपने पुराने रिश्तों को सुधारने, नई आदतें विकसित करने, और समाज में पुनः एकीकृत होने की आवश्यकता होती है।

1. परिवारिक संबंधों में सुधार

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति का परिवारिक जीवन भी बदल जाता है। नशे की लत के दौरान परिवार के सदस्यों के साथ तनाव और संघर्ष उत्पन्न होते हैं, लेकिन नशा छोड़ने के बाद इन संबंधों में सुधार हो सकता है। परिवारिक समर्थन और समझ इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. सामाजिक जीवन में बदलाव

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति को अपने सामाजिक जीवन को भी पुनः स्थापित करना पड़ता है। नशीली सामग्री का सेवन करने वाले पुराने मित्रों से दूरी बनाना आवश्यक हो सकता है, और नए स्वस्थ रिश्ते बनाने की कोशिश करनी पड़ती है। यह प्रक्रिया समय ले सकती है, लेकिन यह व्यक्ति को एक नया जीवन जीने में मदद करती है।

3. कार्यक्षमता में सुधार

नशा छोड़ने के बाद व्यक्ति की कार्यक्षमता में भी सुधार होता है। नशे के प्रभाव में व्यक्ति की उत्पादकता और कार्य पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घट जाती है। लेकिन नशा छोड़ने के बाद, उसकी ऊर्जा और ध्यान वापस लौट आते हैं, जिससे वह अपने काम में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

नशा छोड़ने के लिए समर्थन और सहायता

नशा छोड़ना आसान नहीं होता, और इसके लिए सही समर्थन और सहायता की आवश्यकता होती है। इसके लिए कई प्रकार की सेवाएं और संसाधन उपलब्ध होते हैं, जो व्यक्ति को इस कठिन समय से गुजरने में मदद कर सकते हैं।

1. परामर्श और थेरेपी

नशा छोड़ने के बाद परामर्श और मनोचिकित्सा बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। व्यक्तिगत और समूह थेरेपी से व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिलता है, जिससे वह अपने नशे की आदत को छोड़ने और उसे दोबारा न अपनाने के लिए प्रेरित होता है।

2. सपोर्ट ग्रुप

सपोर्ट ग्रुप, जैसे कि अल्कोहलिक्स एनोनिमस (AA) और नार्कोटिक्स एनोनिमस (NA), उन लोगों के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं जो नशे से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं। इन समूहों में व्यक्ति अपने अनुभव साझा कर सकता है और अन्य लोगों से प्रेरणा प्राप्त कर सकता है जो एक ही स्थिति का सामना कर रहे हैं।

3. नशा मुक्ति केंद्र

कई लोग नशा मुक्ति केंद्रों का सहारा लेते हैं, जहां उन्हें नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में उपचार प्रदान किया जाता है। नशा मुक्ति केंद्र में चिकित्सा, परामर्श, और थेरेपी की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो व्यक्ति को नशे से पूरी तरह से छुटकारा पाने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष

नशा छोड़ना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह संभव है। शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक प्रभावों से निपटने के लिए सही समर्थन, परामर्श, और चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

नशा छोड़ने पर क्या होता है?2024-08-22T16:02:29+00:00

Drug Addiction and its Treatment

Drug addiction is a chronic, relapsing condition characterized by the compulsive seeking and use of drugs despite harmful consequences. The widespread prevalence of drug addiction has raised public health concerns globally, creating an urgent need for effective treatment methods. In this blog, we’ll dive into drug addiction, explore the underlying factors, types of treatment approaches, and the latest advancements in addiction care.

What is Drug Addiction?

Drug addiction is a disorder that affects a person’s brain and behavior, leading to an inability to control the use of legal or illegal drugs. People from all walks of life can experience addiction, but the process typically begins with the voluntary act of taking drugs. Over time, a person’s ability to choose not to use the drug weakens, and drug seeking becomes compulsive.

The Science Behind Addiction

Addiction has long been misunderstood as simply a failure of willpower. However, recent research shows that addiction is a complex disease involving the brain’s reward system. When a person uses drugs, chemicals such as dopamine are released, producing feelings of pleasure and euphoria. Repeated drug use alters the brain’s circuitry, weakening areas responsible for decision-making and impulse control, leading to dependency.

Causes of Drug Addiction

  1. Genetic Predisposition: Genetics play a significant role in the risk of developing an addiction. Studies suggest that 40-60% of a person’s vulnerability to addiction is genetic.
  2. Environmental Factors: Family dynamics, exposure to drug use at an early age, peer pressure, and socioeconomic status contribute significantly to drug abuse initiation.
  3. Psychological Factors: Mental health conditions like depression, anxiety, and trauma may drive individuals to use drugs as a form of self-medication.
  4. Social Influences: Cultural attitudes, availability of drugs, and media portrayal of drug use can all normalize drug consumption, leading individuals down the path of addiction.

Commonly Abused Substances

  1. Opioids: Drugs like heroin, morphine, and prescription pain relievers (OxyContin, Vicodin) are part of the opioid epidemic, with misuse leading to significant physical and psychological dependence.
  2. Stimulants: Cocaine, methamphetamine, and prescription drugs such as Adderall or Ritalin can cause long-term effects on brain health and increase the risk of addiction.
  3. Cannabis: Although cannabis is often perceived as less dangerous, it can still cause addiction and lead to cognitive and psychological problems in some users.
  4. Alcohol: Alcohol addiction remains one of the most pervasive forms of addiction worldwide, leading to a range of health complications from liver disease to cognitive impairment.

Recognizing Drug Addiction

Drug addiction often manifests with behavioral, psychological, and physical symptoms. These include:

  • Cravings: An intense desire for the substance.
  • Loss of Control: Inability to stop or reduce drug use despite wanting to.
  • Tolerance: The need to use more of the substance to achieve the same effect.
  • Withdrawal: Physical symptoms when not using the substance, such as nausea, tremors, or anxiety.

Treatment Approaches for Drug Addiction

Treating drug addiction is multifaceted, requiring a combination of medical, psychological, and social interventions. The goal is not just to stop drug use but to help individuals return to a productive life.

  1. Detoxification:
    Detoxification is the first step in treating addiction and involves purging the body of the harmful substances under medical supervision. Withdrawal symptoms can be severe, so it is crucial for individuals to go through detox in a medically safe environment.
  2. Medication-Assisted Treatment (MAT):
    Medications can be used to treat opioid, alcohol, and nicotine addiction. These medications help reduce cravings and withdrawal symptoms, increasing the chances of successful recovery. Common medications include:

    • Methadone: Often used to treat opioid addiction by reducing cravings and withdrawal.
    • Buprenorphine: Provides relief from opioid withdrawal and can prevent relapse.
    • Naltrexone: Blocks the effects of opioids and reduces alcohol cravings.
  3. Behavioral Therapies:
    Behavioral therapy is an essential component of addiction treatment. It aims to change the individual’s behaviors and attitudes toward drug use, increase their life skills, and reinforce the desire for abstinence. Common therapies include:

    • Cognitive-Behavioral Therapy (CBT): Helps individuals identify and change thought patterns that lead to drug abuse.
    • Motivational Interviewing: Engages the individual in treatment by enhancing their intrinsic motivation to change.
    • Contingency Management: Offers tangible rewards for positive behaviors like abstinence.
    • Family Therapy: Focuses on repairing relationships and creating a support system for recovery.
  4. Residential Rehabilitation Programs:
    These programs offer intensive, structured treatment in a live-in facility, allowing individuals to focus entirely on recovery. Residential programs often include group therapy, individual counseling, and life skills training.
  5. Outpatient Programs:
    For those with less severe addictions or who have completed residential treatment, outpatient programs offer flexibility. Patients visit treatment centers while continuing with their day-to-day life, maintaining support through therapy and check-ins.
  6. 12-Step Programs and Peer Support Groups:
    Programs such as Alcoholics Anonymous (AA) and Narcotics Anonymous (NA) use a structured, spiritual framework to help individuals achieve and maintain sobriety. Peer support groups also provide a non-judgmental space for sharing experiences, struggles, and successes in recovery.

