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gutka tambaku chorne ka upay

तम्बाकू छोड़ने के उपाय

अगर हम शराब, स्मैक या और किसी भी प्रकार के अन्य नशे के बारे में बात करेंगे तो वह सभी कुल मिलाकर भी इतनी मौतों के ज़िम्मेदार नहीं हैं जितना की अकेले तम्बाकू के कारण होती है। डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 – 19 में सिर्फ भारत में ये आंकड़ा करीब दस लाख मौतों का था जो कि वर्ष 2010 से लगभग एक लाख ज़्यादा थीं, इसका साफ़ अल्फ़ाज़ों में मतलब है कि इसमें इज़ाफ़ा हुआ है और यह धीरे धीरे एक महामारी में तब्दील होती जा रही है। भारत में तम्बाकू के उत्पादों का बाज़ार बड़ा ही जटिल है, इसमें बीड़ी, सिगेरट, गुटखा, खैनी, पान मसाला सभी शामिल है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवेशों में तम्बाकू के सेवन का चलन बहुत तेज़ी के साथ बढ़ा है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग दोनों ही बराबरी से शामिल है।
तम्बाकू का सेवन हमेशा शौक और जिज्ञासा के कारण शुरू होता है लेकिन यह शौक कब जानलेवा लत बन जाती है हमको पता ही नहीं चलता। किसी भी लत को छोड़ना आसान नहीं होता और खासकर की नशे की आदत छोड़ना तोह और कठिन होता है क्यों कि उसमे तो हमारा शरीर भी नशे की वास्तु पर निर्भर हो जाता है। पर हम अपनी इच्छाशक्ति और कुछ नुस्खों के दम पर ऐसा कर सकते हैं, आइये यहाँ पर हम चर्चा करते हैं कुछ तम्बाकू छोड़ने के उपायों के बारे में –
– आप सबसे पहले तो अपने सारे करीबियों को बता दें कि आप तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और वो आपको किसी भी सूरत मैं तम्बाकू
का सेवन करने के लिए न कहें और हो सके तो हमे ये बात याद दिलाते रह।
– अपने पास गुटका, सिगेरट, माचिस आदि रखना छोड़ दे।
– जितना हो सके उन लोगों से दूरी बनाएं जो सिगेरट, गुटखे का बहुत ज़्यादा सेवन करते हो।
– लगभग 40-50 ग्राम सौंफ और इतनी ही अजवायन लेकर तवे पर भूने, थोडा नींबू का रस और हल्का काला नमक डालें और उसको एक डब्बी में रखकर अपनी जेब में रख ले। जब कभी सिगरेट या तम्बाकू आदि की तलब लगे तो कुछ दाने चबाते रहे इससे तलब कम होगी, अपच, गैस और एनोरेक्सिया में भी फायदा होगा।
– इसके साथ ही हलके गर्म पानी में शहद डाल कर पीने से भी तलब कम होती है और सुबह उठ कर इसका सेवन भी तम्बाकू छोड़ने का बेहतरीन उपाय है।
– जब आप तम्बाकू छोड़ने का उपाय करते हैं तो आपको कुछ शारीरिक परेशानियों का सामना करना पद सकता है जैसे पेट में मरोड़ उठना,
भूख न लगना, खट्टी धकारें आना, समय से फ्रेश न हो पाना आदि। सूखे आंवले के टुकड़े, इलायची और सौंफ चबाने से इन सब से प्राकृतिक रूप से फायदा होगा बिना किसी एलॉपथी की दवाई के।
दुर्भाग्य से भारत में तम्बाकू का सेवन शुरू होने कि औसतन उम्र 14 से 16 वर्ष है जो कि एक किशोर अवस्था होती है, इसके लिए हम समाज में जागरूकता के आभाव को ज़िम्मेद्दार ठहरा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने इस मामले कुछ नहीं किया ! 2013 मई में 24 राज्यों ने और 3 केंद्र शाषित प्रदेशों ने तम्बाकू युक्त गुटखे पर रोक लगा दी, पर इसकी जगह तम्बाकू के दूसरे उत्पादों ने ले ली। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इस व्यसन की जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। इसके साथ ही 2016 में नाबालिग को किसी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना गैरकानूनी घोषित हो चुका है मगर इस कानून का अनुपालन काफी मुश्किल साबित हुआ है। हमारे समाज में भी तम्बाकू का उपयोग बहुत हल्के में लिया जाता है इसलिए ये बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग तम्बाकू के व्यसन के बड़े में खुद को जागरूक करे। आखिर यह लड़ाई असली तो हर एक व्यक्ति के स्वयं की भलाई के लिए है। आशा करते हैं की ये दुनिया और हमारा देश तम्बाकू छोड़ने के रास्ते में अग्रसर रहेगा।

gutka tambaku chorne ka upay2021-02-27T22:20:13+00:00

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है

क्या है गांजा

गांजे (MARIJUANA) को   पॉट और वीड भी कहा जाता है। ये एक साइकोएक्टिव (मन प्रभावी) ड्रग है जो कैनाबीस सटीवा श्रेणी के पौधे से आता है। ये शायद पूरे विश्व में सबसे ज्यादा एब्युज किया जाने वाला ड्रग है। इसको ज्यादातर जॉइंटस् में, बॉन्गस् में और पाइप में भर कर स्मोक किया जाता है। कई बार इसको खाने की चीजों में या चाय में भी डाल के लिया जाता है।

अल्कोहोल के कंपेरिजन में वीड हमारे बॉडी सिस्टम में लंबे समय के लिये रहता है जब की अल्कोहोल कुछ घंटो के लिये रहता है क्योंकि गांजे में टी.एच.सी tetrahydrocannabinol होता है जिसको मैटाबोलाइज करने में टाइम लगता है। टी.एच.सी में हमारे  बॉडी फैटस् के साथ कम्बाइन होने की प्रोपर्टी होती इसलिये इसे मैटाबोलाइज होने में समय लगता है।

गांजा हमारे शरीर में कितने देर तक रहता है?

