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गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें
गांजा, भांग (cannabis, ganja,weed, marijuana) का नशा कैसे उतारें
-मुझे मेरे दोस्तों ने गांजा पीला दिया है..
-मैंने पहले कभी नशा नहीं किया..
-अब पांच-छः दिन से मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा बहुत अजीब लग रहा है..
-बातें भूल जा रहा हूँ..
कोई उपाय बताओ जिससे मैं ठीक हो जाऊ।
अगर आपको भी आपके दोस्तों ने धोखे से गांजा पिला दिया है या आपने ही जान कर ये गलती की है और अब ऐसी ही परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो इन कुछ उपायों से आप इस नशे को उतार सकते हैं
1.पहला खट्टी चीजें खाना जैसे नीबू , इमली , दही , छाछ , कैरी जैसी चीजों को खान। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स नशे को कम कर देते हैं।
2.दूसरा काली मिर्च के 3-4 दाने खाने से गाँजे का नशा काफ़ी हद तक कम हो जाता है । ऐसा इस लिए होता है क्यूँकि दोनो के पौधे समान टैरापाइड प्रोफ़ायल के होते हैं ।
3.तीसरा सरसों के तेल को हल्का गुनगुना करके तेल कि दो-दो बून्द कान में डाल कर लेट जाए।
4.चौथा ठन्डे पानी से दिन में दो-तीन बार नहाना, ऐसा करने से नशा बहोत जल्दी उतार जाएगा और दिमाग़ भी शांत होगा । और आखरी काम जो करना है वो ये कि लम्बी-गहरी नींद लें। इस बारे में ज्यादा सोचें नहीं कि गांजा आपके दिमाग पर हावी हो रहा है या इस तरह के ख्याल मन में न लाएं कि आप पागल हो जाएंगे।
इन उपायों को करने से आपको काफी हद तक नार्मल फील होने लगेगा । अगर 8-10 दिन निकलने के बाद भी आपको ऐसा लगता है कि आपको परेशानी हो रही है तो साइकेट्रिस्ट से जाकर सलाह जरूर लें।
आपके लिए ये भी जानना जरुरी है
गाँजा पीने से हमारे ब्रेन के फंक्शन प्रभावित होते हैं. जैसे कि शॉर्ट-टर्म मेमोरी, चीजों में सही तालमेल ना बिठा पाना, पढ़ने लिखने में परेशानी, पीने वाले का टाइम पर्सेप्शन बिगड़ जाता है. ये सब इफेक्ट्स हर किसी के लिए अलग-अलग होते हैं । गाँजे में मौजूद THC धीरे धीरे असर करना शुरू करता है इसीलिए अधिकतर जो लोग इसका नशा नहीं करते वो अनजाने में ज़्यादा गाँजा पी लेते हैं और जब ये हिट करना शुरू करता है तो पता चलता है की ये तो समस्या बन गया ।
लेकिन ये सब तो गाँजा फूंकने के दौरान होता है. यानी शॉर्ट-टर्म इफेक्ट्स हैं। यदि आप लम्बे समय तक वीड या गांजा पीते रहेंगे तो आपको साँस का रोग हो सकता है। कम उम्र में गांजे सेवन करने वालों का ब्रेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. जब तक हम 20 साल के नहीं होते, हमारा दिमाग़ पूरी तरह डेवेलप नहीं होता. कई स्टडीज़ में पाया गया है कि टीन-एज यानी किशोर अवस्था में गांजा फूंकने वालों की कॉग्निटिव एबिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है. इसका अत्यधिक सेवन करने से इस पर निर्भरता बढ़ती है. यानी इसके बिना रहना अजीब लगता है और गांजा साइकोसिस यानि मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर भी डेवलप हो सकता है।
नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें
नशे की आदत को खत्म करने के लिये नशे के कारण को समझें
नशे की लत किसी व्यक्ति या उसके परिवार के लिये किस हद तक कष्टदायक हो सकती है, ये बात उन परिवारों से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता जिनके परिवारों में इस बीमारी के कारण किसी को अपनी जान गवानी पड़ी हो या उस शराबी व्यक्ति के परिवार ने उससे मुंह मोड़ लिया हो। ये समय उसके परिवार लिए किसी श्राप से कम नहीं होता। नशे की लत में पड़ा व्यक्ति शायद ही कभी इस आदत को छोड़ने के बारे में सोच पाता होगा, मगर उसका परिवार हर मुमकिन कोशिश करता है की किसी तरीके से उसकी नशे की आदत छूट जाए। ऐसे व्यक्ति के लिए नशे में रहना समय के साथ एक साधारण बात हो जाती है। वह व्यक्ति जैसे – जैसे नशे को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल करता जाता है, वैसे – वैसे उसे हर रोज नशा करने की आदत पड़ती जाती है।
बचपन में हमारे माता – पिता हमारी सेहत का ध्यान रखते हैं, जब हम बीमार पड़ते हैं तो हमें डॉक्टर के पास ले जाते हैं। मगर जब हम बड़े हो जाते हैं, और नौकरी या पढ़ाई करने घर से निकल कर बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं तो हमारे माँ – बाप हम पर भरोसा करते हैं कि हम अपना ध्यान खुद रख सकते हैं। मगर बाहर की दुनिया हमारी घर की चार दीवारों जितनी सुरक्षित नहीं होती, हमें बाहर अलग विचारों और अलग रहन-सहन वाले लोगों से मिलना पड़ता है, बात-चीत करनी पड़ती है और उनके साथ एक घर में रहना भी पड़ता है। जब आप किसी ऐसे माहौल में रहने लगते हैं जहां शराब, सिगरेट रोज का काम हो तो खुद को इन चीजों से दूर रख पाना एक कठिन काम है। हमारे दोस्त या ऑफिस के साथी कभी ना कभी शराब का ग्लास या सिगरेट पकड़ा ही देते हैं और इसके बाद कुछ लोग इसे आदत बना लेते हैं और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते।