Advanced Treatment Options

  1. Holistic Therapies:
    Alternative approaches like yoga, meditation, art therapy, and acupuncture are gaining popularity in drug addiction treatment. These methods aim to heal the mind, body, and spirit and help individuals develop healthier coping mechanisms.
  2. Neurofeedback Therapy:
    Neurofeedback uses real-time monitoring of brain activity to teach individuals how to regulate brain functions. It has been found effective in treating substance use disorders by addressing cognitive and emotional regulation.
  3. Transcranial Magnetic Stimulation (TMS):
    TMS is a non-invasive procedure that uses magnetic fields to stimulate nerve cells in the brain. It is increasingly being used in addiction treatment to help control cravings and improve mood regulation, especially in individuals resistant to other forms of treatment.
  4. Virtual Reality Therapy:
    Virtual reality exposure therapy allows patients to confront triggering environments in a controlled setting, reducing their emotional response and helping them develop better coping strategies.

The Importance of Aftercare

Recovery doesn’t end with the completion of treatment. Aftercare services are crucial for preventing relapse and supporting long-term sobriety. These services may include:

  • Sober Living Homes: Structured, substance-free environments that provide support during the transition back into society.
  • Ongoing Counseling and Therapy: Regular sessions with a therapist or counselor help individuals maintain sobriety by addressing emotional and psychological challenges.
  • Continued Participation in Peer Support Groups: Long-term involvement in support groups provides an ongoing sense of community and accountability.

Challenges in Drug Addiction Treatment

  1. Relapse:
    Relapse is a common part of the recovery process. According to the National Institute on Drug Abuse (NIDA), relapse rates for drug addiction are similar to other chronic diseases, such as diabetes and hypertension, at 40-60%. However, relapse should not be seen as a failure but as an indication that the treatment plan needs adjustment.
  2. Co-occurring Mental Health Disorders:
    Many individuals with substance use disorders also suffer from co-occurring mental health conditions such as depression, anxiety, or post-traumatic stress disorder (PTSD). Treating addiction without addressing these underlying conditions is often ineffective. Integrated treatment approaches that tackle both mental health and addiction concurrently are essential.
  3. Access to Treatment:
    Access to addiction treatment can be challenging due to various barriers, including cost, stigma, and lack of availability. Expanding healthcare coverage, reducing stigma around seeking help, and creating more treatment centers are vital steps in addressing these issues.

The Future of Addiction Treatment

The future of addiction treatment looks promising, with ongoing research and innovation paving the way for more effective, personalized approaches. Some areas of focus include:

  1. Genetic Research:
    By understanding the genetic factors that contribute to addiction, researchers hope to develop targeted therapies and preventative strategies.
  2. Precision Medicine:
    Precision medicine involves tailoring treatment based on an individual’s unique genetic makeup, environment, and lifestyle. This approach is already showing promise in the field of addiction treatment.
  3. Telemedicine:
    The rise of telemedicine offers new opportunities for addiction treatment, especially for those living in rural or underserved areas. Online counseling, virtual support groups, and remote monitoring tools make treatment more accessible and flexible.
  4. Public Policy and Harm Reduction:
    Increasing support for harm reduction strategies, such as needle exchange programs and supervised injection sites, could reduce the public health impact of addiction while guiding individuals toward treatment.

Conclusion

Drug addiction is a multifaceted disease that requires a comprehensive, individualized approach to treatment. From detoxification to therapy, medication, and holistic care, various interventions are necessary to address the physical, psychological, and social aspects of addiction. Continued research and advancements in the field promise to improve outcomes for those struggling with addiction, ultimately offering hope for recovery and a better quality of life.

Recovery is not a straight path, but with the right support, resources, and determination, it is possible. Education and awareness remain crucial to reducing the stigma surrounding addiction and ensuring that more people have access to the help they need. Whether through residential rehabilitation, outpatient services, peer support, or emerging treatments, the ultimate goal is to empower individuals to regain control of their lives and thrive in recovery.

Drug Addiction and its Treatment2024-08-22T15:58:32+00:00

नशा मुक्ति के 100% अचूक और कारगर उपाय का पूरा सच

दोस्तों आज मैं जिस विषय पर मैं लिखने जा रहा हुँ वो एक नशा मुक्ति केंद्र के संचालक के और नशा मुक्ति के अभियान से जुड़े होने की वजह से बेहद जरुरी हो जाता है। मेरे प्रोफेशन में मुझे कभी-कभार ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है जो कि तर्क विहीन और हंसाने वाले होते हैं। मुझे अक्सर ऐसे फोन कॉलस् आते हैं जिसमें नशा पीड़ित व्यक्ति के परिजन नशा छूटने की गारंटी की मांग रखते हैं, यहाँ तक की कभी-कभी नशा करने वाला व्यक्ति खुद नशा करके  फोन करता है और गिड़गिड़ाता कर कहता है की मेरा नशा गारंटी के साथ छुड़ा दो, मेरे से जायदाद लिखवा लो पर नशा छुड़ा दो, और भी भांती-भांती प्रकार के फोन आते हैं और कुछ लोग साक्षात् दर्शन देकर भी इस प्रकार के सवाल पूछते हैं और गोली-दवाई के बारे में भी पूछते हैं की कोई ऐसी दवा दे दो जिसको ले कर नशा ही न करुँ या बिलकुल जादू की तरह सब बदल जाए। आज के समय में ये चलन कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है, पहले भी ऐसा होता था पर कम होता था इसलिये मुझे लगा की मैं कलम के माध्यम से विषय पर कुछ प्रकाश डालूँ।

दोस्तों अक्सर ऐसा अक्सर दो प्रकार की परिस्थियों में होता है: 