गांजे का हमारे शरीर में कितनी देर तक रहता है ये दरअसल कई चीजों पर निर्भर करता है।

  • ली गई मात्रा पर
  • TETRAHYDROCANNABOLI (THC) की लेवल पर
  • हमारे शरीर के हाईड्रेशन (जलयोजन) पर
  • मैटाबोलीजम पर

आमतौर पर गांजा के पता हमारे बालों से 90 दिन तक लगाया जा सकता है, पेशाब में 3 दिन से लेकर 1 महीने तक जो की मात्रा पर निर्भर करता है, 2 दिन या 48 घंटे तक हमारे सलाइवा (लार) से, और 1.5 दिन या 36 घंटे तक हमारे खुन से लगाया जा सकता है।

ओरली लिया हुआ वीड स्मोक किये हुऐ वीड की अपेक्षा हमारे सिस्टम में ज्यादा देर तक रहता है।

नैचुरली वीड को मैटावोलाइज होने में काफी समय लगता है, एक्सरसाइज, हैल्दी खाना और ज्यादा पानी पीना इस प्रोसेस को थोड़ा तेज कर सकता है। पर ऐसा करने से भी कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा।

वीड या गांजा बहुत एडिक्टिव होता और ये जितना देर तक आपके सिस्टम में रहता है उतना ज्यादा चांसेस होतो है की ये आपकी यादाश्त, तर्क-शक्ति, और सीखने की क्षमता पर निगेटिव इफेक्ट करे।

इसके साथ वीड का लगातार इस्तेमाल से हार्ट की और सांस की बिमारीयां होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रेगनेंसी के दौरान वीड स्मोकिंग से आने वाले बच्चे में बर्थ डिफेक्टस् की पॉसिबिलिटी होती है।

 

  

 

  

 

गांजा शरीर में कितने देर तक रहता है2021-02-27T22:20:18+00:00

शराब नशा मुक्ति

नशे के आदी किसी व्यक्ति के पीने की आदत को बदलना आसान काम नहीं होता। मगर, महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित एक स्कूल के छत्रों ने पूरे गाँव को नाशमुक्त कर दिखाया। इस स्कूल ने तंबाकू और शराब का सेवन कर नशा करने वाले लोगों को नशे से मुक्ति दिलाई। यहां के छोटे बच्चों ने सिर्फ दो साल में हजारों लोगों की सोच बदल दी। वहाँ के शिक्षकों ने बताया कि यह मुलवर्धन का परिणाम है, जो एक स्कूल-आधारित मूल्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे शांतिलाल मुत्था फाउंडेशन (एक गैर-लाभकारी संस्था) द्वारा जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिकों का पोषण करने के लिए शुरू किया गया है।

नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।

शराब नशा मुक्ति, nasha mukti kendra bhopal

 

शराब नशा मुक्ति2021-02-27T22:20:25+00:00

10 बातें जिससे आपका जीवन बेहतर हो जायेगा।

आज मैं आपको बताउँगा 10 ऐसी चीजों के बारे में जो डेफिनेटली इम्प्रुव होंगी जब आप शराब पीना छोड़ देंगे। यहा मैं बता दुँ की हो सकता है कि 2-3 बातें आपकी परस्नालिटी से मैच न हो क्यों हर एक इंडीविजुवल की बॉडी सेम नहीं होती।

  1. आपको अच्छी नींद आने लगेगी. बेहतर स्लीप पेर्टनस् डेवलप होने लगेंगे. एकचुवली जब आप शराब पीने के बाद जो नींद लेते वो पारशल कोमा में जाने जैसा होता है आप ड्रिंक करने के बाद उतने अलर्ट नहीं रह जाते, आप के कुछ सेंसेस वीक हो गये होते हैं। 10-15 दिन लगेंगे। आप फिर जब भी सोकर उठेंगे तो एर्नजाइज्ड फील करेंगे।
  2. जब आप शराब पीना छोड़ देते हैं तो पहले 4-5 दिन आपको खाना खाने में दिक्कत् आयेगी लेकिन उसके बाद आप ओब्सर्जव करेंगे तो आपकी डाइट इम्प्रुव होगी, इसके साथ ही आप पायेंगे की कुछ ही दिनो में आपका डाइजेशन पहले से अच्छा गया है, आप टाइम से फ्रेश होने जाने लगेंगे और पेट से जुड़ी प्रॉब्लम भी कम हो जायेंगी।
  3. और तीसरी बात अल्कहोल ब्लड शुगर लेवल बढ़ाता है ये प्रॉब्लम सबको नहीं होती पर जिनको है उनको ध्यान रखना चाहिये। ये एकदम से ओवरनाइट तो कंट्रोल में नहीं आयेगा पर 1-2 महीने में ये लिमिट में आ जायेगा इसके साथ जिनको नहीं है उनके लिये इस प्रॉब्लम का रिस्क भी कम हो जाते हैं।
  4. इसके साथ आप अपना वजन भी कंट्रोल कर सकतो हैं क्योंकि हजारों केलोरीज जो आप शराब के रुप में ले रहे थे वो कम हो जायेंगी, ओवरवेट होने का मेन रीजन होता है आपका समय से खाना न खा पाना जो की शराब पीने वालों के साथ हमेशा होता है। इसमें टाइम जरुर लगेगा पर अच्छा होगा की आप रुटीन में थोड़ी एक्सरसाइज शामिल कर लें। 
  5. बिमारीयों का रिस्क. लिवर सायरोसिस, कैंसर, डॉयबिटीज इसके साथ छोटी बड़ी कम से कम 200 बिमारीयां हैं जो शराब के साथ जुड़ी है, तो जब आप शराब पीना छोड़ते हैं तो ऑटोमेटिकली आपके बिमार पड़ने के चांसेस 75 परसेंट कम हो जाते हैं। इम्युनिटी लेवल।
  6. आप और प्रोडक्टिव हो जायेंगे, आपके के पास ज्यादा टाइम और ऐनर्जी होगी दुसरें कामो के लिये, शराब पीने वालों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि शराब की वजह से वो कई कामों को वक्त नहीं दे पाते या कई चीजों को अवोइड करते हैं। जैसे आप ड्रिंक करे हुये  हैं और आपको किसी अरजेंट मीटिंग का कॉल आ जाता है या फिर ईमरजेंसी में ड्राइव करना हो और इसके बाद आपका हैंग औवर की वजह से आपका आफिस या कोइ और जरुरी काम कभी मिस नहीं होगा।
  7. आपकी लाइफ क्वालिटी इम्प्रुव हो जायेगी. वो ऐसे की इन जनरल लोग ड्रिंक किये हुये बंदे से मिलना नहीं चाहते चाहे वो काम से रिलेटेड हो या पर्सनल हो और बहुत लोग ऐसे होंगे जिनके सामने आप पीकर जाना नहीं चाहते। ये प्रॉबलम तो जब आप पीना बंद कर देंगे तब से खत्म होने लगेगी।
  8. मेंटल क्लेरिटी. आप पहले दिन में ही हैरान रह जायेंगे ये आब्जर्व करके की आप के हाथों में कितना समय सोचने के लिये और नये गोल सेट करने के लिये. शराब के ईद-गिर्द घुमना।
  9. आपका न केवल फिजिकल बल्की मेंटल एनर्जी लेवल भी बढ़ जायेगा आप हर चीजों को हर ऐंगल से सोच सकते हैं। आप फोकस्ड हो कर सोच सकते हैं। दरअसल होता युँ है कि जब हम रेग्युलरली ड्रिंक करते हैं तो हम अक्सर -मी ऑलवेज राइट वाले एटिट्युड- से सोचते हैं। ऐसा होने में टाइम लगेगा इसलिये बेहतर होगा की आप अपनी फिजिकल वॉइटिलिटी बढ़ाने के लिये अपने रुटीन में योगा-मेडिटेय़न जरुर शामिल करें।
  10. आप खुश रहेंगे. शराब सिर्फ आपको नहीं आपके पूरे परिवार पर असर करती है जब आप शराब पीते हैं तो परिवार आपकी सेहत के लिये परेशान करता है. शराब की वजह से कई बार घर में लड़ाई झगड़े होते हैं.   