आप नहीं जान पाते की कब नशा आपकी लत बन गया, और आप अपना सारा गुस्सा, दुख, दर्द यहाँ तक की खुशी का साथी शराब को बना लेते हैं। नशे का सेवन हमने अपनी संस्कृति में अक्सर होते देखा है। भगवान शिव की ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जहां वह एक चिलम हाथ में लिए भांग या गाँजा पी रहे होते हैं। भारत में कई जगह ऐसे मंदिर हैं जहां भैरव की मूर्तियों पर शराब चढ़ाई जाती है। हमारी युवा पीढ़ी कहीं ना कहीं इन तथ्यों का इस्तेमाल अपने नशे की आदत को सही साबित करने के लिए करती है।
फिर जीवन इसी तरह से आगे बढ़ता रहता है, और उसी के साथ आपके दोस्त भी आपसे आगे बढ़ जाते हैं मगर आप वहीं रह जाते हैं, आप अपनी नशे की लत को नहीं छोड़ पाते। कहते हैं कि अकेलापन इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए आप शराब या और दूसरे नशों पर निर्भर हो जाते हैं। आपका शरीर आपको समय – समय पर चेतावनी भी देता है, कुछ लोगों लीवर में परेशानी होने लगती है, भूख नहीं लगती और कई व्यक्तियों को बिना शराब पिये नींद नहीं आती, मगर आप हर बार इन चीजों की अनदेखी कर देते हैं। शराब की लत इतनी प्रबल होती है की आप अपनी शरीर की बिगड़ती हालत को समझ ही नहीं पाते।
आपका परिवार आपकी मदद करने की कोशिश करता है, मगर सिवाय मानसिक उत्पीड़न के उसे कुछ हासिल नहीं होता। आपको लगता है की आपके मन की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता मगर ऐसा नहीं है। अगर आप किसी मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं तो आपको इस बारे में बात करनी चाहिए, काउंसलिंग के जरिए आप अपनी मन की उलझनों को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं। नशा आपकी उस परेशानी को कुछ देर के लिए कम तो कर सकता है मगर खत्म नहीं कर सकता।
The Curse of Addiction
The Curse of Addiction
There is a famous saying : “One small step is worth more than a thousand steps planned.”
Don’t keep delaying the act of asking for help. Finding the courage to speak with an addiction professional may be the first most significant step on your journey to recovery.
When a person gets intoxicated for the first time, he must be thinking that what harm can be done to someone by drinking alcohol once or taking a couple of puffs of cigarette. And when he takes drugs for the second time, this time he tells himself that he will not do it from next time. But when he is unable to stop himself while intoxicated for the third time, this time he is filled with self-loathing and keeps the trust he had placed in himself on the side of the pillow and falls asleep, as if nothing had happened. He would go on getting stuck in a maze which is easy to get into but difficult to get out of.
The world of intoxication throws you out of the river of sorrow and into such a whirlpool of pleasures where you move away from the world of reality and you have no idea of the mistakes you have done. And in the desire to get such happiness again and again, you forget that this happiness is for a short time. Such a person acts like a poisonous substance for his family and people associated with himself, who gradually pollute the environment of his home due to his negative behaviour and mental weakness. Such a person destroys the happiness of his family in front of the happiness he gets from his intoxication.
An alcoholic person is neither able to understand his feelings nor is able to respect the feelings of another person. The life of a drunk person is only surrounded by resentment and humiliation. That person spends his whole life in useless thoughts. He can never set a goal. When such a person thinks about his successes and failures in the last moment of his life, then he remembers only failures. Throughout this life he gave nothing but suffering to his family and his loved ones.
There is no such person in the world who has never faced any problem, every person is facing some trouble and troubles somewhere. But some people find the solution to their problems in the dark streets of intoxication and some in the light of hope.
Addiction is not a necessity of human being but a bad habit which takes the form of disease which can be cured. Human brain takes 25-30 days to adopt a habit, a person can save himself and his family members from the harm caused by the habit of intoxicants. But to do so, he needs a strong will power, which is driven by patience and discipline and prevents intoxication.
नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है
नशा व्यक्ति के लिए अभिशाप बन जाता है
शहाब जाफ़री का एक मशहूर शेर है कि,
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
कोई भी व्यक्ति जब पहली बार नशा करता है तो वह यही सोचता होगा कि उसके एक बार शराब पीने या सिगरेट के एक दो कश लेने से किसी का क्या नुकसान हो सकता है। और जब वह दूसरी बार नशा करता है तो इस बार वह खुद से ये कहता है कि अगली बार से नहीं करूंगा। मगर जब वह तीसरी बार नशा करते समय खुद को रोक नहीं पाता तो इस बार वह आत्मग्लानि से भर जाता है और खुद पर किये हुए भरोसे को तकिये के किनारे रखकर सो जाता है, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। वह एक ऐसे चक्रव्यूह में फ़सता चला जाता जिसके अंदर जाना तो आसान है मगर बाहर निकल पाना मुश्किल है।
नशे की दुनिया आपको दुखों के दरिया से निकाल कर सुखों के ऐसे भँवर में ढकेल देती है जहां आप हकीकत की दुनिया से दूर होते चले जाते हैं और आपको अपनी की हुई गलतियों का कोई आभास नहीं होता। और आप ऐसे सुख को बार बार पाने कि इच्छा में ये भूल जाते हैं कि ये सुख कम समय के लिए होता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और खुद से जुड़े लोगों के लिए एक ज़हरीले पदार्थ की तरह काम करता हैं जो धीरे धीरे अपने नकारात्मक व्यवहार और मानसिक दुर्बलता के कारण अपने घर के वातावरण को दूषित कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने नशे से मिलने वाले सुख के आगे अपने परिवार के सुख का नाश कर देते हैं।
एक शराबी व्यक्ति ना तो अपनी भावनाओं को समझ पाता है और ना ही किसी और व्यक्ति की भावनाओं की कद्र कर पाता है। नशे में बिताए हुए व्यक्ति का जीवन केवल असंतोष और अपमान से घिरा होता है। वह व्यक्ति अपना पूरा जीवन व्यर्थ के विचारों में बिता देता है। वह कभी कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाता। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम वक़्त में जब अपनी सफलताओं और असफलताओं के बारे में सोचता है तो उसे सिर्फ असफलताएँ ही याद आती हैं। इस पूरे जीवन में उसने अपने परिवार और अपने प्रियजनों को कष्ट के अलावा कुछ नहीं दिया।
दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ जिसे कभी किसी परेशानी का सामना ना करना पड़ा हो, हर व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी मुसीबत और तकलीफों को झेल रहा होता है। मगर कुछ लोग अपनी परेशानियों का हल नशे की अंधेरी गलियों में खोजते हैं और कुछ लोग उम्मीद के उजालों में।
नशा इंसान की कोई जरुरत नहीं है बल्कि एक बुरी आदत है जो बीमारी का रूप ले लेती है जिसे ठीक किया जा सकता है। इंसान का दिमाग एक आदत को अपनाने में 25-30 दिनों का समय लेता है, व्यक्ति चाहे तो नशे की आदत से होने वाले नुकसान से खुद को और अपने परिवार जनों को बचा सकता है। मगर ऐसा करने के लिए उसे प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है, जो धैर्य और अनुशासन से प्रेरित होती है और नशा करने से रोकती है।
Myth- Alcohol relieves fear and worry
Myth- Alcohol relieves fear and worry
“Worrying decreases cleverness, sorrow decreases body, sin decreases Lakshmi, says,-Kabir Das”.
From this couplet of Kabir Das and from the research done till now, everyone knows that worrying is fatal for human beings. In today’s fast-paced world, every person wants a comfortable life and he works day and night to get this life.
One fine evening one was just about to leave the office and came the Boss’ call. It is the last date of the month and today the boss will ask for the summary of the entire month; the trailer to the month’s picture. Simply put, one understands the evening is going to be full of pending tasks and objectives, as soon as you enter the Boss’s cabin, the boss starts a barrage of questions and what you want to say in your defence is unheard.
After this gruesome conversation, your blood pressure rises and a volcano of anger starts acting up inside you. Now what would an ordinary person do in such a situation? Either he can leave that incident on the doorstep of the office or bring it to the house with a bottle of liquor or one goes to a bar or club to calm the volcano inside him.
One chooses Alcohol and,
after drinking Liquor, the person goes home and after reaching home one talks abusively to his family because of the pain caused by that insult in the office. In such a situation, the person loses control over his emotions under the influence of alcohol and the anger of the office comes out on his wife and children, which has a bad effect on the happiness and peace of the family. Her family does not know why her husband or her father is behaving like this. The children stand behind the door in fear and see this drunken form of their father and their mind is filled with depression.
Today this story happens in 4 out of every 10 houses where the father works hard in the office to meet the needs of his family and if he makes some mistakes there, he starts accepting the responsibility of his family, as suffering and feeds his family as it’s one’s moral duty to feed the family and he has to work to fulfil their needs. Blaming one’s mistakes on someone else and causing discord in one’s family under the influence of alcohol shows the incompetence of a person. He can never recover from his weak mentality
and his family gets drowned in the darkness of apathy.
The person who seeks the solution of his work-related problems under the influence of alcohol is like a frog in the well who has never seen the outside world. They do not know that the habit of alcohol has weakened their will power, that they cannot bear their sorrows and troubles without drinking alcohol.
There are many famous artists who spoiled their emerging future by falling into the addiction of alcohol and drugs and there are some who have touched new heights in their lives by fighting it. The habit of intoxication destroys our thinking, understanding and reasoning power.
If you have wandered in a forest and you close your eyes because of the fear of the lion coming, it does not mean that the lion will not eat you. Think of it as if you are completely dependent on alcohol and you think that you can avoid its bad effects, you need to think again.