  • पहली है desperation की स्टेज, ऐसा अक्सर देखा गया है कि नशा करने वाले बंदे का परिवार या खुद नशे करने वाला अपनी आदत से इस कदर परेशान हो चुका होता है कि वो ऐसे चमत्कार की कामना करने लगता है या ऐसी चीजें fantasize करता है जो reasonable (तार्किक) दुनिया में संभव नहीं है
  • दुसरा शिकार fraud marketing scheme के होते हैं.. आपने ऐसे बहुत सारे विज्ञापन देखे होंगे जिसमें कई ऐसी रामबाण दवाओं के बारे में बताया जाता है कि इन दवाओं को लेने से हर तरह का नशा मीलों दूर भाग जाता है… और गौर करने वाली बात य़हाँ पर ये भी है कि ऐसी दवा बेचने वालों के एड भी बहुत कनविंसिंग होते है…. शानदार तरीके से फिल्माए गय और मंझे हुऐ स्थापित कलाकारों की एक्टिंग के साथ.. ये फिल्मी सितारे एक और शराब का प्रचार करते हैं और दुसरी तरफ कुछ ऐसे गोरखधेधे को बढ़ावा भी देते हैं। पर आप खुद अपने दिमाग से सोचो कि अगर ऐसी कोई दवा बनी होती ना, तो दुनिया कुछ और ही होती… नशे की वजह से दुनिया में इतना त्राहिमाम न मचा होता, मतलब सतयुग ही आ गया होता.. और ऐसी दवा के अविष्कारक को अब तक 3 बार नोबेल पुरुस्कार मिल चूका होता क्योंकि सिर्फ उसकी बदौलत हर साल न जाने कितने ही लोगों का जान बचती, कितने ही परिवार बर्बाद होने से बच जाते, अपराध कम हो जाते और भी कई सारी समस्याओं का समाधान बस एक दवाई से हो जाता। हाँ ये जरूर है कि ऐसे कई प्रकार के केमिकल होते हैं जो अल्कोहल के साथ रियेक्ट करते हैं और उसको लेने के बाद शराब पीने पर शरीर रियेक्ट करता है और इंसान को उल्टि, सरदर्द, घबराहट, बैचेनी जैसी तकलीफें होती हैं… इससे इंसान शराब पीने से घबराने लगता है… ये तरीका कई बार काम तो कर जाता है पर ज्यादा दिन तक नहीं चल पाता…. क्योंकि कुछ टाइम बाद बंदे को शक हो जाता है कि दया कुछ तो गड़बड़ है …. उसको समझ में आ जाता है कि खाने में कुछ मिलाया जा रहा है और फिर वो घर का खाना ही छोड़ देता है या घर में लड़ता-झगड़ता है। इन कैमिकल्स का एक भारी downside ये भी है कि ये केमिकल कितना रियेक्ट करेंगे और कितनी शराब की मात्रा पर करेंगे …ये कोई फिक्स नहीं है …. ये बात हर एक individual की शारिरिक संरचना पर डिपेंड करती है… और कभी-कभी रियेक्शन एक्सट्रिम भी साबित हो सकते हैं और शरीर के लिये रियेक्शनस तो हानिकारक ही होते हैं।

अच्छा मैं ये बिलकुल नहीं कहा रहा कि इस तरह के fraud में नशा मुक्ति केंद्र शामिल नहीं हैं। कई ऐसे नशा मुक्ति केंद्र भी हैं जो पैसे के लालच में झूठे प्रचार और वादे भी करते हैं और परेशानी का फायदा उठाते हुऐ पैसा बनाते हैं। पैसे लेना कोई गलत बात नहीं है आप काम कर रहे हो और हर कम को चलने के लिए अर्थव्यवस्था की जरुरत होती ही है, पर गलत प्रचार और वादे करना ठीक नहीं है केवल अपने कम को चलने के लिए 100 % नशे से मुक्ति दिलाने वाले लोग 100 % झूठे होते हैं, क्योंकि मेडिकल साइंस में कुछ भी चीज 100 परसेंट नहीं होती… आप किसी बड़े डॉक्टर से पूछ लें.. या हिन्दी अंग्रजी फिल्मों का वो सीन याद करें जिसमें डॉक्टर कहता है कि अब सब उपरवाले के हाथ में है। एक छोटे से घाव के इलाज से लेकर कैंसर तक का इलाज…. सब ek best attempt होता है और यो एक फेक्ट है।
चलिए अब जरा ये भी समझ लेते हैं कि नशे किस तरह कि बीमारी है और इसका इलाज क्या है। दोस्तों यहाँ सबसे जरुरी बात जो समझने वाली है वो ये कि नशा करना कोई choice या नैतिक बुराई नहीं है बल्कि diabetes, hypertension, और asthma की तरह chronic disease हैं पिछले कई सालों की रिसर्च से ये साबित हुआ है की नशा एक मानसिक और शारीरिक बीमारी है। कई सालों तक लगातार नशा करने की वजह से एडिक्ट के mind में ऐसे बदलाव हो जाते हैं जो कि हमेशा रहते हैं कई बार तो नशा छोड़ने के महीनों-सालों बाद भी।

शराब या नशे के इस्तेमाल से व्यक्ति के दिमाग कि कार्यप्रणाली और संरचना में बदलाव आ जाता है उदाहरण के तौर पे हमारे दिमाग का communication system नशे कि वजह से disturb हो जाता है और हमें information collect करने में और उनके इम्प्लीमेंटेशन में परेशानी होने लगती है। दिमाग के कई और भी हिस्से भी हैं जो नशे कि वजह से प्रभावित होते हैं उनमें से कुछ के बारे में आपको बताता हूँ

  • Cortex – ये दिमाग का बाहरी हिस्सा होता है जिसमें सबसे अधिक विकसित कोशिकाएं होतीं हैं इस हिस्से का काम होता है सोचना , सीखना और समझना। जो कि नशे के कारन बहोत प्रभावित होता है।
  • Limbic part – ये दिमाग का रिवार्ड सर्किट होता है जो कि हमारे दिमाग कि सभी कोशिकाओं को जोड़े रखता है और यही हिस्सा…. हमारी ख़ुशी के अहसास और भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। limbic system तब activate होता है जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिससे हमें ख़ुशी का एहसास हो और दुर्भाग्य की बात ये है कि नशा करने से भी ये activate होता है और लगातार नशा करने कि वजह से ये पूरी तरह से नशे पर ही निर्भर हो जाता है। …. मतलब ये कि हमें जो भी काम करने में मजा आता था अब वो मजा बिना नशे के मिल पाना पॉसिबल ही नहीं रह जाता।
  • Hippocampus – ये भी limbic part से जुड़ा हुआ एक हिस्सा होता है जो कि हमारी long term memories को store करता है नशे के कारण हमारे इस हिस्से पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। मैं ज्यादा deep नहीं जाऊंगा इन सब में वरना ये टॉपिक बहोत लम्बा हो जाएगा so कुल मिला कर बात ये है कि ये जो दिमाग में बदलाव होते हैं वो आसानी से आने जाने वाली चीज नहीं हैं।

उदाहरण के तौर पे आपका diabetes control में रहता क्योंकि आप दवाई ले रहे होते हैं और अपनी diet पर ध्यान दे रहे होते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि diabetes ठीक हो गया वो अभी भी आपके system में है, but आपने उसे अच्छे से manage कर रखा है, और same condition नशे के साथ होती है, ये ठीक होने वाली बीमारी नहीं है पर इसे भी successfully manage किया जा सकता है पर ये आपके साथ बनी रहेगी। इतना सब कुछ जानने के बाद तो आप समझ ही गए होंगे कि अगर आपसे कोई बोलता है कि उसके पास नशे का ऐसा इलाज है जिससे नशे 100 % छूट जाएगा या ऐसी कोई दवाई है जो नशे छुड़ा देगी तो समझ लेना वो 100 % झूठ बोल रहा है और आपको बाबा जी ठुल्लु पकड़ा रहा है।