इनमें से कुछ बातें आपको छोटी या रिलेवेंट ना लगें पर, इन ही में कुछ चीजें लाइफ चेंजिंग साबित हो सकती हैं। तो अगर आपको लगता है कि इनमें से कुछ चीजें इम्प्रुव हो सकती हैं तो आप शराब छोड़ने की कोशिश जरुर करें।   

10 बातें जिससे आपका जीवन बेहतर हो जायेगा।2021-02-27T22:20:30+00:00

ऐमिनेम की नर्क से वापसी

दोस्तों आज हम आपको वर्ल्ड फेमस रेपस्टार या रेप गॉड कही जाने वाली शख्सियत एमिनेम की जिन्दगी के कुछ अंश का उदाहरण देकर ये बताने वाला हुँ कि नर्क जाकर भी वापस लौटा जा सकता है। आइये तो हम जानेंगे इस छोटी सी कहानी के जरीये जाकी इंसान अगर ठान ले तो वो मुश्किलों के समंदर से भी निकल सकता है।

एमिनेम कोई शुरुआत से ड्रग्स की लत में नहीं थे, यहां तक की उन्होंने पहली बियर भी 21-22 की उम्र में पी थी। पर जैसे-जैसे उनका करियर परवान चढ़ता गया चीजें बदलने लगी। शोज़ बड़े होते गये और उसके साथ बड़ी-बड़ी ऑफ्टर पार्टीज़, जिसमें हमेशा ड्रग्स की मौजुदगी होती थी। उनके मुताबिक शुरुआत में उन्होंने ड्रग का युज रिक्रियेश्नल परपज के लिये किया और म्युजिकल टुरस् के बाद वो ड्रग्स लेना बंद भी कर देते थे और फैमिली के साथ समय बिताते थे। 

2001 में किसी बार के सामने हाथापाई के केस में एमिनेम को हथियार रखने और छुपाने का दोषी पाया गया था और जज ने 2 साल के प्रोबाशन पिरियड का आदेश दिया था, प्रोबेशन पिरियड में आपको पुलिस अधिकारी के सुपरविजन में रहना होता है और इसे तोड़ने पर सजा होती है। इस रिस्क के बावजूद शोहरत की बुलंदी छुते हुऐ इस रैपस्टार ने ड्रग्स लेना जारी रखा और 2002 में रिलीज हुई फिल्म 8 माईल की शुटिंग के दौरान किसी ने एमिनेम को रिलैक्स करने के लिये एम्बियन नाम का ड्रग दिया जिसके वो बुरी तरह से आदी हो गये आईये थोड़ा इस ड्रग के बारे में जान लेते हैं, ये एक सेडेटिव/हिप्नोटिक ड्रग है जिसे इनसोमनिया के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है और ये एक हाइली एडिक्टिव ड्रग है और शरीर इसके प्रति 3 से 4 महीने में टॉलरेंस डेवलप कर लेता है।

इसके बाद जब एमिनेम 2003 में प्रोबेशन पिरियड से बाहर आ गये तो उनके बिहेवियर पर जो कानून की थोड़ी बहुत लगाम थी वो भी खत्म हो गयी नतीजा ये हुआ की इसके बाद चीजें बद से बदतर होती गई, वो वेलियम और विकोडीन की 50-60 गोलियां वो हर रोज लेने लगे। 2005 के आते-आते लगभग हर रात नशे में होते थे। रोलिंग स्टोन मैगजीन के इंटरव्यु में एमिनेम ने बताया की उस समय उनका शरीर इतनी बुरी तरह से इन ड्रग्स पर डिपेंडेंट हो गया था की उनको नशे के लिये नहीं केवल नार्मल फील करने के लिये 50-60 गोलियां तो पूरे दिन भर में लेनी ही पड़ती थी। 