शराब से चिंता दूर होना एक भ्रम है।
शराब से चिंता दूर होना एक भ्रम है।
“चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर, पाप से लक्ष्मी घटे, कह गए दास कबीर”। कबीर दास के इस दोहे से और अब तक हुए शोधो से सब जानते है कि चिंता इंसान के लिए घातक है। आज की इस दौड़ती भागती दुनिया में हर इंसान आराम की ज़िन्दगी चाहता है और इस ज़िन्दगी को पाने के लिए वो दिन रात काम करता है।
एक शाम ऑफिस से निकलने का वक़्त होने ही वाला था कि बॉस का बुलावा आ जाता है। महीने की आखिरी तारिख है और आज बॉस पूरे महीने की पिक्चर का ट्रेलर मांगेगा। सरल शब्दों में कहें तो आप कहीं ना कहीं इस बात को समझ चुके होते हैं कि आज की शाम खराब होने वाली है, आपके केबिन में घुसते ही बॉस सवालों की बौछार शुरू कर देता हैं और अपने बचाव में आप जो कहना चाहते हैं उसे वो अनसुना करता रहता है।
इस भीषण बात – चीत के बाद आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और गुस्से का एक ज्वालामुखी आपके अंदर धधकने लगता है। अब ऐसे में एक साधारण इंसान क्या करेगा? या तो वो उस घटना को ऑफिस की चौखट पर ही छोड़ सकता है या फिर वो उसे घर तक शराब की बोतल के साथ ले आता है या फिर अपने अंदर का ज्वालामुखी शांत करने के लिए वह किसी बार या क्लब में चला जाता है।
शराब पीने के बाद वह व्यक्ति घर जाने की सोचता है और घर पहुंचकर अपने परिवार से अपमान जनक बातें करता है क्यूँकि ऑफिस में हुए उस अपमान से होने वाले दुःख को वह सह नहीं पता। ऐसे में वो व्यक्ति शराब के नशे में अपनी भावनाओं पर काबू खो देता है और ऑफिस का गुस्सा घर में आकर अपनी बीवी और बच्चों पर निकलता है जिसका परिवार की सुख शान्ति पर गलत प्रभाव पड़ता है। उसका परिवार नहीं जनता कि उसका पति या उसके पिता क्यों इस तरह व्यवहार कर रहा हैं। वो बच्चे डर से दरवाजे के पीछे खड़े होकर अपने पिता के शराब के नशे में डूबे इस रूप को देखते हैं और उनका मन अवसाद से भर जाता है।
आज ये कहानी हर 10 में से 4 घरों की होती है जहां पिता अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑफिस में मेहनत करता है और अगर वहां उससे कुछ गलतियाँ हो जाती है तो उसका ज़िम्मेदार वो अपने परिवार को मानने लगता है, क्यूंकि वह अपने परिवार के भरण और पोषण के लिए इतने कष्ट उठा रहा है। अपनी गलतियों का दोष किसी और पर डालना और शराब के नशे में अपने परिवार में कलह करना व्यक्ति की अयोग्यता को दर्शाता है। वो अपनी इस कमजोर मानसिकता से कभी उबर नहीं पाता और उसका परिवार उदासीनता के अँधेरे में डूब जाता है।
जो इंसान अपनी काम -काजी परेशानियों का हल शराब के नशे में ढूँढ़ते हैं वो कुँए के उस मेढंक की तरह होते हैं जिन्होंने बाहर की दुनिया कभी देखी ही नहीं। वो नहीं जानते कि शराब की आदत ने उनकी इच्छा शक्ति को कमजोर बना दिया है, कि वो बिना शराब पिए अपने दुखों और परेशानियों को सहन नहीं कर सकते ।
ऐसे कई मशहूर कलाकार हैं जिन्होंने शराब और नशे की लत में पड़कर अपना उभरता हुआ भविष्य खराब कर लिया और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इससे लड़कर अपने जीवन में नई ऊंचाइयों को छुआ है। नशे की आदत हमारे सोचने समझने और तर्क शक्ति को खतम कर देती है।
अगर आप किसी जंगल में भटक गए हैं और शेर के आने के डर से आप अपनी आँखे बंद कर लेते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि शेर आपको नहीं खायेगा। इसे ऐसे समझिये कि अगर आप शराब पर पूरी तरह से आश्रित हैं और आपको लगता है कि आप इसके बुरे प्रभावों से बच सकते हो तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है।
Effect of Alcohol in Family Life
Effect of Alcohol in Family Life
We have often seen that there are many such families in the society where at least one member has a habit of drinking alcohol. This is a common Vice in today’s times. Getting intoxicated on Alcohol seems like a Social Standard, and you’d be an outcast to many a group if one chooses not to Drink at a gathering. Even in families where drinking is a Taboo, due the Families’ Mental and Social Constructs, eventually break free of the Groupthink of the household and develop the vicious habit of Drinking Liquor.
There is a famous saying of Albert Einstein that “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”. Before indulging in any form of a Substance, one must know all the angles to it, its merits and demerits, in order to know whether the Habit pattern is actually causing one mental and physical harm. The symptoms may not be evident at first because of the short term gratification one feels and the mental denaturing yet to be perceived. Say, If today your hair starts falling or you have severe pain in the teeth, then you will definitely go to the doctor because these are the problems which you understand clearly, the symptoms to underlying root cause exist.
Alcohol Consumption too, brings along with itself such clear, evident problems in a person’s Family Life. Alcoholics rarely recognise the harm caused by this habit of theirs themselves.