पर प्रोब्लम ये है कि सच कड़वा होता है और कुछ भी हासिल करने के लिये धैर्य और परिश्रम लगता है और लोगों को आज के समय में सच सुनने कि आदत नहीं रही है या हम ये कह सकते हैं कि वो अपने परिजन की नशे कि आदत से इतने परेशान हो चुके है कि अब वो सच को स्वीकारना ही नहीं चाहते। हमें ये समझना चाहिए कि नशा करना किसी का character certificate नहीं है जो ये कहे की ये बंदा नैतिक रुप से कमजोर है और ये किसी की choice का मामला भी नहीं है … क्य़ोंकि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का ये aim नहीं बनाता की उसे आगे जा कर एक addict बनना है
पर लोग addict हो जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता और फिर वो ताउम्र addict ही रहते हैं पर वो इलाज के द्वारा अपनी इस बीमारी को manage कर सकते हैं। कई बार लोग इसमें विफल भी होते हैं, यानि दोबारा पी लेते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं है कि उनका इलाज बेकार गया, बल्कि इसका मतलब ये है की उन्हें फिर से इलाज लेने की और अपने trigger points पर काम करने की जरुरत है। अच्छा एक सीधी सी बात है क्या अगर कोई diabetic इंसान किसी कारण दवाई लेना भूल जाए या मिठाई खा ले तो क्या हम उसे कोसना शुरू कर देते हैं क्या ? या doctor को बुरा भला बोलते हैं कि इसने दवाई क्यों नहीं ली या मीठा क्यों खा लिया। अच्छा उन लोगों को पता होता है कि मीठा खाना या दवाई नहीं खाना उनके स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है, फिर भी वो अपने doctor के निर्देशों की अनदेखी कर देते है। और कई बार ऐसा ही addiction treatment के मामले में भी होता है।
तो सीधी-सधी बात ये है कि गलत अपेक्षाएं रखना छोड़ो और अपने परिजन का साथ दो जिससे वो नशे से दूर रह पाए, और आप लोग ऐसे लोगों से दूरी बना लो जो आपसे झूठे वादे कर देते हैं की 100 % नशे छुड़ा देंगे। हालाँकि झूठ बोलने वालों का भी क्या ही है, उनकी भी क्या गलती है जब तक आप लोग सच्चाई को नहीं अपनाओगे लोग झूठ बोलते रहेंगे।
कई लोग तो हमें भी बोलते हैं कि इंसान को आप ठीक नहीं कर सकते तो दुकान क्यों खोल कर बैठे हो। तो इसका सीधा सा जवाब है, लोग नशे छोड़ नहीं सकते पर manage तो कर सकते हैं बशर्ते वो अपनी परेशानी को समझें और उस सकारात्मक दिशा मैं कम करें। मैं खुद 12 साल से manage किया हुआ हूँ, आज तक नहीं पी इतने साल में, और ऐसे सैंकड़ों लोग हैं जो यहाँ रहे और अपने नशे कि बीमारी को successfully manage करके अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।

नशा मुक्ति के 100% अचूक और कारगर उपाय का पूरा सच2022-04-27T09:43:56+00:00

कैसे पाएं नशे से छुटकारा

क्या आप भी शराब छोड़ना चाहते हैं या नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं पर बार-बार शराब पी लेते हैं, बार-बार आपको नाकामी का सामना करना पड़ता है । अगर आपका जवाब हां है तो ये article आपकी बहुत मदद कर सकता है, और आपकी जो बार-बार नाकाम होती कोशिश है, उसको आप कामयाबी में बदल सकते हैं बस जरूरी है कि आप एकदम इमानदारी से कोशिश करें, और जो मैं आपको बताने वाला हूं उसको पूरी तरह से अमल में लाएं ।

दोस्तों नशा छोड़ने के लिए सबसे जरूरी चीज जो होती है, वो है आपकी मानसिकता । नशा छोड़ने के लिए आप नशा छोड़ते समय किस तरह के गोल्स और प्लान बनाते हैं आप किस तरह की टाइमलाइन सेट करते हैं अपने नशे को छोड़ने के लिए ये जसबसे जरूरी चीज है । और यही सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट इंसान के लिए होना चाहिए कि वो अपने गोल्स को किस तरह से सेट कर रहा है अगर आप long-term की मानसिकता बनाते हैं या जिसको अपन बोलें तो हमेशा के लिए नशा छोड़ने की मानसिकता बनाते हैं कि अब मुझे जिंदगी भर के लिए नशा छोड़ देना है या फिर मुझे अब कभी नशा नहीं करना तो उस इंसान का नशा छोड़ना उतना ही मुश्किल होगा ।

ज्यादातर लोग यही करते हैं कि जब भी नशा छोड़ने के बारे में आपके दिमाग में एक स्ट्रोंग फीलिंग आती है तो आप हर बार की तरह यही सोचते हैं कि हां मैं अब कल से नशा नहीं करूंगा, मैं जीवन भर नशा नहीं करूंगा और यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी होती है । आप इसे दूसरी तरह से सोच सकते हैं आपको पहले ये समझना होगा कि नशा छोड़ने के जो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म एस्पेक्ट हैं उनमें क्या डिफरेंस है और वो हमें किस तरह से फायदा दे सकते हैं इसे आपको समझना जरूरी है । क्योंकि शॉर्ट टर्म गोल्स और लोंग टर्म गोल्स दोनों एक अलग तरह की थिंकिंग हैं अगर आप लोंग-टर्म गोल्स के चक्कर में फंस जाएंगे तो आप समझ लीजिए कि आप कभी भी नशे को छोड़ नहीं पाएंगे।

दोस्तों जब आप नशे के चक्रव्यूह में फंसे हुए होते हैं यानी active addiction में होते हैं तब आप कई बार अपने आप से बोलते हैं कि मैं सच में इस शराब को अपनी जिंदगी निकाल देना चाहता हूँ । मैं इस जहर को अपनी जिंदगी से बाहर कर देना चाहता हूं पर उसी समय आपके मन से एक और आवाज आती है जो आपसे बोलती है कि मैं कैसे बिना शराब के अपनी पूरी जिंदगी को निकाल पाऊँगा, मैं फिर कभी एक भी गिलास शराब का नहीं ले पाऊंगा और ये बहुत ही ज्यादा tension देने वाली सोच होती है । मैं कैसे अपने वेकेशंस को मना पाऊँगा, मैं कैसे अपना बर्थडे सेलिब्रेट करूंगा, मैं कैसे अपने त्योहारों को मनाऊँगा, होली और दिवाली इन सारे त्योहारों को मैं कैसे मनाऊँगा। और भी कई सारे occasion होते हैं जहां पर आपको अल्कोहल की प्रेज़ेन्स हमेशा से मिलती रही है या फिर आपका दिमाग चाहता है या फिर आपने उस तरह से अपने त्योहारों को, अपने सेलिब्रेशंस को मनाया है तो आपका दिमाग हमेशा उसी जगह पर जाता है कि बिना अल्कोहल के मैं उन सारे सेलिब्रेशंस को कैसे मनाऊँगा। मैं कैसे पूरी अपनी जिंदगी बिना शराब के निकाल पाऊंगा । ये सोच आपके लिए बहुत ही डरावनी होती है । इसलिए आप नशा छोड़ने की शुरुआत में बिल्कुल भी इस तरह से ना सोचे और long-term के गोल भी ना बनाएं क्योंकि अगर आप इस तरह से सोचेंगे तो आप बहुत बुरी तरह से अपने फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने लगेंगे । आप ये सोचने लगेंगे कि अगर ऐसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, वैसी परिस्थिति होगी तो कैसा होगा, पर सच्चाई तो ये है, कि फ्यूचर को प्रिडिक्ट करने में हम लोग इतने भी अच्छे नहीं होते, वो तो जब हम उस दौर से गुजरते हैं तभी समझ पाते हैं कि फ़लाँ समय हमनें कैसा बिताया अच्छा या बुरा ।