इसके बाद 2006 में एमिनेम के सबसे करीबी दोस्तों में से एक प्रुफ की हत्या हो गई, इस घटना ने एमिनेम को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया। कई-कई दिन ऐसे होते थे की वो ड्रग्स लेते-लेते बूरा दिन बिस्तर पर निकाल देते थे, वो हमेशा गुस्से में और चिड़चिड़े रहने लगे थे इसके साथ एमिनेम का वजन 80 पाउंड बढ़ गया था।

2007 के दिसम्बर में एक बार एमिनेम विकोडीन की तलाश में निकले और डीलर ने उनको मेथाडोन नाम का ड्रग जो की अफीम पर बेस्ड होता है वो युज करने के लिये कनविंस कर लिया इसके बाद आने वाले कुछ दिनों तक एमिनेम ने बेलगाम हो कर मेथाडोन का नशा किया और एक दिन मेथाडोन के ओवरडोज से अपने बाथरुम में बेहोश होकर गिर पड़े और इसके बाद उनकी आँखे जब हॉस्पिटल में खुली तो डॉक्टरस् ने उन्हें बताया 4 बैग्स हेरोइन के बराबर नशा किया है और उनकी हालत बेहद नाजुक है और शायद चंद घंटो के मेहमान हैं। इसके बाद वो 2 दिन तक बेहोश रहे और किसी तरह मरने से बाल-बाल बचे। एमिनेम लगभग 1 हफ्ते तक हॉस्पिटल में रहने के बाद बिना अपना डी-टॉक्स पूरा करे वो घर आ गये, इस समय उनकी शारिरिक शक्ति बिलकुल खत्म सी हो गई थी और 2 ही दिन में उनको दौरा पड़ गया क्योंकि उनका डी-टॉक्स भी पूरा नहीं हुआ था। नतीजा फिर से हॉस्पिटल पर इस बार एमिनेम को एहसास हो गया की उन्हें अपनी लाइफ बदलनी होगी नहीं तो जिंदा नहीं बचेंगे और वो जो एक पिता के तौर पर जो वो करना चाहते हैं, वो नहीं कर पायेंगे।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्होने सोबर रहने कोशिश चालू की पर पहले ही महीने में रिलेप्स हो गये इसके बावजूद एमिनेम ने हार नहीं मानी और काउंसलिंग, एक्सरसाइज, रनिंग और अन्य कई तरीकों से अपने आप को ड्रग्स के खतरनाक चुँगल ले बाहर निकाला और अपने म्युजिक कॅरियर के ग्राफ को और ऊपर ले गये।

एमिनेम ने अपने कॅरियर की बुलंदी अपने म्यजिक के प्रति अनडिवाइडेड डिवोशन और डेडिकेशन के दम पर हासिल की और दुनिया के सबसे बड़े रैपस्टार्स में से एक बने और यही डिवोशन और डेडिकेशन उन्होंने अपनी रिकवरी और सोबरॉयटी के लिये दिया। यहां याद रहे की एक समय में वो पूरी तरह से फिजिकली ड्रग्स पर निभर्र थे और कई एडिक्ट उस स्तिथि में कल्पना भी नहीं कर पाते एक दिन की भी बिना ड्रग्स के। इसलिये कभी भी किसी को ये सोच कर डिप्रेस नहीं होना चाहिये की सब कुछ बिगड़ चुका है अब कोशिश करने का कोई फायदा ही नहीं।     

ऐमिनेम की नर्क से वापसी2021-02-27T22:20:38+00:00

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!

यहाँ पर आज हम चर्चा करेंगे उन दवाईयों के बारे में जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। खासकर हमारे देश में क्या बड़ा क्या छोटा सभी इसके मूरीद नजर आते हैं। सामान्य तौर पर आम लोग इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते पर पिछले कुछ सालों से इस प्रकार के नशे का चलन काफी बढ़ गया है।

तो यहाँ हम देखेंगे कि किस तरह की दवाईयाँ ओवर द कांउटर उप्लब्ध हैं जिनका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है।

सबसे पहला टाइप – सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेन्ट (central nervous system depressant) 

ये वो ड्रग्स होता हैं जो ब्रेन में मौजूद न्युरोट्रांसमिटर (neurotransmitter)  के लेवल को कम कर देता है। इन दवाओं को डाउनरस् भी कहते हैं। इन दवाओं को नींद न आने पर (insomnia), एन्कजाइटी आदी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। बाजार में ये अल्प्राजोलम (Alprazolam), ऐटिवेन (Ativan), लिब्रियम (Librium), वैलियम (Valium) ब्रांड नेम से फेमस हैं। इस दवा के निरंतर इस्तेमाल से सिरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे 

खतरनाक तरीके से ब्लड प्रेशर लो हो जाना।

सांसो की गति का कम हो जाना।

शरीर का मुवमेंट कंट्रोल में न रहना।

 

दुसरा टाइप – डेक्सट्रोमेथोरफेन (dextromethorphan) 

 ये दवा मोरफ्नेन क्लास (morphinan class ) ड्रग है। इस दवा में अफीम का कोई अंश नहीं होता और ये मोरफीन से synthesize  की जाती है। यो दवा आमतौर पर ठंड और खांसी के लिये प्रिसक्राइब की जाती है और ये एडिक्टिव नेचर की ड्रग नहीं है पर इसका इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके पॉपुलर ब्रांड नेम एक्टिकोफ (acticof), एकोरिल (Acorill-DX) आदी हैं। लेकिन इसके इसके सिरियस साइड इफेक्ट्स जैसे

मतिभ्रम (Hallucinations) 

अनियंत्रित उल्टीयां होना (Uncontrolled vomiting)

सांसो की गति का कम हो जाना।

तीसरा टाइप – ओपियेट्स (Opiates)

ये वो दवायें हैं जो अफीम से बनाई जाती हैं या जिनमे अफीम का अंश होता है। ये दवाये मुख्य रुप से पेन किलर होती हैं। इस के पॉपुलर ब्रांड नेमस् हैं मोरफीन (Morphine), ट्रामाडोल (Tramadol), एलप्रेक्स (Alprax) आदी  ये दवायें बहुत ही एडिक्टिव नेचर की होती हैं और इसके बहुत सारे साइड इफेक्टस् होते हैं पर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है इसका ओवरडोज होना। इसके साथ ओपियेट्स के और सिरियस साइड इफेक्टस हैं जैसे 

