Nasha Mukti

शराब से चिंता दूर होना एक भ्रम है।

शराब  से  चिंता  दूर  होना  एक  भ्रम  है।

शराब  से  चिंता  दूर  होना  एक  भ्रम  है।

“चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर, पाप से लक्ष्मी घटे, कह गए दास कबीर”। कबीर दास के इस दोहे से और अब तक हुए शोधो से सब जानते है कि चिंता इंसान के लिए घातक है। आज की इस दौड़ती भागती दुनिया में हर इंसान आराम की ज़िन्दगी चाहता है और इस ज़िन्दगी को पाने के लिए वो दिन रात काम करता है।

एक शाम  ऑफिस  से  निकलने  का  वक़्त  होने ही वाला   था  कि  बॉस  का  बुलावा    जाता  है। महीने  की  आखिरी  तारिख  है  और  आज  बॉस  पूरे  महीने  की  पिक्चर  का  ट्रेलर  मांगेगा। सरल  शब्दों  में  कहें  तो  आप  कहीं  ना  कहीं  इस  बात  को  समझ चुके  होते हैं कि आज  की  शाम  खराब  होने  वाली  है, आपके  केबिन  में   घुसते  ही   बॉस  सवालों  की  बौछार  शुरू  कर  देता  हैं  और  अपने  बचाव  में   आप  जो  कहना चाहते हैं उसे वो अनसुना करता रहता है।

इस  भीषण  बात – चीत  के बाद  आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और गुस्से का एक ज्वालामुखी आपके अंदर धधकने लगता है। अब  ऐसे  में  एक  साधारण  इंसान  क्या  करेगा? या  तो  वो  उस  घटना  को  ऑफिस  की  चौखट  पर  ही  छोड़  सकता  है  या  फिर  वो  उसे  घर  तक  शराब की बोतल के साथ ले आता है या फिर अपने अंदर का ज्वालामुखी शांत करने के लिए वह  किसी बार या क्लब में चला जाता है। 

शराब  पीने के बाद वह व्यक्ति घर जाने की सोचता है और घर पहुंचकर अपने परिवार से अपमान जनक बातें करता है क्यूँकि ऑफिस में हुए उस अपमान  से होने  वाले दुःख को वह  सह नहीं पता। ऐसे  में  वो  व्यक्ति शराब  के  नशे  में अपनी  भावनाओं  पर  काबू  खो देता है और  ऑफिस  का  गुस्सा  घर  में   आकर  अपनी   बीवी  और  बच्चों  पर  निकलता  है  जिसका  परिवार की सुख शान्ति पर गलत प्रभाव पड़ता  है। उसका  परिवार  नहीं  जनता कि उसका पति या उसके पिता  क्यों इस तरह व्यवहार कर रहा हैं। वो  बच्चे  डर  से  दरवाजे  के  पीछे  खड़े  होकर  अपने  पिता के शराब के नशे में डूबे इस रूप को  देखते  हैं और उनका मन अवसाद से भर जाता है। 

आज  ये  कहानी  हर 10  में  से  4   घरों  की  होती है  जहां  पिता  अपने  परिवार  की  जरूरतों  को  पूरा  करने  के  लिए  ऑफिस  में  मेहनत  करता  है  और  अगर वहां उससे  कुछ  गलतियाँ  हो  जाती  है  तो  उसका  ज़िम्मेदार  वो  अपने  परिवार  को  मानने लगता है,  क्यूंकि वह अपने परिवार के भरण और पोषण के  लिए इतने कष्ट उठा  रहा  है। अपनी  गलतियों  का  दोष  किसी  और  पर  डालना  और  शराब  के  नशे  में  अपने  परिवार में कलह करना व्यक्ति  की  अयोग्यता  को  दर्शाता  है। वो  अपनी  इस  कमजोर  मानसिकता  से  कभी  उबर  नहीं  पाता  और  उसका  परिवार  उदासीनता  के  अँधेरे  में   डूब  जाता  है।

जो  इंसान  अपनी  काम -काजी  परेशानियों  का  हल  शराब  के  नशे  में   ढूँढ़ते  हैं वो  कुँए  के  उस  मेढंक  की  तरह  होते  हैं  जिन्होंने  बाहर  की  दुनिया  कभी  देखी  ही  नहीं। वो  नहीं  जानते  कि  शराब  की  आदत  ने  उनकी  इच्छा  शक्ति  को कमजोर बना दिया है, कि वो  बिना  शराब  पिए  अपने  दुखों  और  परेशानियों  को  सहन नहीं कर सकते । 

ऐसे  कई  मशहूर  कलाकार हैं  जिन्होंने  शराब  और  नशे  की  लत  में  पड़कर  अपना  उभरता  हुआ भविष्य  खराब  कर  लिया और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इससे लड़कर अपने जीवन में नई ऊंचाइयों को छुआ है। नशे  की  आदत हमारे सोचने समझने और  तर्क  शक्ति  को खतम कर देती  है।

अगर आप किसी जंगल में भटक गए हैं और शेर के आने के डर से आप अपनी आँखे बंद कर लेते  हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि  शेर आपको नहीं खायेगा। इसे ऐसे समझिये कि अगर आप शराब पर पूरी तरह से आश्रित हैं और आपको लगता है कि आप इसके बुरे प्रभावों से बच सकते हो तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है।

शराब से चिंता दूर होना एक भ्रम है।2021-06-03T23:09:53+00:00

Effect of Alcohol in Family Life

Effect of Alcohol in Family Life

Effect of Alcohol in Family Life

We have often seen that there are many such families in the society where at least one member has a habit of drinking alcohol. This is a common Vice in today’s times. Getting intoxicated on Alcohol seems like a Social Standard, and you’d be an outcast to many a group if one chooses not to Drink at a gathering. Even in families where drinking is a Taboo, due the Families’ Mental and Social Constructs, eventually break free of the Groupthink of the household and develop the vicious habit of Drinking Liquor. 