अगर आप भी नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और इसी तरह का पैनिक माइंडसेट बना रखा है तो ये आपको डरा कर वापस उसी नशे की ओर ले जाएगा इसे छोड़ने का जो आसान रास्ता है वो ये है कि आप अपना माइंडसैट वन डे अट ए टाइम even मोर स्मॉलर then day, वन मोमेंट अट ए टाइम वाला बनाएँ । क्योंकि देखो अगर आपके पास में कोई सब्सटेंस या शराब रखी है तो आपको ये पता होना चाहिए कि आपको उसी मूवमेंट पर फैसला लेना है तुरंत वो डिसीजन लेना है कि आप उस substance को लेंगे या नहीं क्योंकि ये बात साफ है कि जो बीत गया वो आप बदल नहीं सकते और भविष्य का आपको कुछ भी पता नहीं है। तो आपके पास केवल एक ही टाइम फ्रेम है वो है अभी का इसीलिए हमें वनडे एट ए मूवमेंट को फॉलो करना चाहिए ये सबसे कारगर तरीका होता है नशे को छोड़ने के लिए, जिसे अगर आप ईमानदारी से करते हैं तो आप कामयाब जरुर होगे ।

एक और गलती जो आप करते हैं वो ये है कि आप अपने पास्ट के एक्सपीरियंस से अपने फ्यूचर का अनुमान लगाते हैं कि पहले अगर ऐसा हुआ था तो फिर से ऐसा होगा पर ये कोई लॉजिकल बात नहीं है इसमें कोई भी सेंस नहीं है, ये सोच कहीं काम नहीं आती क्योंकि अगर आप ऐसा सोचेंगे कि पहले ऐसा हुआ था तो अब फिर से ऐसा होगा तो आप पहले ही अपनी नाकामी के बारे में सोचने लगेंगे । बल्कि आपको हर उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए सूचना चाहिए जिसे आप जी रहे हैं उस प्रजेंट मूवमेंट के लिए आपको थैंकफूल होना चाहिए कि अभी मैं सोबर हूं, अभी मेरी बॉडी में अल्कोहल नहीं है मैं सोबर हूं एंड आई एम लविंग it, मुझे ये अच्छा लगता है, मैं इस मूवमेंट को प्यार करता हूं । क्या मैं अगले 10 मिनट बाद सोबर रहूंगा ? क्या मैं कल सोबर रहूंगा ? क्या मैं अपने जन्मदिन पर सोबर रहूंगा ? ये सोचने का मेरा काम नहीं है मुझे नहीं पता। ये कोई तर्क नहीं बनता कि मैं उस समय के बारे में सोचूँ जो मेरे हाथ में नहीं है, इस पर मेरा कोई जोर नहीं है । केवल एक चीज है जो मैं कंट्रोल कर सकता हूं वो है अभी। अभी मैं क्या कर रहा हूं, अभी मैं क्या करूं, अभी मैं नहीं पियूंगा और यही सबसे जरुरी बात है जो मायने रखती है और आपको इसी बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए ।

इसीलिए जब आप शराब या जो भी नशा छोड़ने की कोशिश करते हैं तो शुरुआती 2 से 3 हफ्ते आपके लिए बहुत इंपोर्टेंट होते हैं क्योंकि शुरुआती दो से तीन हफ्तों में जब आप शराब या कोई और नशा छोड़ते हैं तो उस सब्सटेंस में कुछ ऐसी फिजिकल पावर होती है जो कि आपको uncomfortable महसूस करा सकती हैं और इसकी वजह से आप फिर से नशा शुरू कर देते हैं पर दो-तीन हफ्ते के बाद इस शराब या जो भी नशा कर आप करते हैं उसमें कोई ऐसी ताकत नहीं रहती जिसके कारण आप नशा करें अगर आप फिर भी शराब पीते हैं या नशा करते हैं तो इसका पूरा कारण आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति है , आप अपने सबकॉन्शियस माइंड के पहले से सेट पैटर्न पर चल रहे हैं ।

चलो इस बात को और अच्छे से समझते हैं । दोस्तों आप हम में से ज्यादातर लोगों ने खुद को इसी प्रोग्रामिंग में ढाल रखा होता है कि अगर हमें कोई परेशानी होती है या तनाव होता है तो हम शराब पीते हैं और ऐसा हम बार-बार करते हैं । परेशानी आई तो शराब पी ली, दुखा आया तो शराब पी ली, तनाव आया तो शराब पी ली और ये साइकिल चलती रहती है मतलब जैसे ही आपको कोई परेशानी हुई और आपके सबकॉन्शियस माइंड में एक घंटी बजती है “run the alcohol program” क्योंकि आपके सबकॉन्शियस माइंड के पास इतना टाइम नहीं है कि वो हर बार आने वाली समस्या के लिए कोई क्रिएटिव सलूशन निकालने में अपनी एनर्जी बर्बाद करे उदाहरण के लिए अगर हमारा हाथ गर्म तवे पर पड़ जाए तो हम तुरंत रिस्पांस करेंगे, हम जितना जल्दी हो सके अपनी पूरी ताकत और तेजी से अपने हाथ को तवे से दूर करेंगे और ये प्रतिक्रिया कभी भी नहीं बदलती।आप जब भी किसी गर्म चीज पर हाथ रखेंगे तो यही रिस्पांस होगा क्योंकि आप इसके लिए प्रोग्राम्ड हैं और ऐसी ही प्रोग्रामिंग आपने अपने दिमाग में शराब और परेशानी को लेकर कर रखी है इसीलिए आपको अपनी प्रोग्रैमिंग को चेंज करने की जरूरत है । आपको समय देकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए नए तरीके और रास्ते ढूंढने की जरूरत है।

अगर आप भी किसी प्रकार के नशे में फंस गए हैं और लाख कोशिश करने के बाद भी नशा nahi छोड़ पा रहे हैं तो ये article आपकी मदत कर सकता है और अगर आप किसी प्रकार की सलाह या मदत तलाश रहे हैं तो आप हमसे कभी भी contact कर सकते हैं हमारा पता और number आपको website में मिल जाएगा।