मतिभ्रम (Hallucinations) 

इंसान का कोमा में चले जाना

इम्युन सिस्टम (Immune system) कमजोर हो जाना

चौथा टाइप – कोडीन बेस्ड कफ सिरप

ये नशे के लिये सबसे ज्यादा पॉपुलर मेडिसिन है, ये ड्रग पेन रिलिफ और खाँसी के लिये प्रिसक्राइब किया जाता है। कोरेक्स ब्रांड नेम से ये ड्रग नशा करने वालो के बीच फेमस है। इसके और ब्रांड हैं जैसे टोसेक्स (Tossex), कोडिस्टार (Codistar) etc. इस ड्रग का ओवरडोज होना बेहद खतरनाक होता है इसके साथ

धीमा रक्तचाप (Low B.P) और सांस लेने में तकलीफ होना भी शामिल है।

इसके अलावा लंबे समय से इसकी लत का शिकार आदमी दिमागी रुप से अस्थिर भी हो जाता है।

हमारी सोसायटी में इस टॉपिक को लेकर ज्यादा अवेयरनेस नहीं है कि इन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिये किया जाता है। इसके बावजूद प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  लगातार बढ़ रहा है।

आइये यहां हम इसके कारण जानेगे की क्यों इसका चलन बढ़ रहा है।

  • इन दवाओं को एक ऑल्टरनेट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार एडिक्ट हेरोइन या ब्राउन शुगर जैसे ड्रग हासिल नहीं कर पाता चाहे ऐसा पैसों की कमी के कारण हो या फिर पुलिस के डर से। ऐसी कंडिशन में ये ड्रग ऑल्टरनेटिव का काम करती है।
  • आसान पहुँच या ease of availability,  ये सारे ड्रग जिनकी हमने बात करी फारमेसी/मेडिकल में आसानी से मिल जाते हैं। ये सारे ड्रग “to be sold by prescription only” हैं पर कुछ पैसे देकर ये आसानी से खरीदे जा सकते हैं।
  • इनमें से कुछ ड्रग्स जब शराब के साथ या दुसरे ड्रग्स के साथ कॉम्बिनेशन के साथ लेते हैं तो नशे की तीव्रता (intensity) बढ़ जाती है। ये प्रेक्टिस बहुत खतरनाक  होती है क्योंकि ठीक अनुपात न होने से डोज से मौत भी हो सकती है।
  • कई बार लोग अपना इलाज खुद ही करने लग जाते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं को खाने लग जाते हैं और धीरे-धीरे उनका शरीर इन दवाओं पर डिपेनडेंट हो जाता है। 
  • दुसरे नशे के सामान के तपलना में ये नशा बहुत सस्ता होता है। इसके साथ इसको बेरोक-टोक कहीं भी ले जाया जा सकता है।

नशे के लिये इन ड्रग्स का युज युवाओं   के बीच काफी कूल माना जाता है। और उनको लगता है कि ये शौक उनके कंट्रोल में है तो वो बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं। एक दिन में कुतुबमिनार नहीं खड़ा होता ठीक उसी तरह से धीरे-धीरे ये दवाई आपकी सेहत के लिये समस्याओं का कुतुबमिनार बना देंगी।

हमारे सिस्टम में प्रिसक्रिपशन ड्रग अब्युज (prescription drug abuse)  के लिये कड़े कानुन हैं पर लागू करने प्रक्रिया बड़ी ही कॉम्पलेक्स है। इस तरह की बुराई से बचने के लिये जागरुता ही सबसे हथियार है।

हमारा आपसे अनुरोध है कि कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें और यदि कभी ऐसी स्तिथी  आती है तो प्रिसक्रिपशन  के अनुसार तय मात्रा में लें।  

नशा करने के लिये दारु नहीं तो दवा ही सही!2021-02-27T22:20:44+00:00

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!

आज हम बात करेंगे उन 5 गलतीयों के बारे में जो शराब छोड़ते समय लगभग हर आदमी करता है। अगर पूरी 5 नहीं करता तो 2-3 तो जरुर करता है यहाँ हम ये इसलिये डिसकस कर रहें है क्योंकि इनमें से ही एक रिलेप्स का कारण बनती हैं। तो ये जरुरी हो जाता है की जब हम ऐफर्ट लगा रहे हैं वो सही डॉयरेक्शन में जाये।

  • जब आप शराब छोड़ते हैं तब आपको एहसास होता है की दिन कितना बड़ा है। क्योंकि जब आप रेग्युलरली पी रहे होते हैं तो आपके पूरे दिन की सायकल सिर्फ और सिर्फ शराब के इर्द-गिर्द घूम रही होती है। इसलिये शराब छोड़ने के बाद जो आपके पास खाली समय बचेगा उसे किसी भी कंसट्रक्टीव काम से भरने की तैयारी कर लें।
  • जब आप पीते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि आपके बहुत सारे दोस्त हैं। पर हकीकत में सिर्फ ड्रिंकिग बडीस होते हैं इसलिये उसी ग्रुप में लौट कर बैठना भले ही आप के हाथ में कोक हो एक बेवकुफी है क्योंकि शराब आपको अट्रेक्ट करेगी और आप मिजरेबल फील करेंगे। इसलिये ये बहुत जरुरी है कि जब आप ऐसी जगहों और दोस्तों को अवोइड करें।
  • एक और गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं कि शराब छोड़ने को बहुत इम्पारटेन्स देना। वे लोग अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि 24 घंटे उनके दिमाग में शराब घूमती रहती है। खासकर उन लोगों को इसको इतना बड़ा ईशु नहीं बनाना चाहिये जो फिजिकली अल्कोहोल पर डिपेंडेंट नहीं है।(एक दो उदाहरण और जोड़ दें)
  • आपके साथ एक बात और होगी की जैसे आप शराब छोड़ देंगे आप इरिटेट फील करेंगे आप को बहुत सारी बातों में प्रॉबलम नजर आने लगेगी। हो सकता है कि आप अपने आस पास के लोगों के साथ ज्यादा बहस करें। इन बातों से बिलकुल परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि सारी चीजें वैसी की वैसी है दरअसल हुआ ये है कि आप शराब छोड़ने के बाद ज्यादा सजग हो गये हैं आप ये सारी बातें नोटिस करने लगते हैं जो पहले शराब के पीछे छुप जाती थी।
  • सबसे इम्पॉरटेंट बात ये की ये उम्मीद बिलकुल न रखें की सारी चीजें जो शराब की वजह से खराब हो गई थी वो ओवरनाईट ठीक हो जायेंगी। हर इंडिविजुवल अलग होता है और सबकी अलग कहानी होती है इसलिये चीजें बेहतर तो होंगी ये बात तो श्योर है पर इसकी कोई फिक्स टाईम लिमिट नहीं लगा सकते। आप इसको इस तरह से भी सोच सकते हैं की शराब पीने सेल्फ अब्युज आपने सालों तक किया और छोड़ने पर पॉजिटिव रिजल्ट आने में कुछ तो टाईम लगेगा। इसलिये पेशंस बहुत इम्पॉरटेंट एसपेक्ट है। 