There is a famous saying of Albert Einstein that “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”. Before indulging in any form of a Substance, one must know all the angles to it, its merits and demerits, in order to know whether the Habit pattern is actually causing one mental and physical harm. The symptoms may not be evident at first because of the short term gratification one feels and the mental denaturing yet to be perceived. Say, If today your hair starts falling or you have severe pain in the teeth, then you will definitely go to the doctor because these are the problems which you understand clearly, the symptoms to underlying root cause exist.

Alcohol Consumption too, brings along with itself such clear, evident problems in a person’s Family Life. Alcoholics rarely recognise the harm caused by this habit of theirs themselves.

Many alcoholics lie or blame others for their problems. The loss of trust damages relationships and alienates family members from each other.

 

Alcohol has a bad effect on not only One aspect of our lives, it effects all dimensions of it, such as, Interpersonal relationships, Stress in married life, Problems related to parents and  Development of children and financial problems. Alcohol as we all know and cherish is actually in medical terms acts as a Depressant.

1. Marital tension: If there is any problem in the life of an alcoholic person or he experiences any sorrow, then instead of consulting his spouse, he prefers to spend time with alcohol so that he can forget his sorrow and troubles. And he does not understand that this intoxication is not the cure for his sorrow. And from here the tension and distance in his married life keeps on increasing.

2. Problems related to parents and development of children: A child’s brain is developed by the age of 7-8 years. The events that the child learns during that time and the emotional experiences associated with them are stored forever in the hard drive of his/her subconscious mind. It is like the memory of the computer that you can never delete.

In those 7-8 years, if the Child sees his Mother and Father Engaging in Verbal and Physical Altercation in his home, then such incidents have a very negative effect on his Gentle mind. For example, if the father comes home after drinking alcohol every few days a week and uses abusive language, then it is quite possible that the child will not be able to control his emotions in a social environment. There may be troubles, which are very difficult for any member of the household to understand. For such, Counselling helps a person who is unable to control their emotional reactions to alcoholism.

3. Financial problems: Drug addiction makes you financially hollow along with your mental state. Until the effects are severe, you may not realise that your financial condition has been weakened by a drinking problem. If you are a frequent drinker, then it is very important that you pay attention to the expenditure on alcohol from your earnings. If you go to a club or bar and get a six-pack of beer it can cost around 1200 to 5000 depending on the brand, and hard liquor, wine and other beverages can cost more. If you follow this routine 2-3 days a week, then soon your life starts running on credit.

Anything in excess acts as a poison, and a bottle of wine clearly states, “Abuse of alcohol can be injurious to health” It is not only for your personal health, but it is related to your life. It affects other aspects as well. And as aforementioned “A wise man is the one who knows where to return after walking on an unknown path”. 

Effect of Alcohol in Family Life2021-06-03T22:43:12+00:00

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर

scarab ka parivarik Jeevan par asar

हमने  अक्सर  ये  देखा  है कि  समाज  में  कई  ऐसे  परिवार  होते  हैं जहां  कम  से  कम  किसी  एक  सदस्य  को  शराब  पीने  की  आदत  होती  है। देखा  जाए  तो  आज  के  इस  मॉडर्न  समय  में   ये  बात  बहुत  आम  सी  लगती  है। शराब  पीना  जैसे  एक  सोशल  स्टैण्डर्ड  माना  जाता  है, अगर  आप  शराब  नहीं  पीते  तो  आप  शायद  एक  समूह  का  हिस्सा  ना बन पाएं। और  ऐसे  लोग  जिनके  परिवार  में शायद  अब  तक  किसी  ने  शराब  ना  पी  हो, वो  अपनी  कमजोर  मानसिकता  के  चलते  इस  लालच  में फंसकर  शराब  पीना  शुरू  कर  देते  हैं।

अल्बर्ट आइंस्टीन का  एक  मशहूर  कथन  है  कि  “समझदार  व्यक्ति  वही  है  जो  ये  बात  जानता  हो कि  किसी  अनजान  रास्ते  पर  चलते  हुए कहां से  वापस लौट  आना  चाहिएआप  इसे  ऐसे  समझ  सकते  हैं  कि, कोई  भी  काम  शुरू  करने  से  पहले  हमें   उसके  अच्छे  और  बुरे  दोनों पहलुओं को  समझ  लेना  चाहिए  कि  कहीं  उसमें   हमारा  नुकसान  तो  नहीं  हो  रहा। मगर  हम  अपनी  मानसिक  स्थितियों  से  जुड़ी  दिक्कतों  पर  ज्यादा  ध्यान  नहीं  दे  पाते, क्योंकि  वो  हमें   दिखाई  नहीं  देती। अगर  आज  आपके  बाल  झड़ने  लग  जाएं  या  दांतो  में   जोर  का  दर्द  हो  तो  आप  डॉक्टर  के  पास  जरूर  जाएंगे  क्योंकि  ये  वो  परेशानियाँ  हैं  जो  आपको  साफ़  साफ़  समझ    रही  हैं। 

ऐसे  ही  कुछ  परेशानियाँ  हैं  जो  एक  शराबी  इंसान  को  दिखाई  नहीं देती  के  कब  उसके  व्यवहार का  असर  उसके  पारिवारिक  जीवन पर  पड़ने  लगा शराब  का  दुरुपयोग  करने  वाले  इंसान  को  अपनी  इस  आदत  से  होने  वाले  नुकसान  का  कोई  एहसास  नहीं  होता।

कई शराबी अपनी समस्याओं के लिए झूठ बोलते हैं या दूसरों को दोष देते हैं। भरोसे का बिगड़ना रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है और परिवार के सदस्यों को एकदूसरे से दूर  कर  देता  है।