कैसे पाएं नशे से छुटकारा2021-08-31T20:22:38+00:00

शराब हमारे दिमाग पर क्या इफ़ेक्ट डालती है

शराब हमारे दिमाग पर क्या इफ़ेक्ट डालती है

शराब हमारे दिमाग पर क्या इफ़ेक्ट डालती है

अल्कोहल आपके दिमाग और शरीर दोनों को कई तरीके से इफैक्टेड करता है . अल्कोहल लीगल है लकिन ये एक ड्रग से किसी भी तरह से कम नहीं है .इसीलिए इसको शुरू करने से पहले एक नहीं कई बार सोचना चाहिए. हमारा दिमाग लाखों न्यूरौन्स का एक complex नेटवर्क है. और ये न्यूरौन्स ही हमारे अंदर पॉजिटिव या नेगेटिव प्रोसेस को बनाने का काम करते है .अल्कोहल की वजह से हमारे दिमाग में नेगेटिव और एग्रेसिव न्यूरौन्स एक्टिव हो जाते हैं
इसको और डिटेल में समझने के लिए आपको MIND की पूरी working process और अल्कोहल की वजह से हमारे दिमाग पर होने वाले इफैक्ट के बारे में समझना होगा।  भी हम अल्कोहल लेते है तो 20% अल्कोहल को हमारा शरीर तुरंत अब्ज़ॉर्ब कर लेता है और बाक़ी बचा 80% अल्कोहल हमारी छोटी आंतैं absorb कर लेती हैं । उसके बाद हमारा heart इस अल्कोहल को pump करके हमारी पूरी बॉडी में फैला देता है यहाँ तक की ऐल्कहाल हमारी spinal cord और MIND तक पहुंच जाता है
अब माइंड में पहुँचने के बाद ऐल्कहाल क्या करता है वो समझते हैं
सबसे पहले ऐल्कहाल हमारे दिमाग के हिस्से सेरेब्रल कॉर्टेक्स पर negative effect डालता है जो कि हमारे सेंसेस और इन्हिबिटोरी सेण्टर यानी कार्य प्रणाली के लिए रिस्पोंसिबल है इसी वजह से
1. पीने वाला ज़्यादा बोलने लगता है ।
2. पीने के बाद व्यक्ति इतना Self confident हो जाता है कि उसे लगता है वो जो कुछ बोल या कर रहा है वही सही है.
3. व्यक्ति समाज से एक दूरी बना लेता है.
4. इसका व्यक्ति की thought process पर सीधे असर पड़ता है
हमारे दिमाग का दूसरा part है फ्रंटल लोब जो कि प्लानिंग करना, नए ideas को बनाना , निर्णय लेना और self control पर काम करता है अल्कोहल उस process पर सीधे प्रभाव डालता है जिसकी वजह से
– व्यक्ति Emotion control खो देता है यानी ऐसा व्यक्ति बहोत जल्दी भाभुक हो जाता है ,
– पीने वाला अच्छा बुरा सोचे बिना काम करता है
– और बहोत ज़्यादा गुस्से जैसी प्रोब्लेम्स का सामना करता है .
सेरिबैलम हमारे दिमाग का तीसरा part है जो हमारी coordination thinking और aware रहने जैसी complex process पर काम करता है अल्कोहल इन सब पर सीधा असर डालता है जिसकी वजह से इंसान में decision power धीरे धीरे कम होने लगती है और एक समय बाद इंसान इसको पूरी तरह से खो देता है
अब आता है हिप्पोकैम्पस ये हमारे दिमाग का चौथा part है जो की memories बनाने का काम करता है अल्कोहल हिप्पोकैम्पस को सीधे नुक्सान पहुँचाता है जिसकी वजह से हमें पढ़ने की क्षमता में कमी, चीज़ो को याद ना रख पाना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
हाइपोथैलेमस हमारे दिमाग का एक छोटा part होता है जो की बॉडी के रख रखाव का काम करता है अल्कोहल इसको नुक्सान पहुँचाता है जिसकी वजह से पीने वाले को
blood pressure का कम या ज्यादा होना
– भूख न लगना
– प्यास या urinal जैसी प्रोब्लेम्स को फेस करना पड़ता है
और आख़री में आता है मेडुला part ये हमारे दिमाग में आटोमेटिक एक्शन्स लेने का कार्य करता है जैसे की हार्टबीट, बॉडी टेम्परेचर आदि कोमेन्टेन करना .अल्कोहल हमारी बॉडी को ठंडा करता है और मेडुला बॉडी टेम्परेचर को मेन्टेन करता है इसी वजह से अल्कोहल हमारे दिमाग के आटोमेटिक सिस्टम को डैमेज कर देता है .
ये ऐल्कहाल से जुड़े कुछ जरुरी फैक्ट्स हैं जो कि आपको हमेशा याद रखने चाहिए
1- अल्कोहल से दिमाग का विकास रुक जाता है .
2- अल्कोहल आपके दिमाग को हमेशा के लिए damage कर सकता है
आपका शरीर आपका है, और इस शरीर की ज़िम्मेदारी भी आपकी है । शराब ना पियें, ना पिलाएँ । अगर आप इस लत के शिकार हो गए हैं और इसे सही में छोड़ना चाहते हैं तो आप कभी भी हमसे कॉंटैक्ट कर सकते हैं

शराब हमारे दिमाग पर क्या इफ़ेक्ट डालती है2021-07-14T10:43:38+00:00

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें

-मुझे मेरे दोस्तों ने गांजा पीला दिया है..
-मैंने पहले कभी नशा नहीं किया..
-अब पांच-छः दिन से मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा बहुत अजीब लग रहा है..
-बातें भूल जा रहा हूँ..
कोई उपाय बताओ जिससे मैं ठीक हो जाऊ।

अगर आपको भी आपके दोस्तों ने धोखे से गांजा पिला दिया है या आपने ही जान कर ये गलती की है और अब ऐसी ही परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो इन कुछ उपायों से आप इस नशे को उतार सकते हैं
1.पहला खट्टी चीजें खाना जैसे नीबू , इमली , दही , छाछ , कैरी जैसी चीजों को खान। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स नशे को कम कर देते हैं।
2.दूसरा काली मिर्च के 3-4 दाने खाने से गाँजे का नशा काफ़ी हद तक कम हो जाता है । ऐसा इस लिए होता है क्यूँकि दोनो के पौधे समान टैरापाइड प्रोफ़ायल के होते हैं ।
3.तीसरा सरसों के तेल को हल्का गुनगुना करके तेल कि दो-दो बून्द कान में डाल कर लेट जाए।
4.चौथा ठन्डे पानी से दिन में दो-तीन बार नहाना, ऐसा करने से नशा बहोत जल्दी उतार जाएगा और दिमाग़ भी शांत होगा । और आखरी काम जो करना है वो ये कि लम्बी-गहरी नींद लें। इस बारे में ज्यादा सोचें नहीं कि गांजा आपके दिमाग पर हावी हो रहा है या इस तरह के ख्याल मन में न लाएं कि आप पागल हो जाएंगे।

