gutka tambaku chorne ka upay
तम्बाकू छोड़ने के उपाय
अगर हम शराब, स्मैक या और किसी भी प्रकार के अन्य नशे के बारे में बात करेंगे तो वह सभी कुल मिलाकर भी इतनी मौतों के ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना की अकेले तम्बाकू के कारण होती है। डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 – 19 में सिर्फ भारत में ये आंकड़ा करीब दस लाख मौतों का था जो कि वर्ष 2010 से लगभग एक लाख ज़्यादा थीं, इसका साफ़ अल्फ़ाज़ों में मतलब है कि इसमें इज़ाफ़ा हुआ है और यह धीरे धीरे एक महामारी में तब्दील होती जा रही है। भारत में तम्बाकू के उत्पादों का बाज़ार बड़ा ही जटिल है, इसमें बीड़ी, सिगेरट, गुटखा, खैनी, पान मसाला सभी शामिल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में तम्बाकू के सेवन का चलन बहुत तेज़ी के साथ बढ़ा है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग दोनों ही बराबरी से शामिल है।
तम्बाकू का सेवन हमेशा शौक और जिज्ञासा के कारण शुरू होता है लेकिन यह शौक कब जानलेवा लत बन जाती है हमको पता ही नहीं चलता। किसी भी लत को छोड़ना आसान नहीं होता और खासकर की नशे की आदत छोड़ना तोह और कठिन होता है क्यों कि उसमे तो हमारा शरीर भी नशे की वास्तु पर निर्भर हो जाता है। पर हम अपनी इच्छाशक्ति और कुछ नुस्खों के दम पर ऐसा कर सकते हैं, आइये यहाँ पर हम चर्चा करते हैं कुछ तम्बाकू छोड़ने के उपायों के बारे में –
– आप सबसे पहले तो अपने सारे करीबियों को बता दें कि आप तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और वो आपको किसी भी सूरत मैं तम्बाकू
का सेवन करने के लिए न कहें और हो सके तो हमे ये बात याद दिलाते रह।
– अपने पास गुटका, सिगेरट, माचिस आदि रखना छोड़ दे।
– जितना हो सके उन लोगों से दूरी बनाएं जो सिगेरट, गुटखे का बहुत ज़्यादा सेवन करते हो।
– लगभग 40-50 ग्राम सौंफ और इतनी ही अजवायन लेकर तवे पर भूने, थोडा नींबू का रस और हल्का काला नमक डालें और उसको एक डब्बी में रखकर अपनी जेब में रख ले। जब कभी सिगरेट या तम्बाकू आदि की तलब लगे तो कुछ दाने चबाते रहे इससे तलब कम होगी, अपच, गैस और एनोरेक्सिया में भी फायदा होगा।
– इसके साथ ही हलके गर्म पानी में शहद डाल कर पीने से भी तलब कम होती है और सुबह उठ कर इसका सेवन भी तम्बाकू छोड़ने का बेहतरीन उपाय है।
– जब आप तम्बाकू छोड़ने का उपाय करते हैं तो आपको कुछ शारीरिक परेशानियों का सामना करना पद सकता है जैसे पेट में मरोड़ उठना,
भूख न लगना, खट्टी धकारें आना, समय से फ्रेश न हो पाना आदि। सूखे आंवले के टुकड़े, इलायची और सौंफ चबाने से इन सब से प्राकृतिक रूप से फायदा होगा बिना किसी एलॉपथी की दवाई के।
दुर्भाग्य से भारत में तम्बाकू का सेवन शुरू होने कि औसतन उम्र 14 से 16 वर्ष है जो कि एक किशोर अवस्था होती है, इसके लिए हम समाज में जागरूकता के आभाव को ज़िम्मेद्दार ठहरा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने इस मामले कुछ नहीं किया ! 2013 मई में 24 राज्यों ने और 3 केंद्र शाषित प्रदेशों ने तम्बाकू युक्त गुटखे पर रोक लगा दी, पर इसकी जगह तम्बाकू के दूसरे उत्पादों ने ले ली। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इस व्यसन की जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। इसके साथ ही 2016 में नाबालिग को किसी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना गैरकानूनी घोषित हो चुका है मगर इस कानून का अनुपालन काफी मुश्किल साबित हुआ है। हमारे समाज में भी तम्बाकू का उपयोग बहुत हल्के में लिया जाता है इसलिए ये बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग तम्बाकू के व्यसन के बड़े में खुद को जागरूक करे। आखिर यह लड़ाई असली तो हर एक व्यक्ति के स्वयं की भलाई के लिए है। आशा करते हैं की ये दुनिया और हमारा देश तम्बाकू छोड़ने के रास्ते में अग्रसर रहेगा।