 

शराब  से  हमारी  ज़िन्दगी के किसी एक नहीं  बल्कि  हर  हिस्से  पर  बुरा  असर  पड़ता  है, जैसे   वैवाहिक  जीवन में  तनाव का होना , माँ बाप से  जुड़ी  समस्याएँ, बच्चों का  विकास और  आर्थिक  परेशानियाँ।

 

1.वैवाहिक तनाव: शराबी  इंसान  के  जीवन  में   अगर  कोई  परेशानी  आती  है  या  वो  किसी  दुःख  का  अनुभव  करता  है  तो  बजाय  अपने  जीवनसाथी  से  सलाह  करने  के  वो  शराब  के  साथ  समय  बिताना  ज्यादा  पसंद  करता  है  ताकि  वो  अपने  दुख  और  परेशानियों  को  भूल  सके। मगर  वो  ये  नहीं  समझ  पाता  की  ये  नशा  उसके  दुःख  का  इलाज़  नहीं  है। और  यहीं  से  उसके  वैवाहिक  जीवन  में   तनाव  और  दूरियां  बढ़ती  चली  जाती  हैं।

2.माँ बाप से  जुड़ी  समस्याएँ एवं बच्चों  का  विकास:  एक  बच्चे  का  दिमाग  7-8 साल  की  उम्र  तक  विकसित  हो  चूका  होता  है। उस  समय  के  दौरान  बच्चा  जो  सीखता  है  वो घटनाएं और  उनसे  जुड़े  भावनात्मक अनुभव  उसके  अवचेतन  मन   की  हार्ड  ड्राइव  में   हमेशा  के  लिए  स्टोर  हो  जाते  हैं। ये कंप्यूटर की उस  मैमोरी जैसा  होता है  जिसे आप  कभी  डिलीट  नहीं कर सकते। 

उन  7-8 सालो  में  बच्चा  अगर  अपने  घर  अपने  माँ और  पिता  को  मारपिटाई या झगड़ते  हुए  देखता है  तो  उसके कोमल मन  पर  ऐसी घटनाओं का बेहद  नकारत्मक असर  होता  है। उदाहरण  के  तौर  पर  अगर   पिता  हफ्ते में  कुछ दिन या रोज शराब  पीकर  घर  आता  है  और  गाली गलौच या घर में  अपमानजनक  भाषा  का  प्रयोग  करता  है  तो  ये  बहुत  हद  तक  संभव  है  कि  उस  बालक  को  सामाजिक माहौल  में अपनी  भावनाओं  को  काबू  करने  में   काफी  परेशानियाँ  हो  सकती  है, जिसे घर के किसी सदस्य के लिए  समझ  पाना  काफी  मुश्किल  काम  है । काउंसलिंग के  जरिये  ऐसे व्यक्ति को मदद मिलती है जो शराब के नशे में  अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर काबू नहीं रख पाते।

3. आर्थिक  समस्याएँ : नशे  की  लत  आपकी  मानसिक  स्थिति  के  साथ साथ आपको  आर्थिक रूप से भी खोखला कर देती है।  जब तक असर  गंभीर नहीं हो जाते, तब तक आपको इस बात का अहसास नहीं होगा कि शराब पीने की समस्या से आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। यदि आप बारबार शराब पीने वाले हैं, तो यह बहुत जरूरी  है  कि  आप  अपनी  कमाई  से  शराब  पर  होने  वाले  खर्च  पर  ध्यान  दें। अगर  आप  एक  क्लब या बार  में  जाते  हैं  और  बीयर के सिक्सपैक लेते  हैं  तो  उसकी  कीमत ब्रांड के आधार पर लगभग 1200 से 5000 तक हो सकती हैं, और हार्ड शराब, वाइन और अन्य पेय पदार्थों की कीमत अधिक हो सकती है। अगर आप हफ्ते में  2-3  दिन यही  रूटीन अपनाते हैं तो आप जल्द ही आपका जीवन उधारी पर चलने लगता है।    

 

जरुरत से ज्यादा कोई भी चीज़ ज़हर का काम करती है, और शराब की बोतल पर साफ़ अक्षरों में  लिखा होता है, “शराब का  सेवन स्वास्थय के लिए हानिकारक हो सकता है” ये केवल आपके निजी स्वास्थय के लिए ही नहीं बल्कि आपकी ज़िन्दगी से जुड़े दूसरे पहलुओं पर भी बुरा असर डालता है। और जैसा ऊपर लिखा है कि समझदार  व्यक्ति  वही  है  जो  ये  बात  जानता  हो कि  किसी  अनजान  रास्ते  पर  चलते  हुए कहां से  लौट  आना  चाहिए

 