इन उपायों को करने से आपको काफी हद तक  नार्मल फील होने लगेगा । अगर 8-10 दिन निकलने के बाद भी आपको ऐसा लगता है कि आपको परेशानी हो रही है तो साइकेट्रिस्ट से जाकर सलाह जरूर लें।

आपके लिए ये भी जानना जरुरी है

गाँजा पीने से हमारे ब्रेन के फंक्शन प्रभावित होते हैं. जैसे कि शॉर्ट-टर्म मेमोरी, चीजों में सही तालमेल ना बिठा पाना, पढ़ने लिखने में परेशानी, पीने वाले का टाइम पर्सेप्शन बिगड़ जाता है. ये सब इफेक्ट्स हर किसी के लिए अलग-अलग होते हैं । गाँजे में मौजूद THC धीरे धीरे असर करना शुरू करता है इसीलिए अधिकतर जो लोग इसका नशा नहीं करते वो अनजाने में ज़्यादा गाँजा पी लेते हैं और जब ये हिट करना शुरू करता है तो पता चलता है की ये तो समस्या बन गया ।

लेकिन ये सब तो गाँजा फूंकने के दौरान होता है. यानी शॉर्ट-टर्म इफेक्ट्स हैं। यदि आप लम्बे समय तक वीड या गांजा पीते रहेंगे तो आपको साँस का रोग हो सकता है। कम उम्र में गांजे सेवन करने वालों का ब्रेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. जब तक हम 20 साल के नहीं होते, हमारा दिमाग़ पूरी तरह डेवेलप नहीं होता. कई स्टडीज़ में पाया गया है कि टीन-एज यानी किशोर अवस्था में गांजा फूंकने वालों की कॉग्निटिव एबिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है. इसका अत्यधिक सेवन करने से इस पर निर्भरता बढ़ती है. यानी इसके बिना रहना अजीब लगता है और गांजा साइकोसिस यानि मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर भी डेवलप हो सकता है।

गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें2021-06-26T11:09:38+00:00

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें

नशे की लत किसी व्यक्ति या उसके परिवार के लिये किस हद तक कष्टदायक हो सकती है, ये बात  उन परिवारों से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता जिनके परिवारों में इस बीमारी के कारण किसी को अपनी जान गवानी पड़ी हो या उस शराबी व्यक्ति के परिवार ने उससे मुंह मोड़ लिया हो। ये समय उसके परिवार लिए किसी श्राप से कम नहीं होता। नशे की लत में पड़ा व्यक्ति शायद ही कभी इस आदत को छोड़ने के बारे में सोच पाता होगा, मगर उसका परिवार हर मुमकिन कोशिश करता है की किसी तरीके से उसकी नशे की आदत छूट जाए। ऐसे व्यक्ति के लिए नशे में रहना समय के साथ एक साधारण बात हो जाती है। वह व्यक्ति जैसे – जैसे नशे को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल करता जाता है, वैसे – वैसे उसे हर रोज नशा करने की आदत पड़ती जाती है।   

बचपन में हमारे माता – पिता हमारी सेहत का ध्यान रखते हैं, जब हम बीमार पड़ते हैं तो हमें डॉक्टर के पास ले जाते हैं। मगर जब हम बड़े हो जाते हैं, और नौकरी या पढ़ाई करने घर से निकल कर बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं तो हमारे माँ – बाप हम पर भरोसा करते हैं कि हम अपना ध्यान खुद रख सकते हैं। मगर बाहर की दुनिया हमारी घर की चार दीवारों जितनी सुरक्षित नहीं होती, हमें बाहर अलग विचारों और अलग रहन-सहन वाले लोगों से मिलना पड़ता है, बात-चीत करनी पड़ती है और उनके साथ एक घर में रहना भी पड़ता है। जब आप किसी ऐसे माहौल में रहने लगते हैं जहां शराब, सिगरेट रोज का काम हो तो खुद को इन चीजों से दूर रख पाना एक कठिन काम है। हमारे दोस्त या ऑफिस के साथी कभी ना कभी शराब का ग्लास या सिगरेट पकड़ा ही देते हैं और इसके बाद कुछ लोग इसे आदत बना लेते हैं और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते।   

आप नहीं जान पाते की कब नशा आपकी लत बन गया, और आप अपना सारा गुस्सा, दुख, दर्द यहाँ तक की खुशी का साथी शराब को बना लेते हैं। नशे का सेवन हमने अपनी संस्कृति  में अक्सर होते देखा है। भगवान शिव की ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जहां वह एक चिलम हाथ में लिए भांग या गाँजा पी रहे होते हैं। भारत में कई जगह ऐसे मंदिर हैं जहां भैरव की मूर्तियों पर शराब चढ़ाई जाती है। हमारी युवा पीढ़ी कहीं ना कहीं इन तथ्यों का इस्तेमाल अपने नशे की आदत को सही साबित करने के लिए करती है।   

फिर जीवन इसी तरह से आगे बढ़ता रहता है, और उसी के साथ आपके दोस्त भी आपसे आगे बढ़ जाते हैं मगर आप वहीं रह जाते हैं, आप अपनी नशे की लत को नहीं छोड़ पाते। कहते हैं कि अकेलापन इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए आप शराब या और दूसरे नशों पर निर्भर हो जाते हैं। आपका शरीर आपको समय – समय पर चेतावनी भी देता है, कुछ लोगों लीवर में परेशानी होने लगती है, भूख नहीं लगती और कई व्यक्तियों को बिना शराब पिये नींद नहीं आती, मगर आप हर बार इन चीजों की अनदेखी कर देते हैं। शराब की लत इतनी प्रबल होती है की आप अपनी शरीर की बिगड़ती हालत को समझ ही नहीं पाते। 

आपका परिवार आपकी मदद करने की कोशिश करता है, मगर सिवाय मानसिक उत्पीड़न के उसे कुछ हासिल नहीं होता। आपको लगता है की आपके मन की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता मगर ऐसा नहीं है। अगर आप किसी मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं तो आपको इस बारे में बात करनी चाहिए, काउंसलिंग के जरिए आप अपनी मन की उलझनों को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं। नशा आपकी उस परेशानी को कुछ देर के लिए कम तो कर सकता है मगर खत्म नहीं कर सकता।

नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें2021-06-22T10:07:25+00:00

The Curse of Addiction

The Curse of Addiction

There is a famous saying : “One small step is worth more than a thousand steps planned.”

Don’t keep delaying the act of asking for help. Finding the courage to speak with an addiction professional may be the first most significant step on your journey to recovery.

The curse of addiction

When a person gets intoxicated for the first time, he must be thinking that what harm can be done to someone by drinking alcohol once or taking a couple of puffs of cigarette. And when he takes drugs for the second time, this time he tells himself that he will not do it from next time. But when he is unable to stop himself while intoxicated for the third time, this time he is filled with self-loathing and keeps the trust he had placed in himself on the side of the pillow and falls asleep, as if nothing had happened. He would go on getting stuck in a maze which is easy to get into but difficult to get out of.