 

ये गलतीयाँ बिलकुल न करें!2021-02-27T22:20:51+00:00

विथड्रावल कैसे हैंडल करें

 

जब आप शराब या कोई दुसरा सुखा नशा जैसे स्मैक, हेरोइन आदि एकदम से छोड़ते हैं तो आपकी तबियत बिगड़ने लगती है, आपको बैचेनी, घबराहट, नींद न आना, भूख न लगना जैसी प्रॉबलम का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि आपका शरीर शराब या जो भी नशा आप करते हैं उसका अभ्यस्त/habitual  हो चुका होता है इसलिये जब वो ड्रग बॉडी के सिस्टम में नहीं पहुँचता तो हमारा शरीर ऐसे रियेक्ट करता है।

जब आप शराब या कोई भी नशा छोड़ते हैं तो विथड्रॉवल आना स्वाभाविक होता है। खासकर शुरुआत के 7 से 10 दिन तकलीफ देने वाले हो सकते हैं लेकिन इसके बाद शरीर नॉर्मल होने लगता है। 

तो चलिये यहां हम कुछ तरीके जानेगें जो आपको विथड्रॉवलस् को हैंडल करने में मददगार रहेंगे।

  • पहले तो आप कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की और सुबह उठकर हल्के गर्म पानी में नींबु डालकर पीना भी फायदेमंद रहेगा। इस पिरियड में liquid intake ज्यादा से ज्यादा लें जैसे फ्रुट जुस, मिल्कशेक पर सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन बिलकुल न करें।
  • जितना हो सके हल्का खाना खायें कम तेल मिर्च का। विटामिन, आयरन, पोटेशियम युक्त फलों का सेवन करें।
  • क्रेविंग कम करने के लिये दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से नहायें। ऐसा करने से आपका शरीर से शराब की फिजिकल क्रेविंग कम होगी। 
  • विथड्रॉवल के दौरान अपने डेली रुटीन में हल्की एक्सरसाइज और योगा को शामिल करना बहुत जरुरी होता है। इससे आपको नींद आने में मदद मिलेगी। योगा के साथ प्राणायाम भी करना क्रेविंगस् को कम करता है।
  • कोशिश करें धूप मे बैठने की क्योंकि विटामिन डी का इससे अच्छा कोई सोर्स नहीं होता साथ ही धूप लेने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।
  • अगर इस दौरान आपकी नींद नहीं आती और शरीर में दर्द होता है तो आप डॉक्टर से कन्सल्ट कर सेडेटिव और पेन किलर ले सकते हैं। 

अल्कोहोल, स्मैक, अफीम आदि के विथड्रावल कई बार बहुत ही ज्यादा सिवीयर भी हो जाते हैं। जैसे हैलुसिनेशन में चले जाना या अपना आपा खो देना, ब्राउन शुगर/स्मैक के विथड्रॉवलस् में सीज़रस् भी आ सकते हैं इसलिये ऐसी कंडिशन में डी-टॉक्स के लिये री-हैब या हास्पिटल का तुरंत मदद लें क्योंकि इस तरह की कंडिशन घातक हो सकती है। इसके साथ ही कई केसेस में आई.वी का भी इस्तेमाल करना पड़ सकता है जो की घर पर पॉसिबल नहीं हो पाता।

यहां पर मैं आपको कहना चाहता हुँ की आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें और किसी भी सिवीयर कंडिशन का इलाज खुद से करने की जरा भी कोशिश न करें।    

लंबे समय से चले आ रहे एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिये हमे थोड़ी तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी, इसका कोई शार्ट-कट नहीं है पर यहां मैं एक बात तो गारंटी के साथ आपसे कह सकता हुँ की अगर इस लॉकडाउन में आप थोडी तकलीफ उठा कर नशे के भंवर से निकल गये तो पूरी लाइफ आजादी से रहेंगे। 

विथड्रावल कैसे हैंडल करें2021-02-27T22:22:14+00:00

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां

   

 

ऐसा कई बार देखा गया है की बंदे को मालूम है कि उसे ड्रग/अल्कोहोल का एडिक्शन हो चुका और वो इस प्रॉब्लम से निकलना भी चाहता है पर कुछ गलतफहमीयों या कहें कनफ्युजन की वजह से एक प्रॉपर ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट लेने से घबराता है। इन गलतफहमीयों की मुख्य वजह ये भी है कि हमारे समाज में इस टॉपिक को लेकर जानकारी बहुत कम है या गलत जानकारी है। एक एडिक्ट के लिये अपनी प्रॉब्लम रियालाइज करना और उसके बारे में कुछ करना एक बहुत जरुरी और बड़ा कदम होता है, तो आज हम यहाँ बात करेंगे उन कुछ गलत धारणाओं के बारे में जो ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर अक्सर इंसान के मन में होते हैं…