शराब का पारिवारिक जीवन पर असर2021-06-02T21:44:03+00:00

gutka tambaku chorne ka upay

तम्बाकू छोड़ने के उपाय

अगर हम शराब, स्मैक या और किसी भी प्रकार के अन्य नशे के बारे में बात करेंगे तो वह सभी कुल मिलाकर भी इतनी मौतों के ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना की अकेले तम्बाकू के कारण होती है। डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 – 19 में सिर्फ भारत में ये आंकड़ा करीब दस लाख मौतों का था जो कि वर्ष 2010 से लगभग एक लाख ज़्यादा थीं, इसका साफ़ अल्फ़ाज़ों में मतलब है कि इसमें इज़ाफ़ा हुआ है और यह धीरे धीरे एक महामारी में तब्दील होती जा रही है। भारत में तम्बाकू के उत्पादों का बाज़ार बड़ा ही जटिल है, इसमें बीड़ी, सिगेरट, गुटखा, खैनी, पान मसाला सभी शामिल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में तम्बाकू के सेवन का चलन बहुत तेज़ी के साथ बढ़ा है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग दोनों ही बराबरी से शामिल है।
तम्बाकू का सेवन हमेशा शौक और जिज्ञासा के कारण शुरू होता है लेकिन यह शौक कब जानलेवा लत बन जाती है हमको पता ही नहीं चलता। किसी भी लत को छोड़ना आसान नहीं होता और खासकर की नशे की आदत छोड़ना तोह और कठिन होता है क्यों कि उसमे तो हमारा शरीर भी नशे की वास्तु पर निर्भर हो जाता है। पर हम अपनी इच्छाशक्ति और कुछ नुस्खों के दम पर ऐसा कर सकते हैं, आइये यहाँ पर हम चर्चा करते हैं कुछ तम्बाकू छोड़ने के उपायों के बारे में –
– आप सबसे पहले तो अपने सारे करीबियों को बता दें कि आप तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और वो आपको किसी भी सूरत मैं तम्बाकू
का सेवन करने के लिए न कहें और हो सके तो हमे ये बात याद दिलाते रह।
– अपने पास गुटका, सिगेरट, माचिस आदि रखना छोड़ दे।
– जितना हो सके उन लोगों से दूरी बनाएं जो सिगेरट, गुटखे का बहुत ज़्यादा सेवन करते हो।
– लगभग 40-50 ग्राम सौंफ और इतनी ही अजवायन लेकर तवे पर भूने, थोडा नींबू का रस और हल्का काला नमक डालें और उसको एक डब्बी में रखकर अपनी जेब में रख ले। जब कभी सिगरेट या तम्बाकू आदि की तलब लगे तो कुछ दाने चबाते रहे इससे तलब कम होगी, अपच, गैस और एनोरेक्सिया में भी फायदा होगा।
– इसके साथ ही हलके गर्म पानी में शहद डाल कर पीने से भी तलब कम होती है और सुबह उठ कर इसका सेवन भी तम्बाकू छोड़ने का बेहतरीन उपाय है।
– जब आप तम्बाकू छोड़ने का उपाय करते हैं तो आपको कुछ शारीरिक परेशानियों का सामना करना पद सकता है जैसे पेट में मरोड़ उठना,
भूख न लगना, खट्टी धकारें आना, समय से फ्रेश न हो पाना आदि। सूखे आंवले के टुकड़े, इलायची और सौंफ चबाने से इन सब से प्राकृतिक रूप से फायदा होगा बिना किसी एलॉपथी की दवाई के।
दुर्भाग्य से भारत में तम्बाकू का सेवन शुरू होने कि औसतन उम्र 14 से 16 वर्ष है जो कि एक किशोर अवस्था होती है, इसके लिए हम समाज में जागरूकता के आभाव को ज़िम्मेद्दार ठहरा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने इस मामले कुछ नहीं किया ! 2013 मई में 24 राज्यों ने और 3 केंद्र शाषित प्रदेशों ने तम्बाकू युक्त गुटखे पर रोक लगा दी, पर इसकी जगह तम्बाकू के दूसरे उत्पादों ने ले ली। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इस व्यसन की जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। इसके साथ ही 2016 में नाबालिग को किसी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना गैरकानूनी घोषित हो चुका है मगर इस कानून का अनुपालन काफी मुश्किल साबित हुआ है। हमारे समाज में भी तम्बाकू का उपयोग बहुत हल्के में लिया जाता है इसलिए ये बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग तम्बाकू के व्यसन के बड़े में खुद को जागरूक करे। आखिर यह लड़ाई असली तो हर एक व्यक्ति के स्वयं की भलाई के लिए है। आशा करते हैं की ये दुनिया और हमारा देश तम्बाकू छोड़ने के रास्ते में अग्रसर रहेगा।

gutka tambaku chorne ka upay2021-02-27T22:20:13+00:00

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है

क्या है गांजा

गांजे (MARIJUANA) को   पॉट और वीड भी कहा जाता है। ये एक साइकोएक्टिव (मन प्रभावी) ड्रग है जो कैनाबीस सटीवा श्रेणी के पौधे से आता है। ये शायद पूरे विश्व में सबसे ज्यादा एब्युज किया जाने वाला ड्रग है। इसको ज्यादातर जॉइंटस् में, बॉन्गस् में और पाइप में भर कर स्मोक किया जाता है। कई बार इसको खाने की चीजों में या चाय में भी डाल के लिया जाता है।

अल्कोहोल के कंपेरिजन में वीड हमारे बॉडी सिस्टम में लंबे समय के लिये रहता है जब की अल्कोहोल कुछ घंटो के लिये रहता है क्योंकि गांजे में टी.एच.सी tetrahydrocannabinol होता है जिसको मैटाबोलाइज करने में टाइम लगता है। टी.एच.सी में हमारे  बॉडी फैटस् के साथ कम्बाइन होने की प्रोपर्टी होती इसलिये इसे मैटाबोलाइज होने में समय लगता है।

गांजा हमारे शरीर में कितने देर तक रहता है?