The world of intoxication throws you out of the river of sorrow and into such a whirlpool of pleasures where you move away from the world of reality and you have no idea of ​​the mistakes you have done. And in the desire to get such happiness again and again, you forget that this happiness is for a short time. Such a person acts like a poisonous substance for his family and people associated with himself, who gradually pollute the environment of his home due to his negative behaviour and mental weakness. Such a person destroys the happiness of his family in front of the happiness he gets from his intoxication.

An alcoholic person is neither able to understand his feelings nor is able to respect the feelings of another person. The life of a drunk person is only surrounded by resentment and humiliation. That person spends his whole life in useless thoughts. He can never set a goal. When such a person thinks about his successes and failures in the last moment of his life, then he remembers only failures. Throughout this life he gave nothing but suffering to his family and his loved ones.

There is no such person in the world who has never faced any problem, every person is facing some trouble and troubles somewhere. But some people find the solution to their problems in the dark streets of intoxication and some in the light of hope.

Addiction is not a necessity of human being but a bad habit which takes the form of disease which can be cured. Human brain takes 25-30 days to adopt a habit, a person can save himself and his family members from the harm caused by the habit of intoxicants. But to do so, he needs a strong will power, which is driven by patience and discipline and prevents intoxication.

 

The Curse of Addiction2021-06-20T18:41:55+00:00

नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है

नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है

नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है

शहाब जाफ़री का एक मशहूर शेर है कि,
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है

कोई भी व्यक्ति जब पहली बार नशा करता है तो वह यही सोचता होगा कि उसके एक बार शराब पीने या सिगरेट के एक दो कश लेने से किसी का क्या नुकसान हो सकता है। और जब वह दूसरी बार नशा करता है तो इस बार वह खुद से ये कहता है कि अगली बार से नहीं करूंगा। मगर जब वह तीसरी बार नशा करते समय खुद को रोक नहीं पाता तो इस बार वह आत्मग्लानि से भर जाता है और खुद पर किये हुए भरोसे को तकिये के किनारे रखकर सो जाता है, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। वह एक ऐसे चक्रव्यूह में फ़सता चला जाता जिसके अंदर जाना तो आसान है मगर बाहर निकल पाना मुश्किल है।

नशे की दुनिया आपको दुखों के दरिया से निकाल कर सुखों के ऐसे भँवर में ढकेल देती है जहां आप हकीकत की दुनिया से दूर होते चले जाते हैं और आपको अपनी की हुई गलतियों का कोई आभास नहीं होता। और आप ऐसे सुख को बार बार पाने कि इच्छा में ये भूल जाते हैं कि ये सुख कम समय के लिए होता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और खुद से जुड़े लोगों के लिए एक ज़हरीले पदार्थ की तरह काम करता हैं जो धीरे धीरे अपने नकारात्मक व्यवहार और मानसिक दुर्बलता के कारण अपने घर के वातावरण को दूषित कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने नशे से मिलने वाले सुख के आगे अपने परिवार के सुख का नाश कर देते हैं।

एक शराबी व्यक्ति ना तो अपनी भावनाओं को समझ पाता है और ना ही किसी और व्यक्ति की भावनाओं की कद्र कर पाता है। नशे में बिताए हुए व्यक्ति का जीवन केवल असंतोष और अपमान से घिरा होता है। वह व्यक्ति अपना पूरा जीवन व्यर्थ के विचारों में बिता देता है। वह कभी कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाता। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम वक़्त में जब अपनी सफलताओं और असफलताओं के बारे में सोचता है तो उसे सिर्फ असफलताएँ ही याद आती हैं। इस पूरे जीवन में उसने अपने परिवार और अपने प्रियजनों को कष्ट के अलावा कुछ नहीं दिया।

दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ जिसे कभी किसी परेशानी का सामना ना करना पड़ा हो, हर व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी मुसीबत और तकलीफों को झेल रहा होता है। मगर कुछ लोग अपनी परेशानियों का हल नशे की अंधेरी गलियों में खोजते हैं और कुछ लोग उम्मीद के उजालों में।

नशा इंसान की कोई जरुरत नहीं है बल्कि एक बुरी आदत है जो बीमारी का रूप ले लेती है जिसे ठीक किया जा सकता है। इंसान का दिमाग एक आदत को अपनाने में 25-30 दिनों का समय लेता है, व्यक्ति चाहे तो नशे की आदत से होने वाले नुकसान से खुद को और अपने परिवार जनों को बचा सकता है। मगर ऐसा करने के लिए उसे प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है, जो धैर्य और अनुशासन से प्रेरित होती है और नशा करने से रोकती है।

नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है2021-06-18T15:38:15+00:00

Myth- Alcohol relieves fear and worry

Myth- Alcohol relieves fear and worry

myth-Alcohol relieves fear and worry

 

“Worrying decreases cleverness, sorrow decreases body, sin decreases Lakshmi, says,-Kabir Das”. 

From this couplet of Kabir Das and from the research done till now, everyone knows that worrying is fatal for human beings. In today’s fast-paced world, every person wants a comfortable life and he works day and night to get this life.

One fine evening one was just about to leave the office and came the Boss’ call. It is the last date of the month and today the boss will ask for the summary of the entire month; the trailer to the month’s picture. Simply put, one understands the evening is going to be full of pending tasks and objectives, as soon as you enter the Boss’s cabin, the boss starts a barrage of questions and what you want to say in your defence is unheard. 

After this gruesome conversation, your blood pressure rises and a volcano of anger starts acting up inside you. Now what would an ordinary person do in such a situation? Either he can leave that incident on the doorstep of the office or bring it to the house with a bottle of liquor or one goes to a bar or club to calm the volcano inside him.

One chooses Alcohol and,

after drinking Liquor, the person goes home and after reaching home one talks abusively to his family because of the pain caused by that insult in the office. In such a situation, the person loses control over his emotions under the influence of alcohol and the anger of the office comes out on his wife and children, which has a bad effect on the happiness and peace of the family. Her family does not know why her husband or her father is behaving like this. The children stand behind the door in fear and see this drunken form of their father and their mind is filled with depression.

Today this story happens in 4 out of every 10 houses where the father works hard in the office to meet the needs of his family and if he makes some mistakes there, he starts accepting the responsibility of his family, as suffering and feeds his family as it’s one’s moral duty to feed the family and he has to work to fulfil their needs. Blaming one’s mistakes on someone else and causing discord in one’s family under the influence of alcohol shows the incompetence of a person. He can never recover from his weak mentality 

and his family gets drowned in the darkness of apathy.

The person who seeks the solution of his work-related problems under the influence of alcohol is like a frog in the well who has never seen the outside world. They do not know that the habit of alcohol has weakened their will power, that they cannot bear their sorrows and troubles without drinking alcohol.

There are many famous artists who spoiled their emerging future by falling into the addiction of alcohol and drugs and there are some who have touched new heights in their lives by fighting it. The habit of intoxication destroys our thinking, understanding and reasoning power.

If you have wandered in a forest and you close your eyes because of the fear of the lion coming, it does not mean that the lion will not eat you. Think of it as if you are completely dependent on alcohol and you think that you can avoid its bad effects, you need to think again.

 

Myth- Alcohol relieves fear and worry2021-06-07T10:51:52+00:00
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