  1. सबसे पहला सवाल जो एक इंसान के मन में आता है वो ये होता है कि क्या  मैं एडिक्शन ट्रीटमेंट एफोर्ड कर सकता हुँ… तो इसका सीधा-सीधा जवाब है की हाँ। अगर आप सही तरीके से तलाशेंगे तो आपको ऐसे कई केंद्र और संस्थाऐं मिल जायेंगी जो किफायती दरों में ड्रग/अल्कोहोल एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम चलाती हैं। और इस बात को अगर आप इस नजरीये से देखेंगे की जितना खर्चा आप अपने एडिक्शन पर करते हैं उसकी तुलना में एडिक्शन ट्रीटमेंट का खर्चा कम ही होगा। इसके साथ ही आपको ये बात ध्यान में रखनी होगी की जितना ज्यादा आप एडिक्शन के इंफ्लुऐंस में रहते हैं उतना ही ज्यादा खतरा आपके बिमार होने का और किसी दुर्घटना के शिकार होने का बना रहता जो की कभी-कभार बेहद खर्चीला साबित हो सकता है।
  2. दुसरा डर आपको ये रहता है कि आपकी नौकरी या बिजनस का कहीं नुक्सान तो नहीं हो जायेगा… देखिये इस विषय में तो आपको सही तालमेल बिठाकर प्राथमिकतायें तय करनी होगी। आप अगर सही प्लानिंग कर के अपनी नौकरी या बिजनस से समय निकाल कर अपने आप नशे के जाल से निकालने के लिये देते हैं तो ये आने वाले कल के लिये बेहतर फैसला साबित होगा क्योंकि न केवल आप एडिक्शन की परेशानी से मुक्त होंगे बल्कि साथ ही अपने प्रॉफेशन में और अच्छा परफार्म कर पायेंगे।
  3. इसके आगे एक गलतफहमी ये भी है की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम जेल जैसा होता है। ये बात सही है कि एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोग्राम में रिसट्रिक्शनस् होते हैं और वो इसलिये होते हैं क्योंकि ड्रग्स और शराब की तलब बहुत खराब होती है और उनसे पार पाने में समय लगता है इसलिये सही ट्रीटमेंट के लिये आपको एक जगह सीमित रखना पड़ता है और इसी ट्रीटमेंट प्रोसेस को कारगर बनाने के लिये आपको एक हैल्दी डेली रुटीन फॉलो करना रहता है।
  4. चौथी बात हम ये करेंगे की एडिक्शन ट्रीटमेंट प्रोसेस के बोरिंग होने का क्योंकि बहुत से लोगों को ये लगता है कि वो एक जगह बंद हो जायेंगे और उनके पास करने को कुछ नहीं होगा या वो और मायूस परेशान लोगों से घिरे होंगे तो यहाँ मैं बता दुँ की ट्रीटमेंट के दौरान आपका रुटीन बिलकुल भी बोरींग नहीं रखा जाता, इस प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा कोशिश की जाती है कि पेशंट को किसी एक्टिविटी में ऑक्युपाइड रखने की ताकी उसका मन इधर-उधर न भटके। इसके साथ डेली रुटीन में कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होती हैं। 
  5. और लास्ट में सबसे बड़ी गलतफहमी कुछ लोगो को ये हो जाती है कि वो अपने परिवार से दूर हो जायेंगे जबकी होता इसके बिलकुल उलट है। ये कुछ दिन जो आप अपनी बेहतरी के लिये अपने परिवार से दूर बितायेंगे उसमें आप रियलाइज करेंगे की नशे की वजह से आप अपने परिवार से कितने दूर हो गये थे। भले ही आप जब उनके साथ में एक ही छत के नीचे थे तब भी आपके जीवन का केँद्र नशा ही बन चुका था। यहाँ ट्रीटमेंट के दौरान जब आप नशे से दूर रहेंगे तो अपने आप को परिवार के और करीब महसुस करेंगे और उनकी ज्यादा वैल्यु करने लगेंगे। 

तो अगर आपको ये एहसास हो गया है कि आपको ड्रग या अल्कोहोल के एडिक्शन की प्रॉब्लम है तो कोशिश करें की जितना जल्दी हो सके आप इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवायें क्योंकि ये प्रॉब्लम समय के साथ और भयानक होती जाती है। इसके साथ आपके मन में यदि एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर कोई और शंका या सवाल हैं तो हमसे जरुर संपर्क करें…..  

एडिक्शन ट्रीटमेंट को लेकर गलतफहमीयां2021-02-27T22:22:21+00:00

डेटिंग और रिकवरी

जब हम एडिक्शन रिकवरी में होते हैं तो कई बार डेटिंग या रिलेशनशिप में होना रिलेप्स का कारण बन जाता है क्योंकि हम इमोशनली तैयार नहीं होते रिलेशनशिप से जुड़े स्ट्रेस और उतार-चढ़ाव झेलने के लिये। कभी-कभार हम डेटिंग के साथ जुड़े इशुस् पर इतना ध्यान देते हैं कि हम अपनी रिकवरी को पीछे धकेल देते हैं और जब हम डेट करना शुरु करते हैं तो उसके साथ हमेशा ब्रेक-अप का चांस रहता है जो हमेशा जरुरी नहीं है कि म्युचुवल हो या फिर अच्छे टर्मस् पर हो। इन सिचुऐशनस् में हमारी रिकवरी जो की प्रोसेस में है, वो कहीं दब जाती है और हमें पता ही नहीं चलता की हम कब रिलेप्स हो गये। 

इसलिये ये आमतौर पर रिकमेंड किया जाता है कि आप कम से कम एक साल वेट करें डेटिंग करने से पहले।

तो हम बात करेंगे की एक साल का टाइम पिरियड क्यों…

वो इसलिये क्येंकि एडिक्शन ट्रीटमेंट एक्सपर्टस् का मानना है कि रिकवरी के पहले साल में हमारा पूरा फोकस और एनर्जी हमारी सोबरायटी पर होना चाहिये। इस पिरियड में हमारी सोबरायटी हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। इस रिकवरी के पहले साल में दरअसल खुद को जान पाते हैं कि हम आखिर हैं कौन बिना ड्रग्स या शराब के। हम इसी के साथ अपनी सेल्फ-एस्टीम री-बिल्ड करते हैं और रोजमर्रा की परेशानीयों से बिना नशा करे निपटना सीखते हैं।