गांजे का हमारे शरीर में कितनी देर तक रहता है ये दरअसल कई चीजों पर निर्भर करता है।

  • ली गई मात्रा पर
  • TETRAHYDROCANNABOLI (THC) की लेवल पर
  • हमारे शरीर के हाईड्रेशन (जलयोजन) पर
  • मैटाबोलीजम पर

आमतौर पर गांजा के पता हमारे बालों से 90 दिन तक लगाया जा सकता है, पेशाब में 3 दिन से लेकर 1 महीने तक जो की मात्रा पर निर्भर करता है, 2 दिन या 48 घंटे तक हमारे सलाइवा (लार) से, और 1.5 दिन या 36 घंटे तक हमारे खुन से लगाया जा सकता है।

ओरली लिया हुआ वीड स्मोक किये हुऐ वीड की अपेक्षा हमारे सिस्टम में ज्यादा देर तक रहता है।

नैचुरली वीड को मैटावोलाइज होने में काफी समय लगता है, एक्सरसाइज, हैल्दी खाना और ज्यादा पानी पीना इस प्रोसेस को थोड़ा तेज कर सकता है। पर ऐसा करने से भी कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा।

वीड या गांजा बहुत एडिक्टिव होता और ये जितना देर तक आपके सिस्टम में रहता है उतना ज्यादा चांसेस होतो है की ये आपकी यादाश्त, तर्क-शक्ति, और सीखने की क्षमता पर निगेटिव इफेक्ट करे।

इसके साथ वीड का लगातार इस्तेमाल से हार्ट की और सांस की बिमारीयां होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रेगनेंसी के दौरान वीड स्मोकिंग से आने वाले बच्चे में बर्थ डिफेक्टस् की पॉसिबिलिटी होती है।

 

  

 

  

 

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है2021-02-27T22:20:18+00:00

शराब नशा मुक्ति

नशे के आदी किसी व्यक्ति के पीने की आदत को बदलना आसान काम नहीं होता। मगर, महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित एक स्कूल के छत्रों ने पूरे गाँव को नाशमुक्त कर दिखाया। इस स्कूल ने तंबाकू और शराब का सेवन कर नशा करने वाले लोगों को नशे से मुक्ति दिलाई। यहां के छोटे बच्चों ने सिर्फ दो साल में हजारों लोगों की सोच बदल दी। वहाँ के शिक्षकों ने बताया कि यह मुलवर्धन का परिणाम है, जो एक स्कूल-आधारित मूल्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे शांतिलाल मुत्था फाउंडेशन (एक गैर-लाभकारी संस्था) द्वारा जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिकों का पोषण करने के लिए शुरू किया गया है।

नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।

शराब नशा मुक्ति, nasha mukti kendra bhopal

 

शराब नशा मुक्ति2021-02-27T22:20:25+00:00

10 बातें जिससे आपका जीवन बेहतर हो जायेगा।

आज मैं आपको बताउँगा 10 ऐसी चीजों के बारे में जो डेफिनेटली इम्प्रुव होंगी जब आप शराब पीना छोड़ देंगे। यहा मैं बता दुँ की हो सकता है कि 2-3 बातें आपकी परस्नालिटी से मैच न हो क्यों हर एक इंडीविजुवल की बॉडी सेम नहीं होती।

  1. आपको अच्छी नींद आने लगेगी. बेहतर स्लीप पेर्टनस् डेवलप होने लगेंगे. एकचुवली जब आप शराब पीने के बाद जो नींद लेते वो पारशल कोमा में जाने जैसा होता है आप ड्रिंक करने के बाद उतने अलर्ट नहीं रह जाते, आप के कुछ सेंसेस वीक हो गये होते हैं। 10-15 दिन लगेंगे। आप फिर जब भी सोकर उठेंगे तो एर्नजाइज्ड फील करेंगे।
  2. जब आप शराब पीना छोड़ देते हैं तो पहले 4-5 दिन आपको खाना खाने में दिक्कत् आयेगी लेकिन उसके बाद आप ओब्सर्जव करेंगे तो आपकी डाइट इम्प्रुव होगी, इसके साथ ही आप पायेंगे की कुछ ही दिनो में आपका डाइजेशन पहले से अच्छा गया है, आप टाइम से फ्रेश होने जाने लगेंगे और पेट से जुड़ी प्रॉब्लम भी कम हो जायेंगी।
  3. और तीसरी बात अल्कहोल ब्लड शुगर लेवल बढ़ाता है ये प्रॉब्लम सबको नहीं होती पर जिनको है उनको ध्यान रखना चाहिये। ये एकदम से ओवरनाइट तो कंट्रोल में नहीं आयेगा पर 1-2 महीने में ये लिमिट में आ जायेगा इसके साथ जिनको नहीं है उनके लिये इस प्रॉब्लम का रिस्क भी कम हो जाते हैं।
  4. इसके साथ आप अपना वजन भी कंट्रोल कर सकतो हैं क्योंकि हजारों केलोरीज जो आप शराब के रुप में ले रहे थे वो कम हो जायेंगी, ओवरवेट होने का मेन रीजन होता है आपका समय से खाना न खा पाना जो की शराब पीने वालों के साथ हमेशा होता है। इसमें टाइम जरुर लगेगा पर अच्छा होगा की आप रुटीन में थोड़ी एक्सरसाइज शामिल कर लें। 
  5. बिमारीयों का रिस्क. लिवर सायरोसिस, कैंसर, डॉयबिटीज इसके साथ छोटी बड़ी कम से कम 200 बिमारीयां हैं जो शराब के साथ जुड़ी है, तो जब आप शराब पीना छोड़ते हैं तो ऑटोमेटिकली आपके बिमार पड़ने के चांसेस 75 परसेंट कम हो जाते हैं। इम्युनिटी लेवल।
  6. आप और प्रोडक्टिव हो जायेंगे, आपके के पास ज्यादा टाइम और ऐनर्जी होगी दुसरें कामो के लिये, शराब पीने वालों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि शराब की वजह से वो कई कामों को वक्त नहीं दे पाते या कई चीजों को अवोइड करते हैं। जैसे आप ड्रिंक करे हुये  हैं और आपको किसी अरजेंट मीटिंग का कॉल आ जाता है या फिर ईमरजेंसी में ड्राइव करना हो और इसके बाद आपका हैंग औवर की वजह से आपका आफिस या कोइ और जरुरी काम कभी मिस नहीं होगा।
  7. आपकी लाइफ क्वालिटी इम्प्रुव हो जायेगी. वो ऐसे की इन जनरल लोग ड्रिंक किये हुये बंदे से मिलना नहीं चाहते चाहे वो काम से रिलेटेड हो या पर्सनल हो और बहुत लोग ऐसे होंगे जिनके सामने आप पीकर जाना नहीं चाहते। ये प्रॉबलम तो जब आप पीना बंद कर देंगे तब से खत्म होने लगेगी।
  8. मेंटल क्लेरिटी. आप पहले दिन में ही हैरान रह जायेंगे ये आब्जर्व करके की आप के हाथों में कितना समय सोचने के लिये और नये गोल सेट करने के लिये. शराब के ईद-गिर्द घुमना।
  9. आपका न केवल फिजिकल बल्की मेंटल एनर्जी लेवल भी बढ़ जायेगा आप हर चीजों को हर ऐंगल से सोच सकते हैं। आप फोकस्ड हो कर सोच सकते हैं। दरअसल होता युँ है कि जब हम रेग्युलरली ड्रिंक करते हैं तो हम अक्सर -मी ऑलवेज राइट वाले एटिट्युड- से सोचते हैं। ऐसा होने में टाइम लगेगा इसलिये बेहतर होगा की आप अपनी फिजिकल वॉइटिलिटी बढ़ाने के लिये अपने रुटीन में योगा-मेडिटेय़न जरुर शामिल करें।
  10. आप खुश रहेंगे. शराब सिर्फ आपको नहीं आपके पूरे परिवार पर असर करती है जब आप शराब पीते हैं तो परिवार आपकी सेहत के लिये परेशान करता है. शराब की वजह से कई बार घर में लड़ाई झगड़े होते हैं.   