Many alcoholics lie or blame others for their problems. The loss of trust damages relationships and alienates family members from each other.
Alcohol has a bad effect on not only One aspect of our lives, it effects all dimensions of it, such as, Interpersonal relationships, Stress in married life, Problems related to parents and Development of children and financial problems. Alcohol as we all know and cherish is actually in medical terms acts as a Depressant.
1. Marital tension: If there is any problem in the life of an alcoholic person or he experiences any sorrow, then instead of consulting his spouse, he prefers to spend time with alcohol so that he can forget his sorrow and troubles. And he does not understand that this intoxication is not the cure for his sorrow. And from here the tension and distance in his married life keeps on increasing.
2. Problems related to parents and development of children: A child’s brain is developed by the age of 7-8 years. The events that the child learns during that time and the emotional experiences associated with them are stored forever in the hard drive of his/her subconscious mind. It is like the memory of the computer that you can never delete.
In those 7-8 years, if the Child sees his Mother and Father Engaging in Verbal and Physical Altercation in his home, then such incidents have a very negative effect on his Gentle mind. For example, if the father comes home after drinking alcohol every few days a week and uses abusive language, then it is quite possible that the child will not be able to control his emotions in a social environment. There may be troubles, which are very difficult for any member of the household to understand. For such, Counselling helps a person who is unable to control their emotional reactions to alcoholism.
3. Financial problems: Drug addiction makes you financially hollow along with your mental state. Until the effects are severe, you may not realise that your financial condition has been weakened by a drinking problem. If you are a frequent drinker, then it is very important that you pay attention to the expenditure on alcohol from your earnings. If you go to a club or bar and get a six-pack of beer it can cost around 1200 to 5000 depending on the brand, and hard liquor, wine and other beverages can cost more. If you follow this routine 2-3 days a week, then soon your life starts running on credit.
Anything in excess acts as a poison, and a bottle of wine clearly states, “Abuse of alcohol can be injurious to health” It is not only for your personal health, but it is related to your life. It affects other aspects as well. And as aforementioned “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”.
शराब का पारिवारिक जीवन पर असर
शराब का पारिवारिक जीवन पर असर
हमने अक्सर ये देखा है कि समाज में कई ऐसे परिवार होते हैं जहां कम से कम किसी एक सदस्य को शराब पीने की आदत होती है। देखा जाए तो आज के इस मॉडर्न समय में ये बात बहुत आम सी लगती है। शराब पीना जैसे एक सोशल स्टैण्डर्ड माना जाता है, अगर आप शराब नहीं पीते तो आप शायद एक समूह का हिस्सा ना बन पाएं। और ऐसे लोग जिनके परिवार में शायद अब तक किसी ने शराब ना पी हो, वो अपनी कमजोर मानसिकता के चलते इस लालच में फंसकर शराब पीना शुरू कर देते हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन का एक मशहूर कथन है कि “समझदार व्यक्ति वही है जो ये बात जानता हो कि किसी अनजान रास्ते पर चलते हुए कहां से वापस लौट आना चाहिए”आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि, कोई भी काम शुरू करने से पहले हमें उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को समझ लेना चाहिए कि कहीं उसमें हमारा नुकसान तो नहीं हो रहा। मगर हम अपनी मानसिक स्थितियों से जुड़ी दिक्कतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते, क्योंकि वो हमें दिखाई नहीं देती। अगर आज आपके बाल झड़ने लग जाएं या दांतो में जोर का दर्द हो तो आप डॉक्टर के पास जरूर जाएंगे क्योंकि ये वो परेशानियाँ हैं जो आपको साफ़ साफ़ समझ आ रही हैं।