अगर आप इस बीच किसी स्पेशल से मिलते भी हैं तो अच्छा होगा की आप बात धीरे-धीरे आगे बढ़ायें और अपने आप से ईमानदार रहें की रिकवरी ही आपकी फर्स्ट प्रिफरेंस है।

अब हम बात करेंगे की डेटिंग करना रिकवरी के दौरान चैलेंजिंग क्यों होता है…

  • सोशल एन्गजायटी, जब आप ड्रग्स या शराब के इनफ्लुऐंस में होते है तो नये लोगो से मिलना ज्यादा आसान होता है। हो सकता है जब आप सोबर हों तो आपको नये लोगों से मिलने में झिझक और घबराहट महसुस हो, ये सिचुयेशन क्रेविंगस् पैदा कर सकती हैं।
  • जनरल ट्रेंडस्, डेटिंग के दौरान ये बहुत कॉमन है कि आप क्लबस् या पब में जायें और अपने आप को शराब नजदीक ले जायें। ये क्रेविंगस् भले ही पैदा न करे पर फिर भी ये रिकवरी के दौरान अपने आप को डेंजरस स्पॉट में रखने जैसा होगा।
  • आपकी फिलींगस् और रुटीन में आने वाला बदलाव, ये तो ओबवियस है कि जब आप किसी को डेट कर रहे होते हैं तो आपकी फिलींगस् में चेंजेस आते हैं या नई फिलींगस् डेवलप होती हैं जो आपका फोकस रिकवरी से हटा सकती हैं। इसके साथ ही आपका रुटीन जो की रिकवरी को डेडिकेटेड था वो भी डिस्टर्ब होगा।

आप क्या-क्या कर सकते हैं रिकवरी में डेटिंग ईजी करने के लिये…

  • आप किसी अच्छे थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं ये पता करने के लिये की आप वाकई में रैडी हैं किसी रिलेशनशिप के लिये या नहीं।
  • आप रिकवरी के लिये ग्रुप मिटींग्स अटेंड करते रहे, यहाँ दो फायदे होंगे पहला ये कि आप अपने नये रिलेशनशिप की फिलींगस् शेयर कर पायेंगे और दुसरा की वहाँ आपकी फैलोशिप आपको रिकवरी के लिये फोकस्ड रखेगी।
  • ये याद रखें कि आप जिसे भी डेट कर रहें हैं उसके साथ ईमानदार रहें, ये फिक्र बिलकुल न करें वो एडिक्शन हिस्ट्री के बारे में जानकर क्या सोचेगा। क्योंकि रिकवरी आपके जीवन का हिस्सा है, और इस पर आप प्राउड फील कर सकते हैं। अगर वो आपकी रिकवरी को सपोर्ट करेगा तभी डेटिंग किसी जेनुइन रिलेशनशिप में बदलेगी। 
  • अपनी रोज की जाने वाली जगहों जैसे ऑफिस, ग्रुप मीटिंग, कॉलेज वगैरह से बाहर पार्टनर तलाशें, क्योंकि ब्रेकअपस् एक बहुत बड़ा कारण है रिलेप्स होने का और अगर ऐसा हो जाता है तो आपको बार-बार इन जगह जाना ऑकवर्ड लग सकता है।

अब एक सवाल है कि क्या आपको दुसरे रिकवरींग एडिक्ट को डेट करना चाहिये कि नहीं, ये सिचुयेशन बहुत ही कॉम्पलीकेटेड होती है। यदि मान लीजीये की आपका पार्टनर रिलेप्स हो जाता है तो बहुत सारे सवाल उठेंगे आपके मन में जैसे क्या डेटिंग कन्टिन्यु करनी चाहिये, क्या ब्रेक अप करना चाहिये, क्या मैं तो रिलेप्स का जिम्मेदार नहीं हुं और यदि आप रिलेप्स हो गये तो आपके पार्टनर की कंडिशन भी सेम होगी इसलिये जब तक दोनो पार्टनर अपनी रिकवरी को लेकर 100 परसेंट कनविंस्ड नहीं हो ऐसे रिलेशनशिप में न जाना ही बेहतर होगा।

कुछ डिफरेंट फर्स्ट डेट ऑयडियाज…..

  1. अपने ही शहर में टुरिस्ट बन जायें, ये एक्सपेरिमेंट बहुत एक्साइटिंग हो सकता है और आपके पास याँदे होंगी शेयर करने के लिये।
  2. साथ में कोई नई क्लॉस जॉइन करें, ऐसा कुछ ढ़ुढ़े जिस में आप दोनो का इन्ट्रेस्ट हो जैसे योगा क्लास, रॉक क्लाइंबिग.. 
  3. कुछ स्पोर्टस खेलें साथ में जो आप के बचपन की यादें ताजा करे ये बहुत मजेदार हो सकता है आप विडियो गेम्स भी खेल सकते हैं…
  4. आप दोनो साथ में कम्युनिटी के लिये वॉलंटीयर वर्क कर सकते हैं ये बहुत अच्छा तरीका है किसी के साथ बॉन्डिंग का।  

सोबर डेटिंग हमेशा मीनिंगफुल होती है, रिकवरी डेटिंग में आपकी बातें ज्यादा मीनिंगफुल और जेनुइन होती हैं। जब आप ड्रग या अल्कोहोल अब्युज कर रहे होते हैं तब आपकी किसी हैल्थी रिलेशनशिप में रहने की एबिलिटी कम हो जाती है।

आप जब भी रिकवरी में डेट करने का डिसाइड करें तो याद रखें की आपकी एडिक्शन रिकवरी ही न. 1 प्रॉयोरिटी हो।

डेटिंग और रिकवरी2021-02-27T22:22:27+00:00
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