इनमें से कुछ बातें आपको छोटी या रिलेवेंट ना लगें पर, इन ही में कुछ चीजें लाइफ चेंजिंग साबित हो सकती हैं। तो अगर आपको लगता है कि इनमें से कुछ चीजें इम्प्रुव हो सकती हैं तो आप शराब छोड़ने की कोशिश जरुर करें।   

10 बातें जिससे आपका जीवन बेहतर हो जायेगा।2021-02-27T22:20:30+00:00

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!

यहाँ पर आज हम चर्चा करेंगे उन दवाईयों के बारे में जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। खासकर हमारे देश में क्या बड़ा क्या छोटा सभी इसके मूरीद नजर आते हैं। सामान्य तौर पर आम लोग इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते पर पिछले कुछ सालों से इस प्रकार के नशे का चलन काफी बढ़ गया है।

तो यहाँ हम देखेंगे कि किस तरह की दवाईयाँ ओवर द कांउटर उप्लब्ध हैं जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है।

सबसे पहला टाइप – सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेन्ट (central nervous system depressant) 

ये वो ड्रग्स होता हैं जो ब्रेन में मौजूद न्युरोट्रांसमिटर (neurotransmitter)  के लेवल को कम कर देता है। इन दवाओं को डाउनरस् भी कहते हैं। इन दवाओं को नींद न आने पर (insomnia), एन्कजाइटी आदी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। बाजार में ये अल्प्राजोलम (Alprazolam), ऐटिवेन (Ativan), लिब्रियम (Librium), वैलियम (Valium) ब्रांड नेम से फेमस हैं। इस दवा के निरंतर इस्तेमाल से सिरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे 

खतरनाक तरीके से ब्लड प्रेशर लो हो जाना।

सांसो की गति का कम हो जाना।

शरीर का मुवमेंट कंट्रोल में न रहना।

 

दुसरा टाइप – डेक्सट्रोमेथोरफेन (dextromethorphan) 

 ये दवा मोरफ्नेन क्लास (morphinan class ) ड्रग है। इस दवा में अफीम का कोई अंश नहीं होता और ये मोरफीन से synthesize  की जाती है। यो दवा आमतौर पर ठंड और खांसी के लिये प्रिसक्राइब की जाती है और ये एडिक्टिव नेचर की ड्रग नहीं है पर इसका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके पॉपुलर ब्रांड नेम एक्टिकोफ (acticof), एकोरिल (Acorill-DX) आदी हैं। लेकिन इसके इसके सिरियस साइड इफेक्ट्स जैसे

मतिभ्रम (Hallucinations) 

अनियंत्रित उल्टीयां होना (Uncontrolled vomiting)

सांसो की गति का कम हो जाना।

तीसरा टाइप – ओपियेट्स (Opiates)

ये वो दवायें हैं जो अफीम से बनाई जाती हैं या जिनमे अफीम का अंश होता है। ये दवाये मुख्य रुप से पेन किलर होती हैं। इस के पॉपुलर ब्रांड नेमस् हैं मोरफीन (Morphine), ट्रामाडोल (Tramadol), एलप्रेक्स (Alprax) आदी  ये दवायें बहुत ही एडिक्टिव नेचर की होती हैं और इसके बहुत सारे साइड इफेक्टस् होते हैं पर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है इसका ओवरडोज होना। इसके साथ ओपियेट्स के और सिरियस साइड इफेक्टस हैं जैसे 

मतिभ्रम (Hallucinations) 

इंसान का कोमा में चले जाना

इम्युन सिस्टम (Immune system) कमजोर हो जाना

चौथा टाइप – कोडीन बेस्ड कफ सिरप

ये नशे के लिये सबसे ज्यादा पॉपुलर मेडिसिन है, ये ड्रग पेन रिलिफ और खाँसी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। कोरेक्स ब्रांड नेम से ये ड्रग नशा करने वालो के बीच फेमस है। इसके और ब्रांड हैं जैसे टोसेक्स (Tossex), कोडिस्टार (Codistar) etc. इस ड्रग का ओवरडोज होना बेहद खतरनाक होता है इसके साथ