ऐसे ही कुछ परेशानियाँ हैं जो एक शराबी इंसान को दिखाई नहीं देती के कब उसके व्यवहार का असर उसके पारिवारिक जीवन पर पड़ने लगा । शराब का दुरुपयोग करने वाले इंसान को अपनी इस आदत से होने वाले नुकसान का कोई एहसास नहीं होता।
कई शराबी अपनी समस्याओं के लिए झूठ बोलते हैं या दूसरों को दोष देते हैं। भरोसे का बिगड़ना रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है और परिवार के सदस्यों को एक–दूसरे से दूर कर देता है।
शराब से हमारी ज़िन्दगी के किसी एक नहीं बल्कि हर हिस्से पर बुरा असर पड़ता है, जैसे वैवाहिक जीवन में तनाव का होना , माँ बाप से जुड़ी समस्याएँ, बच्चों का विकास और आर्थिक परेशानियाँ।
1.वैवाहिक तनाव: शराबी इंसान के जीवन में अगर कोई परेशानी आती है या वो किसी दुःख का अनुभव करता है तो बजाय अपने जीवनसाथी से सलाह करने के वो शराब के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करता है ताकि वो अपने दुख और परेशानियों को भूल सके। मगर वो ये नहीं समझ पाता की ये नशा उसके दुःख का इलाज़ नहीं है। और यहीं से उसके वैवाहिक जीवन में तनाव और दूरियां बढ़ती चली जाती हैं।
2.माँ बाप से जुड़ी समस्याएँ एवं बच्चों का विकास: एक बच्चे का दिमाग 7-8 साल की उम्र तक विकसित हो चूका होता है। उस समय के दौरान बच्चा जो सीखता है वो घटनाएं और उनसे जुड़े भावनात्मक अनुभव उसके अवचेतन मन की हार्ड ड्राइव में हमेशा के लिए स्टोर हो जाते हैं। ये कंप्यूटर की उस मैमोरी जैसा होता है जिसे आप कभी डिलीट नहीं कर सकते।
उन 7-8 सालो में बच्चा अगर अपने घर अपने माँ और पिता को मार –पिटाई या झगड़ते हुए देखता है तो उसके कोमल मन पर ऐसी घटनाओं का बेहद नकारत्मक असर होता है। उदाहरण के तौर पर अगर पिता हफ्ते में कुछ दिन या रोज शराब पीकर घर आता है और गाली गलौच या घर में अपमानजनक भाषा का प्रयोग करता है तो ये बहुत हद तक संभव है कि उस बालक को सामाजिक माहौल में अपनी भावनाओं को काबू करने में काफी परेशानियाँ हो सकती है, जिसे घर के किसी सदस्य के लिए समझ पाना काफी मुश्किल काम है । काउंसलिंग के जरिये ऐसे व्यक्ति को मदद मिलती है जो शराब के नशे में अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर काबू नहीं रख पाते।
3. आर्थिक समस्याएँ : नशे की लत आपकी मानसिक स्थिति के साथ साथ आपको आर्थिक रूप से भी खोखला कर देती है। जब तक असर गंभीर नहीं हो जाते, तब तक आपको इस बात का अहसास नहीं होगा कि शराब पीने की समस्या से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। यदि आप बार–बार शराब पीने वाले हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी कमाई से शराब पर होने वाले खर्च पर ध्यान दें। अगर आप एक क्लब या बार में जाते हैं और बीयर के सिक्स–पैक लेते हैं तो उसकी कीमत ब्रांड के आधार पर लगभग 1200 से 5000 तक हो सकती हैं, और हार्ड शराब, वाइन और अन्य पेय पदार्थों की कीमत अधिक हो सकती है। अगर आप हफ्ते में 2-3 दिन यही रूटीन अपनाते हैं तो आप जल्द ही आपका जीवन उधारी पर चलने लगता है।
जरुरत से ज्यादा कोई भी चीज़ ज़हर का काम करती है, और शराब की बोतल पर साफ़ अक्षरों में लिखा होता है, “शराब का सेवन स्वास्थय के लिए हानिकारक हो सकता है” ये केवल आपके निजी स्वास्थय के लिए ही नहीं बल्कि आपकी ज़िन्दगी से जुड़े दूसरे पहलुओं पर भी बुरा असर डालता है। और जैसा ऊपर लिखा है कि “समझदार व्यक्ति वही है जो ये बात जानता हो कि किसी अनजान रास्ते पर चलते हुए कहां से लौट आना चाहिए”
शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत
शराब छोड़ने के तरीके, अल्कोहल या शराब की लत
अल्कोहल या शराब की लत(एडिक्शन) को एक मानसिक बीमारी कहना ज्यादा सही होगा.अल्कोहल लेने वालो को इस बात का पता ही नहीं चल पता की वह एक शौक या शुरुवात से इसके आदी हो गए है शुरुवात की बात करे तो अल्कोहल लेने वाला ज्यादातर इंसान अपनी इस आदत को कभी मानेगा नहीं वह यह कहकर टाल देगा की मैं सिर्फ थोड़ी सी लेता हु , या मुझे इसे लेने की बाद अच्छी नींद आ जाती है या फिर कुछ और मगर हमें यह सोचना होगा की यह शुरुवात बड़ी लत की और लेके जा रही है .
हम अगर अल्कोहल लेने वालो को केटेगरी मैं डिवाइड करे तो यह कई केटेगरी मैं डिवाइड हो सकते है जिनमे से कुछ यह है
१)सोशल ड्रिंकर और शौकिया ु हुमने अक्सर देखा है की कुछ लोग पार्टी शादी या कभी कभार अपने दोस्तों के साथ अल्कोहल लेने लगते है यह लोग शराब के आदि नहीं होते बस कभी कभी अल्कोहल को लेते है .
२)रेगुलर ड्रिंकर :-कुछ लोग शराब को अपनी डेली लाइफ का पार्ट बना लेते है जैसे की अपने सारे कामो को पूरा करके यह लोग शराब लेते है .
३) अडिक्टिव या एडिक्ट(शराबी) कहना गलत नहीं होगा यह लोग अपना सारा काम छोड़ कर बस शराब के बारे मैं सोचते है इनकी दिन की शुरुवात शराब से होती है और अंत भी शराब पर ख़तम होता हैं
हम लोग अक्सर यह सोचते है की यह अल्कोहल की आदत कैसे लग जाती है और हम इससे कैसे पीछा छूटा सकते है क्योकि शराब की वजह से हम समाज मैं अपना स्थान खो देते है और घरवालो को परेशांन करना और खुद भी कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करते है | कुछ लोग शराब को एक शौक की तरह शुरू करते है और कुछ किसी बड़ी प्रॉब्लम मैं या किसी मानसिक या भावनात्मक (इमोशनल) प्रॉब्लम मैं शराब को शुरू कर देते है … शराब छोड़ने के तरीके
शराब एक लत कैसे बन जाती है अक्सर हम बिना सोचे समजे शराब को पीना शुरू कर देते है अगर हम इस बात को समझने की कोशिश करे की अगर हम किसी भी चीज़ को एक पैटर्न मैं या लगातार लेते है तो वह चीज़ हमारी ज़िंदगी मैं एक स्थान बना लेती है और इसी को हम आदत कह सकते है जैसे की हम अगर शराब को रोज अपने सारे काम ख़तम करने के बाद लेते है तो यह एक रेगुलर पैटर्न बना लेती है जिस दिन आप इसे नहीं लेते तो आप उस दिन खाली खाली महसूस करेंगे अगर अभी तक आप इसकी लत मैं नहीं है और अगर आपको इसकी लत पड़ चुकी है तो आप कई मानसिक परेशानियों जैसे की भूख न लगना , चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का सामना करने लगते है|
एजुकेशन भी एडिक्शन का एक फैक्टर(कारक) है.उन लोगो का शराब छोड़ना काफीज्यादा मुश्किल होता है जो पड़े लिखे नहीं है और उन्होंने इसको एक शौक की तरह शुरू किया .वह लोग जो पड़े लिखे होते है और किसी इमोशनल मानसिक परेशानी की वजह से शराब शुरू करते है उनका इस आदत को छोड़ना काफी हद तक संभव हो सकता है .हम कुछ और तरीको से अपने आप को इस लत से दूर रख सकते है..शराब छोड़ने के तरीके
शराब छोड़ने के तरीके
वैसे देखा जाये तो यह कहना मुश्किल है की शराब छोड़ने का कोई एक तरीका या इलाज़ संभव है क्योंकि हर इंसान दूसरे इंसान से अलग होता है इसलिए रेगुलर मॉनिटरिंग और बदलावों के बेस पर एडिक्शन का इलाज़ हो सकता है|
काउन्सलिंग हमने सुना है किसी भी समस्या को बातचीत करके सुलझाया जा सकता है और यह काफी हद तक इस समस्या से छूटने का एक कारगर रास्ता हो सकता है .काउन्सलिंग मैं हमें इस बात का ख्याल रखना होगा की अल्कोहल एक कैटेलिस्ट की तरह होता है जो आपके बेसिक नेचर (मूल स्वाभाव) को सामने लाता है जैसे की अगर आप का बेसिक नेचर(मूल स्वाभाव) गुस्से वाला या फिर चुप रहने का है तो आप अपने आपको इस स्वाभाव को ज्यादा समय तक छुपा के नहीं रख सकते ज्यादातर लोग इससे बचने के लिए एक नए बदलाव के साथ ज़िंदगी सुरु कर देते है जो बाद मैं अक्सर उनकी आदत बन जाती है
हमें यह समझना होगा की कि कौन कौन सी वह वजह है या फिर वह परिस्थिति है जहाँ पर एडिक्ट(शराबी) नशे कि तलब को ज्यादा महसूस करता है
- अकेलापन: हमने अक्सर देखा शुरू एक शारबी समाज के लिए गलत मानसिकता बना लेता है जिसके लिए समाज, लोगो की इग्नोरेंस या कोई भी और कारण हो सकता शुरू जिसकी वजह से वह समाज से एक दुरी बना लेता शुरू यह अक्सर उन लोगो की लिए सही कहा जा सकता जो अल्कोहल को किसी मानसिक स्थिति को बिगड़ने की वजह से शुरू कर देते शुरू इसके विपरीत वो लोग जो अल्कोहल को शुक्रिया तौर पे लेते है वह लोग अक्सर शराब पीने के लिए अकेलापन की तरफ भागते है प्रॉब्लम दोनों ही केस मैं अकेलापन है|
- शादी या पार्टी मे जाने से उसको कही न कही नशे की तालाब शुरू हो सकती है इसलिए कुछ समय के लिए इन जगहों पे जाने से बचना चहिये |
- पुराने एडिक्ट(शराबी) दोस्तों से मुलाकात भी नशे कि इस लत को बढ़ा देती है!
- कोई भी ऐसी बात जो एडिक्ट(शराबी) को मानसिक रूप से परेशान करती हो!
एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास कॉन्फिडेंस और इक्छा शक्ति विल पावर खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए | एक एडिक्ट(शराबी) अपना आत्म विश्बास (confidence) और इक्छा शक्ति (will power) खो देता है इसलिए परामर्श के समय इन बातो का ख्याल रखना चाईए और नीचे दिए गए पॉइंट्स पे स्टेप बाई स्टेप काम करना चाइये इससे एक एडिक्ट(शराबी) को एक नयी इक्छाशक्ति , आत्म विश्बास और एक सकारात्मक सोच देकर नशे से दूर रख सकते है
१) शेयरिंग परिवार या दोस्तों मैं जो भी लोग एडिक्ट(शराबी) के करीब होते है ज्यादा से ज्यादा टाइम एडिक्ट(शराबी) को देना चाइये शुरुवात मैं ऐसा होना आम है कि वह परिवार या दोस्तों के साथ अच्छा महसूस न करे या फिर उनके साथ झगड़ा करे पर परिवार को इस बात का ख्याल रखते हुए कि एडिक्ट(शराबी) अभी यह सब एडिक्शन कि वजह से या अभी वह आपके साथ उतना घुला मिला नहीं है इसलिए ऐसा कर रहा होता है क्योकि कोई भी एडिक्ट(शराबी) एक या दो दिन मैं एडिक्ट(शराबी) नहीं बनता इसलिए परिवार को थोड़ा सा टाइम लग सकता है उसके साथ ताल मेल बनाने मैं इसलिए लगातार कोशिशों के बाद परिवार या दोस्तों एडिक्ट(शराबी) के साथ गुल मिल सकते है.परिवार को इस बात का ख्याल रखना चाइये कि उन्हें हमेशा एडिक्ट(शराबी) के साथ पॉजिटिव रहना होगा परिवार को अपने प्रेरणा या अपने बुरे वक़्त कि बाते भी शेयर करते रहना चाइये और एडिक्ट(शराबी) के साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाना चाइये इसका फायदा यह होगा कि एडिक्ट(शराबी) भी अपने आपको आपके साथ शेयर करना शुरू कर देगा|
२) शारबी कि दिनचर्या को एक नयी दिनचर्या से बदलना आपको यकीन नहीं होगा कि एक एडिक्ट(शराबी) भी एक दिनचर्या का पालन करता है जैसे कि एक निश्चित समय पे शराब पीना खाने के पहले सुबह उठने के साथ या फिर सोने के लिए. जब फॅमिली उन लोगो के साथ रहने लगेगी तो उन्हें समझ आने लगेगा कि उनके पीने का पैटर्न क्या है एडिक्ट(शराबी) को बिना बताये उसके इस पैटर्न को समझना होगा फिर फॅमिली को धीरे धीरे इस दिनचर्या तोडना होगा जैसे कि अगर एडिक्ट(शराबी) खाने के पहले शराब लेता है तो तो उसे इस टाइम पर कही घूमने लेकर चले जाये या कोई और ज़रूरी काम दे सकते है .अगर हो सके तो किसी हॉबी , या रुकी हुई शिक्षा या किसी और काम जिसमे एडिक्ट(शराबी) का मन लगे शुरू कर सकते है
३)सकारत्मक सोच और इक्छाशक्ति को बढ़ाना एडिक्ट लोगो मैं यह सामान्य है कि वह एक नेगेटिव सोच के साथ आगे बढ़ रहे होते है अगर हम गौर करे तो हम देखंगे कि एडिक्ट अपनी इस हालत के पीछे किसी न किसी हालात या किसी बड़ी परेशानी को दोषी मानते है|
जब हम एडिक्ट को जानने लगते है तब हमें उनके साथ उन समस्याओ को समझ के उनसे बाहर आने के रास्ते को खोजना शुरू कर देते है जिससे उनकी इछाशक्ति बढ़ने लगती है और एक सकारत्मक सोच के साथ वह आगे बढ़ने लगते है
४) नए दोस्त बनाना और सोबर सोसाइटी मैं रहना ज्यादातर लोग उन लोगो के साथ रहना पसंद करते है जो उनकी तारीफ करे या उनसे वैसी बाते करे जिनको वह सुनना पसंद करते है एडिक्ट कि सोसाइटी भी कुछ ऐसे ही लोगो से मिलकर बनी होती है जो अक्सर नशा या उससे सम्भन्दित बाते ही करते है फॅमिली को इस बात का ख्याल रखना होगा कि एडिक्ट को यह समझना होगा कि नए दोस्तों और पॉजिटिव लोगो के साथ रहने से वह अपनी इस प्रॉब्लम से छूट सकता है शुरुवाती ३ पॉइंट को फॅमिली को लगातार रिपीट करना चाइये फिर जैसे ही एडिक्ट एक पॉजिटिव दिशा मैं आगे बढ़ने लगे तो उसे हमेशा इस बात के लिए समझाते रहना चाइये कि अब टाइम आ गया है नए और सही दोस्तों को चुनने का….शराब छोड़ने के तरीके
५) नयी प्रेरणाओं और नए लक्ष्य कि शुरुवात एडिक्ट को शुरुवात हमेशा छोटे लक्ष्य से करनी चाहिए.इससे उसके असफल होने की दर भी उसे इतना ज्यादा परेशान नहीं करेगी और वह फिर से कोई नया काम करने से पहले सोचेगा नहीं
६) समाज और परिवार के लिए उसकी ज़िम्मेदारी यहाँ से शुरुवात एडिक्ट कि खुद की ज़िम्मेदारी को संभालना है जब तक वह इस बात को नहीं समझेगा कि समाज और परिवार के लिए उसकी क्या ज़िम्मेदारी है नशे मै वापिस जाने का डर हमेशा बना रहेगा
७) दुसरो कि मदद करना अगर एडिक्ट को लम्बे समय तक नशे से दूर रहना है तो उसको दूसरे एडिक्ट जो कि नशे कि आदत से गुजर रहे है उनके साथ लगातार अपने आप को शेयर करना होगा इससे वह कही नहीं अपने पिछली गलतियों को याद करेगा और दुसरो को स्कारात्मक सोच देकर अपने आप को भी स्कारात्मक माहोल मैं रख पायेगा
अंत मैं इन सारी बातो को अगर एडिक्ट और उसकी फॅमिली समझ के इस पर काम करती है तो एडिक्ट का कॉन्फिडेंस और विल पावर जो कही न कही वह खो चुका है उसको वापिस पाने मैं सहायता मिल जाएगी और हम सब जानते है कि स्कारात्मक सोच और एक द्रढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी इंसान कुछ भी पा सकता है.