धीमा रक्तचाप (Low B.P) और सांस लेने में तकलीफ होना भी शामिल है।

इसके अलावा लंबे समय से इसकी लत का शिकार आदमी दिमागी रुप से अस्थिर भी हो जाता है।

हमारी सोसायटी में इस टॉपिक को लेकर ज्यादा अवेयरनेस नहीं है कि इन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके बावजूद प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  लगातार बढ़ रहा है।

आइये यहां हम इसके कारण जानेगे की क्यों इसका चलन बढ़ रहा है।

  • इन दवाओं को एक ऑल्टरनेट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार एडिक्ट हेरोइन या ब्राउन शुगर जैसे ड्रग हासिल नहीं कर पाता चाहे ऐसा पैसों की कमी के कारण हो या फिर पुलिस के डर से। ऐसी कंडिशन में ये ड्रग ऑल्टरनेटिव का काम करती है।
  • आसान पहुँच या ease of availability,  ये सारे ड्रग जिनकी हमने बात करी फारमेसी/मेडिकल में आसानी से मिल जाते हैं। ये सारे ड्रग “to be sold by prescription only” हैं पर कुछ पैसे देकर ये आसानी से खरीदे जा सकते हैं।
  • इनमें से कुछ ड्रग्स जब शराब के साथ या दुसरे ड्रग्स के साथ कॉम्बिनेशन के साथ लेते हैं तो नशे की तीव्रता (intensity) बढ़ जाती है। ये प्रेक्टिस बहुत खतरनाक  होती है क्योंकि ठीक अनुपात न होने से डोज से मौत भी हो सकती है।
  • कई बार लोग अपना इलाज खुद ही करने लग जाते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं को खाने लग जाते हैं और धीरे-धीरे उनका शरीर इन दवाओं पर डिपेनडेंट हो जाता है। 
  • दुसरे नशे के सामान के तपलना में ये नशा बहुत सस्ता होता है। इसके साथ इसको बेरोक-टोक कहीं भी ले जाया जा सकता है।

नशे के लिये इन ड्रग्स का युज युवाओं   के बीच काफी कूल माना जाता है। और उनको लगता है कि ये शौक उनके कंट्रोल में है तो वो बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं। एक दिन में कुतुबमिनार नहीं खड़ा होता ठीक उसी तरह से धीरे-धीरे ये दवाई आपकी सेहत के लिये समस्याओं का कुतुबमिनार बना देंगी।

हमारे सिस्टम में प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  के लिये कड़े कानुन हैं पर लागू करने प्रक्रिया बड़ी ही कॉम्पलेक्स है। इस तरह की बुराई से बचने के लिये जागरुता ही सबसे हथियार है।

हमारा आपसे अनुरोध है कि कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें और यदि कभी ऐसी स्तिथी  आती है तो प्रिसक्रिपशन  के अनुसार तय मात्रा में लें।  

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!2021-02-27T22:20:44+00:00

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!

आज हम बात करेंगे उन 5 गलतीयों के बारे में जो शराब छोड़ते समय लगभग हर आदमी करता है। अगर पूरी 5 नहीं करता तो 2-3 तो जरुर करता है यहाँ हम ये इसलिये डिसकस कर रहें है क्योंकि इनमें से ही एक रिलेप्स का कारण बनती हैं। तो ये जरुरी हो जाता है की जब हम ऐफर्ट लगा रहे हैं वो सही डॉयरेक्शन में जाये।

  • जब आप शराब छोड़ते हैं तब आपको एहसास होता है की दिन कितना बड़ा है। क्योंकि जब आप रेग्युलरली पी रहे होते हैं तो आपके पूरे दिन की सायकल सिर्फ और सिर्फ शराब के इर्द-गिर्द घूम रही होती है। इसलिये शराब छोड़ने के बाद जो आपके पास खाली समय बचेगा उसे किसी भी कंसट्रक्टीव काम से भरने की तैयारी कर लें।
  • जब आप पीते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि आपके बहुत सारे दोस्त हैं। पर हकीकत में सिर्फ ड्रिंकिग बडीस होते हैं इसलिये उसी ग्रुप में लौट कर बैठना भले ही आप के हाथ में कोक हो एक बेवकुफी है क्योंकि शराब आपको अट्रेक्ट करेगी और आप मिजरेबल फील करेंगे। इसलिये ये बहुत जरुरी है कि जब आप ऐसी जगहों और दोस्तों को अवोइड करें।
  • एक और गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं कि शराब छोड़ने को बहुत इम्पारटेन्स देना। वे लोग अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि 24 घंटे उनके दिमाग में शराब घूमती रहती है। खासकर उन लोगों को इसको इतना बड़ा ईशु नहीं बनाना चाहिये जो फिजिकली अल्कोहोल पर डिपेंडेंट नहीं है।(एक दो उदाहरण और जोड़ दें)
  • आपके साथ एक बात और होगी की जैसे आप शराब छोड़ देंगे आप इरिटेट फील करेंगे आप को बहुत सारी बातों में प्रॉबलम नजर आने लगेगी। हो सकता है कि आप अपने आस पास के लोगों के साथ ज्यादा बहस करें। इन बातों से बिलकुल परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि सारी चीजें वैसी की वैसी है दरअसल हुआ ये है कि आप शराब छोड़ने के बाद ज्यादा सजग हो गये हैं आप ये सारी बातें नोटिस करने लगते हैं जो पहले शराब के पीछे छुप जाती थी।
  • सबसे इम्पॉरटेंट बात ये की ये उम्मीद बिलकुल न रखें की सारी चीजें जो शराब की वजह से खराब हो गई थी वो ओवरनाईट ठीक हो जायेंगी। हर इंडिविजुवल अलग होता है और सबकी अलग कहानी होती है इसलिये चीजें बेहतर तो होंगी ये बात तो श्योर है पर इसकी कोई फिक्स टाईम लिमिट नहीं लगा सकते। आप इसको इस तरह से भी सोच सकते हैं की शराब पीने सेल्फ अब्युज आपने सालों तक किया और छोड़ने पर पॉजिटिव रिजल्ट आने में कुछ तो टाईम लगेगा। इसलिये पेशंस बहुत इम्पॉरटेंट एसपेक्ट है। 

 

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!2021-02-27T22:20:51+00:00

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां

   

 

ऐसा कई बार देखा गया है की बंदे को मालूम है कि उसे ड्रग/अल्कोहोल का एडिक्शन हो चुका और वो इस प्रॉब्लम से निकलना भी चाहता है पर कुछ गलतफहमीयों या कहें कनफ्युजन की वजह से एक प्रॉपर ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट लेने से घबराता है। इन गलतफहमीयों की मुख्य वजह ये भी है कि हमारे समाज में इस टॉपिक को लेकर जानकारी बहुत कम है या गलत जानकारी है। एक एडिक्ट के लिये अपनी प्रॉब्लम रियालाइज करना और उसके बारे में कुछ करना एक बहुत जरुरी और बड़ा कदम होता है, तो आज हम यहाँ बात करेंगे उन कुछ गलत धारणाओं के बारे में जो ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर अक्सर इंसान के मन में होते हैं…

  1. सबसे पहला सवाल जो एक इंसान के मन में आता है वो ये होता है कि क्या  मैं एडिक्शन ट्रीटमेंट एफोर्ड कर सकता हुँ… तो इसका सीधा-सीधा जवाब है की हाँ। अगर आप सही तरीके से तलाशेंगे तो आपको ऐसे कई केंद्र और संस्थाऐं मिल जायेंगी जो किफायती दरों में ड्रग/अल्कोहोल एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम चलाती हैं। और इस बात को अगर आप इस नजरीये से देखेंगे की जितना खर्चा आप अपने एडिक्शन पर करते हैं उसकी तुलना में एडिक्शन ट्रीटमेंट का खर्चा कम ही होगा। इसके साथ ही आपको ये बात ध्यान में रखनी होगी की जितना ज्यादा आप एडिक्शन के इंफ्लुऐंस में रहते हैं उतना ही ज्यादा खतरा आपके बिमार होने का और किसी दुर्घटना के शिकार होने का बना रहता जो की कभी-कभार बेहद खर्चीला साबित हो सकता है।
  2. दुसरा डर आपको ये रहता है कि आपकी नौकरी या बिजनस का कहीं नुक्सान तो नहीं हो जायेगा… देखिये इस विषय में तो आपको सही तालमेल बिठाकर प्राथमिकतायें तय करनी होगी। आप अगर सही प्लानिंग कर के अपनी नौकरी या बिजनस से समय निकाल कर अपने आप नशे के जाल से निकालने के लिये देते हैं तो ये आने वाले कल के लिये बेहतर फैसला साबित होगा क्योंकि न केवल आप एडिक्शन की परेशानी से मुक्त होंगे बल्कि साथ ही अपने प्रॉफेशन में और अच्छा परफार्म कर पायेंगे।
  3. इसके आगे एक गलतफहमी ये भी है की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम जेल जैसा होता है। ये बात सही है कि एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम में रिसट्रिक्शनस् होते हैं और वो इसलिये होते हैं क्योंकि ड्रग्स और शराब की तलब बहुत खराब होती है और उनसे पार पाने में समय लगता है इसलिये सही ट्रीटमेंट के लिये आपको एक जगह सीमित रखना पड़ता है और इसी ट्रीटमेंट प्रोसेस को कारगर बनाने के लिये आपको एक हैल्दी डेली रुटीन फॉलो करना रहता है।
  4. चौथी बात हम ये करेंगे की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोसेस के बोरिंग होने का क्योंकि बहुत से लोगों को ये लगता है कि वो एक जगह बंद हो जायेंगे और उनके पास करने को कुछ नहीं होगा या वो और मायूस परेशान लोगों से घिरे होंगे तो यहाँ मैं बता दुँ की ट्रीटमेंट के दौरान आपका रुटीन बिलकुल भी बोरींग नहीं रखा जाता, इस प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाती है कि पेशंट को किसी एक्टिविटी में ऑक्युपाइड रखने की ताकी उसका मन इधर-उधर न भटके। इसके साथ डेली रुटीन में कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होती हैं। 
  5. और लास्ट में सबसे बड़ी गलतफहमी कुछ लोगो को ये हो जाती है कि वो अपने परिवार से दूर हो जायेंगे जबकी होता इसके बिलकुल उलट है। ये कुछ दिन जो आप अपनी बेहतरी के लिये अपने परिवार से दूर बितायेंगे उसमें आप रियलाइज करेंगे की नशे की वजह से आप अपने परिवार से कितने दूर हो गये थे। भले ही आप जब उनके साथ में एक ही छत के नीचे थे तब भी आपके जीवन का केँद्र नशा ही बन चुका था। यहाँ ट्रीटमेंट के दौरान जब आप नशे से दूर रहेंगे तो अपने आप को परिवार के और करीब महसुस करेंगे और उनकी ज्यादा वैल्यु करने लगेंगे। 

तो अगर आपको ये एहसास हो गया है कि आपको ड्रग या अल्कोहोल के एडिक्शन की प्रॉब्लम है तो कोशिश करें की जितना जल्दी हो सके आप इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवायें क्योंकि ये प्रॉब्लम समय के साथ और भयानक होती जाती है। इसके साथ आपके मन में यदि एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर कोई और शंका या सवाल हैं तो हमसे जरुर संपर्क करें…..  

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां2021-02-27T22:22:21+00:00
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